सितारों के अनुसार- अमित शाह की कुंडली शनि की अढैया (छोटी पनौती) के प्रभाव में
#अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दिग्गज रणनीतिकार अमित शाह की कुंडली शनि की अढैया (छोटी पनौती) के प्रभाव में #विवेक का नुकसान होगा- गहरी चोट फिर खायेगें# बिहार के सीएम नीतीश कुमार की कुंडली उनके कद में भी इजाफा करेगा #भाई और बहन के लिए रक्षाबंधन; थाली में कौन-कौन सी 7 खास चीजें हो #नवाज शरीफ और नरेंद्र मोदी की कुंडली #दोनों की कुंडली में किसी भी प्रकार का कोई और मेल नजर नहीं आ रहा #अरविन्द केजरीवाल उनके जीवन के श्रेष्ठ काल में से एक सिद्ध होगा #तमाम विरोधों और साजिशों में तपकर केजरीवाल की चमक 2016 में कुंदन की तरह चमकेगी #लालू यादव शुभ फल देने वाला #उनके राजनैतिक कद में इजाफा #नरेंद्र मोदी के ग्रह योग फिलहाल उनके खिलाफ विरोध, आंदोलन और आलोचना #
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भाई और बहन के लिए रक्षाबंधन (18 अगस्त, गुरुवार) एक महापर्व की तरह है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। राखी बांधने से पहले एक विशेष थाली सजाई जाती है। इस थाली में कौन-कौन सी 7 खास चीजें होनी चाहिए, किसी भी शुभ काम की शुरुआत कुमकुम का तिलक लगाकर की जाती है। ये परंपरा बहुत पुरानी है और आज भी इसका पालन किया जाता है। तिलक मान-सम्मान का भी प्रतीक है। बहन तिलक लगाकर भाई के प्रति सम्मान प्रकट करती है। साथ ही, अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर बहन उनकी लंबी उम्र की कामना भी करती है। इसलिए थाली में कुमकुम विशेष रूप से रखना चाहिए।
तिलक लगाने बाद तिलक के ऊपर चावल भी लगाए जाते हैं। चावल को अक्षत कहा जाता है। इसका अर्थ है अक्षत यानी जो अधूरा न हो। तिलक के ऊपर चावल लगाने का भाव यह है कि भाई के जीवन पर तिलक का शुभ असर हमेशा बना रहे। चावल शुक्र ग्रह से भी संबंधित है। शुक्र ग्रह के प्रभाव से ही जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
बहन अपने भाई को तिलक लगाने के बाद हाथ में नारियल देती है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। श्री यानी देवी लक्ष्मी का फल। यह सुख-समृद्धि का प्रतीक है। बहन भाई को नारियल देकर यह कामना करती है कि भाई के जीवन में सुख और समृद्धि हमेशा बनी रहे और वह लगातार उन्नति करता रहे।
राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करती है। मिठाई खिलाना इस बात का प्रतीक है कि बहन और भाई के रिश्ते में कभी कड़वाहट न आए, मिठाई की तरह यह मिठास हमेशा बनी रहे।
राखी बांधने के बाद बहन दीपक जलाकर भाई की आरती भी उतारती है। इस संबंध में मान्यता है कि आरती उतारने से सभी प्रकार की बुरी नजरों से भाई की रक्षा हो जाती है। आरती उतारकर बहन कामना करती है कि भाई हमेशा स्वस्थ और सुखी रहे।
राखी की थाली में जल से भरा हुआ एक कलश भी रखा जाता है। इसी जल को कुमकुम में मिलाकर तिलक लगाया जाता है। हर शुभ काम की शुरुआत में जल से भरा कलश रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी कलश में सभी पवित्र तीर्थों और देवी-देवताओं का वास होता है। इस कलश की प्रभाव से भाई और बहन के जीवन में सुख और स्नेह हमेशा बना रहता है।
शरीफ और नरेंद्र मोदी की कुंडली दोनों की कुंडली में किसी भी प्रकार का कोई और मेल नजर नहीं आ रहा
नवाज शरीफ और नरेंद्र मोदी की कुंडली को मिलाकर देखा जाए तो दोनों में बुद्धदित्य योग है, जो राजयोग प्रदान कर रहा है। दोनों की कुंडली के सुख भाव में एक समान बृहस्पति विराज कर जहां सुख और आनंद प्रदान कर रहे है, वहीं उसकी सप्तम दृष्टि कर्म पर पड़कर बुरे या नकारात्मक हालात में भी दोनों को संभाल रही है। इसके अलावा दोनों की कुंडली में किसी भी प्रकार का कोई और मेल नजर नहीं आ रहा है। मोदी का गण मानव और शरीफ का गण राक्षस, जहां इस दोस्ती की हवा निकालता प्रतीत हो रहा है, वहीं योनि का बेमेल गठजोड़ दोनों की मानसिकता को पूर्णत: भिन्न बना रहा है, क्योंकि मोदी की योनि मृग और शरीफ की व्याघ्र है। व्याघ्र की मानसिकता सदैव मृग को दबोचकर उसका शिकार करने की होती है। व्याघ्र और मृग की दोस्ती के किस्से हजम नहीं होते। मोदी की भकूट राशि वृश्चिक और शरीफ की भकूट राशि तुला है। भकूट के बेमेल होने से दोनों के प्रेम प्रस्ताव के असफल होने की संभावना ज्यादा नजर आ रही है। उस पर से दोनों के अलग गण दोनों के किसी भी मेल को खारिज करके इनकी ईमानदार कोशिशों में पलीता लगा रही है।
नरेंद्र मोदी के ग्रह योग फिलहाल उनके खिलाफ विरोध, आंदोलन और आलोचना को जन्म देकर मानहानि का प्रयास गलत योजना या गलती के लिए इन्हें उत्तरदायी बनाने का प्रयास होगा मोदी की एक विचारक, सुधारक और नव दृष्टा के रूप में छवि उभर कर सामने आएगी
नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ग्रह योग फिलहाल उनके खिलाफ विरोध, आंदोलन और आलोचना को जन्म देकर मानहानि का प्रयास कर सकते हैं। किसी सहयोगी की गलत योजना या गलती के लिए इन्हें उत्तरदायी बनाने का प्रयास होगा। किसी व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा चुनौतियाँ खड़ी की जाएंगी। हालांकि, ऐसी उम्मीद है कि स्वग्रही मंगल और भाग्येश चंद्रमा की जोड़ी इन विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला कर लेगी | 22 फरवरी 2016 तक का कार्यकाल चुनौतियों के बाद भी इन्हें सुख की अनुभूति प्रदान करेगा। हालांकि, मोदी के लिए 2016 इतना आसान नहीं नजर आ रहा| 22 फरवरी 2016 से 20 मार्च 2016 का समय प्रधानमंत्री और उनके सलाहकारों को अस्थायी रूप से ही सही, कई बार बेचैन करेगा। किसी खास मित्र या पूर्व मित्र के किए गए काम से उन्हें परेशानी हो सकती है। 20 मार्च 2016 से 7 मई 2016 तक का समय भावनात्मक उतार चढ़ाव का होगा। 7 मई 2016 से 10 जून 2016 तक के बीच कोई बड़ा झमेला सामने आ सकता है। हालांकि, मोदी इन सबका सामना बड़ी आसानी से कर लेंगे। 10 जून से 6 सितंबर तक का समय कूटनीतिक लड़ाई का होगा। 6 सितंबर से २२ नवंबर तक का वक्त के बीच मोदी को किसी सलाहकार, मित्र, सहयोगी या नये सहयोगी से लाभ मिल सकता है। कुल मिलाकर नए साल में मोदी के लिए पड़ोसियों के अलावा ढेरों मित्रों और विरोधियों से टकराव टालना बड़ी चुनौती होगी। विरोधी अचानक से बेहद आक्रामक हो जाएंगे। देश व विश्व में खून खराबे की स्थिति उन्हे विचलित करेगी। मोदी को स्वास्थ्य को लेकर भी सजग रहना पड़ेगा। इन सबके बावजूद मोदी की एक विचारक, सुधारक और नव दृष्टा के रूप में छवि उभर कर सामने आएगी।
अरविन्द केजरीवाल उनके जीवन के श्रेष्ठ काल में से एक सिद्ध होगा ; तमाम विरोधों और साजिशों में तपकर केजरीवाल की चमक 2016 में कुंदन की तरह चमकेगी
अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल फिलहाल लाभेश वृहस्पति की महादशा भोग रहे हैं, जो एक उत्तम काल है| चूंकि, वृहस्पति इनकी कुंडली में लाभेश के साथ अष्टमेश भी है, इसलिए विरोधाभास और इनके व्यक्तित्व का चोली दामन का साथ रहा है| 17 दिसंबर 2015 से इनकी कुंडली में वृहस्पति की महादशा में देव गुरु के परम मित्र और पराक्रमेश चन्द्रमा की अन्तर्दशा शुरू हो रही है, जो तमाम साजिशों, विरोधों, छल और कपट के बावजूद केजरीवाल की जिन्दगी में मील का पत्थर साबित होगी। यह उनके जीवन के श्रेष्ठ काल में से एक सिद्ध होगा। इसका मतलब यह है कि तमाम विरोधों और साजिशों में तपकर केजरीवाल की चमक 2016 में कुंदन की तरह चमकेगी। अष्टमेश की महादशा के कारण 2016 में केजरीवाल को स्वास्थ्य या किसी तथाकथित मित्र या गुप्त शत्रु और उसकी साजिशों से सावधान रहना चाहिए|
अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दिग्गज रणनीतिकार अमित शाह की कुंडली शनि की अढैया (छोटी पनौती) के प्रभाव में ;विवेक का नुकसान होगा- गहरी चोट फिर खायेगें-
अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दिग्गज रणनीतिकार अमित शाह की कुंडली 2 नवम्बर 2014 की संध्या से शनि की अढैया (छोटी पनौती) के प्रभाव में है। धनेश और पराक्रमेश की इस अढैया ने शाह के करियर पर दिल्ली और बिहार के चुनाव परिणाम के रूप में गहरी चोट पहुंचाई है। यह स्थिति 2016 में और मुखर होगी| 6 दिसंबर 2015 से अमित शाह की लग्नेश और सुखेश वृहस्पति की महादशा आरम्भ हो चुकी है। पर देव गुरु इनकी कुंडली के छठे भाव में बैठे हैं, जहां विवेक को नुकसान पहुंचा कर उनके सुख में भारी कमी कर रहे हैं। वहीं, उनकी लोकप्रियता को भी गहरा आघात पहुंचा रहे हैं। आने वाला वक्त उनकी मामूली कमियों को बढ़ा चढ़ा उनकी साख को गहरी क्षति पहुंचा सकता है। इस वजह से दल के अन्दर और बाहर उनके विरोधियों की संख्या में भारी वृद्धि का योग निर्मित हो रहा है।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार की कुंडली क्या कह रही हैं-उनके कद में भी इजाफा करेगा
बिहार के सीएम नीतीश कुमार की कुंडली इस समय शनि की साढ़ेसाती के द्वितीय चरण में है। भाग्येश शनि की साढ़ेसाती अपने मध्य में इनके प्रभाव की वृद्धि का कारण बनी। ये इस समय भाग्य में बैठे राहू की महादशा में वृहस्पति का अंतर भोग रहे हैं, जो उत्तम काल है। 25 फरवरी 2016 से आरम्भ होने वाला चन्द्रमा का प्रत्यंतर जहां उनके प्रभाव में वृद्धि करके इनके राजनैतिक विरोधियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींचेगा, वहीं उनके कद में भी इजाफा करेगा। कुमार आनेवाले साल में विपक्ष की एकता की धुरी बन सकते हैं। 10 अगस्त से आरम्भ होने वाली राहू के प्रत्यंतर दशा इन्हें किसी तनाव या बेचैनी से ग्रस्त करने के साथ इन्हें अपने सहयोगियों, मित्रों और तथाकथित अपनों से कष्ट देगी। इस साल नीतीश कुमार को आरोपों या राजनैतिक हमलों का सामना करना पड़ेगा।
लालू यादव शुभ फल देने वाला उनके राजनैतिक कद में इजाफा
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू यादव इस समय कर्मेश व पराक्रमेश शुक्र की महादशा में 28 अगस्त 2015 से राहू की अन्तर्दशा भोग रहे हैं। यह उनके लिए शुभ फल देने वाला है। यह ग्रह योग 2016 में उनके विरोधियों को तंग करके उनके राजनैतिक कद में इजाफा करेंगे। साल के मध्य में उन्हें अपने दल या युति के अन्दर कुछ तनाव झेलना पड़ेगा। पर राजनीति के घुटे हुए खिलाड़ी यादव इसका सामना अच्छी तरह से कर लेंगे। यादव के लिए अपने विरोधियों के साथ अपनों के हमलों को झेलना भी एक बड़ी चुनौती होगी।