वाइस चेयरमैन नीति आयोग का अचानक इस्तीफा
वाइस चेयरमैन नीति आयोग के अचानक पद छोड़ने से कई सवाल पैदा हो गए सरकार और नीति निर्माताओं के बीच मतभेद की एक अहम वजह नीति आयोग उपाध्यक्ष बनने से पहले पनगढ़िया कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे. कोलंबिया यूनिवर्सिटी में कोई भी व्यक्ति रिटायर नहीं होता है. वह जीवनभर अपनी स्वास्थ्य क्षमता के अनुसार अध्यापन कार्य कर सकता है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अरविंद पनगढ़िया को दो बार पहले भी वापस लौटने के लिए नोटिस भेजा गया था. Top Breaking; www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal & Print Media) publish at Derhadun & Haridwar.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा है कि वो पठन-पाठन के क्षेत्र में लौटेंगे. अरविंद पनगढ़िया ने अपने इस फैसले की जानकारी पीएमओ को दे दी है पर अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के असम के बाढ़ग्रस्त इलाकों के दौरे पर होने के कारण उनके इस्तीफे को मंजूरी नहीं मिली है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 31 अगस्त को कार्यालय में उनका आखिरी कामकाजी दिन होगा. अरविंद पनगढ़िया आर्थिक उदारीकरण के पक्षधर रहे हैं और माना जा रहा है कि उनके इस्तीफे से सरकार के इकोनॉमिक रिफॉर्म प्रोग्राम की रफ्तार पर असर हो सकता है.
पनगढ़िया का जन्म 30 सितम्बर, 1952 को राजस्थान में हुआ. गरीब परिवार में जन्मे पनगढ़िया हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ते थे. पढ़ने में तेज पनगढ़िया को उनके माता-पिता आईएएस अफसर बनाना चाहते थे पर वह खुद ऐसा नहीं चाहते थे. योजना आयोग का नाम बदल कर नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया किये जाने के बाद इसके उपाध्यक्ष बनाए गए. अरविंद पनगढ़िया तकरीबन ढाई साल तक पद पर रहे. नीति आयोग भारत सरकार के पॉलिसी थिंक टैंक हैं जिसके चेयरमैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. पनगढ़िया देश के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में गिने जाते हैं. उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, न्यू जर्सी से अर्थशात्र में डॉक्टरेट किया है. इसके अलावा उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से स्नातक किया था. वह एशियन डेवलपमेंट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री भी रह चुके हैं. अर्थशास्त्र में अपने योगदान के लिए पनगढ़िया देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से भी सम्मानित हो चुके हैं. 64 वर्षीय पनगढ़िया दुनिया के प्रमुख आर्थिक और वित्तीय संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं जिनमें वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ, डब्ल्यूटीओ और यूएन कांफ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट शामिल हैं.
पीएम मोदी ने योजना आयोग के नाम के साथ-साथ नीति बदलने के लिए पनगढ़िया को इसका पहला अध्यक्ष बनाया था.
भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए लौटेंगे. बताया जा रहा है कि वो जो पब्लिक सर्विस लीव लेकर आये थे वो खत्म हो रही है और कोलंबिया यूनिवर्सिटी से उन्हें लौटने के लिए कहा जा रहा है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अरविंद पनगढ़िया को पहले भी दो बार वापस लौटने के लिए रिकवेस्ट नोटिस भेजा जा चुका है. अरविंद कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इंडियन पॉलिटिकल इकोनॉमी पढ़ाते थे.
अरविंद पनगढ़िया का जीवन परिचय
मौजूदा मोदी सरकार ने देश की नीति और विकास प्रक्रिया को नई दिशा देने के लिए योजना आयोग को खत्मन कर नीति आयोग का गठन किया था. नीति आयोग के गठन के बाद 5 जनवरी, 2015 को अरविंद पनगढ़िया उसके पहले उपाध्येक्ष बने थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग उपाध्यक्ष हैं.
प्रिंस्टिन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र में पीएचडी अरविंद पनगढ़िया अरविंद न सिर्फ नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं बल्कि इससे पहले वो एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) के चीफ इकनॉमिस्ट के पद पर भी रहे हैं. वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ और यूएनसीटीएडी के अलावा अंकटाड में भी विभिन्न पोस्ट पर काम कर चुके हैं. इसके अलावा वह मेरीलैंड यूनिवर्सिटी के कॉलेज पार्क में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर के तौर पर भी सेवा दे चुके हैं. अरविंद के पास वर्ल्डे बैंक, आईएमएफ, विश्वव व्यांपार संगठन (WTO) में भी काम करने का अच्छा खासा अनुभव है. मार्च 2012 में अरविंद पनगढ़िया को देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पदम विभूषण मिला था. अरविंद पनगढ़िया कई किताबें भी लिख चुके हैं. साल 2008 में भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़ी उनकी किताब ‘इंडिया द इमरजिंग जाइंट’ द इकनॉमिस्ट की ओर से सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली किताब में शामिल हो चुकी है.