16 फरवरी 2021 ; बसंत पंचमी के दिन ही गुरू उदय- विशेष योग का संयोग & ग्रहो में सबसे अधिक हलचल

High Light# माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी की तिथि को बसंत पंचमी का पर्व # 16 फरवरी 2021 को पंचमी की तिथि  # गुरू 16 फरवरी मंगलवार को प्रात: 6 बजकर 17 मिनट पर उदित # गुरू नीच राज योग भंग का निर्माण भी कर रहे हैं # बसंत पंचमी के दिन ही गुरू अस्त से उदय हो रहे हंै. जो एक शुभ योग का निर्माण कर रहा है. जिस कारण बसंत पंचमी का महत्व और भी बढ़ जाता है. # ग्रहो में सबसे अधिक हलचल # :

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए. ;; ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम:. ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम:.

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गुरू 16 फरवरी मंगलवार को प्रात: 6 बजकर 17 मिनट पर उदित हो रहे हैं. गुरू अस्त से उदय होने जा रहे हैं. देव गुरू बृहस्पति बीते 19 जनवरी 2021 को मकर राशि में अस्त हुए थे. मकर राशि में गुरू गोचर कर रहे हैं. मकर राशि शनिदेव की राशि मानी जाती है. शनि मकर राशि में ही विराजमान हैं और वर्षभर इसी राशि में रहेंगे. इसके साथ ही 16 फरवरी के पंचांग के अनुसार गुरू और शनि के अलावा, बुध और शुक्र भी मौजूद रहेंगे.

शुभ और दिव्य संयोग का निर्माण  #विशेष योग का संयोग # माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी मनायी जाती है। 16 फरवरी मंगलवार को रेवती नक्षत्र में पंचमी तिथि आ रही है। और इसी दिन सिद्धि और सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब योग और नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा हो तो ऐसे में विवाह करना अत्यंत शुभ है। वैसे भी बसंत पंचमी स्वयं सिद्ध मुहूर्त होता है। तो ऐसे में विशेष संयोगों के कारण यह दिन और भी खास हो जाता है।

इस समय मकर राशि में सबसे अधिक हलचल हो रही है. मकर राशि को पृथ्वी तत्व की राशि माना गया है. जन्म कुंडली में ये 10 वे ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है जो कर्म का स्थान है. मकर राशि में चार ग्रहों की युति बनी हुई है. जिसमें से बुध वक्री हो चुके हैं. शुक्र 16 फरवरी को अस्त हो रहे हैं. मकर राशि में गुरू नीच राज योग भंग का निर्माण भी कर रहे हैं. क्योंकि मकर राशि में गुरू नीच के हो जाते है.   

गुरू के उदय होने का फल जन्म कुंडली में गुरू की स्थिति पर निर्भर करेगा. यानि जन्म कुंडली में यदि गुरू की स्थिति शुभ है और शुभ ग्रहों की दृष्टि है तो व्यक्ति को अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे. वहीं अशुभ स्थिति होने पर गुरू शुभ फल देने में असर्मथ रहेंगे.

जन्म कुंडली में गुरू शुभ हैं या अशुभ इसका पता आसानी से लगाया जा सकता है. जैसे गुरूजन नाराज हो जाएं, या फिर पेट संबंधी दिक्कतें बढ़ने लगें और उच्च पद पर बैठे लोगों का सहयोग कम मिलने लगे तो समझ लेना चाहिए कि कहीं न कहीं गुरू का प्रभाव कम हो रहा है. वहीं शिक्षा, आय के स्त्रोत, उच्चपद और समाज में मान सम्मान में वृद्धि होने लगे तो इसका अर्थ ये है कि गुरू शुभ फल प्रदान कर रहे हैं. भगवान विष्णु की पूजा करने से गुरू प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही बृहस्पति वार को केले के पेड की पूजा करने से भी गुरू का दोष समाप्त होता है. छात्रों की मदद करने, ज्ञान को बांटने से भी गुरू प्रसन्न होते हैं. स्वर्ण धारण करने से भी गुरू ग्रह शांत होता है.

गुरू के उदय होने से मेष, कर्क, सिंह राशि, कन्या, तुला, धनु राशि के जातकों के लिए लाभ की स्थिति बन रही है. वहीं वृषभ, मिथुन, वृश्चिक, मीन, मकर और कुंभ राशि वालों को सेहत, बिजनेस के मामले में सावधानी बरतने की जरूरत है.

बसंत पंचमी के दिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का जन्मोत्सव

बसंत पंचमी पर रेवती नक्षत्र में अमृत सिद्धि योग और रवियोग में ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना होगी मान्यता है कि इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। पौराणिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने से मां प्रसन्न होकर अपने भक्तों को ज्ञान और विद्या का आशीर्वाद देती हैं। और उनके हृदय में ज्ञान का दीपक जला देती हैं। जिससे व्यक्ति अपने जीवन में अनेक सफलताओं को प्राप्त करके सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, धन, धान्य और वैभव की प्राप्ति करता है। तो आइए इस बसंत पंचमी के अवसर पर ज्ञानदायिनी मां सरस्वती को उनकी आरती पढ़कर प्रसन्न करें और विद्या व ज्ञान का वरदान प्राप्त करें। बसंत पंचमी के दिन पीले पुष्पों से मां दुर्गा का पूजन करें। किसी सुहागिन स्त्री को सुहाग की सामग्री भेंट करें तो वैवाहिक जीवन में आ रहीं समस्त परेशानियां दूर हो जाएंगी। इस दिन भगवान श्रीगणेश सहित पूरे शिव परिवार का पूजन करें। बसंत पंचमी के दिन अनेक रंगों के सुगंधित फूलों से कामदेव का ध्यान करते हुए पूजन करें आपका प्‍यार मिलेगा।बसंत पंचमी के दिन देवी महालक्ष्मी का लाल गुलाब के फूलों से पूजन करें। और मिश्री का भोग लगाएं। तो आर्थिक संकटों का समाधान हो जाएगा।

बसंत पंचमी का पर्व 16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट से आरंभ होगा जो 17 फरवरी को पंचमी की तिथि के साथ ही समाप्त होगा. इस दिन मां सरस्वती की पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए और मां को वाद्य यंत्र और पुस्तके आदि अर्पित करनी चाहिए

मां सरस्वती की आरती (Maa Saraswati Aarti)

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता। सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय….. चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी। सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय….. बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला। शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय….. देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया। पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय….. विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो। मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय….. धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो। ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय….. मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें। हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय….. जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता। सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय….. ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता । सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..

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