भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगे
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर कांग्रेस चुनाव लड़ेंगे
मेरठ/लखनऊ: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को मेरठ में भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद से अस्पताल में मुलाकात की. एक दिन पहले ही चंद्रशेखर को यहां एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. प्रियंका बुधवार शाम अचानक मेरठ के इस निजी अस्पताल में भर्ती चंद्रशेखर से मिलने पहुंचीं. उनके साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर और पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे. इस दौरान मीडिया से बातचीत में प्रियंका गांधी ने इतना ही कहा, ‘चंद्रशेखर से मिलने के लिए अस्पताल आने में कोई राजनीति नहीं है. मैं इससे मिलने आई हूं, क्योंकि इनका संघर्ष मुझे पसंद आया. उन्होंने अपने लोगों के लिए संघर्ष किया है.’
प्रियंका गाँधी आज भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण से मिलने अस्पताल पहुँचीं। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या चंद्रशेखर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। बता दें कि चन्द्रशेखर ने कहा था कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ मज़बूत उम्मीदवार उतारेंगे और ऐसा न होने पर वह ख़ुद मैदान में उतरेंगे। तबीयत बिगड़ने पर चंद्रशेखर को मेरठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चंद्रशेखर से मुलाक़ात के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने कहा कि चंद्रशेखर युवाओं की आवाज़ उठा रहे हैं लेकिन सरकार उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है। प्रियंका गांधी के साथ पश्चिमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसे सिर्फ़ 2 सीटें मिली थीं और इस बार भी वह एसपी-बीएसपी गठबंधन में शामिल नहीं हो सकी। चंद्रशेखर के कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस को दलित वोटों के उसके पास आने की उम्मीद है। इससे बीएसपी के दलित वोटों में सेंध लग सकती है। चंद्रशेखर 15 मार्च को दिल्ली में बहुजन हुंकार रैली करने जा रहे हैं। चंद्रशेखर की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दलित मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में चंद्रशेखर के साथ गठबंधन कांग्रेस के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।
ग़ौरतलब है कि मंगलवार को भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर अपने समर्थकों के साथ देवबंद इलाक़े में पदयात्रा कर रहे थे लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। प्रशासन का कहना था कि वह आचार संहिता लगने के बाद भी बिना अनुमति के जुलूस निकाल रहे थे, इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया। जबकि चंद्रशेखर ने कहा था कि सरकार के इशारे पर उनकी पदयात्रा रोकी गई थी। चंद्रशेखर ने कहा था कि उनके पास पदयात्रा की अनुमति थी, लेकिन प्रशासन और सरकार इस बात को लेकर झूठ फैला रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की भीम आर्मी के प्रमुख से मुलाकात को उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हलके में बसपा सुप्रीमो मायावती पर दबाव बनाने के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि एक दिन पहले ही मायावती ने चुनावी गठबंधन को लेकर कांग्रेस के लिए बसपा के दरवाज़े बंद कर दिए थे.
प्रियंका करीब आधा घंटा तक अस्पताल में रहीं. मुलाकात के मायने पूछने पर चंद्रशेखर ने भी कहा, ‘मैं सियासी व्यक्ति नहीं हूं. मैं बहुजन समाज के लिए लड़ता हूं. वह (प्रियंका) कोई राजनीतिक बात करने नहीं आयी थीं. न कुछ पूछ रहीं थीं.’
उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा उनकी तबियत पूछने आई थीं. इससे ज़्यादा और कुछ नहीं.
चंद्रशेखर ने कहा, ‘मैं बहुजन समाज के साथ हूं.’ प्रियंका के दौरे के दौरान अस्पताल में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे .
उल्लेखनीय है कि आने वाले लोकसभा चुनाव गैर भाजपाई दलों की यही कोशिश है कि उत्तर प्रदेश में बसपा, सपा और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ें ताकि भगवा पार्टी को सत्ता पर पुन: क़ब्ज़ा ज़माने से रोका जा सके. गौरतलब है कि सपा-बसपा ने कांग्रेस को राज्य में लोकसभा की सिर्फ दो सीटें देने की पेशकश की थी. गौरतलब है कि मंगलवार को चंद्रशेखर की तबीयत उस समय खराब हो गई जब वह सहारनपुर से दिल्ली के लिए ‘बहुजन सुरक्षा अधिकार यात्रा’ निकाल रहे थे. यात्रा जब देवबंद पहुंची तब अनुमति नहीं मिलने के कारण पुलिस ने यात्रा रोक दी और चंद्रशेखर को हिरासत में ले लिया था. पुलिस की कार्रवाई से नाराज़ उनके समर्थकों ने राजमार्ग पर हंगामा शुरू कर दिया. गुस्साई भीड़ की अधिकारियों के साथ नोकझोंक हुई. हंगामे के बीच अचानक चंद्रशेखर की तबीयत बिगड़ गई और वह बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें मेरठ लाया गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया.
2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर गाँव में ठाकुरों और दलितों के बीच संघर्ष हुआ था। ख़बरों के मुताबिक़, इसके बाद हुई हिंसा में दलित समुदाय के लोगों के घर जला दिए गए थे। चंद्रशेखर ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया था और सरकार पर दलितों के उत्पीड़न का आरोप लगाया था। रासुका लगने की वजह से चंद्रशेखर एक साल तक सहारनपुर की जेल में बंद रहे थे। रिहा होने के बाद उन्होंने बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकने का एलान किया था।
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