दलित मुददे पर भाजपा फंस गयी
यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष दया शंकर सिंह ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती के लिए अति आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल कर भाजपा फंस गयी, गुजरात में भी दलित मुददे पर फंसी भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप वायरल हुआ, आम आदमी पार्टी ने इस मसले को तुरत लपक लिया, बसपा भी भाजपा के खिलाफ पुरी सक्रियता से उतरी, कांग्रेस ने भी इसको हाथो हाथ लिया, मामले की गंभीरता देख भाजपा हाईकमान ने सक्रिय हुआ, यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को आज पद से हटा दिया गया उनके बयान पर वित्त मंत्री अरुण जेटली को संसद में खेद भी जाहिर किया, मायावती के खिलाफ बीजेपी नेता की ये भद्दी और आपत्तिजनक टिप्पणी ऐसे वक़्त आई है जब गुजरात में गोरक्षा के नाम पर दलितों की पिटाई के मुद्दे पर बीजेपी और मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है.
आम आदमी पार्टी नेता आशुतोष ने ट्वीट करके बीजेपी को आड़े हाथों लिया है. आशुतोष ने कहा, “क्या आपको अब भी बीजेपी के दलित विरोधी होने का इससे बड़ा सबूत चाहिए. मायावती #@&*% से ज्यादा खराब हैं.”
मायावती को लेकर यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष दया शंकर सिंह ने कहा था, “मायावती टिकट बेचती हैं. वो इतनी बड़ी नेता हैं, तीन बार सूबे की सीएम रही हैं. लेकिन वो उन्हें टिकट देती हैं जो उन्हें 1 करोड़ रुपये देने को राजी होता है. अगर कोई 2 करोड़ देने को तैयार हो जाता है तो वो उसे टिकट दे देती हैं. अगर कोई 3 करोड़ दे दे तो उसे ही दे देंगी. आज उनका चरित्र #@&*% से भी ज्यादा खराब है.”
बीएसपी अध्यक्ष मायावती पर आपत्तिजनक बयान देने वाले यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को आज पद से हटा दिया गया उनके बयान पर वित्त मंत्री अरुण जेटली को संसद में खेद भी जाहिर किया लेकिन मायावती ने कहा, माफी नहीं है काफी. बीएसपी ने दयाशंकर को SC/ST एक्ट के तहत फौरन गिरफ्तार करने की मांग की है.
मोदी सरकार ज्यादातर सियासी मोर्चों पर विपक्ष पर भारी पड़ती नज़र आती है, लेकिन दलित सियासत के मोर्चे पर उसे अक्सर बैकफुट पर आना पड़ता है. प्रधानमंत्री मोदी ने दलितों को साथ लाने की लगातार कोशिश की है, लेकिन उन्हीं की पार्टी या सरकार के लोग उनकी कोशिशों पर पानी फेर देते हैं. पिछले एक साल के दौरान ही ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं.
दयाशंकर सिंह का ये बयान ऐसे वक्त में आया जब बीजेपी गुजरात में दलितों की पिटाई से भड़की विरोध की आग को शांत करने की कोशिश में लगी थी. बीजेपी के राज में दलित उत्पीड़न बढ़ने के आरोपों के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह आज लोकसभा में कांग्रेस राज के आंकड़े गिनाकर विपक्ष को उसी के खेल में घेरने की कोशिश कर रहे थे. राजनाथ के बयान के दौरान राहुल गांधी की बंद आंखें कांग्रेस को बैकफुट पर ला सकती थीं लेकिन तभी एक आपत्तिजनक बयान ने सारा माहौल पलट दिया.
बीएसपी प्रमुख मायावती के बारे में बेहद अभद्र टिप्पणी करके दयाशंकर ने बीजेपी को बुरी तरह फंसा दिया. पार्टी ने दयाशंकर के माफी मांगने के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई करके बात को संभालने की कोशिश तो की, लेकिन उससे पहले बीजेपी के बड़े नेताओं को केंद्र से लेकर यूपी तक बार-बार माफी मांगनी पड़ी.
यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष रहते दयाशंकर सिंह का आपत्तिजनक बयान बीजेपी की दलित सियासत को नुकसान पहुंचाने की इकलौती वजह नहीं हैं. ऐसी कई घटनाएं और बयान हैं, जिनसे दलितो को जोड़ने की मोदी सरकार की कोशिशों को ठेस लगी है.
गुजरात सरकार ने जेल में बंद पटेल समुदाय के नेता हार्दिक पटेल की सशर्त जमानत का विरोध नहीं किया तो माना गया कि गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पटेलों की नाराज़गी को कम करने के लिए ऐसा किया गया है. बीजेपी को उम्मीद रही होगी कि इससे विधानसभा चुनाव में उसकी स्थिति मजबूत होगी.
इससे पहले कि गुजरात में बीजेपी को पटेलों के दोबारा साथ आने का भरोसा हो पाता. उना में मरे हुए जानवरों की खाल निकालने वाले दलितों की पिटाई ने राज्य में एक नए विरोध की आग सुलगा दी. दलितो के इस आंदोलन की आंच सिर्फ गुजरात ही नहीं, यूपी तक महसूस की जाने लगी. और दूसरे मौकों की तरह इस बार भी कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है.
प्रधानमंत्री मोदी बाबा साहब आंबेडर को सम्मानित करने वाले कई कदम उठा चुके हैं. पिछले साल नवंबर में उन्होंने लंदन में आंबेडकर भवन स्मारक का उदघाटन किया. 26 नवंबर को आंबेडकर की 125वीं जयंति पर संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की और बाबा साहेब पर डाक टिकट भी जारी किया. उनके इन कदमों ने बीजेपी को दलितों के करीब लाने का काम किया.
पीएम मोदी की इन कोशिशों को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब 17 जनवरी को दलित छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी ने सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला दिया. इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि उसकी गूंज हैदराबाद से लेकर दिल्ली में संसद तक सुनाई देती रही. और पीएम का पीछा भी इस मामले ने नहीं छोड़ा.
इससे पहले 11 अक्टूबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में बाबा साहब आंबेडकर की समाधि चैत्य भूमि पर श्रद्धांजलि देकर और इंदुमिल में बाबा साहब आंबेडकर की याद में बनाए जा रहे स्मारक का शिलान्यास करके नई पहल की.
बाबा साहब जैसे महानायक को सम्मानित करके दलितों को अपने साथ जोड़ने की पीएम मोदी की पहल को उन्हीं की सरकार के मंत्री वीके सिंह के एक बयान से करारा झटका लगा. वीके सिंह ने हरियाणा में दलित बच्चों को जलाए जाने की घटना के बारे में पूछे जाने पर कह दिया कि अगर कोई कुत्ते को पत्थर मारे तो उसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है.
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल बिहार चुनाव के दौरान भी पिछड़ों-दलितों को बीजेपी के साथ जोड़ने की भरपूर कोशिश की…अपने चुनावी भाषणों में अपनी सामाजिक पृष्ठभूमि का जिक्र करके उनके साथ अपनी एकजुटता का संदेश दिया. प्रधानमंत्री मोदी की इन कोशिशों से बीजेपी चुनावी फायदे की उम्मीद कर रही थी.
इससे पहले 11 अक्टूबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में बाबा साहब आंबेडकर की समाधि चैत्य भूमि पर श्रद्धांजलि देकर और इंदुमिल में बाबा साहब आंबेडकर की याद में बनाए जा रहे स्मारक का शिलान्यास करके नई पहल की.
बाबा साहब जैसे महानायक को सम्मानित करके दलितों को अपने साथ जोड़ने की पीएम मोदी की पहल को उन्हीं की सरकार के मंत्री वीके सिंह के एक बयान से करारा झटका लगा. वीके सिंह ने हरियाणा में दलित बच्चों को जलाए जाने की घटना के बारे में पूछे जाने पर कह दिया कि अगर कोई कुत्ते को पत्थर मारे तो उसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है.
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल बिहार चुनाव के दौरान भी पिछड़ों-दलितों को बीजेपी के साथ जोड़ने की भरपूर कोशिश की…अपने चुनावी भाषणों में अपनी सामाजिक पृष्ठभूमि का जिक्र करके उनके साथ अपनी एकजुटता का संदेश दिया. प्रधानमंत्री मोदी की इन कोशिशों से बीजेपी चुनावी फायदे की उम्मीद कर रही थी.