BJP की मजबूरी 20% पटेल समुदाय ?
BJP का मैन वोट बैंक है पटेल समुदाय #गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं. ऐसे में 150 सीटें हासिल करने के लिए बीजेपी को पटेल-पाटीदार समुदाय के वोट की जरूरत पड़ेगी.#पाटीदारों ने तय किया था कि वे 2017 के चुनाव में बीजोपी को वोट नहीं देंगे.
www.himalayauk.org (Newsportal Bureau) Uttrakhand
20% पटेल-पाटीदार को रिझाना क्यों BJP की मजबूरी?
पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लिए गुजरात अहम है, क्योंकि दिल्ली जाने से पहले दोनों ने लंबे समय तक यहां राजनीति की है. मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने यहां 2002, 2007 और 2012 में चुनाव जीते हैं, लेकिन 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से ये राज्य पार्टी के लिए चुनौती बन गया है. मोदी के दिल्ली जाने के बाद से राज्य में कई चीजें बीजेपी के पक्ष में नहीं हुई हैं. यहां सबसे बड़ा बखेड़ा आरक्षण की मांग कर रहे पाटीदार समाज के आंदोलन ने किया. ऐसे में एक बार फिर राज्य की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी को पटेल-पाटीदार लोगों की नाराजगी को दूर करना होगा. हाल ही में 4 राज्यों में सरकार बनाने के बाद अमित शाह का अगला लक्ष्य गुजरात में 150 सीटें हासिल करना है, लेकिन पटेल समुदाय की नाराजगी के चलते इतनी सीटें हासिल कर पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा.
2012 के गुजरात विधानसभा और 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने सोशल मीडिया का बेहतरीन इस्तेमाल किया और दोनों चुनावों में जीत दर्ज की. पांच साल बाद गुजरात में फिर से चुनाव होने वाले हैं. जिस भाजपा के लिए सोशल मीडिया चुनाव का अहम हथियार हुआ करता था, आज वही भाजपा इससे लोगों को बचने की सलाद दे रही है. यह सबकुछ चकित करने वाला है. आखिर गुजरात में पांच सालों में ऐसा क्या बदल गया? जिस भाजपा के लिए सोशल मीडिया चुनाव का अहम हथियार हुआ करता था, आज वही भाजपा इससे लोगों को बचने की सलाद दे रही है. सोशल मीडिया पर दुनिया भर के गुजराती ‘विकास’ का मज़ाक बना रहे हैं. जैसे-जैसे अंतर बढ़ता जा रहा है, सत्ताधारी पार्टी को सोशल मीडिया पर उपहास का सामना करना पड़ रहा है. वास्तविकता यह है कि सोशल मीडिया पर चल रहा ‘विकास पगला गया है’ अभियान लोगों का था जो कांग्रेस का बन गया है
मैन वोट बैंक है पटेल समुदाय
गुजरात की कुल आबादी 6 करोड़ 27 लाख है. इसमें पटेल-पाटीदार लोगों की तादाद 20 प्रतिशत है. पटेल समुदाय की मांग रही है कि उन्हें ओबीसी स्टेटस दिया जाए, ताकि कॉलेजों और नौकरियों में उन्हें रिजर्वेशन मिल सके. राज्य में अभी ओबीसी रिजर्वेशन 27 प्रतिशत है. ओबीसी में 146 कम्युनिटी पहले से लिस्टेड है. पटेल-पाटीदार समुदाय खुद को 146वीं कम्युनिटी के रूप में ओबीसी की लिस्ट में शामिल कराना चाहती है. गुजरात में इस समुदाय के वोट को बीजेपी का प्रमुख वोट बैंक माना जाता है. बीजेपी के 40 विधायक और 6 सांसद इसी कम्युनिटी से हैं. लेकिन पटेल आंदोलन से उपजी नाराजगी को इस बार बीजेपी के लिए घातक माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी का अपने इस वोट बैंक को बचाए रखना बड़ी चुनौती है.
सरकार के खिलाफ पादीदारों का हिंसक आंदोलन
पटेल समुदाय का बीजेपी से नाराज होने का सबसे बड़ा कारण नेतृत्व माना गया. मोदी के बाद उनकी करीबी आनंदी बेन पटेल को राज्य की कमान सौंपी गई. लेकिन पार्टी की आंतरिक कलह और सरकार के विरोध में युवाओं की आवाज उठने लगी. नौकरी की समस्या से युवाओं ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया. इस दौरान दलितों के खिलाफ अत्याचार का मसला भी बड़ा हो गया. सब बिखरता देख बाद में पार्टी ने आनंदीबेन पटेल को हटाकर विजय रूपानी को मुख्यमंत्री बनाया. पाटीदार आंदोलन इतना बढ़ गया था कि उसने हिंसक रूप ले लिया था. स्थिति संभालने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा, जिससे राज्य के अलग-अलग स्थानों पर कई लोगों की मौत हो गई. इसके बाद पाटीदारों ने तय किया था कि वे 2017 के चुनाव में बीजोपी को वोट नहीं देंगे.
हार्दिक पटेल बने बीजेपी के लिए चुनौती
गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं. ऐसे में 150 सीटें हासिल करने के लिए बीजेपी को पटेल-पाटीदार समुदाय के वोट की जरूरत पड़ेगी. इस कड़ी में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी मुश्किल पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल हो सकते हैं. हार्दिक बीजेपी के खिलाफ बोलने से बिल्कुल नहीं चूक रहे हैं और वो लगातार विरोधी खेमों से मिल बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ा कर रहे हैं. शिवसेना ने तो हार्दिक पटेल को गुजरात में अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है.
पटेल समुदाय के गढ़ से चुनावी बिगूल फूंका
ऐसे में बीजेपी के लिए पटेल समुदाय का वोट खास अहमियत रखता है. इसी कारण प्रधानमंत्री ने सूरत में विशाल रोड शो कर चुनावी बिगूल फूंका. सूरत पटेल समुदाय के गढ़ माना जाता है. यहां पीएम ने 11 किलोमीटर लंबा रोड शो किया और इस दौरान उनका जोरदार स्वागत हुआ. सूरत में पटेल समुदाय की अच्छी खासी आबादी है और 2015 में आरक्षण आंदोलन के दौरान यहां बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी. मोदी ने यहां 400 करोड़ रुपये की लागत वाले किरण मल्टी सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का उद्घाटन किया. यह अस्पताल पाटीदार समाज के एक ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है. साथ ही एक हीरा पालिशिंग इकाई का भी उद्घाटन किया. पीएम ने यहां सरदार पटेल को याद करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय राजनीति की दिशा बदली है.
राहुल गांधी पिछले कुछ समय से गुजरात में सक्रिय
आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पिछले कुछ समय से गुजरात में सक्रिय हैं. कांग्रेस सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय है. पार्टी का पूरा फोकस बीजेपी से नाखुश पटेल समाज पर है. कांग्रेस के ‘मिशन गुजरात’ को कुंद करने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 5 राजनीतिक चाल चलने जा रहे हैं. रविवार को शाह ने अपनी पहली चाल चलते हुए गुजरात पहुंच गए हैं. उन्होंने यहां गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत कर दी. अमित शाह के गुजरात के पहुंचते ही राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर बीजेपी का चाणक्य कांग्रेस को पस्त करने के लिए किस तैयारी के साथ आए हैं?
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने करमसद में राष्ट्र गौरव लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर ‘गुजरात गौरव यात्रा’ का शुभारंभ किया। शाह इस दौरान सरदार पटेल के घर भी गए और उन्हें नमन किया। पटेल को श्रद्धांजलि देने के बाद शाह ने यात्रा को हरी झंडी दिखाई।
इससे पहले आज शाह के गुजरात पहुंचने पर सीएम विजय रुपानी ने उनका स्वागत किया। 15 अक्तूबर तक यात्रा
शाह की गुजरात गौरव यात्रा 1 अक्तूबर से शुरु होकर 15 अक्तूबर तक चलेगी। वे इस दौरान कुल 138 जन सभाओं को संबोधित करेंगे। यात्रा के दो रूट बनाए गए हैं। पहला रूट को गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल और दूसरे रूट को गुजरात भाजपा के अध्यक्ष वघानी लीड करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यात्रा के समापन समारोह में हिस्सा लेंगे।
मोदी ने की थी शुरुआत
‘गुजरात गौरव यात्रा’ की शुरुआत 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। मोदी ने साल 2002 के विधानसभा चुनाव से पहले इसी नाम से एक यात्रा निकाली थी। 2002 के दंगों को लेकर विभिन्न हलकों से अपनी सरकार की आलोचना का सामना करने पर मोदी ने यह यात्रा निकाली थी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा जीत के सिलसिले को बरकरार रखने के लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहती और 2019 को लेकर पूरी ताकत झोंकने के मूड में है।
1. पिछले कुछ समय से गुजरात में पटेल समाज के लोग अपनी मांगों को लेकर उग्र हो रहे हैं. पटेलों के उदयीमान नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है. पटेल समाज को बीजेपी के पक्ष में करने के लिए अमित शाह ने गौरव यात्रा की शुरुआत करमसद से शुरू किया है. यह जगह लौह पुरुष सरकार वल्लभ भाई पटेल का जन्मस्थान है. यात्रा के दौरान अमित शाह सरदार पटेल के घर सरदार गृह भी गए.
2. पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते ग्रामीण वोटरों को अपने पाले में करने के लिए अमित शाह ग्रामीण क्षेत्रों की 149 सीटों पर 15 अक्टूबर तक गुजरात गौरव यात्रा पर निकले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांधीनगर में महासम्मेलन में इसका समापन करेंगे.
3. इस यात्रा का नेतृत्व भी दोनों पाटीदार नेता ही कर रहे हैं. यात्रा का प्रभारी पूर्व मंत्री गोरधन झडफिया व पूर्व मंत्री कौशिक पटेल को बनाया है. दोनों पाटीदार नेता हैं. पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल कांग्रेस उपाघ्यक्ष राहुल गांधी की यात्रा से पहले ही स्वागत कर चुके हैं. बीते दिनों बैठक में सरकार चार बातें मान चुकी है लेकिन आरक्षण पर चर्चा नहीं होने से नाराज हार्दिक बीजेपी के खिलाफ मैदान में हैं.
4. अमित शाह ने गौरव यात्रा की पंचलाइन ‘हूं विकास छू, हूं गुजरात छू’ रखी गई है. इस यात्रा में बीजेपी बुलेट ट्रेन के मुद्दे को भी जोरशोर से उठाएगी. साथ ही सरदार सरोवर बांध से किसानों को होने वाले लाभ को गिनाया जाएगा.
5. हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम को आगे रखकर प्रचार करेगी. चर्चा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तर्ज पर ही पीएम मोदी गुजरात में भी चुनाव प्रचार करेंगे. ये भी र्चा है कि केंद्र सरकार पटेलों के लिए कोई लोकलुभावन घोषणा भी कर सकते हैं.
www.himalayauk.org (HIMALAYA GAURV UTTRAKHAND) Leading Digital Newsportal & Print Media; publish at Dehradun & Haridwar;