HC ने यूपी सरकार से पूछा-गिरफ्तार करना है या नहीं

क्‍या ‘ठाकुर फैक्‍टर’ की वजह से बच रहे हैं ? जी न्‍यूज में गूंज

#लंच के बाद दोबारा दो बजे शुरू होगी HC में सुनवाई #विधायक जी के खिलाफ सिर्फ आरोप; दोष साबित नहीं हुआ # TOP BREAKING; www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) विपक्ष और आम जनता में भारी आक्रोश की वजह से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बुधवार ‘आधी रात’ को सीबीआई जांच का फैसला किया और अहले सुबह बीजेपी विधायक के खिलाफ रेप समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. लेकिन जब गिरफ्तारी का प्रश्न आया तो योगी सरकार ने साफ कर दिया कि ‘माननीय विधायक’ पर अब सीबीआई ही आगे की कार्रवाई करेगी.

उन्‍नाव गैंगरेप केस और पीड़िता के पिता की मौत के बाद आखिरकार 206 दिनों के बाद बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है. इतना सब होने के बाद शासन ने अब इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की बात कही है. इतना सब होने के बावजूद अभी तक विधायक की गिरफ्तारी नहीं हुई है. इस बीच गुरुवार को पुलिस की प्रेस कांफ्रेंस में डीजीपी ओपी सिंह विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को माननीय कहने के कारण फंस गए. सवाल पूछे जाने पर डीजीपी को सफाई देनी पड़ी.

इस फैक्‍टर के कारण बच रहेे है बलात्‍कार के आरोपी ठाकुर साहब;  जनचर्चा – तथा जी न्‍यूज से साभार 

इस मामले में सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि दरअसल मुख्यमंत्री, डीजीपी, उन्नाव के माखी गांव का दारोगा और विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के एक ही ठाकुर जाति का होने के कारण उन पर अभी तक सख्‍त कार्रवाई नहीं हुई. इस मामले में पीड़िता के चाचा की पुलिसकर्मी के साथ एक ऑडियो बातचीत भी सार्वजनिक हुई. उसमें पुलिसवाले को कहते पाया गया कि दारोगा, विधायक का खास आदमी है क्‍योंकि एमएलए ही उस दारोगा को इस थाने में लाया है. 

 पीड़िता पक्ष का कहना है कि पहले विधायक की गिरफ्तारी होनी चाहिए. उसके बाद ही निष्‍पक्ष ढंग से जांच हो पाएगी. ऐसा इसलिए क्‍योंकि कुलदीप सिंह सेंगर को रसूखदार विधायक माना जाता है. कहा जाता है कि ब्राह्मणों के वर्चस्‍व वाले उन्‍नाव जिले में ठाकुर होने के कारण ही वह जीतते रहे हैं. उनको कुंडा के निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का करीबी माना जाता है. उनके समर्थन में छह विधायकों ने सीएम योगी आदित्‍यनाथ से मुलाकात भी की है. इस केस में सोशल मीडिया पर एक खास किस्‍म की बहस शुरू हो गई है. लोगों का कहना है कि कुलदीप सिंह ‘ठाकुर फैक्‍टर’ की वजह से बच रहे हैं.

सीबीआई जांच की सिफारिश मामले को दबाने की रणनीति तो नही क्या केस दर्ज होने के बाद भी राज्य सरकार विधायक को बचाने में जुटी है? यूपी पुलिस ने मामला सीबीआई को सौंपने की बात कही है, लेकिन अगर सीबीआई ही इस केस को लेने से मना कर दे तो क्या होगा. क्योंकि कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि सीबीआई कई केसों को लेने से मना कर देती है.

इस बीच पीड़िता पक्ष का कहना है कि पहले विधायक की गिरफ्तारी होनी चाहिए. उसके बाद ही निष्‍पक्ष ढंग से जांच हो पाएगी. ऐसा इसलिए क्‍योंकि कुलदीप सिंह सेंगर को रसूखदार विधायक माना जाता है. कहा जाता है कि ब्राह्मणों के वर्चस्‍व वाले उन्‍नाव जिले में ठाकुर होने के कारण ही वह जीतते रहे हैं. उनको कुंडा के निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का करीबी माना जाता है. उनके समर्थन में छह विधायकों ने सीएम योगी आदित्‍यनाथ से मुलाकात भी की है. इस केस में सोशल मीडिया पर एक खास किस्‍म की बहस शुरू हो गई है. लोगों का कहना है कि कुलदीप सिंह ‘ठाकुर फैक्‍टर’ की वजह से बच रहे हैं.

 

उन्नाव गैंगरेप पीड़िता ने कहा कि मेरे पिता की हत्या के बाद भी अब तक इतने सारे सवाल उठाए जा रहे हैं। मुझे न्याय कैसे मिलेगा? सीबीआई जांच ठीक है, लेकिन पहले विधायक कल्दीपी सिंह सेंगर को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। क्योंकि वह जांच को प्रभावित करेगा। मेरे चाचा की जान को भी खतरा है।

मामले को सुर्खियों से हटाने और दबाने के लिए सीबीआई की सिफारिश होती है, अगर विधायक पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है, तो फिर गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई. जबकि इस मामले में गिरफ्तारी जरूरी है.

पीड़ित लड़की की बहन ने कहा कि मेरे पिता को मारने वाले और इस साजिश को रचने वालों को फांसी होनी चाहिए. इस मामले में जांच होनी चाहिए, जल्द से जल्द गिरफ्तारी होनी चाहिए. हमें अब इस सरकार पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है.
जब दुनियां जग गई, सुप्रीम कोर्ट तक ने संज्ञान ले लिया, एमनेस्‍टी इंटरनेशनल तक ने संज्ञान लिया,उ हल्‍ला मचा, योगी सरकार कठघरे में खडी हुई, तब जागे योगी महाराज, गैंगरेप पीड़िता की बार-बार शिकायत के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं की गई, और पीड़िता के पिता की मौत से योगी सरकार के दामन पर कलंक के छीटे लग गये 260 दिन बाद केस दर्ज होने के बाद यूपी सरकार ने सीबीआई जांच का फैसला किया है. इस केस की जांच अब सीबीआई के हवाले कर दी गई है
डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि विधायक जी के खिलाफ दोष साबित नहीं हुआ है. उनके खिलाफ सिर्फ आरोप लगा है. पीड़िता की मां की तहरीर के आधार पर उन पर आईपीसी की धारा 363, 366, 376, 506 और पॉक्सो कानून के तहत केस दर्ज किया गया है. इस केस की जांच की सिफारिश सीबीआई से की गई है. इस मामले की जांच अब सीबीआई ही करेगी और विधायक को गिरफ्तार करना है या नहीं यह उसका फैसला होगा. डीजीपी ने आरोपी को ‘माननीय विधायक’ भी बोला है.
उन्नाव गैंगरेप मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर एफआईआर दर्ज कर ली है. लेकिन एफआईआर दर्ज होने के बावजूद विधायक को गिरफ्तार नहीं किया गया है. यूपी पुलिस की तरफ से अब ये मामला सीबीआई को सौंपा जा रहा है.

उन्नाव गैंगरेप और उसके बाद पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत पर देर से जागी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब कार्रवाई शुरू कर दी है. पुलिस ने आज उन्नाव के बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ रेप का केस दर्ज किया. अब उनपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. गैंगरेप पीड़िता की बार-बार शिकायत के बावजूद अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी. जिसके बाद से योगी सरकार कठघरे में है. अब मामला लटकाने के प्रयास हो रहे है, ओपी सिंह, डीजीपी कह रहे हैं, इस मामले की जांच सीबीआई को दी गई है. अब सीबीआई अपनी जांच और विवेचना के बाद तय करेगी कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की गिरफ्तारी हो या नहीं- वही अरविंद कुमार, प्रमुख सचिव (गृह) का बयान देखिये- दोनों पक्षों के बयान लिए गए. लड़की के 164 के तहत दिए गए बयान में विधायक का नाम नहीं था-

बुधवार देर रात को यूपी सरकार ने उन्नाव गैंगरेप और पीड़िता के पिता की मौत मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था. वहीं इससे ठीक पहले बीजेपी विधायक लखनऊ के एसएसपी ऑफिस पहुंचे. अटकलें लगाई जा रही थी की वह सरेंडर कर सकते हैं. लेकिन विधायक सेंगर ने कुछ देर बाद मीडिया के सामने आकर जो कुछ भी कहा वह चौंकाने वाला था.

पीड़िता की मां की तहरीर पर उन्नाव के माखी थाने में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ केस दर्ज किया गया. विधायक के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 366, 376 ,506 और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया गया है. बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर पर मुकदमा दर्ज होने के बाद पीड़िता के चाचा ने कहा केस काफी नहीं, विधायक की जल्द गिरफ्तारी हो

गिरफ्तारी आखिर कब होगी?
ऐसे में सवाल उठता है कि सीबीआई जब तक केस नहीं लेती तब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं होगी? क्या इस दौरान रसूखदार उन्नाव का विधायक कुलदीप सिंह सेंगर केस को प्रभावित नहीं करेगा? जैसा की अब तक हुआ है. पीड़िता की शिकायत के बाद विधायक के भाई और उसके सहयोगियों ने पुलिस की मौजूदगी में कथित तौर पर पीड़िता के पिता की पीट-पीट कर हत्या कर दी. सबूतों से छेड़छाड़ किया गया. पीड़िता के परिवार को धमकी दी गई.
ऐसे कई उदाहरण हैं जब सरकार ने मामले को सुर्खियों से हटाने और दबाने के लिए सीबीआई की सिफारिश तो कर दी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. जैसे यूपी सरकार ने शाहजहांपुर के पत्रकार जागेंद्र हत्या कांड की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी लेकिन सीबीआई ने केस नहीं लिया. वहीं लखनऊ के श्रवण साहू हत्या का मामला सीबीआई को दिया गया. लेकिन सीबीआई ने एक महीने बाद केस लिया.

उन्नाव गैंगरेप केस में आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ मुकम्मल कार्रवाई यानि गिरफ्तारी आखिर कब होगी? इस सवाल का जवाब फिलहाल उत्तर प्रदेश पुलिस के पास भी नहीं है. दरअसल, योगी सरकार विधायक के रसूख की वजह से अब तक लीपापोती में जुटी थी और शायद आगे भी इसी मूड में है.

विपक्ष और आम जनता में भारी आक्रोश की वजह से योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बुधवार ‘आधी रात’ को सीबीआई जांच का फैसला किया और अहले सुबह बीजेपी विधायक के खिलाफ रेप समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. लेकिन जब गिरफ्तारी का प्रश्न आया तो योगी सरकार ने साफ कर दिया कि ‘माननीय विधायक’ पर अब सीबीआई ही आगे की कार्रवाई करेगी.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने रेप के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को ‘माननीय’ कहकर संबोधित किया. जिसपर सामने बैठे एक पत्रकार ने सवाल उठाये. उसके बाद डीजीपी ने कहा, ”आरोपी को इसलिए सम्मान दे रहे हैं क्योंकि वह विधायक हैं. मैं समझता हूं कि वह दोषी करार नहीं दिये गए हैं. एक आरोप लगा है. जिसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई है. अब जांच एजेंसी ही गिरफ्तारी पर फैसला करेगी. किसी का भी बचाव नहीं किया जा रहा है”
सीबीआई जांच की सिफारिश और विधायक के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद गृह सचिव अरविंद सिंह ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेस कर पूरे मामले पर बयान दिये. उन्होंने गैंगरेप पीड़िता के चाचा द्वारा एसआईटी के सामने दिये गए बयान का जिक्र किया.

उन्होंने कहा, ”वह 30 जून 2017 को पीड़िता को लेकर दिल्ली गए. जहां दिल्ली में 4 जून 2017 (इसी दिन हुआ था गैंगरेप) की घटना के बारे में पीड़िता ने अपनी चाची को बताया. 17 अगस्त 2017 को पहली बार पीड़िता ने विभिन्न स्तरों पर शिकायत की. उस शिकायत के आधार पर जिला पुलिस के द्वारा जांच की गई. 164 सीआरपीसी के बयान में विधायक के नाम का जिक्र नहीं था. इसलिए विधायक के खिलाफ स्थानीय पुलिस के द्वारा कार्रवाई नहीं की गई.”

वहीं अरविंद सिंह ने पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में लापरवाही की बात कबूली. उन्होंने कहा कि 3 अप्रैल 2018 की जो घटना है कि जिसमें पीड़िता के पिता के साथ घटना हुई और उसके पिता की मौत हुई. इस मामले में कार्रवाई हुई है.

  गैंगरेप केस में इंसाफ नहीं मिलने से आहत पीड़िता और उसके परिवार वालों ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर खुदकुशी की कोशिश की थी. इसके बाद पुलिस ने इसे पुरानी लड़ाई बता कर मामले को टाल दिया. लेकिन कुछ दिनों के भीतर पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई. उनके साथ विधायक समर्थकों ने पिटाई की थी और जबरन कई कागजों पर दस्तखत करवाए थे.
गैंगरेप पीड़िता का आरोप है कि उसके साथ 4 जून 2017 को बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर और उनके साथियों ने गैंगरेप था. उसने बीजेपी विधायक से रेप का विरोध किया, तो उसने परिवार वालों को मारने की धमकी दी. जब वो थाने में गई तो एफआईआर नहीं लिखी गई. इसके बाद तहरीर बदल दी गई. वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने लखनऊ गई. मुख्यमंत्री से आरोपी विधायक की शिकायत की थी. उन्होंने इंसाफ का भरोसा दिलाया था, लेकिन एक साल बाद भी इस केस में कोई कार्रवाई नहीं की गई.
आरोप है कि बीजेपी विधायक के भाई और उसके साथियों ने केस वापस लेने के लिए पीड़िता के पिता पर दबाव बनाया. वह जब नहीं माने, तो तो विधायक के लोगों ने उनको बहुत मारा. उनको घसीटकर ले गए. पीटने के बाद उन्हें अपने घर के बाहर फेंक दिया. इसके बाद उन्हें जेल में बंद कर दिया गया. जेल में पीड़िता के पिता को पेट दर्द के साथ खून की उल्टियां हुईं. इस पर उसे तुरंत जिला अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान तड़के लगभग तीन बजे उसकी मौत हो गई.

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