उत्तराखण्ड चुनाव प्रभारी बने मंत्रियों का सूबे में शून्य योगदान
उत्तराखण्ड चुनाव प्रभारी बने मंत्रियों का सूबे में शून्य योगदान – यह चर्चा भी आम है- शायद यही कारण है कि उत्तराखण्ड के संबंध्ा में भाजपा हाईकमान को आभास हो चला है कि भाजपा पूरा जोर लगाने केे बाद भी बहुमत में आने का रूझान नही- एक्सक्लूसिव रिपोर्ट- www.himalayauk.org (Newsportal)
भाजपा उत्तराखण्ड चुनाव प्रभारी केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान एवं माननीय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकास नदा जी बनाया गया है, यह पहलीी बार हुआ है कि भाजपा ने दो दो वरिष्ठ मंत्रियों को चुनााव प्रचार की जिम्मेदारी सौपी है, वही यह प्रचार किया जा रहा है कि इन दोनों के भाजपा प्रभारी बनाने पर उत्तराखंड भाजपा में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है, इन दोनों केन्द्रीय मंत्रियों के उत्तराखण्ड चुनाव प्रभारी बनने से राज्य के एक भी युवा को क्या लाभ हो रहा है, इसे बताने में भाजपा असफल रही है, इतना जरूर है कि राज्य के लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को इन दोनों मंत्रियों के मंत्रालय से किसी भी तरह के विज्ञापन आदि मिलने जरूर बंद कर दियेे हैं, राज्य के एक भी युवा को इन मंत्रियों के मंत्रालय से कोई लाभ नही हुआ है, फिर क्यों छदम प्रचार किया जा रहा है, यह बात समझ स्पष्ट करने में भाजपा असफल रही है, भाजपा यह समझ चुकी है कि उत्तराखण्ड में भाजपा का रूझान नही है, इसलिए दोनों केन्द्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रभारी बनाकर राज्य की जनता को गुमराह करने की कोशिश की गयी है –
वही उत्तराखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट दिल्ली में केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात करने में व्यस्त रहे, उनका दिल्ली में बीजेपी नेताओं से मिलने का कार्यक्रम था, विजय बहुगुणा ने भी भाजपा के उच्च नेताओं से मुलाकात की,उ
वही जनचर्चा है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा सांसद बीसी खंडूरी को राज्यपाल बना सूबे की सक्रिय राजनीति से दूर रखने की तैयारी कर रहा है भाजपा हाईकमान? क्या बीसी खंडूडी, मोदी-शाह वाली भाजपा की स्कीम में फिट नहीं बैठ रहे हैं?
चुनाव से ठीक पहले प्रदेश भाजपा की अंदरुनी राजनीति में एक नई हलचल मच गई है. दिल्ली में सुगबुगाहट के बाद कल से ही चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूरी को जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बनाया जा सकता है.
इन अटकलों के बाद पार्टी के भीतर ये बहस भी छिड़ गई है कि क्या ऐसे वक्त में जब बीजेपी चुनावी मोड में है, तब खंडूरी को प्रदेश से दूर करना पार्टी हित में रहेगा? वह भी तब जब प्रदेश बीजेपी और संघ के सर्वे के मुताबिक लोगों का झुकाव खंडूडी की तरफ दिख रहा हो!
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Raju Maurya उक्रांद नेता का फेसबुक पर कमेन्ट
भाजपा नेता अजय भट्ट और इनके नेताओ का मानसिक सन्तुलन पूरी तरह बिगड चुका है। आगामी चुनाव मे होने वाली हार उनको पहले ही दिखरही है। राज्य के सारे घोटालेबाज आज भाजपा मे जो समायोजित होचुके है। कुम्भ घोटाला । आपदा घोटाला । नर्सरी घोटाला और 101 घोटाले। लेकिन भाजपा तो खुदको गंगा समझती है। पाप करो और भाजपा की गंगा मे डुबकी लागाओ और पाक साफ नेता हो जाओ। बेशर्मो की टोली है। भाजपा नही यह कांग्रेस की चोली है। राजू मौर्य केन्द्रीय कार्यकारी अध्यक्ष उत्तराखण्ड क्रान्ति दल युवा ।
Sanjay Budakoti का फेसबुक पर कमेन्ट
लो जी भाजपा का अपने कार्यकर्ताओं को साफ़ सन्देश कि भजपा किसी भी गधे, सूवर रंगरसिया ठरक प्रकार के व्यक्ति को विधानसभा का टिकट दे दे लेकिन आपको उस व्यक्ति के कार्य छवि को नही देखना है केवल कमल को देखकर आँख बन्द करके मोहर लगा देनी है।
क्या भाजपा का मानना है कि कार्यकर्ता एक नम्बर का बेवकूफ होता है?
चलो माना भाजपा के कार्यकर्ता होते होंगे बेवकूफ।
पर क्या आम उत्तराखंडी भी इतना बेवकूफ हो चुका है, जो किसी भी ऐरे गैरे प्रकार के आदमी को वोट दे देगा आँख मूंदकर ?
यमकेश्वर चाणक्य ये बी जे पी के समाप्ती के दिन हैं उत्तराखण्ड में
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दरअसल भाजपा पूरी तरह चुनावी मोड़ में है. लेकिन पार्टी सूबे में चेहरा देने से कतरा रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह पार्टी की अंदरुनी गुटबाजी है. खंडूडी का चेहरा लोकप्रिय होने के साथ ही खंडूरी की छवि भी पार्टी और जनता के बीच बेदाग मानी जाती है. लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश बीजेपी की खेमेबाजी भाजपा हाईकमान को खटक रही है. खड़ूरी, कोश्यारी और निशंक में बंटी उत्तराखंड बीजेपी को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है.
यहां सवाल खड़़ा हो रहा है कि क्या खंडूरी, पीएम मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की स्कीम में फिट नहीं बैठ रहे हैं. बीजेपी के भीतर चर्चा है कि 75 वर्षीय फार्मूले में खंडूरी फिट नहीं बैठते हैं. हालांकि पार्टी नेता भी आला कमान को खंडूरी के नाम का फीडबैक दे चुके हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी ये जान चुके हैं.
सत्ताधारी कांग्रेस के दिग्गज भी ये मानते हैं कि उनके लिए असली चुनौती भाजपा नहीं बल्कि खंडूरी हो सकते हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि अपने ही चाबुक से प्रदेश बीजेपी को हांक रहा भाजपा आला कमान क्या इस वक्त खंडूडी को सूबे की सियासत से किनारे करने का रिस्क लेगा.
उधर सूत्रों की माने तो हाल ही में दिल्ली में हुई भाजपा की बैठक में अमित शाह ने साफ कहा कि उत्तराखंड में सरकार बनें या न बनें, लेकिन वे उत्तराखंड में पार्टी की गुटबाजी खत्म करके रहेंगे. माना जा रहा कि खंडूरी के बाद कोश्यारी और निशंक को भी सक्रिय राजनीति से दूर रखने के लिए कोई सम्मान जनक पद दिया जा सकता है. बताया जा रहा है कि भाजपा आलाकमान उत्तराखंड भाजपा की गुटबाजी को खत्म करने के लिए इसी फॉर्मूले पर काम कर रहा है.