बैंकिंग व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त ;
अब नोटबंदी वोटबंदी मेंं तब्दील न हो जाए; एक्सक्लूसिव- हिमालयायूके न्यूज पोर्टल प्रस्तुति-*
राज्यसभा में आनंद शर्मा ; राजस्थान में कहावत है, ”पंडित जी को कहनो है, इसी गांव में रहनो है। बिलाव ले गई ऊंट को हाथी-हाथी कहनो है।” यही हाल है मोदी सरकार का, सवाल पूछो तो कहते हैं आप कौन?
राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि लोगों को भारी मुश्किलों में डालने वाली मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट हुआ है. बैंकों-एटीएम के बाहर कतारों में 18 से 20 लोगों की मौत हो चुकी है और प्रधानमंत्री हंस रहे हैं. मोदी सरकार ने बीजेपी के लोगों को नोटबंद करने के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था. राहुल गांधी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि नोटबंद करने की घोषणा के बारे में वित्त मंत्री भी जानते थे.
राज्यसभा में आनंद शर्मा ने कहा, ”चूरन की पुड़िया वाला 2000 का नोट लेकर आ गए, इसे कोई चाहता नहीं है। गरीब सब्जी लेने जाए, ढाबे में जाए छुट्टा नहीं मिलता है। ये नोट तो बचपन में हमें मिलता था।”
– ”कितने लोग लाइन में लगे हुए मर गए। आपकी सरकार संवेदनहीन है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के खिलाफ पांच प्रवचन दिए। गोवा में दिया, वहां भावुक हो गए, जापान में बुलेट ट्रेन में घूम रहे हैं। उस समय जब बुजुर्ग पानी की बोतल लेकर खड़े हैं। पूरी-पूरी रात मां, बहनें बेटे खड़े हैं।
– ”गोवा में गाजीपुर में दोहराया कि मैं भ्रष्टाचार से लड़ रहा हूं। आपको क्या खाली खजाना मिला था। जिन्होंने देश को बनाया। आपने अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों को अपमानित किया। नेहरू नहीं, वीपी सिंह, राजीव गांधी ही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी को भी अपमानित किया।”
सीताराम येचुरी ने राज्यसभा में 2000 का नया नोट दिखाया और कहा कि इस नोट को कोई नहीं ले रहा है. वहीं रामगोपाल यादव ने कहा कि इसमें बड़ा घपला है. कोई भी अमीर लाइन में नहीं दिख रहा है. छोटे शहरों में कोई भी 2000 का नोट नहीं ले रहा है. ऐसा तो आपातकाल के दौरान भी नहीं हुआ, आम आदमी भिखारी बन गया है.
दिल्ली में पिछले सात दिनों से नए नोटों को लोगों तक पहुंचाने की वजह से अन्य बैंकिंग कार्य पूरी तरह से ठप पड़े हैं। कई बैंकों के कर्मचारियों का कहना है कि बैंकों में बीते सात दिन से एक भी चेक की क्लीयरिंग नहीं की गई है। नई करंसी लेने के अलावा अन्य किसी काम से बैंक जाने वाले आम लोग शाखा के भीतर भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। कतार में लगे लोगों का कहना है कि मौजूदा समय में राजधानी की बैंकिंग व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। लोग बैंकों से नए नोट निकलवाने के अलावा एफडीआर, लोन लेने, नए खाते खुलवाने, खाते बंद करवाने के अलावा चेक बुक आदि विभिन्न कामों से जाते हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि किसी भी बैंक में पिछले सात दिन से ये काम नहीं हो पाए है। बैंककर्मियों भी सिर्फ करंसी बदलने के काम में लगाया गया है।
नकदी की समस्या से लोग अभी भी परेशान है और सुबह से ही एटीएम और बैंकों के बाहर कभी ना खत्म होने वाली कतारें लग गई हैं. लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के नकदी चाहते हैं और चलन से बाहर किए गए 500 और 1000 के नोटों के बदले मान्य नोट लेने के लिए कतारों में खड़े हैं.
बैंकों के अधिकतर ग्राहक एटीएम के जल्द खाली हो जाने की वजह से परेशान नजर आए. इसके अलावा अभी हजारों एटीएम ने काम करना शुरू नहीं किया है. कुछ एटीएम में नकदी है लेकिन वे भी तकनीकी खामी के चलते लोगों की परेशानी का सबब बने हुए हैं.
कतारों का आलम यह है कि संसद भवन और वित्त मंत्रालय की इमारतों में लगे एटीएम में भी लंबी कतार लगी है और यहां भी लोगों को नकदी लेने में औसतन एक घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है.
अभी एटीएम के द्वारा 500 और 2000 रुपये के नए नोटों को वितरित करने में कई और हफ्ते लग सकते हैं. मौजूदा समय में वे मुख्यत: 100 रुपये के नोट ही वितरण कर रहे हैं.
देशभर में लोग अपनी दिक्कतों की शिकायत कर रहे हैं क्योंकि उनकी रोजमर्रा की जरूरतें भी ठीक से पूरी नहीं हो पा रही हैं. गौरतलब है कि सरकार ने 8 नवंबर की मध्यरात्रि से 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया था.
पिछले सात दिनों से बैंकों में चेक क्लियरिंग न होने के कारण आम लोगों के अलावा राजधानी के कारोबारियों का बुरा हाल है। उनके आगे अब व्यापारिक दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। मयूर विहार निवासी रजनी ने बताया कि स्थानीय बैंक आॅफ इंडिया में उनका एफडीआर है, जिसकी अवधि पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि वह चार दिनों से प्रयास में लगी हैं कि बैंक जाकर एफडीआर की रकम अपने खाते में ट्रांसफर करवा लें लेकिन वह बैंक के भीतर ही नहीं जा पा रहीं है। यही स्थिति पटपड़गंज के संजीव की है। उनका कहना है कि उनके पिता को बैंक से हाउसिंग लोन लेना है। वे उसके लिए विभिन्न बैंकों में बातचीत करने के लिए जाने पर विचार कर रहे थे, लेकिन सात दिन से बैंकों की जो स्थिति है उसकी वजह से उन्होंने यह विचार आगे के लिए टाल दिया है। राजौरी गार्डन की निशा के चेकबुक खत्म हो चुके हैं लेकिन वह बैंक के भीतर नहीं जा पा रहीं। अब समस्या है यह है कि उन्हें पैसों की आवश्यकता है और चेक भी खत्म हो चुके हैं। दिल्ली के व्यापारी नेता अशोक अरोड़ा ने कहा कि बैंकों से व्यापारिक भुगतान बंद हो गई है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर बैंकों में पिछले सात दिन से चेकों की क्लीयरिंग नहीं हुई है। अरोड़ा ने कहा कि व्यापार से संबंधित चेकों की क्लियरिंग बंद होने से राजधानी का व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया है।
कश्मीरी गेट के व्यापारी अशोक कुमार ने कहा कि वह पिछले सात दिनों से अपना व्यापार करने के बजाए रोजाना के इस्तेमाल के लिए रकम बैंकों से निकलवाने की कवायद में लगे हैं। उन्होंने बताया कि उनक ी दुकान पर काम करने वाले पांच कर्मचारी भी इसी काम में लगे हैं। वे उन्हें रोजाना सुबह बैंकों में कैश निकलवाने के लिए भेजते हैं। उनके कर्मचारी बैंकों की लाइनों में लगकर रोजाना इतनी रकम जुटा लेते हैं, जिससे उनका रोजाना का खर्च का काम पूरा हो रहा है।
नेशनल आॅर्गनाजेशन आॅफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा कि सरकार को नोटों के बदलाव के लिए सार्वजनिक क्षेत्रों की विभिन्न इलाकों में नई व्यवस्था करनी होगी। राणा ने कहा कि सरकार को इस काम के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों की भी सेवाएं लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि काफी संख्या में सेवानिवृत्त कर्मचारी इस काम के लिए अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों में नोट गिनने वाली मशीनें भी कम हैं। ज्यादातर एक बैंक में सिर्फ एक ही मशीन है, जो नोटों की गिनती कर सके। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बैंक में नोटों की गिनती करने वाली कम से कम दो मशीनें तो होनी ही चाहिए।
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देशभर में 2 लाख से ज्यादा एटीएम हैं और इनमें से हर एक एटीएम में 500 और 2000 रुपए के नए नोट को अनुसार बदलाव किया जाना है। पूरे देश में इस काम के लिए 3000 तकनीशियन की टीम काम कर रही है, हालांकि लोगों को राहत मिलने में अभी काफी समय लगने वाला है। एक सूत्र ने बताया कि पिछले एक हफ्ते में 2.2 लाख में से करीब 15 हजार एटीएम में ही बदलाव किया गया है। बदलाव किए गए एटीएम भी अभी तक सिर्फ बड़े शहरों के हैं। बता दें कि शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि एटीएम में बदलाव के काम में 2 से 3 हफ्ते लग सकते हैं, लेकिन बैंक अधिकारियों का कहना है कि यह उतना भी आसान नहीं है और इस काम में उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस काम से जुड़े एक सूत्र ने बताया, “एटीएम में मापांकन (recalibration) करने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों में बदलाव करना पड़ता है। वहीं पूरे देश में इस काम के लिए सिर्फ 3000 तकनीशियन लगाए गए हैं। इसके अलावा कई जगहों पर एटीएम में पैसे डालने का काम भी होने लगता है, जिससे काफी समय बर्बाद होता है। देश में अभी तक करीब 15000 या कहें तो 7-8 फीसदी एटीएम में ही बदलाव हो पाया है।” अभी तक जिस-जिस एटीएम को 2000 और नए 500 रुपए के नोट निकालने के लिए तैयार किया गया है, उनमें अभी तक सिर्फ 100 रुपए के नोट ही डाले जा रहे थे।
बैंक अधिकारियों का कहना है कि बदलाव के बाद अब एक और चुनौती सामने आ गई है। अब एटीएम लगभग दो घंटे में ही खाली हो जाता है और उनमें फिर से पैसे डालने पड़ते हैं। दरअसल एक एटीएम में एक बार में सिर्फ 2.5 लाख रुपए तक की रकम डाली जा सकती है और यदि यह 2000 रुपए के ही नोट होंगे तो सिर्फ 125 नोट ही डल सकते हैं। बता दें कि एटीएम में दो और पांच हजार नोट करेंसी रखने के लिए जरूरी बदलाव जरूरी है। नए नियम के मुताबिक एटीएम से एक दिन में प्रतिकार्ड 2500 रुपए निकाले जा सकते हैं, लेकिन यह सुविधा बदलाव किए गए एटीएम में ही मिलेगी।
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संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार यानी 16 नवंबर से शुरू हुआ। केंद्र सरकार द्वारा 8 नवंबर को विमुद्रीकरण के फैसले के बाद इस सत्र के हंगामेदार होने के आसार सही साबित हुए। लोकसभा को जहां पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि दिए जाने के बाद स्थगित कर दी गई, वहीं राज्यसभा में विपक्ष सत्ता पक्ष पर हमलावर हैं। कांग्रेस, बसपा, सपा की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी को चर्चा के दौरान सदन में बुलाने की मांग उठी। कांग्रेस की ओर से आनंद शर्मा ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले से पूरी दुनिया में संदेश गया कि भारत की अर्थव्यवस्था ‘काले धन पर चलती है।’ उन्होंने पूछा कि ‘किस कानून ने आपको अधिकार दिया कि हमें अपने अकाउंट से पैसे निकालने पर भी पाबंदी लगा रहे हैं?’ मायावती ने सदन में पीएम नरेंद्र मोदी को बुलाने की मांग उठाई। उन्होंने कि कहा कि नोटबंदी का मुद्दा संवदेशनील है इसलिए पीएम को सदन में चर्चा के वक्त मौजूद रहना चाहिए। इस पर नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने भी पीएम को बुलाए जाने की मांग कर दी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आश्वासन दिया कि वह इस बारे में बात करेंगे।
राज्यसभा में एक रोचक मोड़ तब आया जब प्रो. रामगोपाल यादव बोलने के लिए खड़े हुए। वह समाजवादी पार्टी का पक्ष रख रहे थे, जबकि पार्टी ने उन्हें करीब महीने भर पहले छह साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया था। यादव ने पूछा कि ‘बैंकों की लाइन में अमीर कहां हैं, सरकार यह बताए कि फैसले के बाद से कितना काला धन मिला है?’ इसके बाद राज्यसभा को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा स्थगित होने के बाद तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में कुछ पार्टियों के सांसदों ने मार्च भी निकाला। इसमें टीएमसी, शिवसेना, उमर अब्दुल्ला व आम आदमी पार्टी सांसद भगवंत मान शामिल हुए। नोटबंदी के विरोध में यह मार्च ममता दी की पहल पर निकाला गया है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस मार्च का समर्थन किया था, हालांकि उन्होंने इसमें हिस्सा नहीं लिया।
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भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भगोड़ा घोषित कारोबारी विजय माल्या समेत 63 कर्जदारों का करीब सात हजार करोड़ रुपये का बकाया लोन को डूबा हुआ मान लिया है। ये राशि एसबीआई के शीर्ष 100 लोन डिफाल्टरों (बकाया नहीं चुकाने वाले) पर बाकी कुल राशि का करीब 80 प्रतिशत है। बैड लोन (वसूला न जा सकना वाला लोन) का मुद्दा पिछले कुछ सालों से चर्चा में रहा है। कारोबारी विजय माल्या पर विभिन्न बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपये का बकाया था। जब सभी बैंक मिलकर बकाया वसूलने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो माल्या देश से फरार हो गए। डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार एसबीआई जब बकाया लोन वसूल करने में विफल रही तो उसने शीर्ष 100 विलफुट डिफाल्टरों (जो लोन नहीं दे रहे) में से 60 से अधिक पर बकाया 7016 करोड़ रुपये का लोन माफ करने का फैसला कर लिया है।
रिपोर्ट के अनुसार एसबीआई के 63 डिफाल्टरों का पूरा कर्ज छोड़ दिया है। वहीं 31 कर्जदारों का लोन आंशिक तौर पर छोड़ा गया है। छह अन्य कर्जदारों पर बकाया लोन को नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित कर दिया गया है। 30 जून 2016 तक एसबीआई 48 हजार करोड़ रुपये का बैड लोन माफ कर चुका है। हालांकि ये लोन कब माफ किए गए इसकी तारीख नहीं बताई गई है। भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक ने इन कर्जदारों का कर्ज “टॉक्सिक लोन” के मद में डाल दिया है। एडवांस अंडर कलेक्शन अकाउंट (एयूसीए) के तहत “टॉक्सिक लोन” का मतलब होता है बहीखाते से हटा देना। यानी एसबीआई के इस फैसले के बाद विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस समेत 63 कर्जदारों का कर्ज बैंक की बैलेंसशीट से हटा दिया जाएगा। इसका ये अर्थ हुआ कि बैंक अब इन कर्जदारों से कर्ज वसूलेनी की कोशिश बंद कर देगा।
जिन लोगों का कर्ज छोड़ा गया है उनमें किंगफिशर एयरलाइंस ( करीब 1201 करोड़ रुपये), केएस ऑयल (596 करोड़ रुपये), सूर्या फार्मास्यूटिकल (526 करोड़ रुपये), जीईटी पावर (400 करोड़ रुपये) और साई इंफो सिस्टम (376 करोड़ रुपये) शामिल हैं। डीएनए अखबार ने जब इस मसले पर एसबीआई और कर्ज छूट का लाभ पाने वाली शीर्ष पांच कंपनियों से संपर्क की कोशिश की तो उसे कोई जवाब नहीं मिला।इन सभी कंपनियों को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया जा चुका है। किंगफिशर एयरलाइंस पर 17 बैंकों का कुल 6993 करोड़ रुपये बकाया है जिसमें 1201 करोड़ रुपये एसबीआई के हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने शराब कारोबारी विजय माल्या और अन्य के खिलाफ धन शोधन से जुड़े मामलों में 1620 करोड़ रुपये की नई संपत्तियों को कुर्क कर लिया है। यह कार्रवाई धन शोधन से जुड़े मामलों को देखने वाली विशेष अदालत की अनुमति से की गयी। वहीं दिल्ली की अदालत ने विजय माल्या के खिलाफ दो गैर-जमानती वारंट जारी किए हैं। पहला वारंट फेरा के उल्लंघन के एक मामले में सम्मनों की कथित तौर पर तामील न करने पर जारी किया गया है। वहीं दूसरा 2012 में चेक बाउंस को लेकर दायर डीआईएएल की एक याचिका पर जारी किया गया है।