कांग्रेस का आरोप- रिजिजू का नाम आया
450 करोड़ रुपए का घोटाला– गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू पर आरोप है कि उन्होंने अरुणाचल में दो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में अपने पद का दुरुपयोग कर अपने ठेकेदार रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाया है. कांग्रेस ने रिजिजू के इस्तीफे की भी मांग की है. पहला मामला है जब 2014 में एनडीए के सत्ता में आने के बाद किरने रिजीजू के रूप में सरकार के किसी मंत्री का नाम भ्रष्टाचार के मामले में आया है. किरेन रिजीजू ने कहा, ”जिन्होंने भी ये स्टोरी प्लांट की है, ये बेहद शर्मनाक है? जिन्होंने भी इन खबरों को प्लान किया है, वे यदि वहां आ जाए जहां हम हैं तो उनको जूतों से जवाब मिलेगा. # presents by #www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)
कांग्रेस का आरोप है कि ये 450 करोड़ रुपए का घोटाला है. रिजिजू का नाम इसलिए आया है क्योंकि हाइड्रो प्रोजेक्ट के चीफ विजिलेंस अफसर सतीश वर्मा की रिपोर्ट में उनका नाम है.
अरुणाचल प्रदेश की पनबिजली परियोजना में हुए कथित भ्रष्टाचार की रिपोर्ट सामने आने के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू कांग्रेस पर भड़क गए हैं। उन्होंने टीआेआई से बातचीत में कहा है कि ‘इसे एक घोटाला बता रही कांग्रेस को देश से और मुझसे माफी मांगनी चाहिए। क्योंकि सारे ठेके कांग्रेस के शासनकाल में दिए गए, सारा भुगतान कांग्रेस के समय में हुआ। मैं तो तब सांसद भी नहीं था। जब मैं सांसद बना तो गांववाले मेरे पास आए और कहा कि कुछ भुगतान बाकी है तो आप बोल दीजिए।” रिजीजू ने इस बात से इनकार किया है कि गोबोई रिजीजू (प्रोजेक्ट के सब-कॉन्ट्रैक्टर) उनके कजन हैं। उन्होंने कहा, ”वह रिजीजू कबीले का हिस्सा हैं और उसी गांव से आते हैं, जहां से मैं हूं, मगर वह मेरे रिश्तेदार नहीं हैं।” इंडियन एक्सप्रेस ने मंगलवार (13 दिसंबर) को खबर की थी कि अरुणचाल के दो बांधों के निर्माण से जुड़ी मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) की रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री का भी नाम है।
सीवीओ सतीश वर्मा की रिपोर्ट के अनुसार अरुणचाल प्रदेश में 600 मेगावाट के कामेंग पनबिजली परियोजना के तहत दो बांधों के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। किरेन रिजीजू के चचेरे भाई गोबोई रिजीजू इस परियोजना में सब-कॉन्ट्रैक्टर हैं। सीबीआई ने दो बार औचक निरीक्षण किया है लेकिन अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई है। रिजीजू ने कहा, “ये खबर किसी ने बदमाशी कर के प्लांट की है, हां लेटर मैंने लिखा है पर उसमें ऐसा कुछ नहीं है। नॉन इश्यू है।”
कांग्रेस ने एक ऑडिय़ो टेप जारी करते हुए आरोप लगाया कि किरेन रिजिजू के भाई गोबोई रिजिजू ने पूरी पेमेंट के बदले अपने भाई की मदद से एक अधिकारी को प्रमोशन दिलाने का वादा किया था.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोपों को गंभीर बताते हुए किरेन रिजिजू के इस्तीफे की मांग की है. सुरजेवाला ने कहा, ”सत्ता में आने से पहले पीएम ने नारा दिया था ‘न खाऊंगा न काने दूंगा’ लेकिन ढाई साल सत्ता में रहने के बाद ना खाऊँगा ना खाने दूंगा नारे में मोदी सरकार ने थोड़ी तब्दीली की है, नया नारा है ‘खाओ पीयो और ऐश करो” किरेन रिजिजू ने आरोपों को खारिज किया है. किरेन रिजिजू ने कहा, ”मैंने बस इतना कहा कि जिसने काम किया उसकी पेमेंट तो होनी चाहिए. इसमें भ्रष्टाचार कहां है. प्रमोशन देने का आरोप बिल्कुल गलत है.” आपको बता दें कि गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू पूर्वोत्तर में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं.
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के 600 मेगावाट कामेंग हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के तहत दो बांधों के निर्माण में कथित रूप से भ्रष्टाचार किया गया. ये अरुणाचल प्रदेश के सबसे बड़े प्रोजेक्टों में शुमार है. इसका निर्माण सार्वजनिक उद्यम नार्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन (एनईईपीसीओ) द्वारा किया जा रहा है. किरेन रिजीजू के कजिन गोबोई रिजीजू भी इस प्रोजेक्ट में कांट्रैक्टर हैं.
इस कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) सतीश वर्मा ने अपनी 129 पेज की रिपोर्ट में गोबोई रिजीजू, कंपनी के चेयरमैन, मैनेजिंग डाइरेक्टर समेत कई शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए. यह प्रोजेक्ट अरुणाचल के वेस्ट कामेंग जिले में पड़ता है. इसी संसदीय सीट से किरेन रिजीजू सांसद हैं. सीवीओ ने इस साल जुलाई में अपनी रिपोर्ट सीबीआई, सीवीसी और ऊर्जा मंत्रालय को भेजी थी. उसमें कहा गया था कि कांट्रैक्टर, एनईईपीसीओ अधिकारियों और वेस्ट कामेंग जिला प्रशासन की मिली-भगत से भ्रष्टाचार किया गया. इसमें एनईईपीसीओ और सरकारी फंड के तकरीबन 450 करोड़ रुपये तक के फ्रॉड की बात कही गई.
रिपोर्ट मिलने के बाद सीबीआई ने दो बार औचक निरीक्षण किया लेकिन अभी तक कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई. इस रिपोर्ट के सामने के बाद गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा का त्रिपुरा में सीआरपीएफ में ट्रांसफर कर दिया गया.
घोटाले में मुख्य रूप से यह बात निकलकर आई कि बांध के निर्माण के लिए बोल्डर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के नाम पर कांट्रैक्टर ने फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर बिलों को पेश किया. इसमें मुख्य रूप से पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड (पीईएल) के तमाम बिल फर्जी पाए गए. इस कांट्रैक्टर फर्म से गोबोई रिजीजू भी सब-कांट्रैक्टर के रूप में जुड़े थे.
वर्मा द्वारा प्रोजेक्ट हेड को अनियमितता की रिपोर्ट दिए जाने के बाद पिछले साल मई और जुलाई के इन बिलों की पेमेंट एनईईपीसीओ द्वारा रोक दी गई. उसके बाद नवंबर 2015 में किरेन रिजीजू ने ऊर्जा मंत्रालय को खत लिखकर पेमेंट रिलीज करने का आग्रह किया और उनके कजिन गोबोई रिजीजू ने वर्मा से मुलाकात की. नतीजतन कुछ पेमेंट रिलीज की गई.