जनधन, आधार, मोबाइल,कैशलेस योजना के जनक सलाहकार का इस्‍तीफा

मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सु्ब्रमण्यन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अरविंद के इस्तीफे की पुष्टि खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की है। अरुण जेटली ने फेसबुक में एक पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी। वित्त मंत्री ने बताया कि अरविंद सुब्रमण्यन अमेरिका जाना चाहते हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में जानकारी दी कि अभी कुछ दिनों पहले ही मुख्य आर्थिक सलाहकार से मेरी बात हुई थी उस समय अरविंद ने मुझे बताया कि वह अमेरिका जाना चाहते हैं। 

अरविंद ने बताया कि वह अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए वापस अमेरिका जाना चाहते है। अरूण जेटली ने बताया कि अरविंद ने वापस अमेरिका जाने की वजह निजी हैं, और जो उनके लिए काफी अहम हैं। उन्होंने मेरे पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा जिस कारण मुझे उनका इस्तीफा स्वीकार करना पड़ रहा है।   अरविंद सुब्रमण्यन ने अक्टूबर 2014 में मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद संभाला था। उन्होंने रघुराम राजन के आरबीआई गवर्नर बनने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद संभाला था। 

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने अपने परिवार की खातिर अमेरिका वापस लौटने का फैसला कर लिया है. उन्हें 16 अक्टूबर 2014 में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया था. 2017 में उनके तीन साल पूरे हो गए थे जिसके बाद उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया था. लेकिन अब अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया. मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद संभालने से पहले वो अमेरिका में इकोनॉमिस्ट थे.

सुब्रमण्यन से पहले रघुराम राजन मुख्य आर्थिक सलाहकार थे. भारत आने से पहले सुब्रमण्यन ने इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (आईएमएफ) में रघुराम राजन के साथ काफी काम किया था. जानकारों का मानना है कि रघुराम राजन के साथ अच्छे संबंधों की वजह से ही सुब्रमण्यन को मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद सौंपा गया था. 

2014 में अपनी नियुक्ति से पहले उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली के पहले बजट की आलोचना की थी. उनका कहना था कि इस बजट में रेवेन्यू के अनुमानों को काफी बढ़ाचढ़ा कर दिखाया गया है. लिहाजा पद संभालन के बाद भी उनका फोकस सरकार की आमदनी बढ़ाने पर रही. अपने कार्यकाल में उनका फोकस हमेशा रेवेन्यू जुटाने और उसको दूसरी कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च करने की रही है.

सुब्रमण्यन के कार्यकाल में ही 16 जून 2017 से डीजल और पेट्रोल की कीमतों की समीक्षा हर दिन होनी शुरू हुई थी. यानी अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुसार घरेलू बाजार में भी हर दिन पेट्रोल डीजल की कीमतों में कमी बेशी की जाएगी. इसका फायदा ऑयल कंपनियों को मिला और उनका घाटा कम हुआ. लिहाजा सरकार की तरफ से इन कंपनियों को मिलने वाली सब्सिडी में भी कमी आई. नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में उज्ज्वला योजना, जनधन योजना, मुद्रा योजना, कैशलेस को बढ़ावा देने जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं. सुब्रमण्यन की पॉलिसी की वजह से इन योजनाओं के लिए सरकार के पास ज्यादा फंड होता है. सुब्रमण्यन की एक कोशिश देश में सबको बैंकिंग सुविधाओं के दायरे में लाने की रही है. शायद यही वजह थी कि नरेंद्र मोदी ने जनधन जैसी महत्वाकांक्षी योजना शुरू की. यह बात अरुण जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट में साफ लिखी है. सुब्रमण्यन के इस्तीफे के बाद जेटली ने थैंक्यू कहते हुए जो पोस्ट लिखी है, उसमें उन्होंने सुब्रमण्यन की योजनाओं की तारीफ की है.    

जेटली ने लिखा है कि सुब्रमण्यन की वजह से ही JAM (जनधन, आधार, मोबाइल) मुमकिन हो पाया है. आधार को लेकर भले ही देश भर में कितने बवाल हुए हों लेकिन इसकी अहमियत बढ़ाने में सुब्रमण्यन का बड़ा योगदान है. नोटबंदी के बाद जब कैशलेस को बढ़ावा देने की बात कई लोगों को नागंवार गुजरी थी. लेकिन पश्चिमी देशों की तरह कैशलेस को भारत में लोकप्रिय बनाने की शुरुआत करने की हिम्मत सुब्रमण्यन ने ही दिखाई.

इतना ही नहीं जेटली ने सुब्रमण्यन के आर्थिक सर्वे की भी तारीफ की है. उन्होंने लिखा है कि सुब्रमण्यन ने जिस तरह आर्थिक सर्वे तैयार किया है वह देशभर के लिए वैल्यूएबल डेटा बन गया है. मुख्य आर्थिक सलाहकार का काम सालाना इकोनॉमिक सर्वे तैयार करना होता है. बजट से एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है, जिसमें पिछले साल का लेखाजोखा होता है.

 

 

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