राजस्थान ;अशोक गहलोत सीएम

 

राजस्थान में गहलोत और छत्तीसगढ़ में बघेल के मुख्यमंत्री बनने की संभावना  # राजस्थान में मुख्यमंत्री बनने के दावेदारों में अशोक गहलोत सबसे आगे हैं। वे पहले भी मुख्यमंत्री रहे हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के जीतने की स्थिति में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को मौका मिल सकता है। वहीं, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का नाम सीएम कैंडिडेट के तौर पर आगे चल रहा है।

राजस्थान सीएम पद के दो उम्मीदवारों में अब तक सचिन पायलट और अशोक गहलोत का नाम आ रहा था, हालांकि तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को सीएम बनाने का मन बना लिया है

Rajasthan: Visuals of Ashok Gehlot, Sachin Pilot and other Congress leaders in Jaipur. Congress party has won 12 seats and is leading on 89 seats in the state. #AssemblyElectionResults2018

 राजस्थान विधानसभा चुनाव नतीजों की स्थिति लगभग साफ हो चुकी है. इतना तय है कि राजस्थान  में कांग्रेस की सकार बनेगी. कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि वो राजस्थान में सीएम पद के लिए किसे चुने. सीएम पद के दो उम्मीदवारों में अब तक सचिन पायलट और अशोक गहलोत का नाम आ रहा था, हालांकि तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को सीएम बनाने का मन बना लिया है.खबर आ रही है कि सचिन पायलट इससे नाराज है. कांग्रेस के सीनियर लीडर अहमद पटेल सचिन पायलट को मनाने जा रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ नाराजगी की खबरों के बीच सचिन पायलट और अशोक गहलोत राजस्थान में कांग्रेस की कामयाबी पर विक्ट्री साइन दिखाते हुए नजर आए.

इस बीच ये भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए यह एक मुश्किल समय होगा जब पायलट और गहलोत में से किसी एक को चुनने की बारी आएगी क्योंकि दोनों ही नेता नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं. एक तरफ गहलोत हैं जिनके पास लंबा राजनीतिक अनुभव और समझ है वहीं दूसरी ओर पायलट हैं जिन्हें युवा अपना नेता मानते हैं.

राजस्थान में कांग्रेस के कैंपेन को इन दोनों नेताओं ने ही संभाला था. हालांकि पूरे कैंपेन के दौरान कांग्रेस सीएम पद के सवाल को टालती रही लेकिन अब जीत की संभावना के बाद कांग्रेस के लिए यह मुश्किल चुनाव होगा. हालांकि पायलट और गहलोत इस सवाल के जवाब में कहते हैं कि आखिरी फैसला पार्टी के विधायकों और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का होगा.

सचिन पायलट को राहुल गांधी ने कांग्रेस का राज्य प्रमुख बनाया था और उन्होंने इन चुनावों में काफी मेहनत भी की है. हालांकि पायलट खुद को पार्टी का एक आम कार्यकर्ता ही कहते हैं.

वहीं गहलोत राजस्थान के एक प्रभावशाली नेता हैं. कांग्रेस के कई बड़े नेता सीएम पद के लिए गहलोत पर भरोसा करते हैं. ऐसे में तो यही कहा जा सकता है..यह राह नहीं आसान.

 


गहलोत संकट मोचक हैं और अन्य दलों से उनका मैनेजमेंट भी अच्छा है। इसके पहले भी जब गहलोत मुख्यमंत्री थे तो उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। 96 सीटों के साथ कांग्रेस सरकार बनी थी और गहलोत ने सफलतापूर्वक पांच साल राज किया था। सचिन पायलट चूंकि नए हैं, इसलिए कम सीटों की सरकार में उनके सीएम बनने की संभावना कम है। 

अशोक गहलोत का जन्‍म 3 मई 1951 को जोधपुरराजस्‍थान में हुआ। स्‍व॰ श्री लक्ष्‍मण सिंह गहलोत के घर जन्‍मे अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्‍नातक डिग्री प्राप्‍त की तथा अर्थशास्‍त्र विषय लेकर स्‍नातकोत्‍तर डिग्री प्राप्‍त की। गहलोत का विवाह 27 नवम्‍बर, 1977 को श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ हुआ। गहलोत के एक पुत्र वैभव गहलोत और एक पुत्री सोनिया गहलोत हैं। श्री गहलोत को जादू तथा घूमना-फिरना पसन्‍द हैं। 

 विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहेगहलोत 7वींलोकसभा (1980-84) के लिए वर्ष 1980 में पहली बार जोधपुर संसदीयक्षेत्र से निर्वाचित हुए। उन्‍होंने जोधपुर संसदीय क्षेत्र का 8वीं लोकसभा (1984-1989),10वींलोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं लोकसभा (1998-1999)मेंप्रतिनिधित्‍व किया। 

सरदारपुरा(जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद गहलोत फरवरी, 1999 में 11वीं राजस्‍थान विधानसभा के सदस्‍यबने। गहलोत पुन: इसी विधानसभा क्षेत्र से 12वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए 04/12/2003 को निर्वाचित हुए तथा 13वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए 08/12/2008 को सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्रसे ही पुन: निर्वाचित हुए।
जनवरी, 2004 से 16 जुलाई 2004 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्‍य के रूप में कार्य किया और इस पद पर रहते हुए हिमाचल प्रदेश व छत्‍तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी के रूप में सफलता पूर्वक जिम्‍मेदारी का निर्वहन किया। 17 जुलाई 2004 से 18 फ़रवरी 2009 तक गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया। इस दौरान श्री गहलोत ने उत्‍तरप्रदेश, दिल्‍ली, समस्‍त फ्रन्‍टल इकाईयों व सेवादल के प्रभारी के रूप में अपनी जिम्‍मेदारी का निर्वहन किया। महात्‍मा गांधी के ऐतिहासिक दांडी मार्च के 75 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस एवं महात्‍मा गांधी फाउण्‍डेशन की ओर से आयोजित ढाडी यात्रा के समन्‍वयक के रूप में कार्य करते हुए सफलता पूर्वक सम्‍पन्‍न कराया।   श्री अशोक गहलोत 01/12/1998 से 08/12/2003 तक राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री रहे। उनकायह कार्यकाल अन्‍य महत्‍वपूर्ण उपलब्धियों के अलावा अभूतपूर्व सूखा प्रबन्‍धन, विद्युत उत्‍पादन, संसाधनों का विकास, रोजगार सृजन, औद्योगिक और पर्यटनविकास, कुशल वित्‍तीयप्रबन्‍धन और सुशासन के लिए जाना जाता है। मुख्‍यमंत्री के रूप में श्री गहलोत केपहले कार्यकाल के दौरान राजस्‍थान में इस सदी का भयंकार अकाल पड़ा। उन्‍होंने अत्‍यन्‍तही प्रभावी और कुशल ढ़ंग से अकाल प्रबन्‍धन का कार्य किया। उस समय अकाल प्रभावितलोगों के पास इतना अनाज पहुँचाया गया था जितना अनाज ये लोग शायद अपनी फसलों से भीप्राप्‍त नहीं कर सकते थे। प्रतिपक्ष भी खाद्यान्‍न और चारे की अनुपलब्‍धता के सम्‍बन्‍धमें सरकार की तरफ अंगुली तक नहीं उठा सके क्‍योंकि श्री गहलोत ने व्‍यक्तिगत रूपसे अकाल राहत कार्यों की मॉनिटरिंग की थी। श्री गहलोत को गरीब की पीड़ा और उसकेदु:ख दर्द की अनुभूति करने वाले राजनेता के रूप में जाना जाता है। उन्‍होंने ‘पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ’ का नारा दिया जिसेराज्‍य की जनता ने पूर्ण मनोयोग से अंगीकार किया। श्री अशोक गहलोत को 13 दिसम्‍बर, 2008 को दूसरी बारराजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। 8 दिसम्‍बर, 2013 के चुनावी नतीजोंके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा के दिया।

 मध्यप्रदेश कांग्रेस मेंकमलनाथ का नाम सबसे ऊपर है। 
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का मुख्यमंत्री बनना तय है। क्योंकि वही थे, जो लड़ रहे थे, संघर्ष कर रहे थे। केस झेले, जेल गए। सब कुछ किया। केवल ट्रांसफर, नियुक्तियां कराने वाले नेताओं की दौड़ से बाहर रहे। दूसरा नाम टीएस सिंहदेव का है, लेकिन भूपेश बघेल के सामने सिंहदेव की संभावना ना के बराबर है।

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