नैशनल पर गूंज गई उत्तराखण्ड सी0एम0 आफिस की यह खबर-
मीडिया मैनेजमेन्ट हुआ नाकाम # नैशनल पर गूंज गई उत्तराखण्ड सी0एम0 आफिस की यह खबर- #
पूरे देश के मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है, #आरटीआई: उत्तराखंड के सीएम ने मेहमानों को चाय-पानी कराने में 11 महीने में खर्च किए 68 लाख रुपये In a reply to an RTI query, RTI Officer states that after Uttarakhand CM Trivendra Singh Rawat assumed his office on 18th March 2017, Rs 68,59,865 of govt fund has been spent on refreshments and snacks for guests
(1) NATIONAL MEDIA
उत्तराखंड सरकार ने मेहमानों के चाय-नाश्ते पर बीते 9 महीने में सरकारी फंड से 68 लाख 59 हजार 865 रुपए खर्च कर दिए। एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है। बता दें कि 18 मार्च 2017 को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हेमंत सिंह गौनियां नाम के आरटीआई एक्टिविस्ट ने 19 दिसंबर 2017 को एप्लिेकशन लगाई थी। इसमें पूछा गया था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से अब तक चाय-पानी तक कितना सरकारी पैसा खर्च हुआ? 19 साल आरएसएस के प्रचारक रहे त्रिवेंद्र रावत ने 18 मार्च, 2017 को उत्तराखंड के 9th सीएम के रूप में शपथ ली थी। रावत झारखंड बीजेपी के इंचार्ज भी थे। बीजेपी के नेशनल सेक्रेटरी और जर्नलिस्ट रह चुके रावत बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी इन्होंने शाह के साथ काफी काम किया था। संघ की प्रदेश इकाई ने भी रावत के नाम पर मुहर लगाई थी। 2014 में झारखंड का इंचार्ज बनने के बाद इनके नेतृत्व में राज्य में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। उत्तराखंड 2000 में यूपी से अलग होकर नया राज्य बना था। त्रिवेंद्र रावत डोईवाला से जीतकर तीसरी बार विधायक बने हैं। 2002 में पहली बार विधायक बने थे। 2007 में भी विधायक रह चुके हैं। राज्य के कृषि मंत्री भी रहे हैं। मोदी और अमित शाह दोनों के ही करीबी हैं। बीजेपी के नेशनल सेक्रेटरी, यूपी के डिप्टी इंचार्ज और झारखंड के इंचार्ज रहे। रावत पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लॉक के खैरासैण गांव के रहने वाले हैं। इनके पिता प्रताप सिंह रावत सेना की रुड़की कोर में रह चुके हैं। लिहाजा उनका सेना से खासा लगाव है। उन्होंने कई शहीद सैनिकों की बेटियों को गोद ले रखा है। त्रिवेंद्र की पत्नी सुनीता स्कूल टीचर हैं। इनकी 2 बेटियां हैं। ये 9 भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। इन्होंने श्रीनगर यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में एमए किया था।
(2) NATIONAL MEDIA
नई दिल्ली् : उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीएम पदभार संभालने के बाद से गेस्टों (अतिथियों) के चाय-नाश्ते पर सरकारी खजाने से अभीतक 68 लाख रुपये ज्यादा खर्च किया जा चुका है. एक आरटीआई में यह जानकारी सामने आई है.
न्यूज एजेंसी ANI द्वारा जारी एक इनपुट के मुताबिक, नैनीताल में रहने वाले एक आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत सिंह गौनियां द्वारा सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मांगी गई थी कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीएम पद की शपथ लिए जाने के बाद से आज तक चाय-पानी पर कितना सरकारी धन खर्च किया गया. इसके जवाब में लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी में कहा गया कि ‘मुख्यमंत्री द्वारा 18 मार्च 2017 को सीएम पद की शपथ ग्रहण की गई थी. इस तारीख के बाद से अतिथियों के चाय-पानी में कुल 68,59,865 रुपये का सरकारी धन खर्च हुआ है.’
(3) NATIONAL MEDIA
(3) आरटीआई: उत्तराखंड के सीएम ने मेहमानों को चाय-पानी कराने में 11 महीने में खर्च किए 68 लाख रुपये
आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत सिंह गौनियों ने सूचना का अधिकार कानून के तहत उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार द्वारा सत्ता संभालने के बाद चाय-पानी पर किए गए खर्च के बारे में जानकारी मांगी थी। भाजपा ने मार्च, 2017 में सत्ता संभाली थी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पद संभालने के बाद से अब तक मेहमानों को चाय-पानी कराने में 68 लाख रुपये से ज्यादा खर्च कर चुकी है। राज्य सरकार ने सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत यह जानकारी दी है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की थी। इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च, 2017 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत सिंह गौनियों ने 19 दिसंबर, 2017 को सीएम द्वारा चाय-पानी के मद में किए गए खर्च के बारे में जानकारी मांगी थी। राज्य सचिवालय प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड सरकार ने 11 महीनों में चाय-पानी पर कुल 68,59,865 रुपये खर्च किए। यह राशि मंत्रियों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों द्वारा अतिथियों के आवभगत में खर्च की गई। चुनावों में भाजपा ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटें हासिल की थीं। उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा मेहमानों के चाय-नाश्ते पर लाखों रुपये खर्च करने को लेकर सोशल साइटों पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एक व्यक्ति ने ट्वीट किया, ‘इससे अमित शाह यह प्रूव करेंगे कि नाश्ता बेचने में मुनाफा है।’ सौरव सिन्हा ने लिखा, ‘अब की बार रिफ्रेशमेंट सरकार।’ आलोक कुमार सिंह ने चुटकी लेते हुए लिखा, ‘राष्ट्रवादी नाश्ता है भाई।’ हरीश ने ट्वीट किया, ‘इससे ऐसा लगता है कि चाय-पानी बेचने वालों की कमाई आसमान छू रही है।’ पंकज कुमार ने नरेंद्र मोदी के बयान का हवाला देते हुए लिखा, ‘बहुत अच्छा! ना खाउंगा, ना खाने दूंगा डायलॉग का क्या हुआ?’ सौरव चहल ने ट्वीट किया, ‘त्रिवेंद्र सिंह की इस गलती को भाजपा माफ कर देगी यदि उस रिफ्रेशमेंट और स्नैक्स में पकौड़ा होगा।’ वहीं, विनीत ने लिखा, ‘इसको कहते हैं खाऊ सीएम!’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे त्रिवेंद्र रावत डोईवाला से जीतकर तीसरी बार विधायक बने थे। वह वर्ष 2002 में चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे। पिछले विधानसभा के लिए हुए चुनावों में भी वह जीते थे। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दोनों का करीबी माना जाता है। त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव के साथ ही झारखंड के प्रभारी भी रह चुके हैं। राजनीति में कदम रखने से पहले वह पत्रकारिता में भी हाथ आजमा चुके थे।
www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) publish at Dehradun & Haridwar
Availble in FB, Twitter & whatsup & All Social Media : Mob. 9412932030: Mail; himalayauk@gmail.com