ढैंचा फर्जीवाडा हाईकोर्ट में लम्बित -तब तक पद छोडे सीएम- जनसंघर्ष मोर्चा
#उच्च न्यायालय में लम्बित है श्री त्रिवेन्द्र रावत का प्रकरण #त्रिपाठी जाँच आयोग ने श्री त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ सिफारिश की है कि श्री रावत Prevention & Corruption Act १९८८ की धारा 13(1) (d) (iii) के अन्तर्गत आते हैं #कैबिनेट द्वारा इस मामले में श्री त्रिवेन्द्र रावत को क्लीन चिट दी # गम्भीर पहलू यह है कि यह जानते हुए कि मामला मा० उच्च न्यायालय में लम्बित है#
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#वर्ष २०१० में करोडों रूपये ढैंचा बीज खरीद एवं वितरण का है फर्जीवाडा।
#१५,००० कुंटल खरीदा गया ढैंचा बीज, मांग के सापेक्ष ६०ः अधिक की हुई खरीददारी।
#खुले बाजार में बीज १५३८ प्रति कुंटल लेकिन निधी सीडस् का० से खरीदा गया ३८३९/-कु० की दर से।
#अधिकांश खरीद एवं वितरण हुआ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर।
#त्रिपाठी आयोग ने माना श्री रावत को तीन बिन्दुओं पर दोषी।
#Prevention of Corruption Act 1988 dh /kkjk 13(1) (d) (iii) के अन्तर्गत है श्री रावत का कृत्य, त्रिपाठी आयोग की सिफरिश में।
#जीरो टोलरेंस वाले खुद ही आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त, खा गये किसानों को मिलने वाला बीज।
fत्रपाठी जाँच आयोग की सिफारिशों के आधार पर मुख्यमन्त्री को तत्काल करें बर्खास्त .ः जनमोर्चा
देहरादून- स्थानीय होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी०एम०वी०एन० ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत (मा० मुख्यमन्त्री) ने वर्ष २०१० में कृषि मन्त्री रहते हुए ९६८० कुंटल ढैंचा बीज की मांग के सापेक्ष १५००० कुंटल ढैंचा बीज की खरीद हेतु आदेश पारित किये तथा उक्त बढी हुई मांग की समुचित प्रक्रिया अपनायें अनुमोदन कर दिया।
उक्त बीज मिलीभगत कर टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से ३८३९/-कुंटल की दर से खरीदा गया जबकि वही बीज कृषि उत्पादन मण्डी समिति हरिद्वार अथवा खुले बाजार में उस वक्त १५३८/-कुंटल की दर पर उपलब्ध था।
उक्त ढैंचा बीच निधि सीड्स कारपोरेशन नैनीताल से खरीदा गया, जबकि राज्य/ केन्द्रीय एजेन्सियों के पास पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध था। उक्त बीज खरीद की रवानगी निधि सीड्स द्वारा ट्रकों से दर्शायी गयी जबकि दर्शाये गये अधिकांश ट्रकों की आमद/एंट्री व्यापार कर चौकियों में कहीं भी दर्ज नहीं है।
उक्त पूरे घोटाले की लीपापोती में अपनी गर्दन फंसी देखकर तत्कालीन कृषि मन्त्री श्री त्रिवेन्द्र रावत ने तीन-चार कृषि अधिकारियों के निलम्बन के आदेश पारित किये तथा बाद में उनका निलम्बन निरस्त कर दिया तथा यह उल्लेख किया कि इन अधिकारियों के निलम्बन से कृषि योजनाओं पर प्रतिकूल असर पडेगा। इस मामले में छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया गया।
तत्कालीन कृषि मंत्री श्री त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ तीन बिन्दुओं पर कार्यवाही की सिफरिश की, जिसमें कृषि अधिकारियों का निलम्बन एवं फिर उस आदेश को पलटना, सचिव, कृषि की भूमिका की जाँच बिजीलेंस से कराये जाने के मामले में अस्वीकृती दर्शाना तथा बीज डिमांड प्रक्रिया सुनिष्चित किये बिना अनुमोदन करना। इस प्रकार आयोग ने इसे उ०प्र० (अब उत्तराखण्ड) कार्य नियमावली १९७५ का उल्लंघन माना
उक्त मामले में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय वर्श २०१३ में एकल सदस्यीय एस०सी० त्रिपाठी जाँच आयोग गठित किया, जिसमें ढैंचा बीज घोटाले की जाँच हेतु निर्देषित किया गया।
उक्त मामले की गहन जाँच के उपरान्त त्रिपाठी जाँच आयोग द्वारा तत्कालीन कृषि मंत्री श्री त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ तीन बिन्दुओं पर कार्यवाही की सिफरिश की, जिसमें कृषि अधिकारियों का निलम्बन एवं फिर उस आदेश को पलटना, सचिव, कृषि की भूमिका की जाँच बिजीलेंस से कराये जाने के मामले में अस्वीकृती दर्शाना तथा बीज डिमांड प्रक्रिया सुनिष्चित किये बिना अनुमोदन करना। इस प्रकार आयोग ने इसे उ०प्र० (अब उत्तराखण्ड) कार्य नियमावली १९७५ का उल्लंघन माना है। आयोग ने श्री रावत के खिलाफ सिफारिश की है कि श्री रावत Prevention & Corruption Act १९८८ की धारा 13(1) (d) (iii) के अन्तर्गत आते हैं तथा सरकार उक्त तथ्यों का परीक्षण कर कार्यवाहीकरे।
जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष श्री नेगी ने कहा कि उक्त मामले में योजित जनहित याचिका, जिसमें मा० उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को नोटिस जारी किया गया तथा सरकार के कृषि निदेशक द्वारा मा० उच्च न्यायालय में जमा Counter Affidvit में कहीं भी घोटाले के सापेक्ष उक्त तथ्यों का खण्डन नहीं किया गया, मात्र Apex Court (उपरी अदालत) का हवाला दिया गया है कि जनहित याचिका खारिज की जानी चाहिए इत्यादि, इत्यादि।
बडी हैरानी की बात है कि आयोग की सिफारिश को तीन बार सदन में रखा जा चुका है जिसमें कमेटी गठित कर गहन परीक्षण करने के निर्देश कैबिनेट ने दिये। अभी हाल ही में कैबिनेट द्वारा इस मामले में श्री त्रिवेन्द्र रावत को क्लीन चिट दी है, जबकि बिना जाँच कराये आनन-फानन में श्री रावत को फायदा पहचाने के लिए यह किया गया, जबकि गम्भीर पहलू यह है कि यह जानते हुए कि मामला मा० उच्च न्यायालय में लम्बित है।
जनसंघर्ष मोर्चा महामहिम राज्यपाल से मांग करता है कि त्रिपाठी जाँच आयोग की सिफारिश के आधार पर श्री त्रिवेन्द्र रावत को मुख्यमन्त्री पद से तत्काल बर्खास्त करें।
पत्रकार वार्ता में ः- मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, मौ० असद, दिलबाग सिंह, ओ०पी० राणा, प्रभाकर जोशी, बागेश पुरोहित आदि थे।
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