कांग्रेस के ”अच्छे दिन की आहट”

लोकसभा चुनावों से पहले हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच के मुकाबले को रोमांचक बना दिया है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के रुझानों में कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी को पछाड़ते हुए दिख रही है.  15 वर्षों से  मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज बीजेपी सत्ता से हाथ गंवाना पड़ रहा है. 
इन पांच राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 32 जनसभाएं की थीं जिसमें सबसे ज्यादा राजस्थान में 12, मध्यप्रदेश में 10, छत्तीसगढ़ में 4, तेलंगाना में 5 और मिजोरम में एक रैली की थी. वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पांच राज्यों के तूफानी प्रचार अभियान में 65 जनसभाएं, 13 रोड शो और 162 संवाद कार्यक्रम किए. जिसमें छत्तीसगढ़ में 14 दिन, मध्य प्रदेश में 18 दिन, तेलंगाना में 10 दिन, राजस्थान में 19 दिन, मिजोरम में 2 दिन रहे.

एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस लगभग सरकार बनाने के करीब है. इस विजय का श्रेय राहुल गांधी को जाता है. इस चुनाव में न मोदी लहर चली, न ईवीएम को टैंपर करने का मौका मिला और न ही पैसा चल पाया. यह सब राहुल गांधी की मेहनत और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मेहनत का नतीजा है-  अशोक चव्हाण बोले- 

सूत्रों के मुताबिक मध्य प्रदेश में सरकार बनाने को लेकर सपा-बसपा की बातचीत जारी है. कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश को लेकर एसपी-बीएसपी एक साथ फैसला लेंगे. मध्य प्रदेश में बीएसपी 4, समाजवादी पार्टी 1 और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) 2 सीटों पर आगे है. मध्य प्रदेश में सपा और गोंडवाना पार्टी का गठबंधन है. हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि सपा-बसपा और जीजीपी ने बीजेपी को समर्थन देने से इनकार कर दिया है.

मध्य प्रदेश में सपा और गोंडवाना पार्टी का हालांकि चुनाव से पहले गठबंधन हुआ था लेकिन बाद में ये गठबंधन टूट गया था लेकिन चुनाव बाद इन दलों के किंगमेकर बनने के बाद ये सामूहिक रूप से त्रिशुंक विधानसभा की स्थिति में फैसला लेंगे. हालांकि सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि इन तीनों दलों ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है.

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन का श्रेय पार्टी के नेता अपने अध्यक्ष राहुल गांधी को दे रहे हैं जिन्होंने चुनाव वाले पांचों प्रदेशों में कुछ हफ्तों के भीतर 82 सभाएं और सात रोड शो किए थे। कांग्रेस के संगठन महासचिव अशोक गहलोत का कहना है कि इन चुनावों में खासकर राजस्थान में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन का श्रेय राहुल गांधी के नेतृत्व को जाता है।   

पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से एक के बाद एक मिल रही हार से निराश कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए मंगलवार का दिन खुशखबरी वाला जब रहा पार्टी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अच्छा प्रदर्शन किया। 

पार्टी कार्यकर्ताओं ने 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस कार्यालय के बाहर ढोल बजाए और जम कर थिरके। कई कार्यकर्ताओं ने मिठाई भी बांटी। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ‘सोनिया गांधी जिंदाबाद’, ‘राहुल गांधी जिंदाबाद’ और ‘देश का नेता कैसा हो-राहुल गांधी जैसा हो’ के नारे लगाए। 

कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन से उत्साहित एक कार्यकर्ता ने कहा कि यह कांग्रेस और देश के अच्छे दिनों की आहट है। आप देखेंगे कि आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी होगी। 

पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि कांग्रेस कार्यालय में 2014 के बाद इस तरह की खुशी दिख रही है। पार्टी के इस शानदार प्रदर्शन से पार्टी कार्यकर्ताओं में नया उत्साह आया है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 19-19 चुनावी सभाओं को संबोधित किया। इसके अलावा उन्होंने राजस्थान में 2 और छत्तीसगढ़ में एक रोड शो भी किया। राजस्थान में कांग्रेस पांच साल बाद सत्ता में वापसी करती दिख रही है। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 15 वर्षों के बाद भारी बहुमत से सत्ता में वापसी कर रही है। 

गांधी ने तेलंगाना में 17 जनसभाएं करके कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे, हालांकि यहां पार्टी को निराशा हाथ लगी। उन्होंने मिजोरम में 2 सभाएं कीं लेकिन यहां कांग्रेस अपनी सत्ता बचाने में नाकाम रही। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने एक समचार एजेंसी से कहा कि इस चुनाव का एक बड़ा संदेश यह है कि जनता राहुल गांधी को एक राष्ट्रीय नेता के तौर पर स्वीकार कर रही है। 

यह आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के लिए शुभ संकेत है। मध्य प्रदेश और मिजोरम में 28 नवंबर को मतदान हुआ तो राजस्थान एवं तेलंगाना में 7 दिसंबर को वोट डाले गए। छत्तीसगढ़ में 12 और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान हुआ था। 

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान से जुड़े पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक, राहुल गांधी ने 7 अक्टूबर को चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने के बाद सबसे अधिक 25 जनसभाएं मध्य प्रदेश में कीं। उन्होंने मध्य प्रदेश में 4 रोड शो भी किए।

ऐसा नहीं है कि बीजेपी को ऐसी राजनीतिक तस्वीर का अनुमान पहले से नहीं था. इसलिए केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी इन तीनों राज्यों में पूरे दमखम के साथ प्रचार में उतरी थी. तीनों राज्यों में स्थानीय नेतृत्व के अलावा केंद्रीय नेतृत्व भी जमकर प्रचार में उतरा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बीजेपी ने चुनाव प्रचार में जमकर इस्तेमाल किया. 
इन राज्यों में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर थी, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान कभी कांग्रेस भारी पड़ती दिखी तो कभी बीजेपी. वहीं, कांग्रेस के सामने तीनों राज्यों में गुटबंदी से उबरने की चुनौती भी थी, साथ ही बीजेपी तीनों राज्यों में कांग्रेस के पास सीएम का चेहरा न होने की बात कहकर हमलावर भी होती रही. 
बीजेपी ने इन राज्यों में अपने फायरब्रांड नेता और योगी आदित्यनाथ से सबसे आगे रखा था. योगी आदित्यनाथ ने तीनों राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से ज्यादा रैलियां की थीं. इन्हीं चुनावों के प्रचार के दौरान योगी ने हनुमान को दलित भी करार दिया था, जिसके बाद कई दिनों तक चर्चा इसी पर केंद्रित रही थी. 
तीन अहम राज्यों में योगी ने 50 से ज्यादा चुनावी रैलियों को संबोधित किया. सभी राज्यों में प्रचार के लिए योगी की मांग सबसे ज्यादा थी. योगी ने तीनों राज्यों में 53 जनसभाएं कीं, जिनमें छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 21 सभाएं शामिल रहीं. छत्तीसगढ़ में अमित शाह ने 9 जनसभाओं और पीएम मोदी ने 4 सभाओं को संबोधित किया. 

इसी तरह, मध्य प्रदेश में यूपी के सीएम ने 15 जनसभाओं को संबोधित किया. राज्य में अमित शाह ने 25 रैलियों और प्रधानमंत्री ने 10 सभाओं को संबोधित किया था. साफ है कि तीन बार से सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए इस राज्य में चुनौती काफी बड़ी थी, इसलिए पार्टी ने यहां पर काफी समय और संसाधन खर्च किए थे.

राजस्थान की बात करें तो यहां पर भी योगी और पीएम मोदी ने सबसे ज्यादा जनसभाएं कीं. यहां योगी ने 17 जनसभाओं को संबोधित किया जबकि पीएम ने 10 जनसभाएं कीं. इतनी कोशिशों के बावजूद बीजेपी को अपेक्षित नतीजे मिलते नजर नहीं आ रहे हैं.

तेलंगाना में बीजेपी ने हिंदू बनाम मुस्लिम का कार्ड खेलने की पूरी कोशिश की. जहां यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि बीजेपी के सत्ता में आने पर ओवैसी तेलंगाना से वैसे ही भागेंगे जैसे हैदराबाद के निजाम भागे थे. योगी ने यह भी कहा था कि सत्ता में आने पर हैदराबाद का नाम बदल कर भाग्यनगर कर दिया जाएगा. तो वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस के घोषणापत्र का जिक्र करते हुए मुस्लिम तुष्टिकरण को मुद्दा बनाने की पुरजोर कोशिश की थी.

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