कांग्रेस विधायक ने क्यों ललकारा हरीश रावत सरकार को
#मजदूरों का दमन करने वाली सरकार के साथ खडे नही हो सकते # कांग्रेस विधायक ने ललकारा हरीश रावत सरकार को # Execlusive Report: www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal)
हल्द्वानी में एक बडी घटना हुई जिससे उत्तराखण्ड में कांग्रेस संगठन तथा सरकार के मुखिया के बीच सब कुछ ठीक नही है, का बडा संदेश जनता के समक्ष घटित हुआ, कांग्रेस विधायक हीरा सिंह बिष्ट के सामने श्रमिकों ने मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ नारेबाजी कर रैली निकाली, गौरतलब यह है कि इस रैली का नेतृत्व स्वयं हीरा सिंह बिष्ट कर रहे थे। वही यह विधान सभा कांग्रेस सरकार में न० दो का दर्जा रखने वाली कैबिनेट मंत्री का क्षेत्र है तथा निकटवर्ती क्षेत्र में सूबे के श्रम मंत्री कीी विधानसभा है-
वही सूबे के पूर्व काबिना मंत्री इंटक के प्रदेश अध्यक्ष तथा विधायक हीरा सिंह बिष्ट का बयान बडा ही महत्वत रखता है, उन्होंने कहा है कि प्रदेश के अधिकारी निरकुंश हो कर भ्रष्टाचार कर रहे हैं सिडकुल के कर्मचारियों का लगातार शोषण हो रहा है, उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री के सामने रखूगा हालात, सुनवाई और कार्रवाई न होने पर इंटक उग्र आंदोलन करेगी
डोईवाला विधायक हीरा सिंह बिष्ट मजदूर का रखते हुए अपनी सरकार को भी खरी खोटी सुनाई, कहा कि वह मजदूरों का दमन करने वाली सरकार के साथ खडे नही हो सकते, जिस तरह से रूद्रपुर में महिलाओं के साथ मारपीट की गई, यह प्रदेश के लिए शर्म की बात है। सिडकुल में श्रमिकों का उत्पीडन हो रहा है पर सरकार चुप बैठी है, वह पहले श्रमिकों के नेता है, और उसके बाद विधायक। इसलिए यदि जरूरत पडी तो श्रमिक हितों के लिए विधानसभा का घेराव तक कर सकते हैं।
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USN; रुद्रपुर में श्रमिकों की मारपीट से पूरा राज्य दुखी हुआ था। महिलाओं के साथ भी मारपीट हुई थी, सोशल मीडिया पर सरकार की जमकर आलोचना हुई थी, जिससे कांग्रेस सरकार की साख पर असर पडा था, इसी को लेकर कांग्रेस विधायक हीीरा सिंह बिष्ट ने 12 सितम्बर 2016 को नाराजगी भरे स्वर में खुद अपनी सरकार को ललकारा- एसडीएम चंद्र सिंह इमलाल और सीओ राजेश भट्ट के नेतृत्व में पहुंची पुलिस फोर्स ने पांच दिन से भूख हड़ताल में बैठे श्रमिकों को जैसे ही उठाने लगे तो श्रमिकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। भारी विरोध को देखते हुए पुलिस ने श्रमिकों पर लाठियां फटकार दी। इससे श्रमिक और पुलिस के बीच में झड़प भी हुई। भूख हड़ताल में बैठे श्रमिकों को उठाने के दौरान कई श्रमिकों के कपड़े फट गए। वहीं पुलिस कर्मियों ने पांच श्रमिकों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं श्रमिकों ने पुलिस पर लाठियां फटकारने और कपडे़ फाड़ने का आरोप लगाया है। पुलिस कर्मियों ने भी श्रमिकों पर कपड़े फाड़ने का आरोप लगाते हुए जिला अस्पताल में मेडिकल कराया है।
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परन्तु वह भूल जाते हैं कि श्रम कानूनों में मनमाफिक संशोधन उत्तराखण्ड की कांग्रेस सरकार ने गैरसैण विधानसभा अधिवेशन में किया, लेबर निरीक्षक को उदयोगों में छापा मारने से रोकने का आदेश भी राज्य सरकार ने दिया, फैक्टी मालिकों को निरकुंश बनाने का अधिकार भी कांग्रेस सरकार ने दिया। ऐसे में जनकल्याण की योजनायें कैसे बना सकते थे, जबकि उनका तो शोषण करने की परम्परा है।
इसके अलावा श्रमिकों के कल्याण की यह दशा है। उत्तराखण्ड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की अपनी कोई बिल्डिंग नही, अपना कोई भी स्टाफ नही है, बोर्ड का सारा कार्य उपश्रमायुक्त कार्यालय गढवाल द्वारा सम्पादित किया जा रहा है, जिस कारण औद्योगिक प्रतिष्ठानों के कई महत्वपूर्ण कार्य जैसे वादों की सुनवाई, स्थायी आदेश संबधी, पर्वतन संबंधी, दुकान व वाणिज्यअ संबंधी, साथ ही अन्य कार्यो सहित सहायक कारखाना निदेशक का भी आफिस इसी बिल्डिंग में है, के कार्य में भारी व्यवधान आता है।
हालांकि हाल में उपश्रमायुक्त कार्यालय गढवाल क्षेत्र देहरादून को टांसपोर्ट नगर, देहरादून में भूमि आवटित तो हुई है लेकिन बजट न होने के कारण भवन संबंधी कार्य प्रगति पर नही आ पाया।