रणनीति- कांग्रेस आखिरकार ब्राहमणों की शरण में
कांग्रेस आखिरकार ब्राहमणों की शरण में कैसे यह सवाल उठ सकता है- 1′ कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की शादी उत्तर प्रदेश के एक ब्राह्मण परिवार की लड़की से होना तय हुआ है 2- शीला दीक्षित का नाम यूपी सीएम पद के कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में घोषित होना तय
इसके अलावा- कांग्रेस पार्टी के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा है कि वह उत्तरप्रदेश चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में ब्राह्मण चेहरे के पक्ष में है और समझा जाता है कि उन्होंने शीला दीक्षित का नाम सुझाया है।
शीला दीक्षित मूल रूप से पंजाब से हैं और वह उत्तरप्रदेश से दिग्गज कांग्रेस नेता उमाशंकर दीक्षित की पुत्रवधु रही हैं जो काफी समय तक केंद्रीय मंत्री रहे थे। शीला दीक्षित ने पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी जिस दौरान बताया जाता है कि उन्हें उत्तरप्रदेश में बड़ी भूमिका के संकेत मिले थे।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का नाम गुरुवार शाम को यूपी सीएम पद के कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में घोषित किया जा सकता है। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद गुरुवार शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। इस कॉन्फ्रेंस में शीला दीक्षित का नाम यूपी सीएम उम्मीदवार के रूप में घोषित किया जा सकता है।’ www.himalayauk.org (Newsportal)
प्रवीण कुमार-ने अपने आलेख में लिखा है कि –
माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर भरोसा करें तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की शादी तय हो गई है। युवराज की शादी उत्तर प्रदेश के एक ब्राह्मण परिवार की लड़की से होना तय हुआ है। यह शादी संभवत: अगले महीने इलाहाबाद के आनंद भवन में संपन्न होगी, सियासत के गलियारों में ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि भारतीय राजनीति में शिखर पर पहुंचने (प्रधानमंत्री बनने के लिए) के लिए शादी करना या नहीं करना कोई अनिवार्य शर्त नहीं है। देश में ऐसे कई नेता हुए हैं जो या तो अविवाहित रहे हैं या फिर शादी शुदा होते हुए भी उस जीवन के हिस्से नहीं हैं। लेकिन राहुल गांधी के लिए जो हाल ही में 46 साल के हो चुके हैं, शादी कर लेना अपनी छवि को बेहतर बनाने का एक सही, समयोचित और व्यावहारिक तरीका हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव पूर्व निर्धारित है और सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने तरीके से तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस भी चुनावी राजनीति के आधुनिक चाणक्य प्रशांत किशोर के साथ पूरे दमखम से रणनीति बनाकर तैयारी में जुट गई है। और इस सबके बीच राहुल की शादी का शोर अगर देश के कानों में पहुंचता है तो इसे ‘अटकलें’ और ‘अफवाहों’ का जामा पहनाकर खारिज नहीं कर सकते। इसके पीछे कुछ न कुछ सियासी सच्चाई जरूर होगी। जब से राहुल की शादी की अटकलें जोर पकड़ी हैं, सियासत के जानकार भी सतर्क हो गए हैं और इस शादी को कांग्रेस पार्टी के सियासी नफा-नुकसान से जोड़कर देखने में जुट गए हैं। शादी की अटकलें ऐसे वक्त में लगाई जा रही है जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो रही हैं। हालांकि अभी राहुल की शादी को कांग्रेस के भविष्य से जोड़कर कोई भविष्यवाणी करना ठीक नहीं होगा, लेकिन ‘उत्तर प्रदेश में शादी’ का पेंच एक ऐसा समीकरण हो सकता जो निश्चित रूप से कांग्रेस का भविष्य तय करने में अपनी भूमिका अदा करेगा।
राहुल की राजनीति और कांग्रेस का भविष्य इन दो पहलुओं को उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण लड़की से राहुल की शादी को जोड़कर देखा जाए तो निश्चित रूप से इसका प्रभाव आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 13 प्रतिशत के करीब है। पूर्व में यह वोट बैंक पूरी तरह से कांग्रेस के पाले में हुआ करता था। यूपी चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से इस रणनीति पर काम कर रही है कि ब्राह्मण जाति का परंपरागत वोट बैंक कांग्रेस के पक्ष में किया जाए। अगर इस बीच राहुल की शादी किसी ब्राह्मण लड़की से होती है तो निश्चित रूप से यह यूपी चुनाव में कांग्रेस को मुकम्मल जगह पहुंचाने की रणनीति है।
दूसरा, अगर राहुल गांधी शादी करते हैं तो यह उन्हें राजनीति में एक नई शुरुआत दे सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आज की राजनीति छवि की राजनीति है। राहुल गांधी की शादी की छवि उनके लिए पासा पलटने वाली हो सकती हैं। शादी करने से राहुल गांधी की दैहिक भाषा, जल्द उत्तेजित होने और मनमौजी स्वभाव की छवि थोड़ी बदलेगी। संभव है, अपनी पत्नी के साथ राहुल गांधी एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखना शुरू कर सकते हैं जो परिपक्व बन चुका होगा। एक तीसरा तथ्य भी है जिसमें कहा जाता है कि बहुत से लोगों का भविष्य शादी के बंधन में बंधने के बाद भी बदलता है। संभव है राहुल भी उनमें से एक हों।
बहरहाल, अगर राहुल उत्तर प्रदेश की लड़की से शादी करते हैं तो इसके राजनीतिक मायनों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। राजनीतिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत का सबसे महत्पूर्ण राज्य है और गांधी परिवार का गृह राज्य भी है। यहां कांग्रेस को पुनर्जीवित होने की सख्त ज़रूरत भी है। सपा और बसपा ने कांग्रेस जिसने लंबे समय तक यहां शासन किया को यहां इस तरह से अप्रासंगिक बना दिया है कि इस सूबे में गांधी परिवार एक ‘भूली हुई दास्तां’ बन गया है। ऐसे में इस शादी से अगर राजनीतिक क्षितिज पर कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के युवराज का कुछ भला होता है तो यह नेक काम निश्चित रूप से संपन्न होना चाहिए।
प्रवीण कुमार- साभार