ऊहान से संक्रमण ख़त्म हो गया? उस शहर ने कोरोना के ख़िलाफ़ जंग जीत ली है तो यह उम्मीद की किरण
ब्रिटेन और यूरोप के लगभग सभी देशों में स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा सरकारी क्षेत्र में ही है। पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार का जोर प्राइवेट सेक्टर पर दिखाई दे रहा है। देश के ग़रीब और मध्यम वर्ग का संकट और बढ़ सकता है। Presented by Himalayauk
जैव हथियार संधि के सख़्ती से पालन और इसके तहत एक कड़ी अंतरराष्ट्रीय निगरानी व जाँच व्यवस्था बनाने की भारत ने काफी अहम माँग की है। चीन के ऊहान से निकले कोविड-19 वायरस द्वारा दुनिया भर में कोहराम मचाने के मद्देनज़र भारत की यह माँग काफी सामयिक है और ख़ास कर चीन के राजनयिक हलक़ों के कान खड़े करने वाली है। बीते 26 मार्च को बायोलॉजिकल एंड टॉक्सिक वेपंस कनवेंशन (बीडब्ल्यूसी) की 45 वीं सालगिरह थी। इस मौक़े पर भारत ने कहा कि कोविड-19 की वजह से मानवीय और सामाजिक वैश्विक तबाही से निबटने के लिये ऐसी समस्याओं के स्रोत का पता लगाने के लिये एक जाँच व्यवस्था होनी चाहिये। इन आरोपों से बचने के लिये चीन ने अंतरराष्ट्रीय प्रोपेगेंडा अभियान चलाया हुआ है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि नॉवल कोरोना वायरस का नाम चीन या ऊहान से जोड़ कर नहीं प्रचारित किया जाए।
इसके पहले भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की कार्यप्रणाली में सुधार औऱ इसे और सशक्त बनाए जाने की माँग की थी। इस वक़्त विश्व समुदाय कोविड-19 वायरस को सीधे चीन से जोड़ कर बताने में संकोच कर रहा है, पर भारत ने लगातार दूसरी बार चीन पर अप्रत्यक्ष हमला किया है। भारत की इन माँगों के विशेष मायने राजनयिक हलक़ों में निकाले जाएंगे।
भारत ने कहा है कि साल 2021 में जैव और ज़हरीले हथियार संधि के होने वाले नौंवे समीक्षा सम्मेलन में भारत द्वारा उठाए गए मसलों पर ग़ौर किया जाए। खेद की बात यह है कि जैव हथियारों पर रोक लगाने वाली संधि के बावजूद न केवल चीन बल्कि अमेरिका और अन्य विकसित देशों में कई तरह के जैव हथियारों के विकास पर काम हो रहे हैं।
कोरोना से लड़ने के लिए भारत को 3.80 करोड़ मास्क और 62 लाख पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट चाहिए। इसके अलावा बहुत बड़ी तादाद में वेंटीलेटर, आईसीयू मॉनीटर, जाँच उपकरण और दूसरी चीजों की ज़रूरत है। समाचार एजेन्सी रॉयटर्स ने यह ख़बर दी है। उसने कहा है कि इनवेस्ट इंडिया ने वेंटीलेटर, आईसीयू मॉनीटर, प्रोटेक्टिव उपकरण, जाँच उपकरण और मास्क वगैरह के लिए 730 कंपनियों से संपर्क किया है। इनमें से 319 कंपनियों ने दिलचस्पी ली है और जवाब दिया है। ख़बर के मुताबिक़, इनवेस्ट इंडिया के दस्तावेज़ में कहा गया है कि इन कंपनियों के पास 91 लाख मास्क मौजूद हैं। इसके अलावा फ़िलहाल 8 लाख कवरऑल भी मिल सकते हैं। लेकिन इनवेस्ट इंडिया का अनुमान है कि भारत को कम से कम 3.80 करोड़ मास्क की ज़रूरत है, इनमें से 1.40 करोड़ मास्क राज्य सरकारों को चाहिए, बाकी केंद्र सरकार की ज़रूरत है। ये आँकड़े राज्यों और केंद्र -शासित क्षेत्रों की ज़रूरतों के आधार पर तैयार किए गए हैं। इनवेस्ट इंडिया केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिल कर काम करता है। स्वास्थ्य अधिकारी लव अग्रवाल ने रॉयटर्स से कहा कि स्वास्थ्य से जुड़े उपकरणों की आपूर्ति की भरपूर कोशिश की जा रही है।
वास्तव मे यदि चीन के इन आरोपों को सच माना जाए कि ऊहान शहर में जो वायरस निकला वह अमेरिकी सैनिकों द्वारा ही पिछले साल अक्टूबर में ऊहान में विश्व सैनिक खेलों के दौरान छोड़ा गया गया था।
इसके मद्देनज़र जैव संधि के सख़्ती से पालन के लिये और कड़े प्रावधान होने की ज़रूरत महसूस की जानी चाहिये। चीन ने यह आरोप तब लगाया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने कोविड-19 वायरस को चीनी वायरस कहा।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि जिस तरह परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) जैसी अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत सदस्य देशों को अपने परमाणु कार्यक्रम में पारदर्शिता बरतनी होती है औऱ अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (आईएईए) को किसी भी देश जा कर उसकी परमाणु सुविधाओं के औचक निरीक्षण के अधिकार की व्यवस्था की गई है, उसी तरह जैव हथियार संधि के सख्ती से पालन और निगरानी व्यवस्था के लिये भी एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी व्यवस्था होनी चाहिये।
भारत यह मानता है कि जैव हथियार संधि को नयी उभरती वैज्ञानिक घटनाओं द्वारा पैदा चुनौती से निबटने के लिये सख़्ती से मुक़ाबला करने को तैयार रहना होगा। चीन का नाम लिये बिना भारत ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की वजह से जो वैश्विक आर्थिक और सामाजिक असर हम देख रहे हैं, उस वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) को मजबूत करने के अलावा अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत करने की ज़रूरत है। आतंकवादियों द्वारा सूक्ष्म जीवों का जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के ख़तरों के बारे में भारत संयुक्त राष्ट्र को आगाह करता रहा है।
टाटा समूह ने पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट खरीदने के लिए केंद्र सरकार को 500 करोड़रुपए देने का एलान किया है। टाटा ट्रस्ट ने एक बयान में कहा है कि इस पैसे से पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट खरीदे जाएंगे। इसमें मास्क, गाउन, ओवरऑल और सर्जिकल मास्क जैसी चीजें शामिल हैं। इसके अलावा जांच के उपकरण, सांस लेने के उपकरण वगैरह खरीदे जा सकेंगे।
तो क्या ऊहान से संक्रमण ख़त्म हो गया? यह सवाल इसलिए भी अहम है कि यह कहा जा रहा है कि ऊहान स्थित प्रयोगशाला से ही वायरस बाहर निकले। चीन पर आरोप लगता है कि उसने ऊहान की प्रयोगशाला में वायरस पैदा किया तो बीजिंग ने आरोप लगाया कि अमेरिकी सैनिकों ने ऊहान में वह वायरस छोड़ दिया। इससे कोई इनकार नहीं करता कि ऊहान से इस संक्रमण की शुरुआत हुई। यदि उस शहर ने कोरोना के ख़िलाफ़ जंग जीत ली है तो यह उम्मीद की किरण निश्चित तौर पर है।
दिसंबर में वायरस संक्रमण के लक्षण दिखने के बाद दो महीने तक ऊहान में लॉकडाउन था, यानी वह पूरी दुनिया से कटा हुआ था। कोरोना संक्रमण लगभग 200 देशों में फैल चुका है। शनिवार को हाई स्पीड ट्रेन ऊहान पहुँची। समाचार एजेन्सी रॉयटर्स ने इस ट्रेन से ऊहान पहुँचने वाले गुओ लियांगकाई से बात की। लियांगकाई ने बताया कि किस तरह वे एक महीने के लिए बीजिंग गए थे, पर उन्हें वहां 3 महीने तक रुकना पड़ा। लियांगकाई ने कहा कि वे अपने परिवार के लोगों को देख कर बहुत खुश हैं।
लियांगकाई ने रॉयटर्स से कहा, ‘हमारी इच्छा तो गले लग जाने की थी, पर यह ख़ास समय है और हम ऐसा या इस तरह का कोई काम नहीं कर सकते।’ ऊहान निवासी झांग युलुन ने रॉयटर्स से कहा, ‘कामकाज का शुरू होना आशा की किरण दिखाता है। कम से कम इससे यह तो साफ़ है कि चीन ने कोरोना पर जीत हासिल कर ली।’
मेनलैंड चाइन में कोरोना संक्रमण के 81,394 मामले हैं। अब तक 3,295 लोगों की मौत हो चुकी है। चीन के कुल कोरोना मामलों के 60 प्रतिशत मामले ऊहान से हैं। पर बीते कुछ हफ़्तों में इसमें कमी आई है। ऊहान में संक्रमण का अंतिम मामला बुधवार को सामने आया था। अमेरिका और यूरोप के कई देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हैं। चीन को इस बात का डर है कि वहाँ से लौट रहे प्रवासी चीनी स्वदेश में संक्रमण फैला सकते हैं। इसलिए चीन ने विदेशी नागरिकों के चीन प्रवेश पर रोक लगा दी है। वह नए वीज़ा भी जारी नहीं कर रहा है।
भारत कोरोना के दूसरे स्टेज में ही है। यानी बीमारी अभी भी पूरे समुदाय को संक्रमित नहीं कर रही है विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के रिकॉर्डों को खंगालने से पता चलता है कि भारत के अस्पतालों में रोगियों के लिए क़रीब 70 हज़ार आईसूयी बेड हैं। इनमें भी महज 40 हज़ार के क़रीब वेंटिलेटर लगे हैं। बेड की सीमित संख्या को देखते हुए किन रोगियों को बचाया जाए और किनको ईश्वर की इच्छा पर छोड़ दिया जाए। इटली की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुनिया सबसे बेहतर माना जाता है क्योंकि यहाँ एक हज़ार जनसंख्या पर क़रीब 4 बेड उपलब्ध हैं। भारत में क़रीब डेढ़ हज़ार जनसंख्या पर एक बेड उपलब्ध है। आश्चर्यजनक यह है कि जनवरी में चीन के वुहान शहर में बुरा हाल होने के बाद दुनिया के ज़्यादातर देश पीपीई का स्टॉक जमा कर रहे थे तब भारत सरकार ने मास्क, दस्ताने और 8 अन्य उपकरणों को निर्यात में छूट दे रखी थी। यह छूट 19 मार्च तक जारी थी। अब देश में मास्क की जमकर कालाबाज़ारी हो रही है। डब्ल्यूएचओ की सिफ़ारिश है कि हर देश को अपने जीडीपी का कम से कम 4 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं पर ख़र्च करना चाहिए। लेकिन भारत में अब भी स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी का क़रीब एक प्रतिशत ही ख़र्च हो रहा है। 2020-21 के ताज़ा बजट में स्वास्थ्य सेवाओं पर सिर्फ़ 69 हज़ार करोड़ ख़र्च की व्यवस्था की गई है। यह रक़म 2019-20 के 62 हज़ार करोड़ छह सौ साठ करोड़ के मुक़ाबले क़रीब 6400 करोड़ ज़्यादा है। लेकिन एक साल में मुद्रास्फ़ीति क़रीब साढ़े सात फ़ीसदी बढ़ चुकी है। इस हिसाब से बजट में बढ़ोतरी नाम मात्र की ही है। कोरोना के ज़्यादातर मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में हो रहा है। बहुत कम प्राइवेट अस्पताल इसके लिए आगे आए हैं। इससे एक बार फिर साबित होता है कि स्वास्थ्य सेवा को प्राइवेट के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। ब्रिटेन और यूरोप के लगभग सभी देशों में स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा सरकारी क्षेत्र में ही है। पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार का जोर प्राइवेट सेक्टर पर दिखाई दे रहा है। देश के ग़रीब और मध्यम वर्ग का संकट और बढ़ सकता है।
इसके पहले सरकार पर आरोप लगा था कि उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की चेतावनी के बावजूद कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए मास्क, दस्ताने और गाऊन जैसे प्रोटेक्टिव उपकरण एकत्रित करने की कोई कोशिश नहीं की। इसके उलट सरकार ने इसके निर्यात पर कोई रोक नहीं लगाई, जिस वजह से इसकी कमी हो गई और कीमत आसमान छूने लगी। सरकार जब तक चेतती और निर्यात पर रोक लगाती, बहुत देर हो चुकी थी। ‘द कैरेवन’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समय रहते ही यानी 3 हफ़्ते पहले ही भारत को आगाह कर दिया था कि कोरोना संक्रमण फैल सकता है और इसे रोकने के लिए समय रहते ही भारत पर्याप्त संख्या में पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरणों का इंतजाम कर ले।