कोरोना श्वसन तंत्र की एक बीमारी, प्राणायाम तंत्र को मजबूत करता है;दिग्‍गज लेखक ने लिखा

23 May 20# High Light # Himalayauk Bureau # कोरोना श्वसन तंत्र की एक बीमारी है और प्राणायम आपके श्वसन तंत्र को मजबूत करता है. ये आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाता है.   प्राणायम के जरिए हम अगर अपने श्वसन तंत्र को मजबूत कर लें और अपनी इम्यूनिटी बढ़ा लें तो ये एक अच्छा विचार है.   हम हर जगह सैनिटाइजर नहीं लगा सकते हैं. कहां तक उससे खुद को सुरक्षित कर सकते हैं. बेस्ट ये है कि हम अपने इम्यून को स्ट्रॉन्ग करें. तो क्यों ना हम प्राणायाम करें क्योंकि वह आपके श्वसन तंत्र को स्ट्रॉन्ग करता है.

 दिग्गज लेखक अमीष त्रिपाठी ने  बताया कि लॉकडाउन के दौरान वह एक किताब लिख रहे हैं जिसके तकरीबन 10-15 हजार शब्द अब तक वो लिख चुके हैं. मिथकीय कहानियों से लेकर धर्म और योग दिवस पर बात करने के बाद अमीष त्रिपाठी ने कोरोना पर भी अपने विचार व्यक्त किए. अमीष ने बताया कि कोरोना श्वसन तंत्र की एक बीमारी है और प्राणायम आपके श्वसन तंत्र को मजबूत करता है. ये आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाता है. अमीष ने कहा कि प्राणायम के जरिए हम अगर अपने श्वसन तंत्र को मजबूत कर लें और अपनी इम्यूनिटी बढ़ा लें तो ये एक अच्छा विचार है. अमीष ने बताया मैंने कहीं सुना था कि हम हर जगह सैनिटाइजर नहीं लगा सकते हैं. कहां तक उससे खुद को सुरक्षित कर सकते हैं. बेस्ट ये है कि हम अपने इम्यून को स्ट्रॉन्ग करें. तो क्यों ना हम प्राणायाम करें क्योंकि वह आपके श्वसन तंत्र को स्ट्रॉन्ग करता है.

अमीष ने बताया कि विदेश में कई लोग सिर्फ योग को जानते हैं प्राणायम को नहीं जानते हैं. प्राणायम, योग और ध्यान तीनों को एक साथ किया जाता है. अगर हम ये बात करें तो अगर आप प्राणायाम कर रहे हैं तो आप अपने श्वसन तंत्र को मजबूत कर रहे हैं. अमीष ने इस सेशन में बताया कि आज की पीढ़ी के जहन में रामायण जो है वो वाल्मीकि जी वाली नहीं रामानंद सागर वाली है. इसी तरह वो समझते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी रणवीर सिंह की तरह दिखता था.

अमीष ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान वह अपनी एक किताब पर काम कर रहे हैं जिसके वह अब तक कुल 10-15 हजार शब्द लिख चुके हैं.

रामायण की कहानी के बारे में अमीष त्रिपाठी ने कहा कि राम की कहानी सबने सुनी हुई है. उसमें से कुछ नया ढूंढ कर लाना चुनौती कहा जा सकता है. क्योंकि जो क्रिएटिविटी है वो मुझमें से नहीं आ रही है. अगर ये माना जाए कि ये सब शिव जी का आशीर्वाद है तो ये बहुत आसान है. हर डेढ़ दो साल में मेरी एक किताब प्रकाशित हो जाती है. मेरी किताबें भी बड़ी लंबी होती हैं. एक साल में किताब पूरी करना मुश्किल कहा जा सकता है लेकिन मेरे लिए तो ये शिव जी का आशीर्वाद है. सब बहुत आसानी से हो जाता है.

अमीष ने इस सवाल के जवाब में कहा, “एक बड़ा सुंदर ख्याल मैंने सुना था. कोई भी भारतवासी रामायण को पहली बार नहीं सुनता है. हम रामायण को अपनी आत्मा में लेकर जन्म लेते हैं. एक कल्चर जो 5-6 हजार साल पुरानी है उस कल्चर के हम लोग अब भी जिंदा हैं. आज भी हम हजारों साल पुराने मंत्रों का उच्चारण करते हैं. हमारी संस्कृति इतनी प्राचीन है और इतने वक्त तक हमने उसने संभाल कर रखा है कि वो एक हद तक हमारी जीन्स में घुस गया है.” अमीष ने कहा कि ये उनकी खुशकिस्मती रही है कि जिस परिवार में वह पैदा हुए तो वहां सभी इस माहौल में डूबे हुए थे.

अमीष ने कहा, “वास्तविक तो वाल्मीकि रामायण है लेकिन मुझे नहीं लगता है कि हमारी जो आज की पीढ़ी है उसने वाल्मीकि रामायण पढ़ी है. ज्यादातर लोगों ने रामानंद सागर जी की रामायण सुनी और जानी है. कई लोग रामानंद सागर का मजाक उड़ाते हैं लेकिन मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं. प्रोडक्शन की बात छोड़ दीजिए लेकिन एक बात कही जा सकती है कि उन्होंने इसे बहुत ध्यान से और बहुत श्रद्धा से बनाया था.”

रामायण के किरदारों के लेकर लिखी जाने वाले अपनी किताबों के बारे में अमीष ने कहा कि रामानंद सागर जी ने जो किया था उसी तरह मुझे भी प्रभु की कृपा से जहां अपने अंदर से जो मिल गया उसे भी मैं उसमें जोड़ देता हूं.

जवाब में अमीष त्रिपाठी ने बताया कि मूल रूप से मेरा जो लेखन का इंस्पिरेशन है वो मूल धारणा से ही आता है लेकिन वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी को वानर कहा गया है कुछ लोग कपिश कहते हैं लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल बाद में हुआ. कुछ लोग कहते हैं कि वानर का मतलब जो जंगल में रहते हैं. तो ये अलग तरह की इंटरप्रिटेशन हैं. लेकिन जो आपका सवाल था कि मैं क्या कहना चाहता हूं अपने इंटरप्रिटेशन के जरिए तो देखिए भारत मां के लिए पिछले सैकड़ों साल बहुत कठिन रहे हैं.

अमीष ने कहा, “पहले तुर्कियों ने हम पर बहुत जुर्म ढाए. हम आज भी जिंदा हैं क्योंकि हमारे पूर्वजों ने कभी हार नहीं मानी. वो लड़ते रहे हजारों सालों तक. हमारी जो शिक्षा प्रणाली को जो सिखाना चाहिए वो सिखाती नहीं. वो तो बस ये कोशिश करती है कि किसी तरह हमें अंग्रेज बना दिया जाए.” अमीष ने बताया कि संजीव सान्याल करके एक लेखक हैं उन्होंने एक सुंदर वाक्य कहा था कि इतिहास हमें जो सिखाया जाता है वो हमारा इतिहास नहीं है वो हमारे ऊपर जिन्होंने आक्रमण किया उनका इतिहास है.”

अमीष ने कहा कि हमें बार-बार सिखाया जाता है कि हर लड़ाई तो हम हारते गए. लेकिन अगर हम हर लड़ाई हारते गए तो हम आज तक जिंदा कैसे हैं. कई कल्चर वक्त के साथ खत्म हो चुके हैं. हम आज तक इसलिए खड़े हुए हैं क्योंकि हम हारे, लेकिन हमने कुछ लड़ाइयां जीती भी. जिन्होंने हमारे ऊपर आक्रमण किए बड़े क्रूर किस्म के लोग थे. उन्होंने सिर्फ भारत को ध्वस्त नहीं किया. कई कल्चर उन्होंने ध्वस्त कर दिया.”

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