चीन में ये बीमारी अगले 1 महीने में पूरी खत्म हो जाएगी; वैश्विक राजनीती
चीन की वजह आई वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से आज पूरी दुनिया में मानवजाति के ऊपर खतरा मडरा रहा है लगभग पूरी दुनिया लॉक-डाउन हो चुकी है और पुरे विश्व का कारोबार लगभग ख़तम हो गया है और आर्थिक मंदी और भुखमरी का खतरा मडराने लगा है । इस वायरस पर भी ड़ाल लेते है। एक्सपर्ट के अनुसार यदि आप सावधान हो तो यह वायरस आपका कुछ नहीं बिगड़ सकता है यह इतना कमजोर है की यह बिना किसी दवा के भी ख़तम किया जा सकता है । हमारे देश में सर्दी जुकाम आम बात है, और यह हम जानते है की यदि हमारे किसी साथी या घर में किसी को सर्दी जुकाम या वायरल फीवर हो गया है तो और हमारे या और लोगो को सकता है बस इसी का अपडेटेड वर्शन यह कोरोना है संभावित लक्षण — बुखार , सर्दी जुकाम , गले में दर्द , साँस लेने में प्रॉब्लम , दस्त भी हो सकती है यानि नार्मल फ्लू के ही जैसे लक्षण हो सकते है और यह भी संभव है की हो सकता है आपके अंदर कोई लक्षण भी न दिखे
चीन में कोरोना वायरस का संक्रमण नवंबर महीने से फैलना शुरू हुआ था इसलिए अब हर देश में संक्रमण की अनगिनत और अनजानी श्रंखलाएं बन चुकी हैं. कोरोना वायरस से निपटने में अमेरिका से हुई गलती से भारत सबक ले सकता है. सरकार और प्रशासन ने समय रहते जागरूकता अभियान नहीं चलाया । सरकारी जागरूकता के विज्ञापन देरी से आये । नागरिकों में शिक्षा और जागरूकता की कमी रही है अतः पहले सचेत करने की आवश्यकता थी। दिल्ली में मार्च के प्रथम सप्ताह से ही हैंड सेनेटाइजर व मास्क की कालाबाज़ारी शुरू हो गयी थी, जनवरी, फरवरी में चीन को निर्यात किये जा रहे थे। गरीबों का एक बहुत बड़ा वर्ग है जिन तक संचार माध्यमों की सीधी पहुंच नहीं है। गरीब वर्ग जानकारी के अभाव में और शक्तिशाली वर्ग अपने को कानून से ऊपर समझने के कारण जागरूक नहीं है। कनिका कपूर की पार्टी , कमलनाथ की प्रेस कॉन्फ्रेंस , शिवराज का शपथ ग्रहण, योगी की अयोध्या पूजा इसके उदाहरण हैं । प्रधानमंत्री के आवाहन के बाद नागरिक सजग हुए और अपने स्तर से सहयोग कर रहे हैं।
फैलने के कारण – जब हम किसी पॉजिटिव रोगी के संपर्क में आते है तो यह हमारे शरीर में भी प्रवेश कर जाता है , यदि वह रोगी खुली हवा में खांसता या छींकता है तो उसके मुँह और नाक से जो सूक्ष्म कण के साथ वायरस भी बहार आ जाता है और वही रहता है जब आप आने हाथो से उस सतह या उस चीज को छूते है तो यह आपके हाथो में जाता है अब यदि बिना हाथ धुले अपने मुँह, आंख , नाक और कान में लगाते है तो यह आपके अंदर फ़ैल सकता है, और जब यह हमारे अंदर फ़ैल गया है तो यदि हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत है तो हो सकता है की हमें कुछ न हो लेकिन हम इसको दुसरो में आसानी से फैला सकते है और दूसरा तीसरे के अंदर यदि इनमे से यदि किसी का इम्यून सिस्टम कमजोर हुआ तो उसके लिए घातक हो सकता है
रोकने का तरीका -यदि जाने अनजाने में यह वायरस हमारे अंदर गया है तो हो सकता है की हमें पता भी न चले जैसा की हमें पता है की यदि हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत हुआ तो हो सकता है की इस वायरस के लक्षण भी हमारे अंदर न आये और यह वायरस अपने आप कुछ दिन मर जाये लेकिन यह हम किसी के भी ट्रांसफर कर सकते है तो इसका एक ही इलाज है जहा है वही रहे और घर से बहार न निकले, बस यह अपने आप ठीक हो जायेगा जब लक्षण दिखे दो हेल्पलाइन पर संपर्क करे
आपके हथियार – 1-घर से बहार निकलने पर अपना हाथ जब तक अपने मुँह , नाक , काम , आंख या किसी भी इंद्री पर न लगाए यदि जरूरत पड़े तो हाथ धुलकर लगाए यहाँ तक की पड़ी आपको किसी कारण से लघुशंका या दीर्घ शंका तक की भी जरूरत हो तो हाथ धोकर ही करे 2-यदि आपको किसी आवश्यक कारण से बहार जाना पड़ा है तो वापस आपकर तुरंत अपने कपडे उतार कर हाथ मुँह धोये और उन कपड़ो को धुले हो सके तो गरम पानी से 2-किसी भी घर के बाहरी व्यक्ति से न मिले यदि किसी कारण से मिलना भी पड़ रहा है तो मुँह ढके और कम से कम 1 मीटर की दूर से बात करे
3-किसी भी व्यक्त को दूर से ही नमस्ते करे 4-किसी ऐसे व्यक्ति जो आपके के साथ शुरू से अलग थलग नहीं रहा हो उसके साथ प्रेम आलिंगन या शारीरिक सम्बन्ध न बनाये 5-अफवाहों का बाजार गरम रहेगा तो उन पर ध्यान ना दे केंद्र और राज्य सरकार की सूचनाओ का पालन करे कोई भी दवा का सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श के न करे 6- कोई भी लक्षण दिखने या किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर पर तुरंत सबंधित हेल्प लाइन पर या नजदीकी स्वास्थ केंद्र पर संपर्क करे
अभी तक जितने भी केस है उसमे लगभग 80 % लोग अलग थलग होकर और सामन्य उपचार या बिना किसी दवा के ही ठीक हो गए है 10-16 % लोगो को जटिल उपचार की जरूरत पड़ी है और मात्र 2-4% लोग मरे है जिसमे अधिकतर वो लोग है जो या तो बुजुर्ग या बीमार है या जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है निष्कर्ष — यह सब देख के यह ज्यादा खतरनाक नहीं लगता है हम मनुष्य है और हम लाखो वर्षो से पृथ्वी पर है और इससे भी खारनाक वायरस से बचे है यह तो सर्दी जुकाम का वायरस है यह हमरा कुछ नहीं कर पायेगा लेकिन हमको बचना पड़ेगा डरना नहीं अलग होकर बचना होगा तो जहा है वही रहे हो सकता की आप या हम सोचते है की हम बहुत पहलवान है यह हमारा कुछ नहीं कर पायेगा आप बिलकुल ठीक है लेकिन यदि आप के अंदर हो गया तो आपका तो कुछ नहीं होगा लेकिन यह दुसरो को हो सकता है और चाइना भी यही चाहता है जो MLM चाइना ने चलाया है हमें इसका एजेंट नहीं बनना है बस दूर रहे जहा है वही ठीक है यदि हमको किसी ने बना दिया है तो हमको जाने अनजाने में किसी को नहीं बनाना है
यह वैश्विक राजनीती को बहुत गहराई तक जाकर प्रभावित करने वाला है। कोरोना जैसा वायरस अमेरिका-ब्रिटेन-फ़्रांस आदि को चीन की तुलना में कई गुना ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। क्योंकि अमेरिका-ब्रिटेन-फ़्रांस की प्रशासनिक व्यवस्था कोरोना जैसी चुनौती से निपटने में चीन के मुकाबले पिछड़ी हुयी है चीन में ये बीमारी अगले 1 महीने में पूरी खत्म हो जाएगी। चीन ने कैसे वायरस को स्टेज 3 में आने के बाद भी 2 महीनों में ही कंट्रोल कर लिया था। इसके3 कुछ बड़ी वजह ये है—
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का मानना है कि ब्रिटेन अगले 12 हफ़्तों में इसके पर फ़तह पा लेगा और देश ‘कोरोना वायरस को उखाड़ फेंकेगा.’ भले ही अगले तीन महीनों में कोरोना वायरस के मामले ज़रूर कम हो भी जाएं लेकिन फिर भी हम इसे जड़ से उखाड़ फेंकने में बहुत दूर होंगे.
चीन की सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति। जैसे ही चीन की सरकार को लगा कि इस वायरस की वजह से चीन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि खराब हो रही है। इसी वजह से चीन ने अपने सारे रिसोर्सेज इसी काम मे लगा दिए थे। और मुझे बताने की जरूरत नही है कि चीन पे पास जो टेक्नोलॉजी है वो और किसी के पास नही है। (वुहान में 10 दिनों में 1000 बेड का अस्पताल इसका एक शानदार उदाहरण है)
चीन में लोग हर वो नियम मानते है जो वहाँ की सरकार बनाती है। इसीलिए जब सरकार ने सभी को घर के अंदर रहने को बोला और मास्क पहने बिना कही जाने से मना किया तो सभी लोगो ने वो नियम माना। जब उनको लगा कि वुहान में हालात ज्यादा खराब हो रहे है तो उन्होंने पूरे शहर को बन्द कर दिया। इतने कम समय मे इतना अच्छे से ऐसा करना किसी और देश मे कितना मुश्किल हो सकता है वो भी सबको पता ही है। चीन ने पिछले कुछ सालों में अपना हेल्थकेयर सिस्टम बहुत अच्छा कर लिया है और चीन ने अपने हर छोटे बड़े हेल्थकेयर इंडस्ट्री में काम करने वालो को वायरस की रोकथाम के लिए लगा दिया था। इसी का नतीजा है कि चीन खुद को इतनी खराब हालत से बाहर ले चुका है।
आने वाले कुछ समय हम इसी तरह संयम और सावधानियां बरतते जाएंगे तो शीघ्र ही हम कोरोना पर विजय हासिल कर लेंगे और अपने लोगों को सुरक्षित बचाये रखेंगे. भारतीय जीवन शैली एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने एक आदर्श जीवन व्यवस्था के रूप में सामने आयी है – भारत का मजाक उड़ाने वाले लोगों को भारतीय लोगों ने अपनी जागरूकता से कडा तमाचा मारा है लेकिन अभी तो जंग बाकी है अतः कुछ कहना नहीं चाहिए. अल्प समय में हमने अपनी तकनीकी क्षमता के द्वारा लोगों को परेशानियों से दूर रखा है – ये एक बात का संकेत हैं की भविष्य में भारत पूरी दुनिया के लिए एक उम्मीद की किरण है – पूरी दुनिया को भारत से सीख लेनी होगी और प्राचीन भारतीय ग्रन्थो को फिर से पढ़ना पडेगा – परम्परागत ज्ञान का फिर से इस्तेमाल शुरू करना पड़ेगा – विकास के जो रस्ते पश्चिम ने चुने हैं वे विनाश के रास्ते हैं – पर्यावरण को नुक्सान पहुंचा कर और अन्य जीवों का नाश कर के आप आनंदमय जीवन नहीं जी सकते – आपको विकास का असली रास्ता खोजने के लिए फिर से भारत की पुरातन सभ्यता को खोजना पड़ेगा – जो कुछ पढ़ाई करवाई जा रही है वो बदलनी पड़ेगी – आज आप ये सीखा रहे हैं की रॉकेट किसने बनाया या कार किसने बनाई – अब ये बताइये की योग कैसे करते हैं – क्या खाना चाहिए क्या नहीं – कैसे खाना चाहिए और कैसे पानी पीना चाहिए – खुशहाली कैसे आती है – आनंद कैसे फैलता है – आपसी सौहार्द कैसे फैलता है – स्याद-वाद क्या है – अहिंसा को जीवन में कैसे अपनाएँ – स्वदेशी की भावना से देश का विकास कैसे होगा – ग्रामीण अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत हो – ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार कैसे शुरू किये जा सकते हैं – उद्यमिता और नवाचार कैसे आये – जीवन मूल्य क्या है – श्रवण कुमार और दधीचि से क्या प्रेरणा मिलती है – पारिवारिक जीवन मूल्य क्या होते हैं – आर्गेनिक कृषि और पशुपालन कैसे करें – जीवन में संयम को कैसे अपनाएँ आदि – यानी हर शिक्षण संस्थान को आगे आ कर पहल करनी पड़ेगी और पढ़ाई के विषय में काफी बदलाव करना पड़ेगा. भारत की शिक्षण संस्थाएं देर करेगी तो नुक्सान पूरी दुनिया का होगा. पश्चिम तो आज भारतीय ग्रंथों को फिर से खोजने में लग चुका है – कोरोना ने उसको ये पाठ तो पढ़ा ही दिया है की शाकाहार और अहिंसा ही असली विकसित मानवीय जीवन मूल्य हैं.
हिमालयायूके अपील करता है किअगले कुछ सप्ताह और अपना संयम बनाये रखें – भीड़ भाड़ से दूर रहें, सिर्फ नमस्ते करें, नीम्बू, नीम तुलसी अदरख और हल्दी का सेवन करें, शाकाहार और स्वच्छता अपनाएँ और गर्व से कहें की आप पूरी दुनिया की सबसे प्राचीन और शानदार सभ्यता भारतीय सभ्यता के चौकीदार हैं. मातृभाषा और अपने पुरखों के संस्कारों को अपने जीवन में अपनाएँ और बच्चों को सिखाएं और अपने बच्चों से इनको बचाने के लिए व्रत लेवें – अगर उन्होंने इनको दिल से अपना लिया तो समझो अपने अपना पितृ ऋण चुका दिया.
नासा ने ट्विटर पर एक चित्र साझा किया है जिससे ये साफ़ हो गया है अगर सबसे ज्यादा फायदा अगर किसी को हुआ है तो वो प्रकृति है। उसमे लिखा है कि Nitrogen dioxide चीन में काफी कम हो चुका है क्वॉर्टेटाइन की वजह से।
भारत सरकार भी इस वायरस से निपटने के लिए जरूरी कदम उठा रही है। सरकार ने 24 मार्च को रात 12 बजे से भारत में 21 दिनों तक lockdown घोषित किया गया है। यह भारत सरकार का एक अहम फैसला है जिसके कारण कोरोना वायरस से लड़ने के मदद मिलेंगी।
रुस क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा देश है और युरोप और एशिया दोनों ही महाद्वीपों का सबसे ज्यादा क्षेत्रफल रुस के पास ही है जैसा कि जनसंख्या नक्शे में देख सकते हैं कि रुस की 80% जनसंख्या उसके यूरोप वाले भाग में रहती है चीन लगा हुई सीमा लगभग निर्जन है और चीन सीमा से यूरोपीय भाग की दुरी 8000-10000 किलोमीटर है यानी भारत और यूरोप की दुरी का लगभग दुगना और यूरोप भारत से बहुत दूर है इसके अलावा चीन वाले रुस से लगते हुए हिस्से में भी वहां की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण जनसंख्या ना के बराबर ही है इसके अलावा दोनों देशों की सीमाएं एक दुसरे के नागरिकों के लिए हमारे बाघा बार्डर की तरह खुली हुई नहीं है चीन के नागरिक को यदि रुस जाना है तो उसे युरोप वाले हिस्से में ही जाना होगा किसी विशेष परिस्थिति को छोड़ कर। इसी कारण कोरना वाइरस का व्यापक प्रभाव रुस में नहीं देखा गया।
दिवंगत सिल्विया ब्राउन द्वारा लिखी गई एंड ऑफ डेज नामक पुस्तक के पेज के अंत की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। पुस्तक की कुछ पंक्तियों से ऐसा प्रतीत होता है कि लेखक ने यह अनुमान लगाया था कि 2020 में एक कोरोनोवायरस जैसी महामारी दुनिया पर हमला करेगी। यहाँ एक अंश है: “लगभग 2020 में एक गंभीर निमोनिया जैसी बीमारी दुनिया भर में फैलेगी, जो फेफड़ों पर हमला करेगी और ब्रोन्कियल ट्यूब और सभी ज्ञात उपचारों का विरोध करते हुए। बीमारी की तुलना में लगभग अधिक चौंकाने वाला तथ्य यह होगा कि यह अचानक से गायब हो जाएगा जैसे ही यह आया, दस साल बाद फिर से हमला, और फिर पूरी तरह से गायब हो गया।
इस कोरोनावायरस को अभी खोजा गया है, ज्यादातर लोगों के लिए लक्षण शुरुआत (ऊष्मायन अवधि के रूप में जाना जाता है) के संपर्क में आने का समय अभी तक निर्धारित नहीं किया गया है। वर्तमान जानकारी के आधार पर, लक्षण 13 दिनों के बाद तथालंबे समय तक संपर्क में रहने के तीन दिनबाद दिखाई दे सकते हैं। हाल ही में शोध में पाया गया कि औसतन, ऊष्मायन अवधि लगभग पांच दिन है।
एडिनब्रा विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग महामारी विज्ञान के प्रोफ़ेसर मार्क वूलहाउस कहते हैं, “हमारी सबसे बड़ी समस्या इससे बाहर निकलने की नीति को लेकर है कि हम इससे कैसे पार पाएंगे.” “एग्ज़िट स्ट्रेटेजी सिर्फ़ ब्रिटेन के पास ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के किसी देश के पास नहीं है.”
कोरोना वायरस इस समय की सबसे बड़ी वैज्ञानिक और सामाजिक चुनौती है.
इस संकट से निकलने के तीन ही रास्ते हैं. टीका
2. लोगों में संक्रमण से बचने के लिए प्रतिरोधक क्षमता का विकास
3. या हमारे समाज या व्यवहार को स्थाई रूप से बदलना
इनमें से हर एक रास्ता वायरस के फैलने की क्षमता को कम करेगा.
टीका आने में कितना वक़्त लगेगा?
एक टीका किसी शरीर को वो प्रतिरोधक क्षमता देता है जिसके कारण वो बीमार नहीं पड़ता है.
तक़रीबन 60 फ़ीसदी आबादी को रोग से मुक्त करने के लिए उनकी प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने को ‘हर्ड इम्युनिटी’ कहते हैं ताकि कोई वायरस महामारी न बन जाए.
इस सप्ताह अमरीका में कोरोना वायरस के एक टीके का परीक्षण एक व्यक्ति पर किया गया. इस परीक्षण में शोधकर्ताओं को छूट दी गई थी कि वो पहले जानवरों पर इसका प्रयोग करने की जगह सीधे इंसान पर करें.
कोरोना वायरस के टीके पर शोध बहुत ही अभूतवूर्व गति से हो रहा है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि यह सफल होगा या नहीं और क्या वैश्विक स्तर पर यह सभी को दिया जा सकेगा.
अगर सब सही जाता है तो ऐसा अनुमान है कि 12 से 18 महीनों में यह टीका बन सकता है. यह इंतज़ार का एक बहुत लंबा समय होगा जब दुनिया पहले ही इतनी पाबंदियों का सामना कर रही है.
प्रोफ़ेसर वूलहाउस कहते हैं कि टीके के इंतज़ार करने को रणनीति का नाम नहीं दिया जाना चाहिए और यह कोई रणनीति नहीं है.
मनुष्यों में प्राकृतिक प्रतिरक्षा पैदा हो सकती है?
ब्रिटेन की रणनीति इस समय वायरस के संक्रमण को कम से कम फैलने देने की है ताकि अस्पतालों पर अधिक बोझ न पड़े क्योंकि इस समय आईसीयू के बेड खाली नहीं हैं.
एक बार इसके मामले आने कम हुए तो कुछ प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी लेकिन यह मामले आना ऐसे ही बढ़ते रहे तो और प्रतिबंध लगाने पड़ जाएंगे.
ब्रिटेन के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वेलेंस कहते हैं कि ‘चीज़ों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना संभव नहीं है.’
कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण अनजाने में लोगों की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ सकती है लेकिन इसे होने में काफ़ी साल लग सकते हैं.
इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफ़ेसर नील फ़र्ग्युसन कहते हैं, “हम एक स्तर पर संक्रमण को दबाने की बात कर रहे हैं. आशा है कि एक छोटे स्तर पर ही लोग इससे संक्रमित हो पाएं.”
“अगर यह दो से अधिक सालों तक जारी रहता है तो हो सकता है कि देश का एक बड़ा हिस्सा संक्रमित हो गया हो जिसने अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली हो.”
लेकिन यहां सवाल यह है कि यह प्रतिरोधक क्षमता कब तक रहेगी?
क्योंकि बुख़ार के लक्षण वाले दूसरे कोरोना वायरस भी कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वाले पर हमला करते हैं और जो लोग पहले कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं, उनके नए कोरोना वायरस की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है.
क्या हैं दूसरे रास्ते?
प्रोफ़ेसर वूलहाउस कहते हैं, “तीसरा विकल्प हमारे व्यवहार में हमेशा के लिए बदलाव करना है, जिससे कि संक्रमण का स्तर कम रहे.”
इनमें वो कुछ उपाय शामिल हो सकते हैं जिन्हें लागू किया गया है. इसमें कुछ कड़े परीक्षण और मरीज़ों को पहले से अलग करने की प्रक्रिया भी शामिल की जा सकती है.
प्रोफ़ेसर वूलहाउस कहते हैं, “हमने मरीज़ों की पहले से पहचान और उनके संपर्क में आए लोगों को ढूंढने की प्रक्रिया अपनाई थी लेकिन इसने काम नहीं किया.”
अन्य रणनीतियों में Covid-19 संक्रामक बीमारी के लिए दवाई विकसित करना भी शामिल हो सकती है.