सोनिया गांधी द्वारा ‘दर्द-ए-बनारस’ अभियान लॉन्च;तबियत खराब
कांग्रेस ने लखनऊ से यूपी में चुनाव का बिगुल फूंक कर ‘दर्द-ए-बनारस’ अभियान लॉन्च कर दिया- हालांकि तबियत ज्यादा बिगडने पर उन्हें सारे कार्यक्रम छोडकर दिल्ली लौटना पडा- सोनिया गांधी की बनारस में तबियत खराब हो गई है, सूत्रो का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गॉधी अब पूर्णतया स्वस्थ नही है, डाक्टर्स उन्हें अब ज्यादातर कम लोगों से मिलने तथा दैनिक जीवनचर्या में ज्यादा आराम की सलाह दे रहे हैं- बनारस में जहां उन्होने इसको दरकिनार किया, बुखार तेज हो गया, तथा तबियत बिगड गयी, तत्काल दिल्ली जाना पडा- www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal)
कांग्रेस ने लखनऊ से यूपी में चुनाव का बिगुल फूंक दिया है।” ”सोनिया का वाराणसी में कार्यक्रम उसी की दूसरी कड़ी है।” ”उत्तर प्रदेश का हर शहर महत्व रखता है, लेकिन बनारस संस्कृति और सभ्यता का केंद्र होने के नाते यहां का विशेष महत्व है।” प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में रोडशो कर रहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अचानक तबियत खराब हो गई है। इलेक्शन कैम्पेन के लिए वाराणसी पहुंचीं सोनिया गांधी बीमार पड़ गईं। वाराणसी के लाहुरावीर चौराहे पर स्थित एक होटल में करीब डेढ़ घंटे तक आराम करने के बाद डॉक्टर की सलाह से सोनिया गांधी दिल्ली के लिए रवाना हो गईं. सोनिया गांधी न तो कमलापति त्रिपाठी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सभा को संबोधित कर पाई और न ही मंदिर जाकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन ही कर पाई. होटल से उन्होंने सीधे एयरपोर्ट का रूख किया.
2004 के बाद मंगलवार को पार्टी ने यहां सोनिया का रोड शो रखा लेकिन तेज बुखार के चलते वे इसे पूरा नहीं कर पाईं। रैली भी कैंसल करनी पड़ी। विधायक अजय राय के मुताबिक, सोनिया को हाई फीवर, डिहाइड्रेशन और लो-ब्लड प्रेशर की शिकायत है। डॉक्टर्स ने जांच के बाद तुरंत दिल्ली लौटने की सलाह दी। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक उन्हें पिछले चार दिनों से बुखार था. वह दवा खाकर रोड शो कर रही थीं, लेकिन आखिर पड़ाव के पहले भारी गर्मी और डिहाइड्रेशन से उनकी तबियत बिगड़ गई. सोनिया गांधी वाराणसी के लाहुरावीर चौराहे के होटल में करीब डेढ़ घंटे रुकी. वहां डॉक्टरों ने उनका चेक-अप किया, दवाई दी और फिर आगे का कार्यक्रम रद्द करने की सलाह दे डाली. इसके बाद वह सीधे एयरपोर्ट के लिए निकल गईं.
69 साल की सोनिया एक एसयूवी पर खड़ी होकर करीब 6 किलाेमीटर तक वाराणसी की सड़कों पर घूमी थीं। अचानक उन्हें तेज बुखार हो गया तो कांग्रेस के आला नेताओं के हाथ-पांव फूल गए।
मंगलवार को दोपहर करीब 2 बजे सर्किट हाउस से साेनिया गांधी का रोड शो शुरू हुआ। इससे पहले कांग्रेस का झंडा लहराते हजारों बाइकर्स एयरपोर्ट से ही सोनिया गांधी के काफिले के साथ चलते नजर आए। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सोनिया गांधी पहली बार बनारस आई थी। उनके साथ दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित मौजूद रहीं, शीला को कांग्रेस ने राज्य में मुख्यमंत्री पद का उम्मीवार घोषित किया है। इसके अलावा ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव गुलाम नबी आजाद, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी चीफ राज बब्बर, वरिष्ठ पार्टी नेता प्रमोद तिवारी और संजय सिंह भी सोनिया के साथ मौजूद रहे। उनका वाराणसी को चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत के लिए चुनना इस लिहाज से भी अहम है कि कांग्रेस मोदी को उनके गढ़ में चुनौती दे रही है। कांग्रेस ने मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विकास की कमी को दिखाने के लिए ‘दर्द-ए-बनारस’ अभियान लॉन्च किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को तेज बुखार हो जाने के कारण वाराणसी में उनके रोड शो को रोक दिया गया. सोनिया वाराणसी से तत्काल दिल्ली रवाना हो गईं.पार्टी पिछले 27 सालों से राज्य की सत्ता से बाहर है। कांग्रेस अपने अभियान ’27 साल यूपी बेहाल’ के जरिए यह बताने की कोशिश कर रही है कि पिछले 27 सालों में राज्य की हालत बद से बदतर हो गई है।
सोनिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में रोड शो के जरिये शक्ति प्रदर्शन करके कांग्रेस के चुनाव अभियान का आगाज किया. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में अगले वर्ष चुनाव होने हैं. इस दौरान सोनिया ने SUV पर खड़े होकर हजारों लोगों का अभिवादन स्वीकार किया. करीब 10 हजार बाइक सवार कांग्रेस कार्यकर्ता कांग्रेस अध्यक्ष के कारों के काफिले की अगुवाई कर रहे थे.
इस रोड शो के जरिये यह संकेत दिया गया कि पार्टी यूपी को कितनी अहमियत देती है. मंगलवार सुबह सोनिया गांधी का इंतजार करते हुए राज्य के कांग्रेस प्रमुख राज बब्बर ने साफगोई से स्वीकार किया ‘हमें यूपी में चमत्कार की जरूरत है.’ हालांकि उन्होंने जोड़ा, ‘ऐसा पूर्व में भी हो चुका है. यहां तक कि 2014 हमारे विपक्षियों के लिए चमत्कार की तरह था. हम इस बार अपने लिए चमत्कार की उम्मीद लगाए हैं. कांग्रेस पार्टी इस बार यूपी के चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद लगाए है. इस बार चुनाव के लिए अपनी टीम को सिरे से कसते हुए वह राज बब्बर को राज्य के पार्टी प्रमुख के रूप में लाई है और शीला दीक्षित को अपना सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया है. चुनाव प्रचार अभियान को धार देने के लिए उसने रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मदद ली है. कांग्रेस का आरोप है कि वीआईपी संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद वाराणसी विकास के मामले में उपेक्षित है.इस बीच, कांग्रेस के रोड शो को लेकर यूपी के बीजेपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘यूपी पहले से ही कांग्रेस मुक्त है और कोई रोड शो उनकी मदद नहीं करने वाला.’
यूपी के करीब 21 फीसदी वोटर दलित हैं. बीजेपी शासित राज्य गुजरात में इस समुदाय के उमड़े गुस्से के बाद कांग्रेस इस वर्ग के समर्थन की उम्मीद लगा रही है. देश की सियासत के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण यूपी चुनाव में बीजेपी को अपने परंपरागत वोट बैंक, ब्राह्मण और उच्च वर्ग के समर्थन को बरकरार रखने के साथ पिछड़ी जातियों और दलितों के समर्थन को भी अपने पक्ष में करने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है. पीएम मोदी और उनकी सरकार ने दलितों के मसीहा बीआर आंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर बड़ा कार्यक्रम करते हुए इस वर्ग के हितैषी के रूप में खुद को पेश किया था. इस वर्ष की शुरुआत में यूपी में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए पीएम ने दलित वर्ग तक पहुंच बढ़ाने पर खास ध्यान रखा था. (www.himalayauk.org) Leading Digital Newsportal