मोदी सरकार द्वारा विज्ञापनों पर 35.58 करोड़ रुपए खर्च- छोटे अखबारों को ठेंगा
डीएवीपी ने मोदी सरकार के दो साल पूरा होने पर विज्ञापनों पर 35.58 करोड़ रुपए खर्च किये- जबकि छोटे अखबारों को ठेंगा-, गौरतलब है कि डीएवीपी की नई विज्ञापन नीति 2016 देश लघु व मध्यम समाचार पत्रों के खिलाफ लागु कर दी गयी है, जिससे देशभर के लघु व मध्यम समाचार पत्र सम्पाक/प्रकाशक आंदोलनरत है- तथा कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा सरकार के खिलाफ आम जन को जागरूक किया जा रहा है- वही
साल 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार ने साल 2016 में दो साल पूरे होने पर विज्ञापनों पर 35.58 करोड़ रुपए खर्च किए. इस बात का खुलासा आरटीआई की तरफ से हुआ है. इस साल 26 मई को मोदी सरकार को सत्ता में आए दो साल पूरे हो गए हैं. इस मौके पर बीजेपी ने सरकार की उपलब्धियों के प्रचार के लिए प्रिंट मीडिया विज्ञापनों पर इतने रुपए खर्च किए हैं.
दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने देश भर के अखबारों में विज्ञापनों के प्रकाशन पर केंद्र की तरफ से किए गए खर्च की सूचना मांगी थी. विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) की लोक सूचना अधिकारी रूपा वेदी ने 11,236 अखबारों में दिए गए विज्ञापनों के ब्यौरे मुहैया कराए हैं. इनमें क्षेत्रीय भाषा के अखबार भी शामिल हैं.
डीएवीपी ने जो सूचना मुहैया कराई उसके अनुसार धनराशि ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया, विकास की रफ्तार, बढ़ता कारोबार, जन जन का उद्धार और राजग सरकार टू इयर्स से संबंधित विज्ञापनों पर खर्च की गई.
एक अन्य आरटीआई आवेदन में गलगली ने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे वषर्गांठ पर किए गए विज्ञापन खर्च के ब्यौरे मांगे. जिसपर डीएवीपी का कहना था, ‘कोई खर्च नहीं हुआ.’ उसने जवाब में कहा, ‘मनमोहन सरकार के दो साल पूरे करने पर डीएवीपी ने कोई विज्ञापन अभियान नहीं चलाया था.’
याचिकाकर्ता अनिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि उनके विदेशी दौरों पर हुए खर्च की तर्ज पर विज्ञापनों पर किए गए खर्च की जानकारी भी पीएमओ की वेबसाइट पर सार्वजनिक की जाए.