देदून का यह अलौकिक स्‍थान; योग साधना -हेतु आकर्षित करता है; कौलाचार्य गदगद हो उठे,स्‍थान को देखकर

हिमालय की गोद में बसे उत्तरकाशी में योग साधना के लिए आदर्श स्थितियां हैं। यहां स्वच्छ आबोहवा, कलकल बहती गंगा का उद्गम, हिमाच्छादित चोटियां और आध्यात्मिक शांति सदियों से लोगों को साधना के लिए आकर्षित करती रही हैं।

देहरादून में पहाडो के बीच एक ऐसा स्‍थान है जहां जाकर आपको लगेगा कि आप मसूरी या किसी हिल स्‍टेशन में आ गये हैं, इस स्‍थान को मि0 प्रवीन जोशी ने योग साधना के लिए विकसित किया है, यानि, देहरादून के पास होकर भी पहाडो के बीच की आबोहवा, मि0 प्रवीण जोशी ने हिमालयायूके को बताया कि बरसात आदि में किसी भी हिल स्‍टेशन में जाने में पर्यटक को अनेक परेशानियो का सामना करना पडता है, इसलिए उनकी कई सालो की खोज ने देहरादून के करीब के स्‍थान में ही पहाडो के बीच एक ऐसे स्‍थान को विकसित किया जहां आकर हिमालय की गोद में बसे उत्तरकाशी का सा आभास होता है, स्वच्छ आबोहवा, कलकल बहती नदी का पानी, पेडो से ढकी चोटियां और आध्यात्मिक शांति सेे यह स्‍थान बरबस ही योग साधना के लिए आकर्षित कर रहा हैं, श्री जोशी कहते है कि योग भी एक प्राकृतिक पद्धति है जो हमें कई बीमारियों से निजात दिलाने में मदद करती है| CONT FOR MR PRAVEEN JOSHI- 9719833000

स्वामी शिवानंद एवं स्वामी विष्णुदेवानंद के अलावा हिमालयन इंस्टीट्यूट के संस्थापक स्वामी राम, योग गुरु बाबा रामदेव, महर्षि महेश योगी आदि कई ख्यातिप्राप्त संतों ने गंगोत्री उत्तरकाशी क्षेत्र में साधना की है। अब भी हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी साधक यहां योग साधना के लिए आते हैं।गगन चूमते हिमशिखरों के बीच बसे उत्तरकाशी की पहचान हिमालय योग नगरी के रूप में भी है। यहां जिला मुख्यालय से आठ किमी की दूरी पर स्थित नेताला में शिवानंद कुटीर (शिवानंदा योगा वेदांता सेंटर) योग को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के साथ ही योग शिक्षक तैयार करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। योगा टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत शिवानंद कुटीर से अब तक 2500 देशी-विदेशी योग साधक प्रशिक्षण प्राप्त कर देश-दुनिया में योग की अलख जगा रहे हैं। वर्ष 1957 में स्थापित इस आश्रम में वर्ष 2002 से योगा टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत हजारों योग प्रशिक्षक तैयार किए जा चुके हैं। यहां प्रशिक्षण पाए कई स्थानीय युवा भी विदेशों में जाकर लोगों को योग के गुर सिखा रहे हैं।

देहरादून के निकटवर्ती क्षेत्र जो पहाडो केे बीच में है, इस क्षेत्र में योगसाधना केन्‍द्र के रूप में क्षेत्र को विकसित करने वाले मि0 प्रवीन जोशी ने हिमालयायूके लीडिंग सोशल मीडिया को बताया कि आज के समय में औद्योगीकरण का विकास और टेक्नोलॉजी ने मानव जीवन के सामने ऐसी स्थितिया पैदा करदी है जिसके चलते लोगो ने अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना बिलकुल छोड़ दिया है| यदि हम स्वास्थ्य की बात करे तो अच्छा स्वास्थ्य पाना कोई एक दिन का खेल नही है, इसके लिए आपका सालो का प्रयास, आत्म नियंत्रण और इच्छा शक्ति चाहिए होती है| CONT FOR MR PRAVEEN JOSHI- 9719833000

स्वस्थ शरीर का बहुत अधिक महत्व है| यह खुशी का एक स्त्रोत है जो हमें अपने प्रियजनों के साथ मिलनसार बातचीत का माहौल बनाने में मदद करता है। एक अच्छा स्वास्थ्य मनुष्य को प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे अच्छा उपहार है| लेकिन आज के वक्त में व्यक्ति अपनी यांत्रिक जीवन शैली में इतना अधिक व्यस्त होता जा रहा है की उसने खुद को प्रकृति से बिलकुल विमुख कर दिया है| एक अच्छे स्वास्थ्य से धनि होने के लिए व्यक्ति प्रकृति द्वारा दिए गए रिसोर्सेज को इस्तेमाल करने के बजाय उल्टा उससे दूर जा रहा है| अच्छे स्वास्थ्य से उन्मुख होने के कारण आज कम उम्र के लोगो में ही मोटापा व अन्य बीमारिया देखने को मिल रही है| इस निराशाजनक स्थिति में यदि फिर भी कोई उम्मीद की किरण है तो वो है प्राकृतिक चिकित्सा और योग

मि0 प्रवीण जोशी ने हिमालयायूके लीडिंग सोशल मीडिया को बताया कि मानव शरीर खुद रोगों से लडऩे में सक्षम होता है बस विधि का ज्ञान होना चाहिए। संसाधनों से समृद्ध प्रकृति से निकटता के जरिए आप सेहतमंद बने रह सकते हैं। तनाव होने पर डॉक्टर भी प्राकृतिक स्थल पर घूमने या बागवानी की सलाह देते हैं। आयुष मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से इस बार 18 नवंबर को प्रथम प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाने की घोषणा की गई है जो पिछले 15 वर्षों से अब तक दो अक्टूबर को मनाया जाता रहा है।  नेचुरोपैथी कई बीमारियों को दूर करने और रोगों से राहत दिलाने में मदद करती है| जो भी व्यक्ति रिलैक्स होना चाहते है वो इसका इस्तेमाल कर सकते है| इस बात में कोई संदेह नहीं है की यह अपने आप में चिकित्सीय पद्धति है| CONT FOR MR PRAVEEN JOSHI- 9719833000

योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले स्वामी शिवानंद एवं उनके शिष्य स्वामी विष्णुदेवानंद का उत्तरकाशी से गहरा नाता रहा है। उन्होंने यहां आकर योग साधना की थी और वर्ष 1957 में यहां गंगोत्री हाईवे के निकट नेताला में शिवानंद कुटीर की स्थापना की। देश आजाद होने से पहले मलेशिया में डॉक्टर की नौकरी छोड़कर ऋषिकेश आए स्वामी शिवानंद ने यहां दिव्य जीवन संघ के माध्यम से लोगों की सेवा शुरू की। यहां उन्होंने योग, ध्यान एवं साधना का प्रसार शुरू किया। वर्ष 1957 में उन्होंने अपने शिष्य स्वामी विष्णुदेवानंद को योग के प्रसार के लिए विदेश भेजा।

वर्ष 1963 में स्वामी शिवानंद के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके शिष्य ने विभिन्न देशों में शिवानंद योग वेदांत केंद्रों की स्थापना कर योग को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। वर्तमान में भारत के साथ ही विभिन्न देशों में 41 शिवानंद योग वेदांत केंद्र चल रहे हैं। इन दोनों ने उत्तरकाशी में भी योग साधना की।

इसी क्रम में वर्ष 1957 में गंगोत्री हाईवे के निकट नेताला में शिवानंद कुटीर की स्थापना हुई थी। वर्ष 1993 में ब्रह्मलीन होने पर स्वामी विष्णुदेवानंद को नेताला में ही समाधि दी गई।

वर्ष 1957 में स्थापित इस आश्रम में वर्ष 2000 से योगा टीचर्स ट्रेङ्क्षनग प्रोग्राम और योग साधना इंटेन्सिव का कोर्स कराया जा रहा है। योगा टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम का कोर्स एक माह का होता है, जबकि साधना इंटेन्सिव 14 दिन का कोर्स है। जिसमें वर्ष 2019 के लिए पंजीकरण हो चुके हैं। 

गंगा का उद्गम उत्तरकाशी योगियों और तपस्वियों के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहां कई प्रख्यात संतों ने योग साधना की और आज देश-दुनियां में लोगों को योग से निरोग होने के गुर सिखा रहे हैं। शिवानंद योग वेदांत केंद्र नेताला में साधकों को योग के गुर सिखाने वाले स्वामी हरिओमानंद बताते हैं कि प्राचीन काल में भगवान परशुराम, जमदग्नि ऋषि, चौरंगी नाथ, मार्कण्डेय, पाराशर ऋषि, उदालक, नचिकेता आदि कई ऋषि मुनियों ने उत्तरकाशी में गंगा के उद्गम तक पहुंचकर तपस्या की है। उजेली उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री तपोवन क्षेत्र में स्वामी रामानंद अवधूत, तपोवन स्वामी, चिन्मयानंद स्वामी, हिमालय ट्रस्ट के स्वामी राम, महर्षि आश्रम के संस्थापक महेश योगी, स्वामी विष्णुदेवानंद, योग गुरु स्वामी रामदेव आदि प्रख्यात संतों ने साधना की और यहां से निकलकर जनकल्याण के कार्य किए। काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत योग शिरोमणि अजय पुरी का कहना है कि जनपद के युवा बीते एक दशक से योग प्रशिक्षण प्राप्त कर अब देश-दुनिया में योग के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं। स्वामी विष्णुदेवानंद ने विदेशों तक पहुंचाया योगभारत से बाहर विदेशों में योग की अलख जगाने वाले स्वामी विष्णुदेवानंद ने वर्ष 1940 के दशक में तेखला उत्तरकाशी में योग साधना की थी। फिर अपने गुरु स्वामी शिवानंद के निर्देश पर उन्होंने विदेशों में जाकर योग का प्रचार-प्रसार किया। वर्ष 1950 में उन्होंने कनाडा में अंतरराष्ट्रीय शिवानंद योग वेदांत केंद्र की स्थापना की। वर्तमान में केंद्र का विस्तार भारत के विभिन्न राज्यों के साथ ही दुनिया के तीन दर्जन से ज्यादा देशों में हो चुका है। उन्होंने अपनी तपस्थली उत्तरकाशी में भी वर्ष 1991 में शिवानंद कुटीर नेताला की स्थापना की। जहां से हर साल बड़ी संख्या में योग प्रशिक्षक तैयार हो रहे हैं।योग को बढ़ावा देने में जुटे कृष्णानंदबौंगा निवासी पेशे से शिक्षक कृष्णानंद बिजल्वाण ने वर्ष 2004 में अंतरराष्ट्रीय शिवानंद योग वेदांत केंद्र नेताला से योग शिरोमणि का कोर्स किया। इसके बाद से वे देश-दुनिया में योग को बढ़ावा देने में जुटे हैं। उन्होंने स्विट्जरलैंड, फ्रांस, हॉलेंड, जर्मनी, चैक रिपब्लिक, इजराइल, बेल्जियम आदि देशों तक पहुंचकर योग का प्रचार-प्रसार किया। वर्ष 2015 में बिजल्वाण ने योग आचार्य का प्रशिक्षण किया और अब योग के महत्व को देखते हुए अपनी बेटी अमृता को भी योग शिरोमणि का कोर्स करा रहे हैं।देशी-विदेशी साधकों को योग के गुर सिखा रहे पीयूषकोटबंगला निवासी पीयूष बनूनी ने वर्ष 2011 में त्रिवेंद्रम स्थित केंद्र से योग शिरोमणि एवं योग आचार्य का कोर्स किया। इसके बाद से वे निरंतर योग के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं। पीयूष बताते हैं कि भागदौड़ भरी तनावपूर्ण जिंदगी में योग प्रत्येक व्यक्ति के लिए जरूरी है। देश-विदेश में योग सिखाने के साथ ही पीयूष ने कोटबंगला स्थित अपने पारंपरिक घर को भी योग केंद्र में परिवर्तित कर दिया है। हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी साधक यहां पहुंचकर योग के गुर सीखते हैं।योग के क्षेत्र में अच्छा रोजगार पा रहे हैं युवागांव के पास शिवानंद कुटीर योग प्रशिक्षण केंद्र होने का लाभ लेकर नेताला के नवीन राणा व सिरोर के विजय महर एवं यशपाल रावत भी योग को बढ़ावा देने में जुटे हैं। नवीन इस समय नेताला में ही योग प्रशिक्षण केंद्र चला रहे हैं, जबकि विजय शिवानंद आश्रम के दिल्ली स्थित केंद्र के निदेशक हैं और यशपाल भी त्रिवेंद्रम केंद्र में योग प्रशिक्षक के तौर पर कार्य कर रहे हैं। इनके अलावा अभिषेक भट्ट, शेखर नैथानी आदि दर्जनों युवा भी योग गुरु बनकर योग के प्रचार-प्रसार में जुटे हैं।

योग प्रशिक्षण देने वाले स्वामी जनार्दनानंद बताते हैं कि योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले स्वामी शिवानंद एवं उनके शिष्य स्वामी विष्णुदेवानंद का उत्तरकाशी से गहरा नाता रहा है। वर्ष 1990 में स्वामी विष्णुदेवानंद ने यहां गंगोत्री हाईवे के निकट नेताला में शिवानंद कुटीर की स्थापना की। यहां वर्ष 2000 से योगा टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स और योग साधना इंटेन्सिव कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। 

योग प्रशिक्षक स्वामी हरिओमानंद बताते हैं कि इस केंद्र में वर्षभर में पांच कोर्स चलते हैं। एक कोर्स में केवल 25 से 30 योग साधकों को दाखिला दिया जाता है। अब तक इस केंद्र से 2500 से अधिक योग प्रशिक्षक तैयार हो चुके हैं। इनमें अधिकांश विदेशी हैं। 

शिवानंद कुटीर नेताला की निदेशक माता परमेश्वरी आनंद बताती हैं कि योग कक्षाओं में सुबह-शाम दो-दो घंटे का योगाभ्यास कराया जाता है। दोनों वक्त एक-एक घंटे का ध्यान होता है, जबकि दोपहर के वक्त योग शास्त्र के बारे में पढ़ाया जाता है। इन दिनों 24 युवक व युवतियां योग शिक्षक का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें 12 भारतीय और 12 विदेशी साधक शामिल हैं। 

शिवानंदा योगा वेदांता सेंटर नेताला से योग शिरोमणि की उपाधि हासिल कर चुके कोटबंगला के पीयूष बनूनी अभी जर्मनी में योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इससे पहले पीयूष रूस, चीन, बहमास सहित कई देशों में योग का प्रशिक्षण दे चुके हैं। 

बौंगा गांव के कृष्णानंद बिजल्वाण भी विश्व के कई देशों के साथ भारत में भी कई स्थानों पर योग का प्रशिक्षण दे चुके हैं। बीते वर्ष योग दिवस पर कृष्णानंद बिजल्वाण ने उत्तरकाशी में योग का प्रशिक्षण दिया था। सिरोर गांव के विजय मेहरा शिवानंदा योगा वेदांता के दिल्ली सेंटर के शाखा निदेशक हैं और वहां लोगों को योग प्रशिक्षण दे रहे हैं। 

इसी तरह नेताला गांव के यशपाल केरल स्थित शिवानंदा योगा वेदांता शाखा के निदेशक हैं और वहां योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसके अलावा नेताला के नवीन राणा व मीरा, धनारी के हरीश नौटियाल आदि युवा भी स्वदेश के साथ विदेशों में जाकर लोगों को योग के गुर सिखा रहे हैं। 

मलेशिया से आकर ऋषिकेश बनाया केंद्र

आजादी से पूर्व मलेशिया में चिकित्सक की नौकरी छोड़कर ऋषिकेश आए स्वामी शिवानंद ने यहां दिव्य जीवन संघ के माध्यम से लोगों की सेवा शुरू की। यहां से उन्होंने योग, ध्यान एवं साधना का प्रसार किया। 

वर्ष 1957 में उन्होंने अपने शिष्य स्वामी विष्णुदेवानंद को योग के प्रसार के लिए विदेश भेजा। वर्ष 1963 में स्वामी शिवानंद के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके शिष्य ने विभिन्न देशों में शिवानंद योग वेदांत केंद्रों की स्थापना कर योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। 

वर्तमान में देश के साथ ही विभिन्न मुल्कों में 40 शिवानंदा योगा वेदांता सेंटर और आठ आश्रम चल रहे हैं। वर्ष 1993 में ब्रह्मलीन होने पर स्वामी विष्णुदेवानंद को नेताला में ही समाधि दी गई। 

यहां बनाया विश्व रिकार्ड 

भारतीय सेना की नौ महिला अधिकारियों ने इसी माह प्रथम सप्ताह में गंगोत्री हिमालय की 19022 फीट ऊंची भागीरथी चोटी पर योग का प्रदर्शन किया। इससे पूर्व सियाचिन क्षेत्र में सेना ने 18800 फीट की ऊंचाई पर योग अभ्यास किया था।

मि0 प्रवीण जोशी ने हिमालयायूके को विस्‍तार से बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा, यह एक ऐसी अनूठी प्रणाली है जिसमें जीवन के शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक तलों के रचनात्मक सिद्धांतों के साथ व्यक्ति के सद्भाव का निर्माण होता है। इसमें स्वास्थ्य के प्रोत्साहन, रोग निवारक और उपचारात्मक के साथ-साथ फिर से मज़बूती प्रदान करने की भी अपार संभावनाएं हैं। प्राकृतिक चिकित्सा उपचार की एक ऐसी प्रणाली है जो शरीर के भीतर महत्वपूर्ण उपचारात्मक शक्ति के अस्तित्व को मान्यता देती है। अतः यह मानव प्रणाली से रोगों के कारण दूर करने के लिए अर्थात रोग ठीक करने के लिए मानव शरीर से अवांछित और अप्रयुक्त मामलों को बाहर निकालकर विषाक्त पदार्थों को निकालकर मानव प्रणाली की सहायता की वकालत करती है। मानव शरीर खुद रोगों से लडऩे में सक्षम होता है बस विधि का ज्ञान होना चाहिए। संसाधनों से समृद्ध प्रकृति से निकटता के जरिए आप सेहतमंद बने रह सकते हैं। तनाव होने पर डॉक्टर भी प्राकृतिक स्थल पर घूमने या बागवानी की सलाह देते हैं। आयुष मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से इस बार 18 नवंबर को प्रथम प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाने की घोषणा की गई है जो पिछले 15 वर्षों से अब तक दो अक्टूबर को मनाया जाता रहा है।  नेचुरोपैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा उपचार के लिए पंच तत्वों आकाश, जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी को आधार मानकर चिकित्सा सम्पन्न की जाती है।  CONT FOR MR PRAVEEN JOSHI- 9719833000

प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पंच महाभूतत्वों (मिट्टी, पानी, धूप, हवा व आकाश) पर आधारित है। डॉक्टर से सलाह लेकर घर पर ही इलाज संभव है। इसके अंतर्गत जोड़ों का दर्द, ऑर्थराइटिस, स्पॉन्डलाइटिस, सियाटिका, पाइल्स, कब्ज, गैस, एसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, फैटी लीवर, कोलाइटिस, माइग्रेन, मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, श्वांस रोग, दमा, ब्रॉनकाइटिस, सीओपीडी (क्रॉनिक, ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) व त्वचा संबंधी रोगों का सफलतम उपचार होता है।

कई रोगों की प्राकृतिक चिकित्सा

योग और नेचुरोपैथी एक अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद करते है साथ ही जीवन की गुणवत्ता भी बढाते है| कई सारी बीमारिया जो की आधुनिक युग ने दी है जैसे की स्ट्रोक, कैंसर, मधुमेह, गठिया आदि नियंत्रित होती है और अन्य रोंग भी नहीं होते है|

नेचुरोपैथी एक प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली है जिसमे दवाओ का उपयोग किये बिना रोगों को ठीक किया जाता है| यह एक प्राचीन और पारंपरिक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं को एकीकृत करता है। नेचुरोपैथी में कई रोगों को रोकने की क्षमता है और जो रोंग हो चुके है उसका इलाज आप कर सकते है|

Naturopathy Treatment का मुख्य उद्देश्य लोगो को अपनी दिनचर्या बदलकर स्वस्थ रहने की कला सिखाना है| इससे ना केवल आपके रोंग ठीक होते है बल्कि आपका शरीर भी मजबूत बनता है और आपके चेहरे पर चमक आती है|

नेचुरोपैथी में क्या तकनीक शामिल होती है?

इसका चार भागो में वर्गीकरण किया गया है:-

भोजन मिट्टी पानी और मालिश थेरेपी

खाद्य थेरेपी: खाद्य थेरेपी की बात की जाये तो हम इसमें कोशिश करते है की जितना संभव हो किसी भी आहार को उसके प्राकृतिक रूप में ही खाया जाये| प्राकृतिक रूप में सेवन करने पर कई खाद्य पदार्थ अपने आप में एक दवा है| आपको इसमें मुख्य रूप से लेना है ताजे फल, ताजा हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित अनाज|

आहार को लेना ही काफी नहीं है आपको इस बात पर गौर करना होगा की किस चीज़ को कितने अनुपात में लेना है| साथ ही आपको अपने पेट का कुछ हिस्सा खाली भी छोड़ना जरुरी है|

मिट्टी थेरेपी: शरीर से मादक द्रव्यों निकालने के लिए, मिट्टी का स्नान और मिट्टी का लैप दोनों का इस्तेमाल किया जाता है| यह विशेष रूप से उच्च रक्तचाप, तनाव, सिर दर्द, चिंता, कब्ज, गैस्ट्रिक और त्वचा विकार आदि बीमारियों के लिए किया जाता है| Mud Therapy in Naturopathy बहुत ही प्रभावी है|

जल चिकित्सा: नेचुरोपैथी में जल चिकित्सा भी अपनाई जाती है जिसमे स्वच्छ, ताजे और ठंडे पानी का उपयोग किया जाता है| इस उपचार के बाद, शरीर ताजा और सक्रिय महसूस करता है। इस चिकित्सा के अलग अलग बीमारियों के लिए अलग अलग परिणाम है| हिप बाथ आपके जिगर, बड़ी आंत, पेट, और गुर्दे की दक्षता में सुधार करता है|

फुल स्टीम बाथ आपकी त्वचा के पोर्स को खोलता है और मादक द्रव्यों को बाहर निकालता है|

एक हॉट फूट बाथ आपको अस्थमा, घुटने के दर्द, सिर दर्द, अनिद्रा, और मासिक धर्म जैसी अनियमितताओं के साथ मदद करता है| इसके अलावा पुरे शरीर की पानी से मालिश की जाती है जिससे विषाक्त पदार्थो को शरीर से दूर किया जाता है| नेचुरोपैथी कई बीमारियों को दूर करने और रोगों से राहत दिलाने में मदद करती है| जो भी व्यक्ति रिलैक्स होना चाहते है वो इसका इस्तेमाल कर सकते है| इस बात में कोई संदेह नहीं है की यह अपने आप में चिकित्सीय पद्धति है| मड बाथ, मिट्टी की पट्टी, वेट शीट पैक (गीली चादर लपेट), हॉट आर्म एंड फुट बाथ (गर्म पाद स्नान), सन बाथ (सूर्य स्नान), कटि स्नान, स्टीम बाथ, एनीमा, स्पाइन स्प्रे बाथ, मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग के अलावा उपवास, दूध कल्प, फलाहार, रसाहार, जलाहार द्वारा भी इलाज किया जाता है।

YR. CONTRIBUTION HERE; NAME: HIMALAYA GAURAV UTTARAKHAND IFSC CODE: SBIN0003137 IFSC ACCOUNT NUMBER: 30023706551 IFSC ACCOUNT Mob. 9412932030

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