दिल्ली के नतीजों का असर दूसरे राज्यों पर भी पड़ेगा ?
High Light #TIME 2:30 PM IST | 11 FEB 2020# ताजा रूझानों के मुताबिक, आम आदमी पार्टी 61 सीटों और बीजेपी 9 सीटों पर आगे चल रही है. कांग्रेस अभी भी 0 पर है. यानी बीजेपी की सीटें अब कम होती जा रही हैं. इससे पहले बीजेपी 13 सीटों पर आगे थी. # दिल्ली नतीजों से बीजेपी को अपनी रणनीति बदलने का अल्टीमेटम # बिहार विधानसभा के लिए इस साल के नवंबर में चुनाव # विकास की राजनीति के लिए जगह # लोगों ने विकास की राजनीति को ही माना #21 साल बाद गद्दी पाने के BJP के सपने पर फिर गई ‘झाड़ू’ # BJP ने दो साल में गंवाए सात सूबे# # दिल्ली विधानसभा नतीजों पर कांग्रेस नहीं कर पाई एक भी सीट पर जीत हासिल # अभी तक के रुझान में आम आदमी पार्टी बीजेपी से काफी आगे # पटपड़गंज विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया अब बीजेपी उम्मीदवार से 779 वोटों से आगे हो गए हैं. इससे पहले वह करीब 556 वोटों से पीछे चल रहे थे. अभी नौ राउंड की काउंटिंग खत्म हो गई है और 6 राउंड की काउंटिंग बाकी है. # दिल्ली में कांग्रेस का अब तक सबसे खराब प्रदर्शन, 60 से ज्यादा उम्मीदवारों की जमानत बचना मुश्किल#
रुझानों में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ तस्वीर सामने आई है.
www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper) Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Bureau Report By Vinay Kumar Mob. 09811092717
आम आदमी पार्टी लगातार 61सीटों पर बढ़त बनाई हुई है. चुनाव रिजल्ट का विश्लेषण करते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने एक चीज बहुत अच्छे से सीखा कि पीएम नरेंद्र मोदी पर डायरेक्ट हमले से नुकसान होता है तो उन्होंने इस चीज पर कंट्रोल किया और इसका नतीजा है कि आज आम आदमी पार्टी 70 में से 57 सीटों पर आगे चल रही है. बीजेपी की बात करें तो वह 13 सीटों पर आगे है.
दिल्ली नतीजों से बीजेपी को अपनी रणनीति बदलने का अल्टीमेटम मिलता है तो विपक्ष को एकजुट होने की सलाह भी। दिल्ली के नतीजों का असर दूसरे राज्यों पर भी पड़ेगा। उसके सहयोगी दल उसे आँखें तरेरेंगे और सीटों के मोल-तोल में उस पर दबाव बनाएंगे। यह जल्द ही बिहार में देखने को मिलेगा। सवाल तो बना हुआ है कि क्या वाकई बीजेपी इन नतीजों से कुछ सीख लेकर अपनी रणनीति में तात्कालिक ही सही, कोई बदलाव करेगी, या वह अपनी ध्रुवीकरण की नीति पर और धार चढ़ाएगी। बिहार विधानसभा के लिए इस साल के नवंबर में चुनाव होंगे। जनता दल यूनाइटेड और उसके नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य बीजेपी पर दबाव डालेंगे और उसे कम सीटों पर समझौता करने पर मजबूर करेंगे। इससे गिरिराज सिंह जैसे स्थानीय बीजेपी क्षत्रप भी कमज़ोर होंगे।
दिल्ली के चुनाव नतीजों से यह भी साफ होता है कि विकास की राजनीति के लिए जगह बची हुई है। इसे इससे समझा जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल ने बहुत ही ज़ोर देकर कहा था कि ‘यदि आपको लगे कि हमने काम किया है, तो वोट देना, वर्ना मत देना।’
आम आदमी पार्टी ने बेहद आक्रामक ढंग से मुफ़्त पानी, मुफ़्त बिजली, मुहल्ला क्लिनिक, शिक्षा व्यवस्था में बदलाव और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने के मुद्दे को उछाला। पहले बीजेपी ने इसकी हवा निकालने की कोशिश की, पर बाद में वह भी विकास की राजनीति में कूद पड़ी। दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी की वापसी इसका पुख़्ता सबूत है कि लोगों ने विकास की राजनीति को ही माना है और ध्रुवीकरण को खारिज कर दिया है।
भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पिछले दो साल में सात राज्यों में सत्ता गंवा चुका है. पिछली बार दिल्ली में महज 3 सीटें जीतने वाली भाजपा को इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी. दिल्ली के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ने 48 सीटों पर जीत के अनुमान के साथ सत्ता में आने की उम्मीद अंतिम क्षणों तक लगाए हुए थे, लेकिन भाजपा की दिल्ली की सत्ता में आने की उम्मीद टूट गई. भाजपा के लिए देश का सियासी नक्शा नहीं बदला है. दिल्ली समेत 12 राज्यों में अभी भी भाजपा विरोधी दलों की सरकारें हैं. राजग की 16 राज्यों में ही सरकार है. इन राज्यों में 42 फीसदी आबादी रहती है.
कांग्रेस खुद के बूते या गठबंधन के जरिए महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, पुडुचेरी में सत्ता में है. दिसंबर में हुए चुनाव में झारखंड में सरकार बनने के बाद कांग्रेस की 7 राज्यों में सरकार है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी बार जीती है. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, केरल में माकपा के नेतृत्व वाला गठबंधन, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस, ओडिशा में बीजद और तेलंगाना में टीआरएस सत्ता में है.
एक और राज्य तमिलनाडु है, जहां भाजपा ने अन्नाद्रमुक के साथ लोकसभा चुनाव तो लड़ा था, लेकिन राज्य में उसका एक भी विधायक नहीं है. इसलिए वह सत्ता में भागीदार नहीं है. दिसंबर, 2017 में राजग बेहतर स्थिति में था. भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास 19 राज्य थे. एक साल बाद भाजपा ने तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी. यहां अब कांग्रेस की सरकारें हैं. चौथा राज्य आंध्र प्रदेश है, जहां भाजपा-तेदेपा गठबंधन की सरकार थी. मार्च 2018 में तेदेपा ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया. साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार बनाई. पांचवां राज्य महाराष्ट्र है, जहां चुनाव के बाद शिवसेना ने राजग का साथ छोड़ा और हाल ही में कांग्रेस-राकांपा के साथ सरकार बना ली. अब दिल्ली ने एक बार फिर भाजपा को निराश किया है.
रुझानों में सबसे बड़ा झटका कांग्रेस पार्टी को लगा
रुझानों में सबसे बड़ा झटका कांग्रेस पार्टी को लगा है क्योंकि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी पार्टी का दिल्ली में खाता नहीं खुलने जा रहा है. इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी 2020 के चुनाव में 6 फीसदी वोट भी हासिल करती हुई भी नहीं दिख रही है. दोपहर एक बजे तक सामने आए रुझानों में कांग्रेस को सिर्फ 4.5 फीसदी वोट ही मिला है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दिल्ली में 22 फीसदी वोट मिले थे और वह बीजेपी के बाद राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई थी. लेकिन 15 साल तक दिल्ली की सत्ता में राज करने वाली पार्टी 2015 की तुलना में 5 फीसदी वोट कम पाती हुई दिखाई दे रही है. कांग्रेस को 2015 में 9.5 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2013 में कांग्रेस करीब 25 फीसदी वोट पाकर तीसरे नंबर पर रही थी. कांग्रेस के तमाम बड़े चेहरे जमानत बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अरविंदर सिंह लवली, हारून यूसुफ, मतीन अहमद खान, अलका लांबा, राजेश लिलोठिया, अशोक वालिया सभी बड़े चेहरे तीसरे नंबर पर चल रहे है. सिर्फ बादली सीट ऐसी है जहां पर कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र यादव दूसरे नंबर पर हैं. इस सीट के अलावा बाकी किसी भी सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर नहीं है. दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सुभाष गुप्ता की बेटी शालिनी गुप्ता कालकाजी सीट से तीसरे नंबर पर चल रही है. रुझानों से साफ हो चुका है कि कालकाजी सीट पर शालिनी गुप्ता अपनी जमानत बचाने में कामयाब नहीं हो पाएंगी.