डिजिटल मीडिया को मंच पर आने की आवश्यकता
उत्तराखंड डिजिटल मीडिया जर्नलिस्ट यूनियन देहरादून उत्तराखंड की एक मीटिंग श्री योगेस भट्ट जी की अध्यक्षता में उज्जवल रेस्टोरेंट देहरादून में हुई , जिसमे उत्तराखंड से प्रकाशित होने वाले समस्त प्रमुख न्यूज़ पोर्टल्स के संपादको ने भाग लिया;
मीटिंग में अनेक विषयो पर विचार विमर्श हुआ,
डिजीटल मीडिया से जुडे पत्रकारों की महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में लिये गये निर्णय में कहा गया कि जिस तरह से मीडिया का स्वरूप बदल रहा है, डिजिटल मीडिया की भूमिका बदल रही है, ऐसे में इससे जुडे/कार्यरत पत्रकारों को एक मंच पर आने की जरूरत महसूस की गयी। वर्तमान में संचार क्रांति के परिप्रेक्ष्य में नये तकनीकी बदलावों से पत्रकारिता जगत भी अछूता नही रहा है। आज के समय में पत्रकारों को डिजील मीडिया के रूप में पत्रकारिता के क्षेत्र को बढावा देने के लिए डिजिटल मीडिया के रूप में एक सशक्त माध्यम मिला है। उत्तराखण्ड में कार्यरत डिजिटल मीडियाकर्मियों, चाहे वह स्वतंत्र रूप से ब्लाग्स अथवा पत्रकारिता कर रहे हो एवं इस क्षेत्र में व्यावसायिक तौर पर कार्य कर रही संस्थाओं मे कार्यरत पत्रकारों को डिजिटल मीडिया को मंच पर आने की आवश्यकता जतायी गयी।
इस अवसर पर श्री राजेंद्र जोशी संपादक देवभूमि मीडिया न्यूज़ पोर्टल, श्री योगेश भट्ट जी डेली उत्तराखंड डॉट कॉम, श्री शीशपाल गुसाई जी संपादक उत्तराखंड दस्तक, श्री शशि भूषण मैठाणी जी संपादक युथआइकॉन , मैडम मीरा रावत जी संपादक उत्तराखंड मीडिया, श्री कैलाश जोशी संपादक न्यूज़ टुडे, श्री दीपक आज़ाद जी संपादक वाच डॉग, श्री जयदीप भट्ट जी संपादक सक्षम उत्तराखंड, श्री शंकर सिंह भाटियाजी, श्री nk गुसाई, श्री मोहित डिमरी जी, श्री SK Sati जी संपादक उत्तराखंड शंखनाद, चंद्र शेखर जोशी संपादक हिमालयायूके डॉट org आदि उपस्थित थे
शंखनाद टुडे न्यूज़ पोर्टल reort द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार
उत्तराखंड वेब पोर्टल यूनियन द्वारा आज देहरादून के एक निजी होटल में एक मीटिंग आहुत की गई जिसमें उत्तराखंड के 50 पोर्टलों के मालिक व कर्मचारी शामिल हुए। कुछ दिन पहले शंकर सिंह भाटिया के नेतृत्व में उत्तराखंड वेब पोर्टल एसोसिएशन द्वारा मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई थी, मुलाकात का संदर्भ पाॅलिसी को लेकर था कि जो लोग उत्तराखंड मूल के हों और मीडिया में कई सालों से कार्यरत हैं उनके लिए सरकार द्वारा पाॅलिसी का गठन किया गया था लेकिन कुछ कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा इसका विरोध किया गया कि डोमोसाइल शब्द नहीं हो सकता लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा तुंरत दूरभाष पर अपर निदेशक डाॅ. अनिल चंदोला को निर्देशित किया गया कि पाॅलिसी में उत्तराखंड के लोगों को वरीयता दी जाए लेकिन एक माह बीत जाने के बावजूद भी प्रदेश का सूचना विभाग व महानिदेशक से जब शंकर सिंह भाटिया के नेतृत्व में एक टीम मिलने गई तो महानिदेशक ने आश्वासन दिया कि मैं मुख्यमंत्री से बात करुंगा लेकिन 20 दिन बीत जाने के बावजूद भी अभी तक मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना कर सूचना विभाग व महानिदेशक मूकदर्शक बने हुए हैं।
आज फिर देहरादून के उज्ज्वल रेस्तरां में आयोजित समारोह में लगभग 50 वरिष्ठ पत्रकार शामिल हुए और उन्होंने नाराजगी जताई। उत्तराखंड में मुद्दों को लेकर सरकार का जनता की ओर ध्यान आकर्षण करने के लिए सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है और उत्तराखंड के मूल पत्रकारों की मांग यह थी कि पाॅलिसी में उत्तराखंड के लोगों को डोमोसाइल की वरीयता दी जाए। समारोह में राजेन्द्र जोशी, योगेश भट्ट, शंकर सिंह भाटिया, चन्द्रशेखर जोशी, शीशपाल गुंसाई, मीरा रावत, दीपक आजाद, शिव प्रसाद सती, कैलाश जोशी, मोहित डिमरी, जयदीप भट्ट, नवल किशोर गुंसाई, शशी भूषण मैठाणी सहित अन्य वरिष्ठ पत्रकार शामिल हुए जिसमें नाराजगी जताई गई कि मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना कर सूचना विभाग मीडिया के साथ भेदभाव कर रहा है ।
इसमें माना यह जा रहा है कि कुछ लोगों के दबाव के कारण उत्तराखंड के मूल पत्रकारों को सूचना विभाग के अधिकारी हाशिए पर डालना चाहते हैं जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि मैं प्रदेश के लोगों को ही वरीयता दूंगा। मामला यह भी उछला कि उत्तराखंड का पत्रकार हमेशा प्रदेश हित के लिए कार्य करता है और बाहरी पत्रकार प्रदेश में लूट-खसोट की नियती से कार्य करते हैं लेकिन सवाल उठता है कि आखिर प्रदेश किसके लिए बना है? आज 15 साल बाद प्रदेश के पत्रकार एक बैनर तले आकर संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उत्तराखंड के हितों की रक्षा के लिए एकजुट होकर लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं चाहे वह किसी भी मोर्चे की हो।
मुख्यमंत्री पहले ही साफ कर चुके हैं कि डिजीटल पाॅलिसी उत्तराखंड के पत्रकारों के लिए हो जो कि उत्तराखंड के मूल निवासी हों। पत्रकारों में जबरदस्त रोष था, अध्यक्ष राजेन्द्र जोशी ने बताया कि तुंरत मुख्यमंत्री से इस संदर्भ में बात की जाएगी अगर बातचीत सकारात्मक नहीं हुई तो पत्रकार आंदोलन की तैयारी में हैं लेकिन चुनावों को नजदीक देखते हुए सरकार जल्दी ही इस पर कुछ निर्णय लेगी।