लोकसभा चुनाव में डिजिटल प्रचार – बेब मीडिया एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य
बेब मीडिया एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा तमाम योजनाओं और सरकारी सेवाओं की जानकारी दूर-दराज गांव कस्बे में इलेक्ट्रोनिक रूप से उपलब्ध हो। इसका उद्देश्य समाज को डिजिटल रूप से सशक्त और अर्थव्यवस्था को उन्नत बनाने में सरकार को सहयोग करना है- चन्द्रशेखर जोशी- नैशनल प्रेसीडेंट- बेब मीडिया एसोसिएशन
2019 का चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी होने जा रहा है. इन दोनों शख्सियतों की एक लड़ाई डिजिटल दुनिया में चल रही है जिसने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के नेताओं और सांसदों की नींद उड़ा दी है. दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जनता से नमो ऐप के जरिए बीजेपी सांसदों के कामकाज के बारे में राय मांगी है. खबर है कि बीजेपी बड़ी संख्या में मौजूदा सांसदों के टिकट काटेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि मौजूदा सांसदों को दोबारा टिकट मिलेगा या नहीं, इसमें इस फीडबैक की एक बड़ी भूमिका होगी.
‘पीपल्स पल्स’ या ‘जनता की नब्ज’ नाम के इस सर्वे में लोगों के उनके राज्य, संसदीय क्षेत्र के बारे में पूछा जा रहा है. इसके बाद पूछा जाता है कि अलग-अलग क्षेत्रों में केंद्र सरकार की उपलब्धियों के बारे में उनकी क्या राय है. इनमें स्वास्थ्य क्षेत्र, किसानों की समृद्धि, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, स्वच्छ भारत, राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, गरीबों का उत्थान, इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण, रोजगार के अवसर पैदा करने और ग्रामीण विद्युतीकरण के बारे में लोगों से पूछा गया है. उन्हें बहुत खराब से बहुत अच्छे का विकल्प दिया गया है. इसके बाद मोदी सरकार के प्रदर्शन के बारे में सवाल है. फिर लोगों से पूछा गया है कि वे वोट देते समय किन मुद्दों का ध्यान रखते हैं. इनमें स्वच्छता, रोजगार, शिक्षा, कानून व्यवस्था, महंगाई और भ्रष्टाचार को शामिल किया गया. फिर आता है वह सवाल जो बीजेपी सांसदों की धड़कने बढ़ा रहा है. इसमें जनता से अपने संसदीय क्षेत्र के बीजेपी के तीन लोकप्रिय नेताओं के नाम पूछे गए हैं.
फिर राज्य के तीन सबसे लोकप्रिय नेताओं के बारे में सवाल है. लोगों से सांसद के बारे में पूछा गया कि क्या वे आसानी से मिल लेते हैं? क्या आप उनके काम के बारे में जानते हैं. क्या आप उनके काम से संतुष्ट हैं? क्या वे लोकप्रिय हैं? सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा की स्थिति के बारे में पूछा गया है. कुछ सवाल केंद्र सरकार के बारे में हैं. यह भी पूछा गया है कि महागठबंधन का आपके इलाके पर क्या असर पड़ेगा. मोदी सरकार इससे पहले ‘मायगव’ जैसे प्लेटफॉर्म पर भी सरकार की योजनाओं के बारे में प्रचार कर चुकी है.
दूसरी तरफ कांग्रेस का ‘शक्ति ऐप’ है जो पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले शुरू किया गया. कांग्रेस ने इसके जरिए न सिर्फ उम्मीदवारों का चुनाव किया, बल्कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जीतने के बाद मंत्रियों और यहां तक कि मुख्यमंत्रियों के चयन में भी ‘शक्ति प्लेटफॉर्म’ से आए फीडबैक का इस्तेमाल किया. राजनीतिक दलों की ओर से खुद ही सर्वे कराने से शायद सर्वे कंपनियों की दुकानें बंद हो गई हों, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या विरोधी पार्टियां इनके नतीजों को तोड़ मरोड़ तो नहीं देगीं. हालांकि कांग्रेस का शक्ति प्लेटफॉर्म सिर्फ कार्यकर्ताओं के लिए है. यह आम लोगों को डाउनलोड के लिए ऐप स्टोर या प्ले स्टोर पर उपलब्ध नहीं है. वहीं बीजेपी की कोशिश नमो ऐप के जरिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं और पन्ना प्रमुखों तक पहुंचने की है. इसके अभी तक एक करोड़ से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं.
बीजेपी बड़ी संख्या में युवाओं तक भी पहुंचना चाह रही है. ऑनलाइन सर्वे के साथ ही ज़मीनी स्तर पर भी इस हफ़्ते कैंपेन की शुरुआत होगी. जहां 2014 का अभियान श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में टाउनहाल से शुरू हुआ था, तो इस बार भी यहां 23 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टाउनहॉल करेंगे. बीजेपी की नज़र नज़र पहली बार वोट दे रहे 15 करोड़ युवा मतदाताओं पर है, जिनकी उम्र 18 से 23 साल के बीच है. बीजेपी को उम्मीद है कि उनका स्लोगन पहला वोट मोदी को युवाओं को खींच सकेगा.
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पिछली बार ये संख्या 12 करोड़ थी और उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए वोट किया. बीजेपी को उम्मीद है कि वो करीब 50 लाख वॉलेंटियर को अगले महीने तक संगठित कर लेगी, वहीं हर विधानसभा क्षेत्र में बाइक रैलियां भी होंगी. बीजेपी टीशर्ट और टोपियां भी ऐप और वेबसाइट पर बेच रही हैं. कई सांसद और मंत्री इन कपड़ों में संसद में नज़र आए और उन्होंने उसे ट्वीट भी किया है. पर सवाल बड़ा है. क्या राजनीतिक दलों के भीतर उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी बन रही है? क्या डिजिटल माध्यम से चुने जाने पर सफलता की संभावना बढ़ जाती है?
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वेब डिजिटल मीडिया के माध्यम से सेवाओं की इलेक्ट्रोनिक डिलीवरी की जा सकेगी। ई-एजूकेषन के तहत, डिजिटल लिटरेसी कार्यक्रम द्वारा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में आॅन लाईन मेडिकल सलाह- ई-हेल्थकेयर आदि, न्याय के क्षेत्र में ई कोर्ट, ई पुलिस, ई जेल, ई-प्रोसिक्यूषन की सुविधा की जानकारी आम लोगों तक पहुंचायी जा सकेगी।
डिजिटल मीडिया के माध्यम से सूचना और दस्तावेजों तक आॅन लाईन पहुंच कायम की जा सकेगी। इसके लिए ओपेन डाटा प्लेटफार्म मुहैया कराया जायेगा, जिसके माध्यम से नागरिक सूचना तक आसानी से पहुंच सकेगे। नागरिकों तक सूचनाएं मुहेया कराने के लिए सरकार सोषल मीडिया और वेब आधारित मंचों पर सक्रिय होती है। साथ ही नागरिकों और सरकार के बीच दो तरफा संवाद की व्यवस्था कायम की जायेगी।
देष भर में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार से रोजगार के अधिकांष प्रारूपों में इसका इस्तेमाल बढ रहा है। इसके माध्यम से आईटी सेवाओं से जुडे लोगों को प्रोत्साहन मिल सकेगा।
वेब डिजिटल मीडिया के माध्यम से एक तय समय सीमा में वृहत्तर सूचनाओं को प्रेशित किया जा सकता है। पंचायतों तक को सार्वजनिक सेवाएं द्रुतगामी व आसानी से उपलब्ध हो सकेगी।
डिजिटल मीडिया से सरकारी सेवाएं नागरिकों को तत्काल उपलब्ध हो सकेगी, इससे सरकारी लक्ष्य की प्राप्ति होगी। सरकारी व प्रषासनिक सेवाओं को आम लोगों तक पहुंचाने के साथ सार्वजनिक जवाबदेही को भी सुनिष्चित किया जा सकेगा।
डिजिटल मीडिया के माध्यम से इंटरनेट और मोबाइल बैकिंग का विस्तार किया जा सकेगा।
सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए विभिन्न विभागों के बीच आपसी सहयोग को और बढाया जा सकेगा।
वेब डिजिटल मीडिया के माध्यम से भविश्य में सभी सरकारी विभागों तक आम आदमी की पहुच बढायी जा सकेगी। नागरिकों तक सेवाएं मुहैया कराने के लिए यहां अनेक तरह की गतिविधियों को अंजाम दिया जा सकेगा।
वेब डिजिटल मीडिया जर्नलिस्ट फोरम के लिए पहले कुछ बुनियादी ढांचा गठित करने हेतु पृश्ठभूमि की तैयारी की जा रही है। भारत जहां एक ओर डिजिटल प्रौद्योगिकी को गले लगाने को तत्पर है, वह ब्राडबैंड विस्तार, इलेक्ट्रोनिक विनिर्माण और ई-गवर्नेस से होने वाले लाभ की फसल काटने की तैयारी कर रहा है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का क्रियान्वयन देष के समक्ष खडी चुनौतियों से निपटने, अवसरों का लाभ उठाने, नागरिकों को बेहतर ढांचागत सुविधाएं प्रदान करने और जीवन स्तर में सुधार में सहायक सिद्व होगा। इसी को लक्ष्य कर वेब मीडिया एसोसिएषन का राश्ट्रीय स्तर गठन करने का निर्णय लिया गया।
वेब मीडिया एसोसिएशन के गठन का उददेेेेश्य
(पंजी0सख्या;;;;)
विधियां एवं उपविधियां
1- (अ) यूनियन का नाम:- वेब मीडिया एसोसिएशन, लखनऊ, देहरादून
(ब) यूनियन के कार्यालय का पताः– 567, प्लाट नम्बर- 3/08, टीएचडीसी बंजारावाला, देहरादून, उत्तराखण्ड। पिन- 248001
2- यूनियन का कार्यक्षेत्र :- डिजिटल मीडिया संस्थान/ उद्योग उत्तराखण्ड, देहरादून का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत है
वेब मीडिया एसोसिएशन उद्देश्य –
3- यूनियन के उद्देश्य :-
(1) डिजिटल मीडिया संस्थान/उद्योग में काम करने वाले कार्यकारी/कर्मचारियों जो प्रशासनिक एवं सुपरवाईजरी स्टाफ में नहीं आते हैं एवं जिन पर उत्तराखंड गवर्नमेंट कंडक्ट रुल लागू नहीं होते तथा औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के अंतर्गत कर्मचारियों की परिभाषा में आते हैं, का संगठन करना।
(2) सदस्यों में एकता, सेवा, भाईचारा और सहयोग की भावना उत्पन्न करने और उनकी भलाई के उपाय और साधन उत्पन्न करना।
(3) सदस्यों के कर्तव्य पालन संबंधी अनुशासन एवं उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना तथा उनकी कार्यकुशलता एवं उपयोगिता बढ़ाने का प्रयत्न करना।
(4) सदस्यों की हर प्रकार की दशा सुधारने तथा अच्छी बनाने का प्रयत्न करना और उद्देश्य को कार्यान्वित करने के लिए ऐसे लाभ की व्यवस्था करना जो यूनियन के कोष एवं प्रस्तुत परिस्थितियों को देखते हुये संभव हो।
(5) सदस्यों की हर शिकायतें दूर करना मालिकों तथा उनके कर्मचारियों के बीच सौहार्द बढ़ाना और आपसी झगड़े यथा संभव शांतिपूर्ण समझौते से तय कर लेना, जिससे काम में अनावश्यक रुकावट न होने पावे।
(6) यूनियन द्वारा स्वीकृत हड़तालों को अहिंसात्मक और शांतिपूर्ण साधनों द्वारा सुचारु रुप से चलाना और उनकी शीघ्र और संतोषजनक समाप्ति के लिए प्रबंध करना।
(7) सदस्यों की सुरक्षा के लिए बने कानूनों को कार्यान्वित कराने तथा ऐसे कानूनों को बनवाने का प्रबंध करना जिससे श्रमिकों की भलाई हो।
(8) सदस्यों या उनके आश्रितों के लिए शिक्षा संबंधी सामाजिक या धार्मिक सहायताओं की (जिससे मृत सदस्यों के संस्कारों या धार्मिक कृत्यों संबंधी व्यय की सहायता सम्मिलित है) व्यवस्था करना।
(9) झगड़े के शीघ्र निपटारे के लिए प्रांतीय श्रम कार्यालय/ संबंधित सरकारी अधिकारियों से सहयोग करना।
(10) श्रमिकों के हितों की रक्षा करने एवं उनके लिए हिताकारी कार्यों में वृद्धि करने के लिए दूसरे ऐसे उपाय काम में लेना जो यूनियन के उद्देश्य के विपरीत न हो।
(11) डिजिटल मीडिया संस्थान/उद्योग में अनुशासन सहित तथा श्रम सम्मेलनों के प्रस्तावों का पालन करना।
(12) अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन संगठनों से संबंध स्थापित करना।
सदस्यता–
4- साधारण सदस्यः– विधान के किसी नियम के प्रतिकूल न पड़ने पर कोई भी व्यक्ति जो डिजिटल मीडिया संस्थान/उद्योग में काम करता है, तथा औद्यौगिक विकास अधिनियम 1947 के अंतर्गत कर्मचारियों की परिभाषा में आता है, यूनियन का सदस्य बन सकता है।
5- विशिष्ट (आनरेरी सदस्य):- उन व्यक्तियों के अंतिरिक्त जो धारा-4 में उल्लिखित उद्योगों में काम करते हों/ नियुक्त हो कोई भी अन्य व्यक्ति जो यूनियन के उद्देश्यों से सहमत हो और भारतीय व्यसायिक संघों के एक्ट 1926 की धारा-22 तथा यूनियन इस विधान के आदेशों के अनुसार पदाधिकारी (कार्यकारिणी सदस्य) नियुक्त किया गया हो तथा जिसने विधान के नियम- 4, 7 एवं 14 का प्रतिपालन कर लिया हो, यूनियन के विशिष्ट सदस्यों के रुप में भर्ती कर लिया जायेगा।
6- महामंत्री उन व्यक्तियों को जो उपरोक्त नियम-4 की सदस्य योग्यता से स्पष्टतया युक्त है, की स्वीकृति, निर्वाचित कार्यकारिणी की अगली बैठक में प्राप्त कर लेगा।
प्रवेश शुल्क
7- नियम-4 व 5 के अंतर्गत सदय बनाये प्रत्येक व्यक्ति को रु0 १५१ (एक सौ पचास रूपया) का प्रवेश शुल्क देना होगा। जिसकी अदायगी के लिए रसीद दी जायेगी, यह रसीद सदस्यता का प्रमाण समझी जायेगी।
सदस्यता सूची
8- बेव मीडिया एसोसिएशन के प्रधान कार्यालय में सदस्यों का एक रजिस्टर रखा जायेगा, जिसे यूनियन के सदस्य कार्यालय के काम के घंटों में जो कि सांय 4 बजे से 6 बजे तक होंगे, देख सकेंगे। इस रजिस्टर में प्रत्येक सदस्य का नाम, आयु, पता, पेशा तथा उसके संबंध में अन्य आवश्यक ब्योरे किये जाएंगे।
सदस्य का अलग किया जाना/ जुर्माना या जब्ती लगाना
9- बेव मीडिया एसोसिएशन की कार्यकारिणी अपने तीन चैथाई बहुमत से किसी भी ऐसे व्यक्ति को सदस्यता से अलग कर सकता है या उस पर जुर्माना या जब्ती लगा सकती है, जो (क) एक निश्चित अवधि के अंदर बकाया चंदा कर देने का मंत्री द्वारा नोटिस देने पर भी अपना चंदा नहीं अदा करता है, या (ख) अनुशासन भंग का दोषी पाया जाता है, या (ग) ऐसा आचरण करता है, जो यूनियन के हितों के विपरीत है या (घ) रुपये पैसे के मामले में ठीक तरह काम करने में आयोग्य ठहरता है, या (ड़.) किसी ऐसे हड़ताल में भाग लेता है जो यूनियन द्वारा अधिकृत नहीं की गई है, लेकिन ऐसा करने के पहले एक तो इस सदस्य को नोटिस दिया जायेगा कि वह 15 दिन के अंदर अपनी सफाई पेश कर दूसरे जिस बैठक में सदस्यता से पृथक करने के प्रश्न पर विचार हो, उस बैठक कार्यक्रम में यह प्रश्न स्पष्ट रुप से उल्लिखित रहेगा। इस नियम के अनुसार निकाले गये सदस्य को साधारण सभा में अपील करने का अधिकार होगा।
10- कोई भी सदस्य जो चंदा करने की अवधि प्रारंभ होने से 1 माह के अंदर अपना चंदा अदा नहीं करता है, यूनियन की सदस्यता से स्वयं पृथक समझ लिया जायेगा। यदि कार्यकारिणी उचित समझे तो सदस्यों को अधिक से अधिक एक माह की मोहलत दे सकती है। यदि उसके बाद भी चंदा नहीं दिया जाता है तो सदस्यता स्वतः समाप्त हो जायेगी।
11- बेव मीडिया एसोसिएशन अपनी सदस्य सूची में से ऐसे व्यक्तियों के नाम हटा देगा जिसकी मृत्यु हो गई हो, या जो धारा-4 या 5 में निर्धारित सदस्यता की योग्यताओं से रहित हो गये हों, जिन्हें विधान के किसी नियम के अनुसार सदस्यता से हटा दिया गया हो।
12- कोई व्यक्ति जो यूनियन का सदस्य नहीं रह जाता तुरंत सदस्यता से वंचित कर दिया जायेगा और उसे यूनियन के किसी कोष तथा उसके द्वारा संचालित सहायताओं पर कोई अधिकार न रहेगा।
13- कोई भी सदस्य जो निकाल दिया गया हो, या जिसका नाम सदस्यता सूची से उपरोक्त नियम-11 के अधीन हटा दिया गया हो, प्रवेश संबंधी नियमों का पालन करते हुए कार्यकारिणी समिति द्वारा पुनः भर्ती किया जा सकता है। यदि पुनः प्रवेश का प्रार्थना पत्र देने की तारीख पर पुनः प्रवेश चाहने वाले व्यक्ति को सदस्य सूची से हटे एक वर्श से अधिक हो गया हो, तो प्रवेश शुल्क फिर देना होगा तथा यदि सदस्य अपना चंदा न होने के कारण निकाला गया हो, तो उसे ऐसी सब रकम, जो पर बकाया हो, अदा करनी पड़ेगी।
14- प्रत्येक साधरण सदस्य को रुपया 101 (एक सौ पचास) वार्षिक एंव प्रत्येक विशिष्ट सदस्य को रुपया ३१०० (इकतीस सौ रू0) वार्षिक चंदा देना होगा। यूनियन का चंदा पहली जनवरी से प्रारंभ होगा।
15- चंदा उस अवधि की समाप्ति के पूर्व देने होंगे जिस अवधि के लिए देय हो। सिवाय 1- कार्यकारिणी समिति के उस सदस्य के जिसका नाम सदस्यों की सूचना के लिए प्रकाश्ज्ञित अथवा विज्ञप्ति कर दिया गया हो या 2- यूनियन के किसी कर्मचारी या 3- ऐसे व्यक्ति के जिसे यूनियन के मंत्री का ऐसा हस्ताक्षर युक्त पत्र प्राप्त है, जो कार्यकारिणी के प्रस्तावानुसार दिया गया हो, अन्य कोई व्यक्ति सदस्यों से चंदा या अन्य रकम वसूल न कर सकेगा।
16 बेव मीडिया एसोसिएशन के प्रत्येक ऐसे व्यक्ति को जिसे चंदा वसूल करने के लिए अधिकृत किया गया हो, एक समय केवल एक रसीद बही, जिसमें प्रतिरूप रसीद पत्र (काउण्टर फाइल) लगे होंगे देगा। चंदा वसूल करने वाले व्यक्ति को प्रत्येक प्राप्त रकम के लिए तत्क्षण एक हस्ताक्षर युक्त रसीद देनी होगी। उसे कम से कम सप्ताह में एक बार सब प्राप्त रकम यूनियन के कार्यालय में कोषाध्यक्ष के पास जमा करनी होगी। कोषाध्यक्ष प्राप्त रकम बही प्रतिरुप रसीद पत्रों से मिलान करके पूरी प्राप्त रकम के लिए मोहर लगी रसीद चंदा वसूल करने वाले को देगा। यह रसीद चंदा जमा करने वाले दिन रसीद बही से दी गई अंतिम रसीद के प्रतिरुप पर चिपका दी जायेगी। नई रसीद बही प्राप्त करने के लिए सप्ताह की हुई रसीद बही यूनियन के कार्यालय में जमा कर देना है।
17- चंदा केवल उसी रसीद बही पर वसूल किया जायेगा जो रजिस्ट्रार यूनियन कार्यालय के पहले से दाखिल की हुई हो, यदि नमूना बदल दिया जाय तो नमूने की एक प्रति रिकार्ड के लिए रजिस्ट्रार ट्रेड यूनियन के कार्यालय में भेज दी जायेगी।
साधारण कोष
18- बेव मीडिया एसोसिएशन के साधारण कोष में सदस्यों के चंदे से प्राप्त आमदी लाभार्थ लगाई गई पूंजी का ब्याज दान सहायता तथा दूसरे प्रकार से प्राप्त रकमें रहेंगी।
19- यूनियन का कोषाध्यक्ष समस्त आमदनी व खर्च तथा देने व पावने (जायदाद) का बकाया हिसाब रखेगा।
20- कोषाध्यक्ष के पास नकद रुपया 2000 (दो हजार रूपये) से अधिक हो जाने पर वह किसी स्वीकृत बैंक में महामंत्री तथा कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षरों से यूनियन खाते में जमा कर देगा। उक्त खाते में रुपया निकालना भी दोनों के संयुक्त हस्ताक्षरों से हो सकेगा।
21- यूनियन का अतिरिक्त कोष अध्यक्ष तथा कोषाध्यक्ष के संयुक्त नामों से कार्यकारिणी समिति द्वारा स्वीकृत विधि के अनुसार पूंजी के रुप में लाभार्थ लगा दिया जायेगा।
22- कार्यकारिणी यूनियन के प्रस्तावों के अनुसार ही यूनियन के कोषों तथा अन्य संपत्ति का प्रबंध करेगी।
उद्देश्यों जिन पर साधारण व्यय किया जा सकता है
23- बेव मीडिया एसोसिएशन के साधारण कोष का निम्नलिखित उद्देश्यों के अतिरिक्त किसी अन्य उद्देश्य पर व्यय नहीं किया जा सकता है –
(1) यूनियन के अफसरों, कार्यकारिणी के सदस्यों के वेतन, भत्तों तथा अन्य खर्चों के देने में।
(2) यूनियन के संबंध में संचालन संबंधी खर्चों के देने में, जिसमें यूनियन के साधारण कोष के हिसाब की जांच (आडिट) का खर्च सम्मिलित है।
(3) किसी ऐसे अदालती कार्यवाही की पैरवी करने में जिसमें यूनियन का या कोई उसका सदस्य वादी हो और उस अदालती कार्यवाही संचालन जो किसी ऐसे हक की प्राप्ति या रक्षा के लिए हो, प्रश्न किसी सदस्य और उसके मालिक के बीच उठा हो।
(4) यूनियन का उसके किसी सदस्य की ओर से व्यवसायिक झगड़े के संबंध में पैरवी करने में।
(5) व्यवसायिक झगड़े से सदस्यों के होने वाली क्षतिपूर्ति।
(6) सदस्यों की मृत्यु, बुढ़ापा, बीमारी दुर्घटना या बेरोजगारी पर उन्हें या उनके आश्रितों को भत्ता देना।
(7) सदस्यों के लिए जीवन बीमा पालिसी प्रस्तुत करने में या सदस्यों को जीवन बीमा पालिसियों या उनकी दुर्घटना अथवा बेरोजगार संबंधी बीमा पालिसियों की जिम्मेदारी लेने में।
(8) सदस्यों का उनके आश्रितों के लिए शिक्षा संबंधी सामाजिक या धार्मिक सहायतों को (जिनमें मृत सदस्यों के संस्कारों, या धार्मिक कृत्यों संबंधी व्यय की सहायता सम्मिलित है) व्यवस्था करने में।
(9) सदस्यों से संबंध रखने वाले प्रश्नों पर विशेष रुप से उनके विचार रखने वाले अखबार के संचालन में।
(10) किसी ऐसे कार्य में चंदा देने में जो आमतौर से सदस्यों के हित के लिए हो और जो उन कार्यों को बढ़ाने वाला हो, जिस प्रकार यूनियन का साधारा कोष व्यय किया जा सकता हो, यह शर्त हो हो कि किसी आर्थिक वर्ष में इस प्रकार के चंदों के व्यय किया जाने वाला धन यूनियन के साधारण कोष की उस वर्ष की उस समय तक की संपूर्ण आय और उस वर्ष प्रारंभ में उस कोष की रोकड़ के जोड़ के एक चैथाई हिस्सा से अधिक न हो।
(11) विज्ञप्ति में उल्लिखित शर्तों का ध्यान रखते हुए किसी दूसरे ऐसे कार्य में जिसकी उपयुक्त सूचना सरकार अपने बजट को विज्ञप्ति द्वारा दें।
सदस्यों द्वारा हिसाब का निरीक्षण
24- बेव मीडिया एसोसिएशन का कोई भी सदस्य यूनियन के महामंत्री को 15 दिन का नोटिस (सूचना) देकर हिसाब का परीक्षण कर सकता है।
हिसाब की जांच (आडिट)
25- बेव मीडिया एसोसिएशन का महासचिव प्रत्येक वर्ष 31 दिसंबर के तुरंत बाद यूनियन के हिसाब की वार्षिक जांच किसी आडिटरों द्वारा कराने का प्रबंध करेगा, जो उत्तराखंड प्रदेशीय व्यवसायिकों संघों के नियम 1927 ई0 के नियम-18 में उल्लिखित योग्यताओं की पूर्ति करते, हो तथा जिन्हें कार्यकारिणी समिति ने जांच के लिए स्वीकृत किया हो। जांच हुए हिसाब तथा उस पर आडिटों की रिपोर्ट पर कार्यकारिणी समिति शीघ्रताशीघ्र विचार करेगी और जांच के दौरान उठाई गई आपत्तियों की यदि कोई हो तो दूर करने के लिए जो कार्यवाही करेगी उसकी सूचना रजिस्ट्रार व्यवसायिक संघ को उन वार्षिक विवरण पत्रों के साथ भेज देगी, जो भारतीय व्यवसायिक संघों के एक्ट सन् 1926 ई0 के धारा-28 के अधीन निर्धारित किये गये हैं।
साधारण सभा का कार्यकारिणी समिति की बैठक और उनके कार्य
26- प्रत्येक वर्ष में बेव मीडिया एसोसिएशन के समस्त सदस्यों की साधारण सभा की कम से कम 2 बैठकें तथा कार्यकारिणी समिति की महीने में कम से कम 1 बैठक हुआ करेगी।
26 (अ) –
निम्न प्रकार की बैठकों के लिए जो सूचनायें प्रसारित होगी वह बैठक की तिथि से कम से कम 15 दिन पूर्व निर्गमित होनी चाहिए। यह भी सुनिश्चित करना हेागा कि इसकी सूचना कार्यकारिणी के सदस्यों को प्राप्त हो गई अथवा प्राप्त करने के लिए यथोचित प्रयास किये जा चुके हैं।
(अ) चुनाव के संबंध में आम सभा की बैठक। (ब) चुनाव के संबंध में कार्यकारिणी की बैठक (स) सदस्यों के अनुशासनहीनता संबंधी कार्यवाही हेतु बुलाई जाने वाली कार्यकारिणी एवं आम सभा की बैठकें।
नोटः- उक्त संबंध में निकाली गई सूचना यूनियन के नोटिस बोर्ड में लगाई जायेगी और उसके प्रचार की समुचित व्यवस्था करनी होगी सूचनाओं की प्रतियां श्रम कार्यालय तथा रजिस्ट्रार ट्रेड यूनियन को भेजना आवश्यक होगा।
27- बेव मीडिया एसोसिएशन का महासचिव, अध्यक्ष की अनुमति से यूनियन की बैठकें बुलायेगा और उसके समय और स्थान की सूचना संबंधित व्यक्तियों को देगा। लेकिन नियम-28 के अंतर्गत बुलाये जाने वाली सभा में अध्यक्ष की अनुमति आवश्यक न होगी।
28- कम से कम पंचमास सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरयुक्त मांग उपस्थिति किये जाने पर महासचिव साधारण सभा या कार्यकारिणी की जैसा भी उक्त मांग में हो आवेदन हो, अतिरिक्त बैठक 15 दिन के अंदर बुलायेगा। यदि महामंत्री निर्धारित समय से मांग पत्र की नोटिस पाने पर भी मीटिंग नहीं बुलाता है तो मांग पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं को स्वयं मीटिंग बुलाने का अधिकार होगा।
29- साधारण सभा से आर्थिक अधिवेशन में आर्थिक वर्ग आंदोलन तथा मालिकों के हित सबंधी महत्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार होगा तथा जो नीति निर्धारित की जोयगी जिसका अनुकरण यूनियन करेगी।
30- बेव मीडिया एसोसिएशन के प्रतिदिन कार्य संचालन व उनके कोष के नियंत्रण और उसकी नीति के कार्यान्वित करने के लिए एक कार्यकारिणी समिति होगी। समिति यूनियन के उद्दश्यों को कार्यान्वित करने के लिए नियम तथा उप नियम बनाकर उन पर साधारण सभा की स्वीकृति ले सकती है।
31- साधारण सभा के सदस्यों का पंचमास तथा कार्यकारिणी समिति के सदस्यों का एक तिहाई भाग इनकी बैठकों का कोरम समझा जायेगा।
32- बैठक में उपस्थिति प्रत्येक सदस्य का एक वोट होगा, पर किसी विषय पर बराबर वोट होने पर अध्यक्ष का एक अतिरिक्त निर्णायक वोट भी होगा।
33- कार्यकारिणी समिति का कोई सदस्य यदि लगातार तीन बैठक में अनुपस्थित रहेगा तो उसका स्थान यदि वह जेल में या छुट्टी पर नहीं है, रिक्त समझ लिया जायेगा।
34- बैठकों की सूचना महासचिव द्वारा सदस्यों के पास उनके बताये पतों पर भेजी जायेगी। किसी सदस्य के उपस्थित न होने पर बैठक की सूचना उनके निवास स्थान पर छोड़ी जायेगी या डाक द्वारा पोस्टल सर्टीफिकेट से भेज दी जायेगी।
35- बेव मीडिया एसोसिएशन की साधारण सभा कार्यकारिणी समिति के लिए पदाधिकारियों को मिलाकर कुल 21 सदस्य निर्वाचित करेगी। जिसमें कम से कम 50 प्रतिशत सदस्यों में से अवश्य होंगे। कार्यकारिणी समिति के लिए सदस्यों की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
36- कार्यकारिणी समिति के लिए सदस्यों का चुनाव सर्व सम्मिति के आधार पर हेागा। चुनाव कार्यकारिणी द्वारा बनाये गये चुनाव सबंधी नियमों के अनुसार होंगे। कार्यकारिणी समिति के लिए सदस्यों का चुनाव आवश्यकता पड़ने पर गुप्त बैलेट द्वारा तथा आनुपातिक आधार पर कार्यकारिणी द्वारा बनाये गये चुनाव संबंधी नियमों के अनुसार भी किया जा सकता है।
37- चुनाव प्रति वर्ष जनवरी या फरवरी के महीने में होंगे और नई कार्यकारिणी समिति अंतिम चुनाव के बाद के दिनांक से पदाधिकारी होकर अगले चुनाव के दिनांक तक पदाधिकारी रहेगा। वार्षिक चुनाव के पूर्व कार्यकारिणी के रिक्त होने वाले स्थानों की पूर्ति कार्यकारिणी अपने सदस्यों में से स्वयं कर लेगी तथा कार्यकारिणी के प्रत्येक परिवर्तन की सूचना परिवर्तन की तारीख से सात दिन के अंदर व्यवसायिक संघों के रजिस्ट्रार को फार्म ‘‘जे’’ की दो प्रतियों में दे दी जायेगी।
पदाधिकारी
38- बेव मीडिया एसोसिएशन के निम्न पदाधिकारी होंगे, जिसमें कम से कम 50 प्रतिशत साधारण सदस्यों में से अवश्य होंगेः- एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, एक महामंत्री, एक संयुक्त मंत्री, एक कोषाध्यक्ष, एक संगठन मंत्री तथा एक प्रचार मंत्री।
39- कार्यकारिणी समिति पहली बैठक में विशिष्ट सदस्यों की नियुक्ति तथा पदाधिकारियों का चुनाव करेगी।
कार्यकारिणी का कोई भी सदस्य अपने पद से त्याग पत्र दे सकता है, जो तब तक प्रभाव में नहीं आयेगा जब तक कार्यकारिणी ने उसे स्वीकृत न कर लिया हो।
40 कोई भी पदाधिकारी अपने पद से कार्यकारिणी समिति के दो तिहाई सदस्यों के बहुमत से हटाया जा सकता है, लेकिन ऐसे मामलों में वोट गुप्त बैलेट द्वारा लिये जायेंगे। पदाधिकारी को कम से कम 15 दिन का समय अपनी सफाई पेश करने के लिए देना आवश्यक होगा।
41- अध्यक्ष यूनियन के समस्त कार्यों की देखभाल और उनका नियंत्रण करेगा। यह कार्यकारिणी समिति तथा यूनियन की साधारण सभाओं की अध्यक्षता करेगा और उसकी कार्यवाही संचालन करेगी।
42- उपाध्यक्ष, अध्यक्ष के कार्यों में सहायता करेगा और उसकी अनुपस्थिति में उसकी जगह काम करेगा।
43- यूनियन का महासचिव यूनियन का सारा कार्य करेगा, यूनियन की तरफ से पत्र व्यहार करेगा, यूनियन की बैठक की कार्यवाही करेगा, सब बिलों पर हस्ताक्षर करेगा और हिसाब के लिए उत्तरदायी होगा। वह प्रत्येक मास का हिसाब कार्यकारिणी द्वारा पास करा लेगा।
44- संयुक्त मंत्री, महामंत्री के कार्यों में सहायता करेगा तथा महामंत्री की अनुपस्थिति में उसकी जगह कार्य करेगा।
45- अः- संगठन मंत्री, यूनियन के लिए संगठनात्मक कार्य केरगा।
बः- प्रचार मंत्री यूनियन की ओर से प्रचार करेगा।
46- कोषाध्यक्ष यूनियन के आय-व्यय का हिसाब रखेगा और यूनियन का कोष कार्यकारिणी समिति द्वारा स्वीकृत किसी बैंक में यूनियन के खाते में महामंत्री के संयुक्त हस्ताक्षरों से रखेगा।
47- अध्यक्ष रुपया 5000 (पांच हजार) तथा महामंत्री रुपया 2000 (दो हजार) तक मासिक खर्च कर सकता है, लेकिन उससे अधिक रकम व्यय करने के लिए कार्यकारिणी समिति की मंजूरी आवश्यक होगी।
48- विवादाग्रस्त मामलों में यूनियन पहले खत-किताब तथा पारस्परिक समझौता के तरीकों को काम में लायेगी।
शिकायत करने की विधि
49- कोई भी सदस्य जिसे अपने काम के संबंध में कोई भी शिकायत हो, स्वयं या अपने किसी प्रतिनिधि द्वारा डिजिटल मीडिया जर्नलिस्ट्स यूनियन उत्तराखण्ड, देहरादून के कार्यालय में शिकायत दर्ज करा सकता है।
50- डिजिटल मीडिया जर्नलिस्ट्स यूनियन उत्तराखण्ड, देहरादून का महामंत्री, अध्यक्ष से परामर्श करने के बाद किसी भी शिकायत को अस्वीकार कर सकता है यदिः-
अ- वह शिकायत महामंत्री या अध्यक्ष के विचार से बहुत ही साधारण अनुचित मिथ्या है।
ब- शिकायत करने वाला व्यक्ति यूनियन का सदस्य नहीं है, या यद्यपि वह सदस्य है फिर भी अपने चंदे की पिछली किश्त अदा नहीं की है।
स- शिकायत करने वाले ने महासचिव तथा अध्यक्ष की राय में अपना मामला अनियमित कार्यों द्वारा बिगाड़ लिया है।
51- बेव मीडिया एसोसिएशन प्रांतीय श्रम कार्यालय/ सबंधी सरकारी अधिकारी द्वारा सदस्यों के विरुद्ध की गई शिकायतों की छानबीन करेगा तथा उन पर उचित कार्यवाही करेगा।
52- यूनियन समस्त शिकायतों की उचित छानबीन शीघ्रताशीघ्र करेगा।
53- यूनियन शिकायत की जांच करने के बाद उसे सही पायेगी तो मामले को संबंधित अधिकारी के पास ले जायेगी और शिकायत दूर करने के लिए उससे बातचीत या लिखा पढ़ी करेगी। अधिकारी द्वारा स्वीकृत होने पर भी यदि अधिकारी यूनियन की शिकायतों पर संतोषप्रद हल नहीं निकालते तो यूनियन का महामंत्री मामले को प्रांतीय श्रम कार्यालय/ संबंधित सरकारी अधिकारियों के समक्ष रखेगा। समझौते की बातचीत के दरमियान कोई हड़ताल न हेागी न कोई नोटिस दिया जायेगा, जब तक कि श्रम कार्यालय द्वारा मामले में हस्तक्षेप करने के बाद से दो महीने का समय न बीत जाए।
हड़ताल का निश्चय
54- यदि लेबर कमिश्नर या निर्णायक का फैसला दोनों पक्षों द्वारा स्वीकार किये जाने के बाद भी यूनियन के मद के अधिकारियों द्वारा ईमानदारी के साथ पालन नहीं किया जा रहा है तो फिर मामले को प्रांतीय श्रम कार्यालय/ संबंधित सरकारी अधिकारियों के समक्ष रखा जायेगा। अगर श्रम कार्यालय उक्त अधिकारियों द्वारा मामले में बिचवानी करने के बावजूद समझौते के प्रयत्न असफल हो जाय तो यूनियन साधारण सभा की एक आवश्यक बैठक हड़ताल संबंधी निर्णय करने के लिए बुलायेगी। साधारण सभा दो तिहाई बहुमत से मालिकों को हड़ताल करने के निश्चय कर सकती है। वोट गुप्त बैलेट द्वारा डाले जायेंगे।
हड़ताल का निश्चय हो जाने के बाद का कार्यक्रम
55- यदि साधारण सभा हड़ताल के पक्ष में निर्णय करे तो डिजिटल मीडिया जर्नलिस्ट्स यूनियन उत्तराखण्ड, देहरादून का महामंत्री इस निर्णय की सूचना प्रांतीय श्रम कार्यालय/संबंधित सरकारी अधिकारियेां को देगा। श्रम कार्यालय/उक्त अधिकारियों को भी हड़ताल करने के पूर्व कम से कम 15 दिन नोटिस दिया जायेगा।
56- बेव मीडिया एसोसिएशन किसी ऐसे हड़ताल को मान्यता प्रदान न करेगा, नई कोई प्रोत्साहन या कोई सहायता देगा जो प्रचलित कानून या इस विधान के विरुद्ध होगा। यदि यूनियन का कोई सदस्य किसी अनाधिकृत या गैर कानूनी हड़ताल में भाग लेता तो वह यूनियन से निकाल दिया जायेगा।
यूनियन का तोड़ा जाना
57- बेव मीडिया एसोसिएशन का तोड़ा जाना साधारण सभा बैठक में जो इस कार्य के लिए बुलाई गई हो दो तिहाई सदस्यों के बहुमत से तत्संबंधी प्रस्ताव द्वारा हो सकता है। यूनियन के तोड़े जाने के संबंध में एक नोटिस यूनियन के महामंत्री और सात अन्य सदस्यों के हस्ताक्षरों सहित उत्तराखंड प्रदेशीय व्यवसायिक संघों के नियम 1927 ई0 के फार्म ‘‘जे’’ में व्यवसायिक संघों के रजिस्ट्रार को यूनियन तोड़ने की तारीख के 14 दिन के अंदर भेज दिया जायेगा। यूनियन तोड़ने के प्रस्ताव का प्रभाव उस समय तक लागू न होगा जब तक कि रजिस्ट्रार उक्त नोटिस को रजिस्टर्ड न कर लें।
58- ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 की धारा-27 के अंर्तगत प्रत्येक भंग की गई ट्रेड यूनियन का बचा हुआ सामान्य कोष उन सदस्यों में बांट दिया जायेगा जो विघटन (भंग) होने की तिथि को यूनियन के विधिवत सदस्य रहे हों। वितरण उस अनुपात में किया जायेगा जिसमें उपयुक्त सदस्यों के युनियन के कार्यकाल में कुल चंदा दिया हो। यह वितरण की तिथि को कार्य कर रही कार्यकारिणी समिति की देखभाल में किया जायेगा। इस वितरण का क विवरण बनाकर रजिस्ट्रार को विघटन (भंग) की नोटिस के साथ भेजा जायेगा। जहां यूनियन का विघटन (भंग) इसलिए किया गया हो क्योंकि भंग होने वाली यूनियन के सदस्यों को किसी रजिस्टर्ड यूनियन में मिला दिया गया हो या उस यूनियन को किसी दूसरी यूनियन के साथ ट्रेड यूनियन एक्ट 1928 की धारा-24 के अनुसार एकीकरण किया जायेगा हो यदि यूनियन की कार्यकारिणी चाहे तो सामान्य कोष की बची हुई राशि को बजाय सदस्यों में वितरित करने के उस यूनियन को यूनियन को हस्तांतरित कर दी जायेगी, जिसके साथ भंग होने वाली यूनियन के सदस्य मिला दिये गये हो या एकीकरण किया हो।
विधान का संशोधन
59- डिजिटल मीडिया जर्नलिस्ट्स यूनियन उत्तराखण्ड, देहरादून के विधान संशोधन की साधारण सभा में तीन चैथाई सदस्यों के बहुमत से हो सकता है; यह शर्त है कि प्रस्तावित संशोधन पहले कार्यकारिणी द्वारा स्वीकृत किया जा चुका हो और बैठकों में कार्यक्रम में उल्लेख रहा हो। यह भी शर्त है कि निर्णय संशोधन के पक्ष में हो तो कोई सदस्य मांग पेश कर सकता है कि साधारण सभा के इस निर्णय पर रेफरेंडम वोटों द्वारा आम जनमत से लिये जाए, रेफरेंडम तभी लिया जायेगा जब रेफरेंडम लेने के प्रस्ताव के समर्थक बैठकों में उपस्थित सदस्यों में से कम से कम 10 प्रतिशत होंगे। इस प्रकार रेफरेंडम गुप्त वोटों द्वारा प्रस्ताव की तारीख से एक महीने के अंदर होगा।
नियमों के संशोधन या संशोधन की नोटिस व्यवसायिक संघों के रजिस्ट्रार को साधारण सभा में संशोधन स्वीकृत होने की तारीक्ष से 14 दिन के अंदर भेज दिया जायेगा। संशोधन उसी समय काम मे लाये जायेगा जब तक कि रजिस्ट्रार ने उन्हें उत्तराखंड प्रदेशीय व्यवसायिक संघों के नियम 1927 ई0 के नियम-12 के अनुसार रजिस्टर्ड कर लिया हो।
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