मध्यप्रदेश में सरकार हर बार नाकाम होती दिख रही

किसान सड़कों पर थे. आंदोलन उग्र और हिंसक था. लेकिन, गृह मंत्री राजनाथ सिंह का इस पूरे मामले में न तो किसी तरह का कोई बयान आया और न ही कभी ऐसा लगा कि वो कानून-व्यवस्था के इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं. किसानों के आंदोलन और उनके मुद्दे पर किसानों की मसीहा की चुप्पी अगर यूं ही बरकरार रही तो उनके काम और काम करने के तरीके पर सवाल खड़े होते रहेंगे. #शिवराज सरकार की प्रशासनिक क्षमता की लगातार परीक्षा # मध्यप्रदेश में पिछले 48 घंटों में कर्ज से परेशान तीन और किसानों ने कथित रूप से खुदकुशी कर ली, जिससे सूबे में पिछले 9 दिनों में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है. ताजा मामला एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृह क्षेत्र का है, जहां कर्ज से परेशान 22 साल के एक किसान ने जहरीला पदार्थ खाकर खुदकुशी कर ली. राष्ट्रीय किसान महासंघ (आरकेएम) ने बढ़ते कृषि संकट के मद्देनजर मध्य प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग करते हुए शुक्रवार दोपहर 12 से तीन बजे के बीच राष्टीय राजमार्ग को रोकने का आहवान किया है. आरकेएम देश भर के 62 किसान संगठनों का संघ है, जिसकी स्थापना जनवरी में कर्ज माफी और कृषि उत्पादों की अधिकतम लागत प्राप्त करने के लिए सभी अंशधारकों के साथ मिलकर करने के लिए की गई थी. आरकेएम के सदस्य रघुपति सिंह ने एक बयान में कहा, 11 जून से 15 जून तक हमने अपना विरोध जताने के लिए काला बिल्ला पहनकर शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया. लेकिन 16 जून को पूरे भारत भर में दोपहर 12बजे से 3 बजे तक राजमार्गो को रोका जायेगा. पिछले सप्ताह महासंघ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बर्खास्त करने और राष्टपति शासन को लागू करने की मांग के संबंध में प्रस्ताव पारित किया था.आरकेएम ने कहा कि वह हाल में मंदसौर जिले में छह किसानों की हत्या के खिलाफ राष्टीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क करेगा.

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इन दिनों शिवराज सरकार की प्रशासनिक क्षमता की लगातार परीक्षा हो रही है और राज्य सरकार हर बार इसमें नाकाम होती दिख रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तमाम दावों के बावजूद मध्य प्रदेश में किसानों का प्याज आसानी से नहीं बिक पा रहा है. उज्जैन में किसान प्याज बेचने के लिए लंबी-लंबी कतार में खड़े हो रहे हैं. जिसके चलते यहां 3 किलोमीटर तक प्याज से लदी ट्रालियों की लाइन लगी हुई है. कुछ ऐसा ही नजारा मध्य प्रदेश के दूसरे जिलों में भी देखने को मिला. मध्य प्रदेश में इस साल प्याज की बंपर पैदावार हुई है. प्याज किसानों की वजह से ही मध्य प्रदेश में आंदोलन शुरू हुआ. दरअसल किसानों को प्याज की सही लागत नहीं मिल पा रही थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऐलान के बाद मध्य प्रदेश सरकार किसानों से 8 रुपये प्रति किलो के भाव से प्याज खरीद रही है. जबकि देश में फुटकर बाजार में प्याज 15-20 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. आपको बता दें कि एमपी के खंडवा, शाजापुर, रतलाम, छिंदवाड़ा, सागर और इंदौर में प्याज की खेती होती है.
मध्य प्रदेश में इस साल प्याज की बंपर पैदावार हुई है. प्याज किसानों की वजह से ही मध्य प्रदेश में आंदोलन शुरू हुआ. दरअसल किसानों को प्याज की सही लागत नहीं मिल पा रही थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऐलान के बाद मध्य प्रदेश सरकार किसानों से 8 रुपये प्रति किलो के भाव से प्याज खरीद रही है. जबकि देश में फुटकर बाजार में प्याज 15-20 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. आपको बता दें कि एमपी के खंडवा, शाजापुर, रतलाम, छिंदवाड़ा, सागर और इंदौर में प्याज की खेती होती है. ये लाइन भंडारे के प्रसाद के लिए नहीं लगी है…और ना ही तत्काल टिकट वालों की लाइन है. इन लाइनों में देश के अन्नदाता खड़े हैं. तस्वीरें मध्य प्रदेश के शाजापुर की हैं. तहसीलदार के दफ्तर में प्याज बेचने के लिए किसानों को टोकन बांटने का एलान होते ही काउंटर पर किसानों की लंबी लाइन लग गई. ऐसी ही चार लाइनों में 100-100 की संख्या में 200किसानों ने टोकन लिया. किसान लाइन में थे, तो प्याज से भरे उनके ट्रक सड़कों पर खुले आसमान में खड़े थे. उज्जैन की कृषि मंडी के बाहर किसानों को अपना प्याज बेचने के लिए दो से तीन दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है. एमपी में प्याज की सरकारी खरीद हो रही है लेकिन कछुए की चाल से. मध्य प्रदेश के इंदौर में तो बारिश ने किसानों की मुसीबत और बढ़ा दी है. मजबूर किसान किसी तरह से प्याज से लदे ट्रकों को ढंकने की कोशिश कर रहे हैं. बारिश से कुछ किसानों के प्याज भीगकर सड़ गए हैं. राज्य के कई जिलों में कृषि मंडियों के बाहर प्याज से लदे ट्रकों की 3 से 4 किलोमीटर लंबी कतार लगी है. प्य़ाज किसानों का नंबर कब आएंगे उन्हें भी नहीं पता. रोजाना सिर्फ 50 से 60 ट्रक प्याज की खरीद ही हो पा रही है. सरकार की तरफ से प्याज के लिए किसानों को 8 रुपए प्रति किलो का भाव दिया जा रहा है. जबकि खुले बाजार में यही प्याज ढाई गुना ऊंचे दाम तक बिक रहा है. राजधानी भोपाल में एक किलो प्याज 15 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. दिल्ली में कीमत 20 रुपये है और मुंबई में भी कीमत 15 रुपये प्रति किलो तक है. आपको बता दें कि एमपी में किसानों का जो आंदोलन हुआ उसकी बड़ी वजह प्याज किसान ही थे. बंपर पैदावार की वजह से उन्हें सही लागत नहीं मिल पा रही थी लेकिन अब किसानों को प्याज बेचने के लिए दो-तीन दिन तक धूप और बारिश में गुजारने पड़ रहे हैं.
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3 महीने पहले ही हुई थी मुकेश की शादी

जानकारी के मुताबिक बुधनी विधानसभा के लाचोर गांव में रहने वाले किसान मुकेश की 3 महीने पहले ही शादी हुई थी. मुकेश के पास 6 एकड़ खेत है. उसपर 55 हजार रुपए बैंक का जबकि 4 लाख साहू करो का कर्ज है. कर्ज से परेशान होने की वजह से मुकेश ने जहरीला पदार्थ खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की. जिसे गंभीर हालत में भोपाल रेफर किया गया जहां उसकी मौत हो गई.

बुधवार को दो और किसानों ने की आत्महत्या

मध्य प्रदेश में किसानों की आत्महत्या का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है, बुधवार को दो और किसानों ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली. होशंगाबाद जिले में किसान ने जहर खाकर और शिवपुरी जिले में फांसी के फंदे से लटकर जान दे दी. पुलिस ने यह जानकारी गुरुवार को दी.

पुलिस के अनुसार, बावई थाना क्षेत्र के चपलासर का किसान नर्मदा प्रसाद यादव अपने भाई के साथ बुधवार को मंडी में मूंग बेचने आया था, मगर अशोक किसी काम से वहां से चला गया. नर्मदा का भाई अशोक जब लौटकर आया तो उसे बड़ा भाई इब्राहिम चौक के पास एक किराने की दुकान के पास बेहोशी की हालत में मिला. उसके मुंह से झाग निकल रहा था. इसके बाद नर्मदा को अस्पताल ले जाया गया, जहां देर रात मृत घोषित कर दिया गया.

नर्मदा पर था किसी सूदखोर का 50 हजार रुपए का कर्ज

कोतवाली थाने के प्रभारी महेंद्र सिंह चौहान ने गुरुवार को बताया, “परिजन बताते हैं कि नर्मदा पर किसी सूदखोर का 50 हजार रुपये का कर्ज था. कर्ज चुकाने के लिए सूदखोर उस पर दबाव बना रहा था और रकम के एवज में नर्मदा से ट्रैक्टर मांग रहा था. इससे वह परेशान था, शायद इसी के चलते उसने जहर खा लिया. पुलिस मामले की जांच कर रही है.”

बुधवार को ही शिवपुरी जिले के बिनेका गांव में कल्ला नाम के किसान का शव पेड़ से लटका मिला. परिजनों के अनुसार, उसके पास सवा दो बीघा जमीन है, पिछले तीन साल से सूखा के कारण उस पर कर्ज भी बढ़ गया था, जिससे वह परेशान था. इसी के चलते उसने फांसी के फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली.

शराब पीने का आदी था कल्ला

इंदार थाने के प्रभारी एस.बी. शर्मा ने कहा है कि कल्ला शराब पीने का आदी था और तांत्रिक क्रियाएं करता था. उस पर किसी तरह का कर्ज नहीं है. आशंका है कि उसने तांत्रिक क्रिया के चलते ही आत्महत्या कर ली होगी. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

आपको बता दें कि मंदसौर जिले में 6 मई को किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई थी. जिसके बाद शिवराज सरकार द्वारा किसानों के हित में कई घोषणाएं करने के बावजूद भी इन नौ किसानों ने खुदकुशी की. इससे पहले आठ जून से लेकर बुधवार सुबह तक सात अन्य किसानों ने भी मध्यप्रदेश के विभिन्न भागों में कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या की है.

सूदखोरों के चंगुल में हैं एमपी के किसान: कांग्रेस

मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वर्णिम मध्यप्रदेश का दावा करते हैं, मगर यहां के किसान सूदखोरों के चंगुल में हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि बीते तीन दिनों में कर्ज के बोझ से दबे प्रदेश के छह किसानों ने आत्महत्या कर ली. होशंगाबाद के बाबई में किसान द्वारा आत्महत्या करना शिवराज सरकार के उन दावों की कलई खोलती है, जो 0 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देने का दावा करती है. अगर 0 प्रतिशत बयाज पर कर्ज मिल रहा है, तो किसान सूदखोरों के चंगुल में आज भी क्यों हैं?

खून से रंगे हैं शिवराज सरकार के हाथ: ज्योतिरादित्य

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार के हाथ खून से रंगे हुए हैं. ज्योतिरादित्यके सत्याग्रह मंच पर एक कार्यकर्ता ने शिवराज की नकल उतारी.
टीटी नगर स्थित दशहरा मैदान में बुधवार से शुरू हुए कांग्रेस के 72 घंटे के सत्याग्रह के दूसरे दिन गुरुवार को ज्योतिरादित्य ने कहा, “मंदसौर में किसानों पर सरकार ने पुलिस से गोली चलवाई और छह किसानों की मौत हो गई, इस सरकार के हाथ खून से रंगे हुए हैं, मुख्यमंत्री चौहान को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.”

गृह मंत्री राजनाथ सिंह की चुप्पी इसलिए भी ज्यादा चौंकाने वाली है क्योंकि वो देश के गृह मंत्री ही नहीं बल्कि खुद को किसानों के बड़े मसीहा के तौर पर भी पेश करना चाहते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री रह चुके राजनाथ सिंह किसानों के समर्थन में बोलकर उनके प्रति हमदर्दी दिखाते रहे हैं. गांव, गरीब और किसान की बात करने वाले राजनाथ कुछ महीने पहले ही हुए यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त किसानों के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे थे. वादे कर रहे थे 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना कर दिया जाएगा. यूपी की सत्ता में आने के बाद किसानों की कर्ज माफी होगी और ऐसा हुआ भी.
लेकिन, अब जबकि मंदसौर की आग ने धीरे-धीरे कई प्रदेशों को अपने आगोश में ले लिया तो उनकी रहस्यमयी चुप्पी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
हालांकि, देश में आंतरिक सुरक्षा का मामला हो या फिर कश्मीर में जारी आतंकवादी गतिविधियों का मामला उनकी तरफ से बयान जरूर आता है. आंतरिक मामलों की जिम्मेदारी उनके पास है लिहाजा आतंकवादी हमले या फिर नक्सल हमले के बाद उनकी तरफ से इस तरह की घटना की निंदा जरूर की जाती है.

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