कृषि कानून; किसानों को किसी भी तरह की सुरक्षा नहीं देते हैं ;किसान सीधे सिविल कोर्ट भी नहीं जा पाएगा ; कृषि विशेषज्ञ ने चेताया
केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े कुल तीन कानून पास किए हैं, जिनके तहत किसान मंडी के बाहर अपनी फसल बेच सकेंगे. प्राइवेट कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर किसानों से खेती करवा सकेंगी. हालांकि, कानून में MSP को लेकर कोई ठोस नियम नहीं है. अब किसानों की ओर से इसी का विरोध हो रहा है, किसानों का कहना है कि मंडी में MSP और पैसों की गारंटी मिलती है लेकिन बाहर नहीं होगी. ऐसे में सरकार को MSP से नीचे फसल खरीदने वालों पर एक्शन का प्रावधान शामिल करना चाहिए. हालांकि, सरकार इसपर नहीं मान रही है. नए कानून को लेकर किसानों ने कई तरह की चिंता व्यक्त की हैं, किसान संगठनों के मुताबिक, इससे APMC एक्ट कमजोर होगा, जो मंडियों को ताकत देता है. ऐसा होते ही MSP की गारंटी भी खत्म होने लगेगी जिसका सीधा नुकसान भविष्य में किसान को उठाना होगा. किसानों के मुताबिक, कानून लागू होने के बाद कॉरपोरेट खरीदार अधिक दाम पर फसल ले सकते हैं लेकिन एक-दो साल बाद उनपर MSP का जब कोई दबाव नहीं होगा तो वो मनचाहा दाम लेंगे. और तब किसान के पास कोई ऑप्शन नहीं होगा.
भारत के संविधान का आर्टिकल 19 देश के लोगों को अपनी आवाज उठाने का अधिकार देता है. लेकिन कृषि कानून के ये एक्ट किसी भी तरह की कानूनी चुनौती देने से रोकते हैं. इसमें सिर्फ ये नहीं कि किसान नहीं कर सकते, बल्कि कोई भी नहीं कर पाएगा. ;;;;कृषि विशेषज्ञ पी. साईनाथ ने कहा
किसानों का आंदोलन बढ़ता जा रहा है.किसानों सरकार को कड़ा संदेश, मीटिंग में सरकार की ओर से पेश कोई भी चीज खाने से इनकार
कृषि कानूनों के खिलाफ देश में किसानों का आंदोलन बढ़ता जा रहा है. इसी के साथ अवॉर्ड वापसी का सिलसिला भी शुरू हो गया है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल ने कृषि कानूनों के विरोध में अपना पद्म विभूषण सम्मान वापस कर दिया है. उनके अलावा अकाली दल के नेता रहे सुखदेव सिंह ढींढसा अभी अपना पद्म भूषण सम्मान लौटाने की बात कही है.
समाचार एजेंसी के अनुसार, एक कार्यक्रम में कृषि कानून को लेकर कृषि विशेषज्ञ पी. साईनाथ ने कहा कि APMC एक्ट का क्लॉज 18 और 19, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट में दिक्कतें हैं जो किसानों को किसी भी तरह की सुरक्षा नहीं देते हैं. पी. साईनाथ ने कहा कि भारत के संविधान का आर्टिकल 19 देश के लोगों को अपनी आवाज उठाने का अधिकार देता है. लेकिन कृषि कानून के ये एक्ट किसी भी तरह की कानूनी चुनौती देने से रोकते हैं. इसमें सिर्फ ये नहीं कि किसान नहीं कर सकते, बल्कि कोई भी नहीं कर पाएगा.
प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को करीब तीन पन्ने की चिट्ठी लिखते हुए कृषि कानूनों का विरोध किया, किसानों पर एक्शन की निंदा की और इसी के साथ अपना सम्मान वापस दिया.
अपना पद्म विभूषण लौटाते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने लिखा, ‘मैं इतना गरीब हूं कि किसानों के लिए कुर्बान करने के लिए मेरे पास कुछ और नहीं है, मैं जो भी हूं किसानों की वजह से हूं. ऐसे में अगर किसानों को अपमान हो रहा है, तो किसी तरह का सम्मान रखने का कोई फायदा नहीं है’
प्रकाश सिंह बादल ने लिखा कि किसानों के साथ जिस तरह का धोखा किया गया है, उससे उन्हें काफी दुख पहुंचा है. किसानों के आंदोलन को जिस तरह से गलत नजरिये से पेश किया जा रहा है, वो दर्दनाक है.
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल ने अपने पूरे जीवन में किसानों के लिए लड़ाई लड़ी. उन्होंने अवॉर्ड वापस कर सरकार को कड़ा संदेश दिया है. किसानों को इन कानूनों की जरूरत नहीं है. दोपहर 12 बजे से किसानों और सरकार के बीच विज्ञान भवन में चर्चा जारी है. किसानों की ओर से लगातार MSP पर अपनी मांग रखी जा रही है, किसानों ने अपनी ओर से दस पन्नों का खाका पकड़ाया है. दोपहर तीन बजे मीटिंग में ब्रेक हुआ है, ऐसे में किसान बाहर आए हैं. बैठक की खास बात ये है कि किसानों ने अपना खाना बाहर से मंगवाया है और सरकार की ओर से पेश कोई भी चीज खाने से इनकार किया है.
इससे पहले भी बादल परिवार की ओर से कृषि कानूनों का बड़ा विरोध किया गया था. हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और केंद्र के नए कानूनों को किसानों के साथ बड़ा धोखा बताया था. सिर्फ इतना ही नहीं सुखबीर बादल ने अकाली दल के NDA से अलग होने का ऐलान करते हुए पंजाब के चुनावों में अकेला लड़ने की बात कही थी.
गौरतलब है कि अकाली दल पंजाब में लगातार कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. हालांकि, कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अकाली दल पर हमलावर हैं और अकाली दल को घेरते आए हैं. अमरिंदर ने आरोप लगाया था कि जब अकाली दल केंद्र सरकार में शामिल थी, तब ये कानून तैयार हुए थे ऐसे में तब विरोध क्यों नहीं किया गया था.
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कानूनों का विरोध सबसे अधिक पंजाब में ही हो रहा है. पिछले दो महीनों से पंजाब के किसान सड़कों पर हैं, लेकिन अब एक हफ्ते से दिल्ली कूच कर चुके हैं. दिल्ली-एनसीआर के इलाकों को किसानों ने पूरी तरह से घेरा हुआ है और यहीं डेरा जमा लिया है.
किसानों को मनाने के लिए सरकार की ओर से लगातार बातचीत की जा रही है. अबतक चार दौर की चर्चा हो चुकी है, लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं हैं. किसानों का कहना है कि सरकार को तीनों कानून वापस लेने होंगे, साथ ही MSP पर गारंटी देनी होगी. सरकार की ओर से लगातार किसानों को भरोसा दिया जा रहा है कि MSP बनी रहेगी, खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं. लेकिन किसान लिखित में गारंटी लेने पर अड़ गए हैं. पिछले एक हफ्ते से दिल्ली की सीमाओं पर किसान मौजूद हैं और उनका कहना है कि वो चार महीने तक का राशन साथ लाए हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कुल दस पन्नों का खाका सरकार को सौंपा गया है. किसानों की ओर से कृषि सचिव को खाका सौंपा गया, जिसमें 5 मुख्य बिंदु हैं. APMC एक्ट में 17 प्वाइंट पर असहमति है, एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में 8 प्वाइंट पर असहमति है. इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में 12 प्वाइंट पर असहमति है.
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