उत्तराखण्ड में खादयान्न संकट;भारतीय खाद्य निगम असफल
भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) भारत का एक निगम है। भारत में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु यह खाद्यान्नों का क्रय करके उन्हें गोदामों में भण्डारित करता है परन्तु भारतीय खाद्य निगम उत्तराखण्ड जोन में असफल साबित हो रहा है, अधिकारियों के लिए यह मात्र सैर सपाटा तथा पिकनिक वाला स्थान साबित रहा है, जबकि क्षेत्र में भयंकर खादयान्न व्याप्त है
उत्तरकाशी जनपद में बारिश के कारण 15 संपर्क मार्ग बंद होने से जहां 42 गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से टूट गया है, इसकेे अलावा देहरादून जनपद में 60 सडके बंद होने की खबर आ रही है, इससे राजधानी के आसपास के क्षेत्रों में गंभीर खाद्यान्न संकट व्याप्त हो गया है- वही General Manager (Region) देहरादून नोयडा, दिल्ली में मीटिंगों में व्यस्त है- भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) की लापरवाही का खामियाजा भाजपा सरकार को भुगतना पड रहा है-
चन्द्रशेखर जोशी सम्पादक की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट- www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal & Daily Newspaper) publish at Dehradun & Haridwar;
गढवाल मण्डल में भारतीय खाद़य निगम की लापरवाही का आलम
देहरादून, {हिमालयायूके नयूज पोर्टल} उत्तराखण्ड के गढवाल मण्डल में भारतीय खाद़य निगम जिला कार्यालय श्रीनगर गढवाल का नियंत्रण है, किन्तु वहां पर क्षेत्र प्रबन्धक जो पहले जिला प्रबन्धक होता था, स्थायी नियुक्ति ही नही की गयी है, जिसे उधार का क्षेत्र प्रबन्धक देहरादून द्वारा अपने मनमाफिक तरीके से चलाया जा रहा है, गढवाल के संवेदनशील जिले तथा सीमावर्ती जनपदों में लगातार खाद्यान्न संकट बना रहता है, जबकि बरसात के कई महीने इन जनपदों पर भारी गुजरते हैं, आये दिन सडके बंद हो जाने से पूरा गढवाल मण्डल भारी खाद्यान्न संकट से जूझता है, परन्तु क्षेत्र प्रबन्धक देहरादून द्वारा इस ओर कभी गंभीरता नही दिखायी जाती, श्रीनगर में स्थायी क्षेत्रीय प्रबन्धक की नियुक्ति को मनमाने तरीके से क्षेत्र प्रबन्धंक देहरादून ने अटकाया हुआ है, जिससे समूचे गढवाल में भारतीय खाद़य निगम अपने कार्यो को सफलतापूर्वक करने में असफल साबित हो रहा है, वही भारतीय खाद़य निगम देहरादून के कार्यालय में अन्य महानगरों से आये अधिकारी बरसात आदि होते ही शुक्रवार को अपने अपने घरो की ओर रवाना हो जाते हैं, तथा सोमवार को दोपहर बाद देहरादून कार्यालय में विराजमान होते हैं, उसके बाद भी नोयडा, दिल्ली आदि में मीटिंग का बहाना बनाकर कभी कभी तो पूरा सप्ताह भी देहरादून आना गंवारा नही करते, ऐसे में इन अधिकारियों को उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपदों गढवाल, कुमायूं में खाद्यान्न संकट से मानो कोई लेना देना नही है, वही अचानक मीटिंग कॉल कर सम्पूेर्ण रिपोर्ट प्राप्त करने तक सीमित है, पर्वतीय जनपदों में रासते बंद हो जाने पर यह पर्वतीय जनपदों में क्या समस्यांयें है, इस ओर मानो इनका कोई ध्यान नही है,
Food Corporation of India UTTRAKHAND REGION FAIL;
The Food Corporation of India was setup under the Food Corporation Act 1964 , in order to fulfill following objectives of the Food Policy: Effective price support operations for safeguarding the interests of the farmers. Distribution of foodgrains throughout the country for public distribution system.
Maintaining satisfactory level of operational and buffer stocks of foodgrains to ensure National Food Security Since its inception, FCI has played a significant role in India’s success in transforming the crisis management oriented food security into a stable security system.
भारतीय खाद़य निगम जिला कार्यालय श्रीनगर गढवाल के अन्तर्गत जो रेवेन्यू जिले आते हैं, उनमे जिला चमोली तथा जिला रूद्रप्रयाग, पौडी, आधा टिहरी एवं उत्तमरकाशी में खादयान्न आपूर्ति डिपो है,
वही जिला चमोली को सिमली डिपो कर्णप्रयाग से खाद्यान्न आपूर्ति की जाती है, जबकि रू्द्रप्रयाग व कुछ हिस्सेम पौडी जिले के श्रीनगर डिपो से खाद्यान्न् आपूर्ति की जाती है, वही पौडी जिले को कोटद्वार डिपो से, तथा उत्तररकाशी एवं टिहरी को ऋषिकेश डिपो से खाद्यान्न आपूर्ति की व्यकवस्था है,
गंगोत्री सहित उच्च हिमालय क्षेत्र में तेज बारिश हो रही है। गढवाल मण्डल की स्थिति इस प्रकार है- सडके बंद हो गयी है, समूचे क्षेत्र खाद्यान्न संकट के गुजर रहा है
; उत्तरकाशी जनपद में खाद्यान्न संकट
उत्तरकाशी जनपद में बारिश के कारण 15 संपर्क मार्ग बंद होने से जहां 42 गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से टूट गया है, उत्तरकाशी जिले में बारिश के कारण सबसे अधिक संपर्क मार्ग नौगांव, भटवाड़ी तथा मोरी ब्लाक में बंद हैं। टिकोची-दुचाणु-किराणु- शिलोली मोटर मार्ग 15 दिन से बाधित है। मार्ग पर जमे मलबा और भूस्खलन से यातायात सुविधा ठप है। नौगांव ब्लाक के सरनौल व सर बडियार के गांवों को जोड़ने वाला मार्ग 24 जुलाई से बंद है। उत्तरकाशी जनपद में हाईवे की हालत और ज्यादा खराब है। नालूपाणी, बड़ेथी, रतूड़ी सेरा, बंदरकोट, नेताला, लालढांग, हेलगु गाड़, गंगनानी में हल्की बारिश में भी भूस्खलन का मलबा वाहनों की आवाजाही रोक देता है। जिससे क्षेत्रीय जनता को भयंकर खाद्यानन संकट का सामना करना पड रहा है,
चमोली जिले में खाद्यान्न संकट
चमोली जिले में इन दिनों बारिश का दौर जारी है। बारिश से बदरीनाथ हाईवे बार- बार बाधित होने के कारण यात्रियों को तो परेशानी हो ही रही है। लेकिन ग्रामीण अंचलों में भी लोग परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के नाले उफान पर हैं। ऐसे में ग्रामीण जुगाड़ से बल्लियों के सहारे अस्थायी पुल बनाकर आवाजाही कर रहे हैं। उर्गम क्षेत्र के कल्प गंगा में एक दर्जन से अधिक पैदल रास्ते कल्पगंगा को पार कर आते हैं। कल्प गंगा में 2013 की आपदा में स्थायी पुल बह गया था। पुलों का निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों की बारिश के दौरान मुसीबतें बढ़ रही हैं। कल्पगंगा का पानी उफान पर होने के चलते ग्रामीण अस्थायी लकड़ी का पुल बना रहे हैं, लेकिन वह भी बार-बार बह रहा है। यात्री भी लकड़ी के कच्चे पुलों पर ही आवाजाही कर रहे हैं। लामबगड़ भूस्खलन जोन से अरूड़ी, पटूडी, पड़गासी, लामबगड़, बेनाकुली, जेपी बैराज सहित आसपास के गांव के स्कूली बच्चे प्रतिदिन इंटर कॉलेज पांडुकेश्वर में पढ़ाई के लिए आते हैं। जिन्हें लामबगड़ भूस्खलन जोन में खतरों से खेलकर आवाजाही करनी होती है।
रुद्रप्रयाग जिले मेंकई दिन से हो रही भारी बारिश के चलते जिले के 10 मोटरमार्ग मलबा एवं बोल्डर आने से बंद हैं। उधर पौड़ी जिले में भी 29 सड़कें बंद हैं। लोनिवि एवं पीएमजीएसवाई के 10 मोटरमार्ग मलबा व बोल्डर आने से बंद चल रहे हैं। इनमें लोनिवि प्रखंड रुद्रप्रयाग, पीएमजीएसवाई रुद्रप्रयाग, पीएमजीएसवाई जखोली, विश्व बैंक प्रखंड रुद्रप्रयाग समेत कई ब्लॉक के मोटरमार्ग आवाजाही के लिए बंद चल रहे हैं। जिले के 10 मोटरमार्ग बंद होने से क्षेत्रीय ग्रामीणों को आवाजाही के साथ ही रोजमर्रा का सामान ले जाने में काफी दिक्कतें ; कोटद्वार नगर व आसपास के क्षेत्र में मूसलाधार बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। राष्ट्रीय राजमार्ग सहित तमाम सड़कें नालों में तब्दील हो गई। क्षेत्र में गंभीर खाद़यान्नर संकट व्यागप्त हो गया है
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