भा०ज०पा० ने गीता ठाकुर को तवज्जो नहीं दी तो बौखलाई
कांग्रेस भवन मे भाजपा की नितियो से खिन्न होकर भाजपा के विधायक दान सिंह भंडारी व भाजपा नेत्री गीता ठाकुर ने सैकड़ौ समर्थको सहित मां हरीश रावत जी द्वारा किए गए विकास कार्यो से प्रभावित होकर कांग्रेस पार्टी की विधिवत् रूप से प्रदेश अध्यक्ष मां किशोर उपाध्याय के नेतृत्व मे सदस्यता ग्रहण की ।
भा०ज०पा० प्रवक्ता श्री मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि श्रीमती गीता ठाकुर व पूर्व विधायक श्री दान सिंह भण्डारी द्वारा कांग्रेस में सम्मिलित होने के पश्चात जो बयानबाजी की है उससे उनकी खुद ही की पोल खुल गयी है। सच्चाई तो यह है कि श्रीमती गीता ठाकुर ने पहले तो खुद प्रेस वर्ता आयोजित कर अपने आप को राज्यसभा के चुनाव से स्वेच्छा से रिटायर करने का ऐलान किया और बाद में कांग्रेस पार्टी से डील करने के बाद अनर्गल बयानबाजी करना प्रारम्भ कर दिया परन्तु दो तीन दिन बाद ही उनको अपनी गलती का अहसास हो गया और वह वापस भा०ज०पा० में आने के लिए हाथ पैर मारने लगी परन्तु भा०ज०पा० ने जब उनको तवज्जो नहीं दी तो बौखला करके अब अमर्यादित बयानबाजी कर रहे हैं इससे ज्यादा गीता ठाकुर जी के बयानों पर कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है।
श्री चौहान ने कहा कि जहॉ तक श्री दान सिंह भण्डारी जी का प्रश्न है तो उनको जनता को यह बताना चाहिए कि शक्ति परीक्षण के पहली रात ही इस्तीफा क्यों दिया ? भण्डारी जी यह भी बतायें कि भा०ज०पा० के विधायक रहते हुए कितने जनहित के कार्य माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा उनके विधानसभा क्षेत्र में किये गये ? सच्चाई यही है कि भा०ज०पा० में रहते हुए एक भी जनहित का कार्य उनके विधानसभा में माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा नहीं किया गया जबकि नेता विरोध दल माननीय अजय भट्ट जी द्वारा निरन्तर दूसरे विधानसभा क्षेत्रों की तरह भीमताल विधानसभा में भी विकास कार्यों की समीक्षा की पैरवी की जाती रही इसलिए यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि किस डील से प्रभावित होकर उन्होंने वोट से ठीक पहली रात त्याग पत्र दे दिया और पार्टी छोड दी ?
श्री चौहान ने कहा कि श्री दान सिंह भण्डारी जी को पहले तो मुख्यमंत्री जी ने कांग्रेस ज्वाईन करा दी और बाद में प्रदेश अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय जी द्वारा उस ज्वाईनिंग को खारिज कराने के बाद श्री भण्डारी जी को दरवाजे के बाहर खडा कर दिया क्या इससे बडा पूर्व विधायक का अपमान कुछ और हो सकता है ? अब इतने दिनों तक खुशामत करने के बाद पार्टी में सम्मिलित किया गया इसलिए श्री दान सिंह भण्डारी जी की समझ में यह बात आ गयी होगी कि भा०ज०पा० में उनका कितना सम्मान था और अब कांग्रेस में उनकी हैसियत क्या है।
उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी सोते-जागते यह झूठा आरोप लगाते रहते हैं कि केन्द्र की सरकार उनके साथ भेद-भाव कर रही है परन्तु उन्हें यह भी बाताना चाहिए कि वह खुद उत्तराखण्ड में क्या कर रहे हैं ? क्या हरीश रावत जी केवल उन क्षेत्रों के मुख्यमंत्री हैं जहॉ कांग्रेस के विधायक हैं ? यदि वह अपने आपको पूरे प्रदेश का मुख्यमंत्री समझते तो उन क्षेत्रों में भी विकास कार्यों की समीक्षा करते जहॉ सत्ताधारी गठबंधन के विधायक नहीं हैं परन्तु वह ऐसा नहीं करते वह तो पहले खरीद-फरोख्त की डील करते हैं और भा०ज०पा० छोडने की शर्त पर ही विपक्षी विधायकों के क्षेत्रों में कोई विकास कार्य करने का ढोंग करते हैं। श्री दान सिंह भण्डारी जी के साथ भी यही किया गया। उनके द्वारा भा०ज०पा० छोडते ही एक सप्ताह के अन्दर ही माननीय मुख्यमंत्री जी फर्जी घोषणायें करने अपनी डील के तहत भीमताल पहच गये। मुख्यमंत्री जी का यह आचरण अपने ही प्रदेश में घोर भेदभाव वाला है। इतना ही नहीं अब तो देवभूमि के मुखिया, मुख्यमंत्री पद की मर्यादा और गरिमा को ताक पर रखकर ज्योतिषियों और टोटकों के सहारे राजकाज चला रहे हैं।
शक्तिमान प्रकरण में जिस तरह से पूरे प्रदेश को देश और दुनियां की नजर में उपहास का पात्र बनाया उससे मुख्यमंत्री जी का ढोंग सबके सामने आ गया तथा इस ढोंग से देश और दुनियॉ की नजर में देवभूमि की छवि को गहरा आघात लगा।