राहुल गांधी का मजाक उड़ाना भारी पडा- सादगी पर लोगों की दिलचस्पी बढी
गुजरात गौरव यात्रा# अमित शाह का पाटीदार युवाओं द्वारा विरोध #अमित शाह को पाटीदार युवाओं के विरोध का भी सामना करना पड़ा#व्हाट्सऐप और दूसरे सोशल मीडिया पर अक्सर पप्पू कहकर राहुल गांधी का मजाक उड़ाया जाता है – सितारे अनुकूल हुुुुए; लोगों की राहुल गांधी को लेकर दिलचस्पी इसलिए हुई #CHANDRA SHEKHAR JOSHI- Execlusive story #www.himalayauk.org (Newsportal Bureau) Uttrakhand
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को गुजरात के करमसद स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल के घर से गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत की। हालांकि, इस दौरान अमित शाह को पाटीदार युवाओं के विरोध का भी सामना करना पड़ा। करमसद में ही यात्रा की शुरुआत के बाद अमित शाह के भाषण के दौरान पाटीदार युवाओं खलल डाला और बीजेपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान पाटीदार आंदोलन से जुड़े युवाओं ने जय सरदार के नारे भी लगाए। अमित शाह के कार्यक्रम में हंगामा बढ़ता देख पुलिस तुरंत हरकत में आ गई और नारेबाजी कर रहे युवाओं को वहां से खदेड़ दिया।
यात्रा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि यह सरदार पटेल की धरती है, जिन्होंने देश को एक करने और किसानों के हितों के लिए आवाज उठाई। तभी पाटीदार युवाओं ने हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी। अपने भाषण के दौरान अमित शाह ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की। शाह ने कहा कि मोदी द्वारा विकसित किए गए गुजरात मॉडल को अब पूरे देश में लागू किया जा रहा है। यही गुजरात का गौरव है। पीएम मोदी की ओर से दिया गया भ्रष्टाचार मुक्त मॉडल ही गुजरात मॉडल है।
गुजरात सरकार के समाज कल्याण विभाग ने 25 जुलाई 1994 को एक अधिसूचना पारित की थी जो 36 जातियों को ओबीसी श्रेणी में शामिल करती है। इसमें संख्या 25 ब में मोध घांछी जाति का जिक्रहै, जिससे मोदी ताल्लुक रखते हैं। इस जाति को ओबीसी में शामिल किया गया है। मोदी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद ओबीसी श्रेणी में अपनी जाति को शामिल कराने के लिए कुछ जोडतोड की थी। उस समय कहा गया था कि मोदी ओबीसी से ताल्लुक नहीं रखते हैं वह धनी और समृद्ध मोध घांछी जाति से ताल्लुक रखते हैं
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने राहुल गांधी को लेकर अपना आपा खो दिया – राहुल गांधी के तीन दिन के गुजरात दौरे से राज्य की कांग्रेस इकाई में नई जान फूंक दी है. कांग्रेस उपाध्यक्ष के दौरे को लेकर जनता में भी दिलचस्पी देखी गई. गुजरात में काफी लोग सियासी बदलाव का मन बनाते दिख रहे हैं. विजय रुपानी की सरकार के पास गिनाने के लिए उपलब्धियों के नाम पर कुछ है नहीं. बीजेपी गुजरात में दोहरी मार झेल रही है. उसके पास नरेंद्र मोदी जैसे करिश्माई नेता की कमी है. लेकिन जनता तो खुद मोदी के वादों पर ही सवाल उठा रही है.
लोगों की राहुल गांधी को लेकर दिलचस्पी इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने खुद को एकदम अलग नेता के तौर पर पेश किया. व्हाट्सऐप और दूसरे सोशल मीडिया पर अक्सर पप्पू कहकर राहुल गांधी का मजाक उड़ाया जाता है. मगर इस बार गुजरात दौरे में राहुल गांधी बिल्कुल अलग नजर आए. ये बात नहीं है कि उन्होंने खुद को मोदी की बराबरी का लोकप्रिय नेता बना लिया. लेकिन, जनता उनको सुनने को राजी दिखी. राहुल गांधी की सभाओं में लोग जमा नहीं किए गए. जनता उन्हें देखने-सुनने को खुद से जुटी. इनमें से कई लोग बीजेपी से निराश दिखे. राहुल गांधी की सरलता के मुकाबले बीजेपी के वादों की भरमार देखें, तो जनता की दिलचस्पी की वजह खुद से साफ हो जाती है.
राहुल गांधी ने गुजरात दौरे की शुरुआत द्वारकाधीश मंदिर से की. वो पहाड़ी पर स्थित चामुंडा माता के मंदिर भी गए. जब वो मंदिर की 900 सीढ़ियां चढ़ रहे थे, तो नीचे खड़े लोग आपस में इस बात की अटकलें लगा रहे थे कि वो एक सांस में ये सीढ़ियां चढ़ पाएंगे या नहीं? इसके अलावा वो राजकोट के कागवाड़ में खोडलधाम मंदिर भी गए, जो पाटीदारों के लिए पवित्र जगह है. गुजरात के मशहूर मंदिरों में जाने की राहुल गांधी की योजना काफी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगी.
राहुल गांधी, मोदी सरकार को गुजरात में सीधी चुनौती दे रहे हैं. भले ही वो राज्य के चुनाव के लिए प्रचार कर रहे हैं. लेकिन, वो केंद्र सरकार की नाकामियां ही गिना रहे हैं. ठीक उसी तरह, जैसे राज्यों के चुनाव में बीजेपी केंद्र की अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाती रही है. अपने भाषण में राहुल गांधी नोटबंदी, जीएसटी, बेरोजगारी, किसानों की परेशानी, महंगाई और गुजरात के पाटीदारों की दिक्कतों का जिक्र करते हैं.
गुजरात की राजनीति में सौराष्ट्र – में कांग्रेस भरी बहुमत से आ सकती है-
गुजरात की राजनीति में सौराष्ट्र का वही रोल है, जो देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश का है. राज्य के 182 विधायकों में से सबसे ज्यादा 52 विधायक सौराष्ट्र से आते हैं. यहां पर भी जातिगत राजनीति का बोलबाला है.
जामनगर के सराया गांव में राहुल की एक रैली में आए राजेश तापूभाई पटेल ने कहा कि, ‘नर्मदा में पानी कहां है? क्या हमें फसल सूख जाने के बाद पानी मिलेगा? वो बड़े-बड़े वादे करते हैं, पर हमें मिलता कुछ नहीं’.
उनके साथ खड़े नाथालाल पटेल ने कहा कि, ‘मैंने उन्हें बार-बार चेताया था कि कीचड़ में मत जाओ. लेकिन किसी ने मेरी सुनी ही नहीं अब शिकायत कर रहे हैं’.
एक और ग्रामीण नानजी भाई पटेल ने कहा, ‘ठीक है, अब क्या करें? हमें अपनी गलती का अब एहसास हो गया है’. नानजी भाई की बातें सुनकर पास खड़े लोग मुस्कुराने लगे. नानजी भाई ने कहा कि हम वादों से परेशान हो गए हैं. हमें कभी भी आठ घंटे की बिजली सप्लाई नहीं मिलती. लेकिन वादे बड़े-बड़े किए जाते हैं.
दिलचस्प बात ये कि रैली में आया कोई भी शख्स, सवाल पूछे जाने का इंतजार नहीं कर रहा था. वो बस अपनी बात कहना चाहते थे. अशोक भाई नरसिंह भाई ने कहा कि, ‘सरकार ने हम से वादा किया ता कि दीवाली के पांच दिन बाद यानी लाभ पंचम को वो 900 रुपए प्रति 20 किलो की दर से मूंगफली खरीदेंगे. मगर इतनी मूंगफली पैदा करने की लागत करीब 800 रुपए आती है. ऐसे में हमारा क्या खाक फायदा होगा? सरकार तो किसानों से मजाक कर रही है.’
तभी, पास में खड़े एक शख्स राजेश पटेल ने मजाक किया कि, ‘हमें अब दो लड़के पैदा करने होंगे. इनमें से एक का काम होगा मोदी सरकार के बताए काम करना. जैसे वहां मुहर लगवा लो, इस कागज पर दस्तखत करा लाओ. इस बात का प्रमाणपत्र बनवाओ. एक लड़का तो इसी काम में लग जाएगा’. राजेश पटेल का निशाना जीएसटी और आधार को लेकर सरकार के निर्देश थे. उनकी बात सुनकर पास खड़े लोग हंसने लगे.
बाबूभाई जीवाभाई ने कहा कि, ‘हम सब ने झोली भर-भर के बीजेपी को वोट दिया. उन पर भरोसा किया. लेकिन किसी भी चीज की अति नुकसानदेह होती है’.
गांव के लोगों की शिकायतों का कोई अंत नहीं था. ऐसे माहौल में राहुल गांधी का गुजरात दौरा हवा के ताजे झोंके जैसा लग रहा था. हालांकि वो कोई करिश्माई नेता नहीं हैं. लेकिन उनकी सादगी ही लोगों को अच्छी लगी.
सौराष्ट्र, बीजेपी का मजबूत किला रहा है. 2012 के चुनाव में बीजेपी ने यहां की 30 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस सिर्फ 15 पर जीत सकी थी. दो सीटें केशुभाई पटेल की गुजरात परिवर्तन पार्टी ने जीती थी. बाद में इसका बीजेपी में विलय हो गया था.
शायद यही वजह है कि विजय रुपानी, अपनी जुबान पर लगाम नहीं लगा सके. जो आम तौर पर होता नहीं. गुजरात में बीजेपी पिछले 22 साल से राज कर रही है, मगर इस बार हालात बदले हुए नजर आते हैं.
खुद मुख्यमंत्री विजय रुपानी सौराष्ट्र के राजकोट से ताल्लुक रखते हैं. वो यहां से जीतते आए हैं. राहुल गांधी के पूरे दौरे के दौरान, बीजेपी नेता यही कहते रहे कि राहुल गांधी जहां भी जाते हैं, वहां कांग्रेस हारती है.