उत्तराखण्ड में परिवर्तन का मन बना लिया था हाईकमान ने
कांग्रेस हाईकमान ने फरवरी 16 में उत्तराखण्ड में परिवर्तन का मन बना लिया था- तभी कांग्रेस विधायकों की बगावत ने हरीश रावत को जीवन दान दे दिया- हिमालयायूके की बडी पडताल
उत्तराखण्ड की वर्तमान राजनीतिक दशा देख कर इस समय ज्वलंत सवाल/जनचर्चा का विषय हो गया है कि क्या दोबारा मुख्यमंत्री बन पायेगें हरीश रावत ?
मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने के बाद से अब तक अनुकूल रहे हरीश रावत के सितारे क्या फिर उसी गति से चलते रहेगे- क्या 2017 में हरीश रावत उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बनेगें- इस समय सबसे बडा सवाल यह है- यह सब कुछ सितारों पर निर्भर करेगा- सितारों की चाल पढने में माहिर विद्वान– दीपावली तक इसकी गणना करके भविष्यवाणी करेगें- एक्सक्लूसिव रिपोर्ट- मुख्यमंत्री बनने से पूर्व हरीश रावत के किये गये पूण्य उनकी कुर्सी सुरक्षित करते गये- परन्तु सीएम बनने के बाद इसमें इजाफा नही हो पाया- ऐसा भी विद्वानों का मानना है- अब वह खाता खाली सा हो गया है- प्रस्तुत फाइल फोटो- केदारनाथ आपदा के उपरांत आम जन के बीच-
www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal)
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के रूप में हरीश रावत के कार्यकाल में ऐसे अनेक अवसर आये, जब यह लगा कि उत्तराखण्ड पद से यह अब गये, तब गये, परन्तू अनुकूल सितारे उनको जीवनदान देते चले गये, हैलीकाप्टर एक्सीडेंट में गर्दन में गंभीर चोट आने से लेकर शुरू हुआ उनका संघर्ष लगातार जारी रहा- परन्तु उनके सितारों ने प्रतिकूल असर नही दिखाया- और स्थितियां शनै शनै उनके अनुकूल लाते गये- हालांकि सितारों केे जानकारों का यह भी कहना है कि उनको भयंकर कठिनाईयां भी सितारों की चाल के कारण आयी, यानि उनके हाथों में सदकर्म की मात्रा भी ज्यादा नही है- हिमालयायूके न्यूज पोर्टल एक्सक्लूसिव स्टोरी-
ज्ञात हो कि उत्तराखण्ड के आईएएस सचिव तथा मुख्यमंत्री के निजी सचिव के रूप में कार्य कर रहे शाहिद के स्टि्ग आपरेशन की सीडी सामने आने के बाद चारों ओर बहुत गलत असर गया, तथा कांग्रेस हाईकमान तो इतनी खिन्न थी उन्होंने उत्तराखण्ड में परिवर्तन का मन बना लिया था परन्तु इसके बाद सितारों की
चाल बदलती गयी गयी, वही सितारे तो कुछ और ही खेल खिला रहे थे-
हरीश रावत की कुर्सी को निसंदेह बगावत ने बचा लिया- जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के विधायकों ने बगावत नही की होती तो उत्तराखण्ड में बदलाव निश्चित था, परन्तु बगावत ने हरीश रावत को जीवन दान दे दिया, हालांकि प्रत्यक्ष रूप से संकट तो भयावह दिखे परन्तु उनकी कुर्सी सुरक्षित होती चली गयी और बगावत करने वाले सत्ता से बेदखल होते चले गये- वही भाजपा पूरा जोर लगाकर भी हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद से उखाड नही पायी, यह सब सितारों का खेल था- लगातार अनुकूल होते सितारेे हरीश रावत की गददी को सुरक्षित करते गये-
यह सब आम जन के लिए भी रूचिपूर्ण रहा-भाजपा की पूरी नैशनल ताकत भी हरीश रावत को गददी से उखाड नही सकी, यह देवभूमि का चमत्कार ही था- देवभूमि की न्यायकारी शक्तियां खुद जाग्रत हो गयी, और मजबूत भाजपा हरीश रावत के समक्ष कमजोर पडती चली गयी-
“षडयंत्रकारी शक्तिया खामोश नहीं: मुझे हर हाल में समाप्त करना चाहते है: मुझे सीबीआई जाँच में उलझाया जा रहा है: स्वयं को आपके और देवी देवताओ के हवाले छोड़ रहा हु: आपकी शरण में हु: हरीश रावत ने मार्मिक अपील करते हुए कहा था- सरकार या जेल, मेरी अब दो ही जगह –
उत्तराखण्ड में मॉ भगवती के विशेष स्थान कालीशिला, कालीमठ से गुरूओं का हरीश रावत को आशीर्वाद मिलता चला गया-
वही ज्ञात हो-
9 कभी भी बुरा नहीं था रावत के लिए। उनका जन्मदिन 27 अप्रैल। 2+7=9.उनका मूलांक ही 9 था। इसी 9 के अंक ने खुद उपस्थित होकर उनका संकट टाला। 9 बागी भी दिखे सबको जबकि अंततः 10 हुए रेखा आर्य को लेकर। 9 का अंक बागियों में आया और रावत जी को बचाया। 10 मई को उत्तराखंड विधानसभा में जो शक्ति परीक्षण हुआ। उसमें हरीश रावत की सरकार को बहुमत मिल गया है, लेकिन इसकी अधिकारिक घोषणा 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने की।
वही इससे पूर्व कुत्ते और घोडे के बलिदान ने हरीश रावत को दोबारा जीवनदान दिया- हरीश रावत के जीवन में कुत्ता- और घोडे की भूमिका यादगार है- दोनों ने स्वयं का बलिदान देकर- हरीश रावत को जीवन दान दे दिया-
JUNE 2014; जब हरीश रावत का हैलीकाप्टर एक्सीडेंट हुआ- हैलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त होकर हरीश रावत के गर्दन में गहरी अंदरूनी चोट आयी थी, और घर पर उसी समय प्यारे कुत्ते दानी ने प्राण त्याग दिये थे-
हरीश रावत जी की विधानसभा के निकट है सुप्रीम कोर्ट- सही पढा है, आपने- जी, हां सुप्रीम कोर्ट- यह न्याय का सुप्रीम कोर्ट है, वेदों में वर्णित है- कलयुग में जब कल्याणकारी शक्तियां न्याय देने में विवश होगी उस समय मॉ भगवती कोटगा्डी देवी के दरबार में सुप्रीम कोर्ट की तरह अंतिम न्याय यहां मिलेगा,नाम मात्र से जाग्रत होने वाली देवी-का
वर्णन मैंने समय समय पर किया है-
उत्तराखण्ड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता, यहा आज भी हिमालय की चोटियों, कंदराओं में ऋषि मुनि तपस्या हैं, जिनके कारण यह दुनियां, यह देश, यह प्रदेश चल रहा है, वरना आज राजनीतिज्ञ व नौकरशाहों से जनता को ज्यादा अपेक्षाएं नहीं हैं, उत्तराखण्ड में राजनीति कर रहे तमाम नेतागण आमजन की अपेक्षाओं पर असफल साबित हुए हैं, वही उत्तराखण्ड में देवभूमि के प्रभाव से यहां जिसने अति की, उसका परिणाम भी उनके लिए दुखदायी सिद्व हुआ,
सुप्रीम कोर्ट कहे जाने वाले इस मंदिर में कोटगाडी देवी को न्याय की देवी के नाम से जाना जाता है। न्याय की परम पराकाष्ठा प्रदान करने के पश्चात ही शायद यह मान्यता हुई, कोटगाडी मंदिर के पास ही माता गंगा का एक पावन जलकुण्ड है। कहा जाता है कि प्रतिदिन ब्रह्म मूर्हूत की पावन बेला पर माता कोटगाडी इस कुंड में स्नान करने आती हैं। सभी पावन दिव्य स्थलों में से तत्कालिक फल की सिद्वि देने वाली माता कोटगाडी देवी मंदिर का अपना दिव्य महात्म्य है। कहा जाता है कि यहां पर सच्चे मन से निष्ठापूर्वक की गयी आराधना व पूजा का फल तुरंत प्राप्त होता है तथा अभीष्ट कार्य की सिद्वि होती है। यह देवी पाताल भुवनेश्वर की न्यायकारी शक्ति के रूप में पूजित है। किंवदन्तियों के अनुसार जब उत्तराखण्ड के सभी देवता विधि के विधान के अनुसार स्वयं को न्याय देने व फल प्रदान करने में अक्ष्ते हैं, तब अनन्त निर्मल भाव से परम ब्रह्माण्ड में स्तुति होती है कोकिला माता अर्थात कोटगाडी की। 2017 के विधानसभा चुनाव के उपरांत देवभ्ूामि उत्तराखण्ड का प्रथम सेवक – देवभ्ूामि की अपेक्षाओं पर खरा उतरे- इसके लिए हिमालयायूके न्यूज पोर्टल विशेष आवेदन पत्र मंदिर में देकर मॉ का आहवान करेगा- फोटो- माता कोटगाडी देवी-
;;;; वही सवाल यह भी उठ रहा है कि अब तक अनुकूल चलते रहे हरीश रावत के सितारे क्या फिर उसी गति से चलते रहेगे- क्या 2017 में हरीश रावत उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बनेगें- इस समय सबसे बडा सवाल यह है- यह सब कुछ सितारों पर निर्भर करेगा- सितारों की चाल पढने में माहिर – विद्वान दीपावली तक इसकी गणना करके भविष्यकवाणी करेगें
उत्तराखण्ड. के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद हरीश रावत पर एक के बाद एक संकट टूट कर पडे, परन्तु सितारों ने साथ दिया, और ब्रहमास्त्र बनाकर भेजा गया संकट भी टलता गया, हर संकट के बाद विरोधियों को लगता था कि अब तो हरीश को कोई बचा नही सकता, परन्तुे हरीश रावत को इंच मात्र भी हिला नही पाये भरपूर षडयंत्र के बाद भी, हरीश रावत जी की गर्दन पर जिस दिन संकट आया उसी दिन उनके प्याेरे कुत्ते की असामयिक मौत हो गयी थी, इस तरह घटनाओं का एक लम्बा सिलसिला चलता रहा, परन्तु यह सत्य है कि इन षडयंत्रों ने हरीश रावत की कुर्सी मजबूत होती गयी और बगावत करने वालों की राह कठिन- वही यह भी कटु सत्य है कि फरवरी 2016 तक हरीश रावत की कुर्सी पर चारो ओर से संकट मंडरा रहा था, कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखण्ड में बदलाव का मन बना लिया था और सूबे में हरीश रावत के राज के प्रति नाराजगी बढती जा रही थी, वही सूबे में भाजपा की स्थिति मजबूत होती जा रही थी- परन्तु मार्च 2016 के बाद तो स्थिति बदलती चली गयी- हरीश रावत पर संकट जरूर आये पर कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखण्ड में परिवर्तन करने का मन बदल लिया- और भाजपा के षडयंत्रों से आजिज जनता की सहानुभूति की बयार हरीश रावत पर बह पडी,
जबकि हमारे न्यूज पोर्टल के विश्वपस्नीय सूत्रों के अनुसार उत्तनराखण्ड के आईएएस सचिव शाहिद के स्टिग आपरेशन के बाद कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत को हटाने का मन बना लिया था-
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि आखिरकार थक हार कर बागी जब बैठ गये तो वरिष्ठ बागी की बहन का प्याार एक बार फिर जागा, कांग्रेस हाईकमान के दरबार में फिर पहुंची, माफ कर दीजिये, भाई को तथा एक दो लोगों को सम्मान दे दीजिये, सब वापस आ जायेगें- तो कांग्रेस हाईकमान का एक दो टूक शब्द बाहर आया- गो टू हेल -इसके बाद कांग्रेस हाईकमान की तबियत अक्सर खराब रहने से हरीश रावत को फ्री हैण्ड मिल गया, क्योंकि कांग्रेस युवराज के वह काफी करीबी है, युवराज ने उनको विगत वर्ष प्रमुख महासचिव का भी आफर दिया था-
इसके बाद चैप्टर खत्म हो गया- यह नवीनतम अपडेट थी इस एपिसोड की-
;;;
वही सत्ता परिवर्तन के लिए भाजपा ने पहले दिल्ली चक्कर लगाये, अब शुरूआत धारचूला आदि से क्यों कर रही है- यह गौरतलब है- हरीश रावत के गढ में क्यों भेज रही है भाजपा हरक सिंह रावत को –
19 अगस्त……हरक सिंह रावत धारचूला विधानसभा से गंगोलीहाट पिथौरागढ़ जागेश्वर सोमेश्वर. साथ में भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल होगे-
‘भगवान की कसम नहीं बनने दूंगा हरीश रावत की सरकार’ ; केदार बाबा की कसम खा कर हरक सिंह माता के दरबार में भी मनौती मांग सकते हैं ;25 APRIL 2016 को हरक सिंह रावत ने -कभी भी हरीश रावत को सत्ता में न लौटने देने की कसम ली है। एच एन बहुगुणा को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हरीश को वे अब कभी सत्ता में नहीं लौटने देंगे। उन्होंने इसके लिए बाबा केदार की सौगंध ली है।
वही बीजेपी के हर छोटे तथा बड़े नेता ने हरीश रावत के खिलाफ तलवारे निकाली हुई है;
इसके बाद- कांग्रेस सरकार का पर्दाफाश करने के लिए भाजपा ने रोड़मैप तैयार किया- परन्तुा गौरतलब है कि श्री नरेन्द्र मोदी जी की तरफ से कांग्रेस के इन बागियों से अभी तक मुलाकात तब नही की गयी हैं, ऐसे में इन लोगों को टिकट भी मिल पायेगा, यह समय के गर्त में है-
वही हरीश रावत को रोकने के लिए भाजपा ने मजबूत रणनीति तैयार की है- इसके लिए कांग्रेस सरकार का पर्दाफाश करने के लिए भाजपा ने रोड़मैप तैयार कर लिया है. यह अखबार की भाषा तो हो सकती है, परन्तुज देखा जाये तो किसी भी हाल में भाजपा हरीश रावत को सहन करने को तैयार नही है, भाजपा की, भाजपा के क्षत्रपों की एक ही रणनीति है हरीश रावत को धूल किसी तरह चटायी जाये, मार्च 2016 से भाजपा के तरकश में जितने भी तीर थे, सब चला दिये, जितने भी ब्रहमास्त्र थे, सब चला दिये, परन्तुस सब निष्प्रीभावी होकर रह गये, आखिर ऐसा क्या् हुआ, भाजपा के, बागियों के सारे ब्रहमास्त्रस निष््प्र भावी होकर रह गये, और हरीश रावत को जीवन दान मिलता रहा- यह भी गौरतलब है कि भाजपा जब जब ब्रहमास्त्र दाग रही थी, हरीश रावत तक पहुंचते पहुंचते वह निष्प्राभावी हो जा रहे थे, यह सब बागियों के सितारों के कारण हुआ, यह भी एक सत्या है कि अगर बागी भाजपा के कुनबे में नही आते, तो अब तक हरीश रावत का विकेट गिर चुका होता,
वही बीजेपी ने विधान सभा में पराजय देख कर स्टिंग ऑपरेशन की रणनीति अपनाई?
विधानसभा चुनाव के मददेनजर सीएम पद का चेहरा तो घोषित नही कर पा रही थी भाजपा- आज उसी भाजपा में सीएम पद झपटने के लिए लाईन लग गयी है-
उत्तराखंड कांग्रेस के 9 बागी के सामने सबसे बड़ा यक्ष प्रशन भी आ खडा हुआ था; “अब घर तो फूक दिया; अब कहां राजनीतिक बसेरा करे’ ND Tiwari जी की शरण मे पहुचे; नई पार्टी बनाने की बात कहते हुए आशीर्वाद माँगा तथा अपनी नई पार्टी का श्रीकृष्ण बसने का निवेदन किया- राजनीती के महान खिलाडी पंडित नारायन दत्त जी तिवारी का जवाब भी शानदार था “अन्तिम यात्रा कांग्रेस के झड़े में ही करूँगा’ ,कह कर विदा कर दिया
कई वादों ने कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में मदद की परन्तु कांग्रेस सरकार का रिपोर्ट कार्ड कैसा है, क्या् जनता का भरोसा जीतने में कामयाब रही उत्तराखण्ड की कांग्रेस सरकार, वैसे भी उत्तराखण्ड की कांग्रेस सरकार को दो भागों में विभक्तज कर सकते हैं, बहुगुणा तथा रावत कार्यकाल- बहुगुणा का कार्यकाल जहां अतिव़ष्टि का कार्यकाल माना जाए तो हरीश रावत का अनावष्टिं -अतिव़ष्टि दोनों का- हरीश रावत के कार्यकाल में कुमायूं में अतिव़ष्टि से बहुत बुरा हाल रहा,
एक राजा के काल में बारिश का कहर रहा, जनता की अपेक्षाओं पर खरा नही उतरने पर राजसत्ता से हटना पडा, वही नये राजा के कार्यकाल में सूखा तथा जल प्रलय दोनों रहे- ऐसे में क्या उनको क्या सूबे की गददी मिल नसीब होगी, शीघ्र हिमालयायूके न्यूज पोर्टल में इसकी घोषणा होगी-
—————————————————————
रोज की भाग दौड़ वाली जिंदगी में ज्यादातर लोगों के पास एक से ज्यादा अखबार पढ़ने का टाइम नहीं होता. इसलिए ‘www.himalayauk.org’ पर सिर्फ एक क्लिक के जरिए आप पढ़ सकते हैं बड़ी और खास खबरें.
https://himalayauk.org
समाचार तथा विज्ञापन के लिए उत्तम वेब मीडिया ; “असर दूर तक”
————CS JOSHI -Editor
Leading Newsortal & Daily Newspaper. Publish at Dehradun & Hardwar. Mo. 9412932030 ; mail; csjoshi_editor@yahoo.in
विश्व व्यापी इस न्यूज पोर्टल में आप भी जुडिये- मेल कीजिये-