आपके जीवन से संबंधित प्रत्येक होने वाली घटना की जानकारी आपकी हस्त रेखाओं में विद्यमान है- हस्तरेखा शास्त्र किसी भी व्यक्ति के भविष्य का कथन
ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत हस्त-रेखा का विशेष महत्व है। हस्त रेखा को भारतीय ज्योतिष का अभिन्न अंग माना गया है। प्राचीन काल से ही ज्योतिष शास्त्र का अपना ही महत्व रहा है। जिस व्यक्ति को रेखाओ का ज्ञान होता है वह व्यक्ति हस्त रेखा की सहायता से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य तथा वर्तमान में घटने वाली घटनाओं का अनुमान लगा सकता है। आपके हाथ पर खींची हुई हर रेखा आपके भविष्य, वर्तमान तथा भूत से संबंधित रहस्यों को अपने में समाहित किए हुए है। आपके जीवन से संबंधित प्रत्येक होने वाली घटना की जानकारी आपकी हस्त रेखाओं में विद्यमान है। व्यक्ति के हाथ में कुछ ऐसे चिह्न और रेखाएं होती हैं जो राजयोग बनने के संकेत देतीं हैं।
हस्तरेखा शास्त्र किसी भी व्यक्ति के भविष्य का कथन करता है. हथेली की रेखाएं जीवन के बारे में बहुत कुछ संकेत देती हैं.
हस्तरेखा ज्योतिष में द्वारा किसी व्यक्ति के हाथ के आकार, हथेली की लकीर आदि का अध्ययन करके उस व्यक्ति के भविष्य की जानकारी का पता लगाया जाता है. हस्तरेखा शास्त्र में किसी इंसान का हाथ देखकर उसकी पर्सनैलिटी, भाग्य और भविष्य के बारे में भी समझा जा सकता है. हस्तरेखा शास्त्र या काइरमैन्सी (जिसेकेरोमन्सी ऐसे भी लिखा जाता है, जो यूनानी शब्द चेइर (cheir) (χειρ) “हाथ” और मंटिया (manteia) (μαντεία) (अनुमान) से बना है) हथेली को पढ़कर लक्षण का वर्णन और भविष्य बताने की कला है जिसे हस्तरेखा अध्ययन या हस्तरेखा शास्त्र भी कहा जाता है। इस कला का प्रयोग कई सांस्कृतिक विविधताओं के साथ दुनिया भर में देखा जाता है। जो हस्तरेखा पढ़ते हैं, उन्हें आम तौर पर हस्तरेखाविद्, हथेली पढ़ने वाला, हाथ पढ़ने वाला, हस्तरेखा विश्लेषक या हस्तरेखा शास्त्री भी कहा जाता है। हस्तरेखा शास्त्र को आम तौर पर छद्म विज्ञान माना जाता है।
Presents By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030
हस्तरेखा शास्त्र और उन्हें पढ़ने के प्रकार के आधार पर हस्तरेखाविद् हथेली की आकृति और उंगलियों की लाइनों, त्वचा के रंग और बुनावट, नाखूनों की बनावट, हथेली और उंगलियों की अनुपातिक आकार, पोरों की प्रमुखता और हाथ की कई अन्य खासियतों को देख सकते हैं।
जिस व्यक्ति की हथेली के एकदम बीच वाले हिस्से पर कोई तोरण, बाण, रथ, चक्र या ध्वजा का चिह्न दिखता है उसे जीवन में महान उपलब्धि हासिल होती है और शासन करने का एक बड़ा अवसर मिलता है। उन्हें जीवन में राजसुख मिलता है। इन लोगों के पास अकूत धन संपत्ति होती है। साथ ही ये लोग जीवन में खूब धन कमाते हैं और जीवन के सारे भौतिक सुख पाते हैं।
हस्तरेखा शास्त्र की अधिकांश धाराओं में हाथ की आकृतियों को 4 या 10 प्रमुख शास्त्रीय प्रकारों में विभाजित किया जाता है और कभी कभी इसके लिए शास्त्रीय तत्वों या विशेषताओं का सहारा भी लिया जाता है। हाथ का आकार संकेतित प्रकार के चरित्र के लक्षणों (यानि, एक “अग्नि हाथ” उच्च ऊर्जा, रचनात्मकता, चिड़चिड़ापन, महत्वाकांक्षा, आदि – सभी गुणों को अग्नि के शास्त्रीय तत्व से संबंधित माना जाता है।)
हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार, यह रेखा एक व्यक्ति को उद्देश्य की तीव्रता या किसी उद्देश्य के प्रति एकाग्रता प्रदान करती है, जिसका स्वभाव हाथ पर इस रेखा की सही स्थिति और इससे निकलनेवाली किन्हीं शाखाओं से निर्धारित होती है, जो एक सामान्य मामला होता है। उन हाथों में, जिनमें ऐसी रेखा बिना किसी शाखा के एकल चिह्न के रूप में मौजूद होती है, वह अत्यंत गहन प्रकृति की ओर संकेत करती है और व्यक्तियों की विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इस रेखा की सामान्य स्थिति सबसे बड़ी उंगली के नीचे शुरू होती है और सामान्य रूप से वहां समाप्त होती है, जहां दिल की रेखा छोटी उंगली के नीचे हाथ के किनारे खत्म होती है, इससे व्यक्ति के औसत हितों का संकेत मिलता है और स्वभाव की गहनता विशुद्ध रूप से यहां से निकलनेवाली किन्हीं शाखाओं की दिशा से निर्धारित होती है। हथेली के ऊपरी आधे हिस्से, जो उंगलियों तुरंत नीचे होता है, व्यक्ति के उच्चतर या बौद्धिक स्वभाव का प्रतिनिधित्व करता है और हथेली के निचला आधा हिस्सा व्यक्ति के स्वभाव के भौतिकवादी पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है। अगर इन आधे-आधे हिस्सों में से एक बड़ा होता है, जो मुख्य रेखा की केंद्रीय स्थिति या इस मामले में एकल अनुप्रस्थ हथेली रेखा से निर्धारित होता है, व्यक्ति के स्वभाव के व्यापक विकास के पहलू को प्रदर्शित करता है। हालांकि यह एक आम सिद्धांत है कि अगर यह रेखा अपनी सामान्य स्थिति से नीचे होती है तो इससे गहन बौद्धिक स्वभाव का संकेत मिलता है, पर अगर यह अपनी सामान्य स्थिति से ऊपर होती है, तो घोर भौतिकवादी प्रकृति और हितों को दर्शाता है। इस रेखा से निकली किन्हीं शाखाओं की दिशा का इस रेखा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जिससे ऊपर परिभाषित परिणामों से उपयुक्त संशोधन होते हैं और यह हाथ के उभार की प्रकृति पर आधारित होता है। उदाहरण के लिए, यदि इस रेखा से एक शाखा अंगूठे के बिल्कुल विपरीत चंद्रमा के उभार पर हाथ के निचले किनारे की ओर बढ़ती है तो यह संकेत करता है कि व्यक्ति भावुक स्वभाव और काफी हिचकिचानेवाला है।
यदि ब्रेसलेट रेखा टूटी हुई हो तो इससे यह ज्ञात होता है के व्यक्ति अपने स्वस्थ्य के प्रति सतर्क नहीं है।
यदि यह रेखा संखया में १ हो और दोष रहत हो तो व्यक्ति का संपूर्ण जीवन निरोगी रहता है।
यदि यह रेखा संखया में २ हो तो व्यक्ति आर्थिक रूप से संपन्न और सुखी होता है।
यदि कोई रेखा मणिबंध रेखा से निकलकर चन्द्र पर्वत की तरफ जाए जीवन में विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
यदि यह रेखा संखया में ३ हों तो व्यक्ति का समाज में बहुत मान सम्मान होता है और वह समाज में आदरणीय रूप से स्थापित होता है। यदि दो या चार मणिबंध रेखाएं हों तो व्यक्ति की प्रथम संतान कन्या और विषम जैसे एक और तीन मणिबंध रेखाएं प्रथम संतान के पुत्र होने का संकेत देती हैं। यदि दो मणिबंध रेखाएं आपस में मिल जाएं, तो व्यक्ति को बार बार दुर्भाग्य का सामना करना परता है। दुर्घटना से शरीर के किसी भी अंग का नुकसान हो सकता है। यदि कलाई पर एक मणिबंध रेखा हो तो यह २५ वर्ष की आयु को दर्शाती है। इसी तरह दो हो तो जातक की आयु ५०, तीन हो तो ७५ और अगर चार मणिबंध रेखा हो तो जातक बेहद सफल, संपन्न और दीर्घायु होता है ।
यात्रा रेखा – Travel Line :
ये रेखाएं चंद्र पर्वत के पास कलाई और दिल की रेखा के बीच हथेली के किनारे को छूती है, प्रत्येक रेखा व्यक्ति की यात्रा को दर्शाती है यानी जितनी रेखा लंबी होगी तो व्यक्ति की यात्रा भी उतनी ही ज्यादा महत्वपूर्ण होगी । यदि कोई रेखा कलाई से चन्द्र पर्वत पर जाये तो यह विदेश यात्रा को दर्शाती है। यदि यात्रा रेखा पर वर्ग का चिन्ह हो तो भी व्यक्ति विदेश जाकर बसता है।
यदि यात्रा रेखा निर्दोष और लंबी हो तो उसकी विदेश से धन अर्जित कमाने की इच्छा पूरी होती है।
यदि यात्रा रेखाएं दोषपूर्ण हों तो अड़चनें और परेशानियां बताती हैं।
यदि जीवन रेखा से निकलकर कोई रेखा चन्द्र पर्वत जाये तो व्यक्ति विदेश में व्यापार या नौकरी करता है। लेकिन जीवन के अंत समय में अपने देश में वापस आ जाता है।
हथेली पर विभिन्न चिन्हों का महत्व – Significance of other Marks on Palm :
स्वास्तिक – स्वास्तिक का चिन्ह व्यक्ति को धनी, प्रतिष्ठित, धार्मिक यात्राएं करने वाला एवं वैभव सम्पन्न बनता है। पद्म – पद्म का चिन्ह व्यक्ति को धार्मिक, विजयी, राजा या राज वैभव सम्पन्न एवं शाक्तिशाली बनता है। षट्कोण – षटकोण का चिन्ह व्यक्ति को धनी एवं भूमिपति बनता है। शंख – शंख चिन्ह व्यक्ति को समुद्र पर की यात्राएं, विदेश गमन के व्यापार से धन कामना, धार्मिक विचारों वाला बनता है। त्रिकोण – त्रिकोण का चिन्ह व्यक्ति को भूमिपति, धनी एवं प्रतिष्ठित बनता है। तलवार – तलवार का चिन्ह व्यक्ति को भाग्यवान एवं राजाओं से सम्मानित करवाता है। छत्र – छत्र का चिन्ह व्यक्ति को राजा या राजा के समान बनता है। चक्र – चक्र के चिन्ह व्यक्ति को धनवान, वैभवशाली, सुंदर एवं ऐश्वर्यशाली बनता है। कलश – कलश का चिन्ह व्यक्ति को मंदिरों का निर्माता, तीर्थ यात्रा करने वाला एवं विजयी बनता है। मछली – मछली क चिन्ह व्यक्ति को यज्ञकर्ता बनता है। ध्वज – ध्वज का चिन्ह व्यक्ति को धार्मिक, कुलदीपक, यशस्वी एवं प्रतापी बनता है। क्राॅस – क्राॅस का चिन्ह व्यक्ति को सुख से वंचित रखता है, लिवर एवं पथरी की बीमारी देता है। नक्षत्र – नक्षत्र का चिन्ह व्यक्ति को श्रेष्ठ मानवीय गुण, दाम्पतय सुख में कमी, लकवाग्रस्त एवं उन्नति प्रदान करता है।
त्रिशूल – त्रिशूल का चिन्ह हर स्थिति में उन्नति का करक एवं शुभ फल दाई होता है।
हस्तरेखा एवं कार्य क्षेत्र – Palmistry and work area :
हस्त रेखा शास्त्र द्वारा रोजगार का चयन कर जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। किन्तु सर्वप्रथम हमें यह जान लेना आवश्यक है कि हमें किस व्यवसाय में सफलता प्राप्त होगी। अंगुलियों के पहले पोरे लम्बे एवं सबल हों तो व्यक्ति उच्च शिक्षा ग्रहण करने में सफल होता है। यदि अगुंलियों के दूसरे पोरे लम्बे और सबल हैं तो व्यक्ति प्रैक्ट्रिकल फील्ड में सफलता प्राप्त करता है। यदि तीसरा पोरा लम्बा और ज्यादा सबल है तो व्यक्ति उत्पादन, व्यापार या व्यवसाय के क्षेत्र में अधिक सफलता प्राप्त करता है। सर्वप्रथम व्यक्ति को यह जान लेना जरूरी है कि भाग्य किस ग्रह द्वारा संचालित है यानी हाथ में कौनसा पर्वत क्षेत्र ज्यादा प्रभावी है। उसके स्वामी द्वारा ही व्यक्ति का जीवन ज्यादा प्रभावित रहता है। शनि – तेल, तंत्र, धर्म, रसायन, जासूसी, भौति की, मशीनरी, गणित, कृषि, पशुपालन, अनगढ़ कलाकृतियां अदि । शुक्र – कला, चित्रकारी, संगीत, नाटक, महिला विभाग, हस्तशिल्प, कम्प्यूटर, पयर्टन आदि। चन्द्र – कला, काव्य, तैराक, जलीय व्यवसाय, तरल वस्तुएं अदि। बृहस्पति – सलाहकार, कर विभाग, राजनीति, सेना, सामाजिक संगठनों, अध्यापन, धर्म क्षेत्र, कानूनी क्षेत्र अदि। सूर्य – कला, प्रशासन, साहित्य अदि। मंगल – खिलाड़ी, साहसी कार्य, पर्वतरोहण, अन्वेषण खोज, खतरों से भरे कार्य, डॉक्टर, सैनिक, पुलिस, जंगली क्षेत्र अदि। बुध – इनडोर गेम्स, बोलने से जुड़े व्यवसाय, मार्केटिंग, विज्ञान, व्यापार, वकालत, चिकित्सा क्षेत्र, बैंक आदि।