फेफड़े अपना इलाज खुद करते रहते हैं, ऐसे में उनकी बीमारी जल्दी पकड़ में नहीं आती है
प्रदूषण से अपने फेफड़ों को बचाना चाहते हैं, और फेफड़ों को रासायनिक हवा और धूल, धुएं से बचाना चाहते हैं, तो ऐसे में अपनी डाइट का खास ख्याल रखें। बढ़ते प्रदूषण के दिनों में अपनी डाइट में अखरोट, हल्दी, ऑलिव, हरी पत्तेदार सब्जियों आदि को शामिल करें और प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें। हिमालयायूके न्यूज पोर्टल एक्सक्लूसिव
नियम बना लो कि हफ्ते में कम से कम पांच दिन ऐसी एक्सरसाइज जरूर करोगे, जिससे बनियान भिगो देने भर का पसीना निकले. जइसे… जइसे तेज-तेज चलना, धीरे-धीरे दौड़ना, जॉगिंग करना. इसके आपके फेफड़े चमत्कारी तरीके से स्वस्थ रहेंगे ब्रोकली, फूलगोभी, पत्तागोभी जैसी सब्जियां लाओ. इससे फेफड़ों पर कृपा बरसनी शुरू हो जाएगी. पैसे बच जाएं तो अनार, सेब और संतरा भी लेते आना. फेफड़े खुश रहेंगे. फेफड़े अपना इलाज खुद करते रहते हैं, ऐसे में उनकी बीमारी जल्दी पकड़ में नहीं आती है और देर होने के बाद ‘हाय दइय्या’ कहने के अलावा कोई चारा नहीं बचता.
फेफड़ों का काम वातावरण से ऑक्सीजन लेना और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर उसे वातावरण में छोड़ना है। साथ ही यह शुद्ध रक्त धमनी द्वारा दिल में पहुंचता है, जहां से यह फिर से शरीर के विभिन्न अवयवों में पम्प किया जाता है, इसलिए फेफड़ों का स्वस्थ रहना जरूरी है। बहुत से हर्ब्स ऐसे है जिनके सेवन से फेफड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता हैं। मुनक्का के ताजे और साफ 15 दाने रात में 150 मिलीलिटर पानी में भिगो दें। सुबह बीज निकालकर फेंक दें। गूदे को खूब अच्छी तरह चबा-चबाकर खायें। बचे हुए पानी को पी लें। एक महीने तक इसका सेवन करने से फेफड़े मजबूत होते हैं।
रोजाना सुबह एक चम्मच शहद का सेवन करें। एक दो महीने तक इसका सेवन करने से फेफड़ों के रोग दूर होते हैं और फेफड़े मजबूत बनते हैं।
स्टीम अगर आपको ऑफिस या स्कूल जाना होता है, तो ऐसे में रोजाना सोने से पहले एक बार स्टीम जरुर लें, इससे आपके श्वांस नली साफ होगी और साथ ही फेफड़ों से प्रदूषण को साफ करने में मदद मिलती है। स्टीम लेने के लिए आपको एक बड़े बर्तन में पानी गर्म करना है, फिर उसे चेहरे के पास लाकर लंबी सांस लें। इस प्रक्रिया को कम से कम 3-5 बार दोहराएं और फिर कंबल या गर्म चादर से चेहरा ढंक कर सो जाएं। इससे आपको शरीर में मौजूद कफ और जुकाम की समस्या में भी लाभ मिलेगा।
अंगूर फेफड़े के सभी प्रकार के रोगों को दूर रखता है। खांसी और दमे जैसी बीमारियों में अंगूर कासेवन बहुत फायदा पहुंचाता है। हां अगर आपको डायबिटीज है तो इसका अधिक सेवन न करें।
विटामिन सी फ्रूट्स अगर आप रोजाना काम या पढ़ाई की वजह से घर से बाहर जाते हैं, तो ऐसे में प्रदूषण में बुरे प्रभावों से फेफड़ों को बचाने के लिए विटामिन सी से भरपूर फलों (संतरा, मौसमी) का दिनभर में 1 से 2 बार सेवन जरुर करें। क्योंकि विटामिन सी से शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। इसके साथ ही शरीर के विषैले तत्वों को निकालने में मदद मिलती है।
यूकेटिप्टस ऑयल तुलसी की तरह यूकेटिप्टस ऑयल भी प्रदूषण को मिटाने में बहुत लाभकारी होता है। इसके लिए आप यूकेटिप्टस ऑयल की कुछ बूंदों को स्टीम लेने के बाद नाक में डालकर सो जाएं। इससे नाक और मुंह के जरिए शरीर में पहुंचे जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
फेफड़े की परेशानियों को दूर करने में अंजीर काफी मदद करती है। 5 अंजीर को एक गिलास पानी में उबाल लीजिये। दिन में दो बार इसका सेवन करने से फेफड़ों की गंदगी साफ होती है और उन्हें शक्ति मिलती है।
तुलसी काली मिर्च का काढ़ा आपने अक्सर बीमारियों से बचने के लिए तुलसी के फायदे सुने होगें, लेकिन तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा धूल, धुएं और कैमिकल्स वाली जहरीली हवा से फेफड़ों को बचाने में भी मददगार साबित होती है। तुलसी काली मिर्च का काढ़ा बनाने के लिए आपको पानी में 10-15 तुलसी के पत्ते और 8-10 काली मिर्च को पानी आधे रहने तक उबालें और फिर छानकर हल्का ठंडा होने पर चाय की तरह सेवन करें। इस काढ़े का दिन में 2 बार सेवन करना ज्यादा फायदेमंद रहेगा
आपके शरीर में जित्ते अस्थि-पंजर हैं, सबकी सेक्योरिटी का इंतजाम रहिता है आपके शरीर के पास. फेफड़ों को धूल से बचाना हो या जर्म्स से, आपकी बॉडी ने हर चीज के लिए नेचुरल इंतजाम कर रखा है. करना आपको सिर्फ इत्ता है कि साफ-सुथरा खाना खाओ और अपनी लाइफस्टाइल थोड़ा सिंपल रखो. बाकी काम खुद ही हो जावेगा. सिगरेट से सिर्फ फेफड़ों की नहीं, बल्कि शरीर के कई उर्जों-पुर्जों की ऐसी-तैसी हो जाती है. और ये मत समझना कि दूसरा पिएगा तो सिर्फ उसी का नुकसान होगा. फुंकेले भाइयों के साथ बैठोगे तो तुम्हारे फेफड़ों में भी उनके जितना जहर जाएगा.
लहसुन को कफनाशक समझा जाता है। भोजन के बाद लहसुन का सेवन करने से छाती साफ रहती है और कई रोगों से रक्षा होती है।
एक्सरसाइज करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन ऐसी एक्सरसाइज का क्या फायदा जो आपके फेफड़ों को धूल फंका दे. तो जब हवा खराब हो, तब बाहर एक्सरसाइज करने मत जाओ. सड़कों पर कंक्रीट से उठने वाली धूल अच्छा-खासा नुकसान कर सकती है आपका और कार का धुआं… आह्ह माशल्लाह. फेफड़े किलप कर रह जाते हैं एकदम.
घर में हवा साफ करने वाली मशीनें लगाओ– मशीन सुनकर चौंको मत. पौधों की बात हो रही है यहां. स्पाइडर प्लांट्स, मनी प्लांट्स, एलोवेरा और बोस्टन फर्न्स जैसे कुछ पौधे मिलते हैं बाजार में. दौड़ के खरीदने जाओ और भाग कर आओ. इससे घर के अंदर की हवा साफ होने लगेगी कंस्ट्रक्शन साइट से लेकर ब्यूटी पार्लर तक, हर जगह ये खतरा रहता है, ठंड लग गई? इन्फेक्शन हो गया? खांसी-जुकाम है? तो घर में बइठो न यार. काहे चौराहे पर मजा लेने जाते हो. देखो घर में रहोगे तो हाथ-वाथ धुलते रहोगे, दूसरों को इन्फेक्शन नहीं दोगे, लेकिन बाहर तो ऐसा कुछ होगा नहीं. इन्फेक्शन को हल्के में मत लेना, वरना फेफड़े भारी हो जाएंगे.
खांसी और खराश में मुलहठी के फायदे आप जानते ही हैं। यह फेफड़ों के लिए बहुत लाभदायक होती है। पान में डालकर मुलहठी का सेवन करने से कफ नाश होता है।
कैंसर सौ से अधिक बीमारियों को समूह का एक सामान्य शब्द है जो शरीर के भिन्न-भिन्न भागों को प्रभावित करता है। आम तौर पर वृद्ध व्यक्तियों को प्रोस्टेट और कोलन और महिलाओं को स्तन का कैंसर होता है। जरा (जैरिएट्रिक) रोगियों में चमड़ी, फेफड़े, पैंक्रियास, मूत्राशय, मलाशय और पेट का कैंसर अन्य कैंसर रोग हैं। भारत के कुछ खास कैंसर अस्पताल – जवाहर लाल नेहरू कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र गुजरात कैंसर और अनुसंधान संस्थान, इण्डियन कैंसर सोसायटी कैलाश कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, एमएनजे आनकॉलोजी संस्थान अपोलो कैंसर अस्पताल, किदवई मेमोरियल आनकॉलोजी संस्थान, टाटा मेमोरियल अस्पताल
तुलसी के सूखे पत्ते, कत्था, कपूर और इलायची समान मात्रा में ले लीजिए। इसमें नौ गुना चीनी मिलाकर बराबर मात्रा में पीस लें। इस मिश्रण की चुटकी भर मात्रा दिन में दो बार खायें। इससे फेफड़ों में जमा कफ निकल जाता है।
एचिनासा एक एंटी माइक्रोबियल हर्ब है। जो रोगों से लड़ने के लिए जाना जाता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। एचिनासा सफेद रक्त कोशिका के उत्पादन द्वारा काम करता है।
शहतूत के पत्ते चबाने से फेफड़ों के रोग, फेफड़ों की जलन, सिरदर्द और खांसी आदि दूर होती है। एचिनासा की तरह मेंहदी में भी एंटी माइक्रोबियल हर्ब होते हैं। इसमें मौजूद शक्तिशाली तेल में एंटीसेप्टिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं। हर्बल चिकित्सक जुकाम, गले में खराश, फ्लू, खांसी, ब्रोंकाइटिस और छाती में संक्रमण को समाप्त करने के लिए मेंहदी का इस्तेमाल करते हैं।
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