हिमालय देखने मात्र से मानव जाति के पाप विलुप्त; स्कन्द पुराण
हिमालय दिवस पर चन्द्रशेखर जोशी सम्पादक की विशेष प्रस्तुति-*
ईश्वर सौ वर्ष में भी हिमालय की गरिमा का वर्णन नही कर सकता, जिस प्रकार प्रात- कालीन सूर्य की किरणों से ओस बिन्दुण वाष्पिंत हो जाता है उसी प्रकार हिमालय देखने मात्र से मानव जाति के पाप विलुप्त हो जाते हैं- यह स्कन्द पुराण के मानस खण्डह में लिखा गया है- इन पंक्ति यों को अगर किसी ने अपने जीवन में उतारा है तो वह है मीडिया की सबसे बडी शख्सिदयत प्रणव रॉय- जिनके मन में हिमालय के प्रति अगाध श्रद्वा व विश्वागस है- यह बहुत राज का विषय भी है कि उनका हिमालय से गहरा संबंध है- इसे स्वनयं प्रणव राय ने स्वीदकारा है- देखा जाए तो हिमालय के प्रति अगाध श्रद्वा व विश्वाहस रखने वाले प्रणव राय व नरेन्द्रं मोदी आज दुनियां को प्रभावित करने वाली शख्सिपयत बन चुके हैं- यह हिमालय का ही तो वरदान है- जो इनको मिला- चन्द्रतशेखर जोशी द्वारा ——
मीडिया की दुनिया की बड़ी शख्सियत प्रणॉय राय का मसूरी का काफी लगाव रहा है, यहां उन्होंने काफी समय बिताया है, वह कहते हैं कि राधिका और मैंने कोशिश की है कि एक महीने में तीन दिन हम पहाड़ों पर बिताएं और वैसे भी हिमालय से हमारा गहरा संबंध है। यह दुर्भाग्य है कि हर महीने ऐसा नहीं हो पाता है, लेकिन यह एक सपना है जिसे पूरा करना है। मेरी केवल यही इच्छा है कि हिमालय में हमारे पास वाईफाई मोबाइल फोन्स, इंटरनेट, डीटीएच, स्मार्टफोन्स, टैबलेट्स इत्यादि न हों।
ने कुछ यूं बताया अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में। साथ ही अपनी पत्नी और एनडीटीवी के सह-संस्थापन राधिका रॉय के बारे में दी अपनी राय और साथ ही राजदीप सरदेसाई और अर्णब गोस्वामी को निखारने से लेकर अपनी हिमालय की यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि राधिका ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘इंडिया टुडे’ में एक प्रिंट जर्नलिस्ट थी। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में टेलिविजन का अध्ययन करने से पहले वह एनडीटीवी की संस्थापक थीं।(मैंने उसके बाद जॉइन किया)। यदि मैं एक वाक्य में कहूं तो मैं कहूंगा कि वही है जिसने एनडीटीवी को एक संस्थान के रूप में निर्मित किया। हमें उम्मीद है कि यह सौ सालों से भी ज्यादा चलेगा। शुरू से अबतक एनडीटीवी को स्थापित करने और गुणवत्ता और नैतिकता के उच्च मानदंड का प्रतिपालन जो एनडीटीवी ने हमेशा किया है- ये ऐसे काम हैं जो किसी भी महान मीडिया संस्था का मूल सिद्धांत हैं, इस सबका श्रेय उन्हीं (राधिका) को जाता है।
उच्चतम पत्रकारिता, प्रोडक्शन, और नैतिक मानकों के लिए पहचाने जाने वाली इस संस्थान को ऐसा बनाने के पीछे पिछले 25 सालों में राधिका का जुनून और उसकी प्रेरणा रही है और इस देश में मीडिया क्षेत्र के लिए उसका सबसे बड़ा योगदान रहा है।
25 सालों की यात्रा के बारे में उन्होंने कहा कि यह बहुत ही कठिन काम रहा है और मजेदार भी। इस साल ये 25 साल क्लाइमेक्स के तीन पॉइंट्स में एक साथ आए, पहला, सबसे बड़े शो ‘द 25 ग्रेटेस्ट लिविंग इंडियंस’के रूप में। इस शो के लिए देशभर से बड़ी संख्या में प्रतिक्रियाएं मिलीं। एनडीटीवी पर यह हम सभी के लिए सबसे बड़ा इनाम था। दूसरा, 2014 में एनडीटीवी सभी प्रक्रार की मीडिया ( प्रिंट और टेलिविजन दोनों में) में देश का सबसे भरोसेमंद ब्रैंड बन गया। तीसरा, दर्शकों की संख्या के लिहाज से यह सबसे बड़ा लीडर हो गया (देशभर के ग्रामीण और शहरी इलाकों से लिए गए अन-टैम्पर्ड सैंपल के आधार पर) और यह हमारे लिए एक और बड़ा इनाम है। 25 साल पूरे करने का इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता है!
इस सवाल के जवाब पर कि आज आप देश में लगभग हर टेलिविजन न्यूज पर्सनैलिटी के मेंटर रह चुके हैं, इनमें से कुछ आज बड़ी भूमिका में भी है। क्या आपको इस पर गर्व होता है? आपने उन्हें क्या बातें सिखाई हैं?
प्रणॉय राय का कहना है कि सिर्फ उन्हें अच्छा काम करते देख मुझे गर्व होता है, बल्कि हम अभी भी अच्छे दोस्त हैं। हम उन्हें मिस भी करते हैं। इसमें एक बात और जोड़ दूं कि ऑनस्क्रीन वे लोग किस तरह भी नजर आते हों, लेकिन वे ऑफस्क्रीन अच्छे इंसान हैं। मुझे विश्वास है कि उनमें से हर एक में एनडीटीवी का डीएनए है। और हमारे कई महान प्रोड्यूसर और कैमरे के पीछे काम करने वाले सभी लोग (एंकर या संवाददाताओं से शायद अधिक महत्वपूर्ण) और दूसरे चैनलों के साथ काम करने वाले एंकर्स- इन सबकी बात करूं तो ईमानदारी से अभी भी सबसे बेहतर एनडीटीवी कै साथ ही है।