22 मार्च से आरंभ- होलाष्टक पर ग्रहों की चाल – राशियां प्रभावित

पंचांग के अनुसार होलिका दहन का मुहूर्त 28 मार्च को शाम 18 बजकर 37 मिनट से रात्रि 20 बजकर 56 मिनट तक रहेगा यानि 02 घंटे 20 मिनट तब होलिका दहन का मुहूर्त बना हुआ है. इसी मुहूर्त में होलिका दहन करना अत्यंत शुभ है. इस वर्ष होलिका दहन के समय भद्रा नहीं रहेगी. # राशि के अनुसार होलिका दहन# 25 मार्च आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा

होलाष्टक पंचांग के अनुसार 22 मार्च से आरंभ हो रहे हैं. होलाष्टक होली से आठ दिन पूर्व आरंभ होते हैं. इसी कारण इसे होलाष्टक कहा जाता है. फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि से होलाष्टक आरंभ हो रहे हैं.


होलाष्टक पर ग्रहों की स्थिति
होलाष्टक पर ग्रहों की चाल सभी 12 राशियों को प्रभावित कर रही है. पंचांग के अनुसार ग्रहों की अधिपति सूर्य देव मीन राशि में शुक्र के ग्रह के साथ विराजमान रहेंगे. इसके साथ ही न्याय के देवता शनिदेव देव गुरु बृहस्पति के साथ युति बनाकर मकर राशि में रहेंगे. इसके साथ ग्रहों के राजकुमार बुध ग्रह कुंभ राशि में रहेंगे. चंद्रमा इस दिन मिथुन राशि में रहेगा.

पंचांग के अनुसार होलिका दहन इस वर्ष 28 मार्च को किया जाएगा. इस दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रहेगी. ग्रहों की बात करें तो देव गुरु बृहस्पति मकर राशि में शनिदेव के साथ रहेगा. वहीं ग्रहों के अधिपति सूर्य देव मीन राशि में सुख सुविधाओं के कारक ग्रह शुक्र के साथ विराजमान रहेंगे. हालिका दहन के बाद यानि 29 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी. होलिका दहन राशि के अनुसार शुभ मुहूर्त में करने से शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है.

वृष राशि में अंगारक योग
होलाष्टक पर वृषभ राशि में मंगल और राहु की युति से अंगारक योग का निर्माण हो रहा है. वहीं केतु वृश्चिक राशि में गोचर कर रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र में अंगारक योग को खतरनाक योग माना गया है. अंगारक योग के दौरान क्रोध, विवाद और दूसरों का अनादर करने से बचना चाहिए. इस दौरान वाहन और अग्नि का सावधानी पूर्वक प्रयोग करना चाहिए.

28 मार्च को होलाष्टक होंगे समाप्त
होलाष्टक का समापन होलिका दहन वाले दिन होगा. 28 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. इस दिन पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. पूर्णिमा की तिथि में ही शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात्रि 8 बजकर 56 मिनट होलिक दहन का मुहूर्त बना हुआ है. रंगों की होली 29 मार्च सोमवार को प्रतिपदा तिथि में खेली जाएगी.

होलाष्टक में नहीं किए जाते हैं ये कार्य
होलाष्टक में शुभ और मांगलिक कार्यों को वर्जित माना गया है. होलाष्टक के दौरान घर में कोई नई चीज खरीदकर नहीं लाई जाती है. घर खरीदना, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, भूमि पूजन आदि जैसे भी कार्य नहीं किए जाते हैं. होलाष्टक में भगवान शिव और भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए.

राशि के अनुसार होलिका दहन

मेष राशि: जिन लोगों की राशि मेष है, वे होलिका दहन खैर या खादिर की लकड़ी से करें. ऐसा करने से मानसिक परेशानियोंं को दूर करने में मदद मिलेगी.

वृष राशि: आपकी राशि में अंगारक योग का निर्माण हो रहा है. मंगल और राहु के साथ आने से यह योग बनता है. वृष राशि वाले गूलर की लकड़ी से होलिका दहन करें. कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होंगी.

मिथुन राशि: होलिका दहन निर्धारित शुभ मुहूर्त में करें. अपामार्ग और गेंहू की बाली से हालिका दहन करें. धन से जुड़ी परेशानियां दूर होंगी.

कर्क राशि: जॉब और करियर में शुभ फल प्राप्त करने के लिए कर्क राशि वाले पलाश की लकड़ी से होलिका दहन करें.

सिंह राशि: व्यापार से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए सिंह राशि वाले मदार की लकड़ी से होलिका दहन करें. होलिका दहन के समय पितरों को जरूर याद करें.

कन्या राशि: कार्यक्षेत्र में यदि बाधाओं का सामना करना पड़ा है तो कन्या राशि के जातक अपामार्ग की लकड़ी से होलिका दहन करें. सभी देवी देवताओं का स्मरण भी करें.

तुला राशि: प्रतिद्वंदी यदि परेशानी उत्पन्न कर रहे हैं तो तुला राशि वाले जातक होलिका दहन में गूलर की लकड़ी जलाएं

वृश्चिक राशि: मानसिक परेशानी और भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए खैर की लकड़ी से हालिका दहन करें, लाभ मिलेगा.

धनु राशि: उच्च पद की प्राप्ति में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए धनु राशि वाले पीपल की लकड़ी से होलिका दहन करें और भगवान विष्णु की पूजा करें.

मकर राशि: शनि और गुरु ग्रह आपकी राशि में गोचर कर रहे हैं. आप पर शनि की साढ़ेसाती भी है. होलिका दहन शमी की लकड़ी से करें. आने वाली परेशानियां दूर होंगी.

कुंभ राशि: कर्ज आदि की समस्या से यदि परेशान हैं तो शमी की लकड़ी से होलिका दहन करें.

मीन राशि: स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बनी हुई या किसी अन्य प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ रहा है तो पीपल की लकड़ी से होलिका दहन करें. पितरों का आभार व्यक्त करें.

25 मार्च आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा

पंचांग के अनुसार 25 मार्च को एकादशी की तिथि है. इस एकादशी का आमलकी एकादशी कहा जाता है. आमलकी एकादशी को सभी एकादशी तिथियों में विशेष दर्जा प्राप्त है. शास्त्रों में आमलकी का अर्थ आंवला बताया गया है. स्वास्थ्य की दृष्टि से आवंला बहुत ही गुणकारी माना गया है जो कई प्रकार के रोगों को दूर करने में भी सक्षम होता है. आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. आमलकी एकादशी का व्रत जीवन में आंवले के महत्व को भी दर्शाती है. माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने संपूर्ण सृष्टि के निर्माण के लिए ब्रह्मा जी को जन्म दिया, तो भगवान ने आंवले के पेड़ को भी जन्म दिया. इसीलिए शास्त्रों में आंवले के पेड़ को आदि वृक्ष भी कहा गया है. मान्यता है कि आंवले के पेड में भगवान विष्णु का वास होता है. इसीलिए इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है. आमलकी एकादशी को रंगभरनी एकादशी भी कहा जाता है. रंगभरनी एकादशी की कथा भगवान शिव से जुड़ी हुई है. कथाओं के अनुसार माता पार्वती से विवाह के बाद जब भगवान शिव पहली बार जब काशी लौटे थे तो यहां के लोगों ने शंकर जी के स्वागत में पूरे काशी को अलग अलग रंगों से सजा दिया था. इसीलिए इसे रंगभरनी एकादशी भी कहा जाता है.

आमलकी एकादशी तिथि का मुहूर्त- आमलकी एकादशी तिथि आरंभ: 24 मार्च को प्रात: 10 बजकर 23 मिनट से.  आमलकी एकादशी तिथि समापन: 25 मार्च प्रात: 09 बजकर 47 मिनट तक. आमलकी एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: 26 मार्च प्रात: 06:18 बजे से 08:21 बजे तक. 

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