सितारे अब अखिलेश के अनुकूल नही; बीजेपी की CM की खोज
भाजपा की सीटे 250+ होगी उ0प्र0 में – महामण्डलेश्वर श्री माँ योग योगेश्वरी की भविष्यवाणी के अनुसार- इस तरह सितारे अखिलेश की जीत की पूरी कहानी नहीं कहते। अखिलेश को उत्तर प्रदेश की बागडोर पूर्ण बहुमत से एक बार फिर से देती नहीं दिख रही है।
वही उत्तर प्रदेश में आश्वस्त नजर आ रही बीजेपी ने मुख्यमंत्री की खोज शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में जिन नेताओं के नाम सामने आ रहे है, उसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य सबसे ऊपर है. अन्य दावेदारों की बात करें तो वरिष्ठ नेता उमा भारती, पूर्वी उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता मनोज सिन्हा, ठाकुर नेता और कट्टरपंथी योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और लखनऊ के महापौर और मोदी-शाह समर्थक दिनेश शर्मा का नाम शामिल हैं. उमा भारती ने भी अपना समर्थन मौर्य को दे रखा
तब और अब के अखिलेश यादव में बुनियादी फर्क आ गया है। आकाश और पाताल जैसा अंतर। शायद इसलिए भी सितारे भी अब अखिलेश के अनुकूल नही रहे,
कृष्णन मूर्ति जी के अनुसार भविष्यवक्ता के अनुसार उत्ततर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 में सैफई में हुआ था। इसके आधार पर जो कुंडली तैयार हुई वह कुछ इस प्रकार है: इस कुंडली के अनुसार जातक बुध की दशा से गुजर रहा है जो कि 13-11-2017 तक चलेगी जिस दौरान यह चंद्र के अंतर में रहेगी। चुनावों को जीतने के लिए कुंडली में 10वें और 6ठें भाव का मजबूत होना बहुत जरूरी है और साथ में 9वां और 11वें भाव का साथ भी होना चाहिए। इसकें अलावा इस कुंडली को देखकर साफ लगता है कि जातक का अपने पिता के साथ मनमुटाव होगा, मंगल, बुध और शुक्र तीनों शनि के नक्षत्र में हैं। शनि गुरू का उपनक्षत्र स्वाुमी है। शनि इन कुंडली के 10 वें घर से गोचर कर रहा है जहां राहु विराजमान है। शनि का राहु के स्थान से गोचर बहुत बुरा परिणाम देता है लेकिन उच्चग भावों में इसे या इन दोनों के होने को अच्छा माना जाता है। क्योंपकि बुध शनि के नक्षत्र में है और शनि चंद्रमा के उपनक्षत्र स्वाचमी का नक्षत्र स्वा मी है। शनि बुध के उपनक्षत्र स्वा मी का नक्षत्र स्वामी भी है। इस तरह से शनि अखिलेश यादव की कुंडली में बहुत महत्वनपूर्ण ग्रह है। राहू 10वें घर में विराजमान है और राहु के लिए इससे अच्छी स्थिति कोई दूसरी नहीं होती है। सूर्य, चंद्रमा और केतू राहु के नक्षत्र में हैं। राहू कुंडली में कई भावों का सिग्नीकफिकेटर है अर्थात वह भाव राहू के प्रभाव में ही रहेंगे। अगर ये कहें कि राहू और शनि इस कुंडली में मुख्यं भूमिका में हैं तो यह अतिश्योक्ति नही होगी। दसवें भाव में शनि का गोचर जहां पहले से राहू है उनके लिए योग कारक सिद्ध होगा। ये भी बहुत रोमांचक है कि उत्तभर प्रदेश में चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च तक 2017 तक होंगे और इस बीच जातक की कुंडली में शनि का प्रत्यंशतर चलेगा। इस दौरान बुध-चंद्रमा-शनि का समय होगा जो यह हर तरह से सफलता दिखाता है।
नई दिल्ली के आधार पर जो कुंडली तैयार हुई वह इस प्रकार है:
इस कुंडली में लग्नर स्वा/मी का उपनक्षत्र स्वा्मी जो कि शुक्र है 11वें घर में बैठा है। यह स्वैयं गुरू के नक्षत्र में हैं जो कि 6ठें भाव में है। यहां पर एक बार फिर से शनि 5वें, 6ठें, 11वें और 12वें भाव का उप नक्षत्र स्वामी है और बुध के नक्षत्र में विराजमान है। इस कुंडली में सूर्य की दशा में शनि का अंतर 29-08-2017 तक रहेगा। सूर्य अपने ही नक्षत्र में है लेकिन यह शनि का उपनक्षत्र स्वामी होकर 8वें भाव में बैठा है। आठवें भाव का ऐसा ही संबंध इनकी जन्म कुंडली में भी देखने को मिला था। शनि अपने उप नक्षत्र में होकर बुध के नक्षत्र में है। कृष्णन मूर्ति जी के अनुसार वह उपनक्षत्र स्वाशमी ही होता है जो यह तय करता है कि मिलने वाला फल मीठा होगा या कड़वा। इसलिए आठवां भाव और मजबूत हो जाता है क्योंकि दशा और अंतरा स्वाफमी के उपनक्षत्र स्वावमी यहीं पर स्थित हैं। इस तरह सितारे अखिलेश की जीत की पूरी कहानी नहीं कहते। अखिलेश को उत्तर प्रदेश की बागडोर पूर्ण बहुमत से एक बार फिर से देती नहीं दिख रही है।
महामण्डलेश्वर श्री माँ योग योगेश्वरी की भविष्यनवाणी के अनुसार- उ0प्र0 में भाजपा की सीटे 250+ होगी
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