इंसानों की कौम कब तक जीवित रहेगी? साइंटिस्ट एवी लोएब & साइंटिस्ट्स ने बताया अगली महामारी क्या होगी?
23 May 2021 # Himalayauk Newsportal & Print Media # High Light # हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और साइंटिस्ट एवी लोएब ने कहा कि # इंसान ज्यादा दिन धरती पर रह नहीं पाएंगे # इंसानों को धरती खुद खत्म कर देगी. या फिर वह अपने आप को नष्ट कर देगी # इंसानी गतिविधियों की वजह से धरती पर इतना अत्याचार हो कि वह खुद ही नष्ट होने लगे. # इंसान खुद ही अपना शिकार कर डालेंगे # हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और साइंटिस्ट एवी लोएब ने वैज्ञानिकों से अपील की है कि # एलियंस से संपर्क करने की कोशिश करें. # तकनीकी विकास ही कुछ इंसानों को बचा पाएंगी ###
High Light # अब साइंटिस्ट्स ने अगली महामारी क्या होगी उसका पता लगा लिया है. # ये भी पता लगाया है कि ये महामारी किस देश, किस जीव से फैलने की आशंका # वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में क्या खोजा है ## #
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आखिरकार दुनिया कब तक रहेगी? इंसानों की कौम कब तक जीवित रहेगी? धरती के खत्म होने या इंसानों के खत्म होने की तारीख क्या होगी? हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और साइंटिस्ट एवी लोएब ने हाल ही में दुनिया भर के वैज्ञानिकों से पूछा
एवी लोएब ने कहा कि जिस तरह से धरती की हालत इंसानों की वजह से खराब हो रही है, उससे लगता है कि इंसान ज्यादा दिन धरती पर रह नहीं पाएंगे. इसके अलावा दो बड़े खतरे हैं इंसानों द्वारा विकसित महामारी और देशों के बीच युद्ध. इन सबको लेकर सकारात्मक रूप से काम नहीं किया गया तो इंसानों को धरती खुद खत्म कर देगी. या फिर वह अपने आप को नष्ट कर देगी. ये भी हो सकता है कि इंसानी गतिविधियों की वजह से धरती पर इतना अत्याचार हो कि वह खुद ही नष्ट होने लगे.
एवी लोएब ने कहा कि इंसान उन खतरों से खुद को नहीं बचा पाते जिससे वो पहले कभी न टकराए हों. जैसे जलवायु परिवर्तन. इसकी वजह से लगातार अलग-अलग देशों में मौसम परिवर्तन हो रहा है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. समुद्री जलस्तर बढ़ रहा है. सैकड़ों सालों से सोए हुए ज्वालामुखी फिर से आग उगलने लगे हैं. जंगल आग से खाक हो रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया की आग कैसे कोई भूल सकता है. करोड़ों जीव मारे गए उसमें
एवी ने कहा कि इंसान और उनकी जटिल शारीरिक संरचना निजी तौर पर किसी भी आपदा की भविष्यवाणी नहीं कर सकती. क्योंकि यही हमारे मानव सभ्यता की किस्मत है. इसे इतिहास में इसी तरह से गढ़ा गया है. इंसान की सभ्यता कब तक रहेगी ये भविष्य में होने वाले तकनीकी विकास पर निर्भर करता है. वैसे भी इंसान खुद ही अपना शिकार कर डालेंगे. क्योंकि सूरज से पहले भी कई ग्रह बने हैं. हो सकता है कि कई ग्रह ऐसे हो जहां पर जीव रहते हों. उनके पास भी तकनीकी सभ्यता हो. ये भी हो सकता है कि वो तकनीकी सभ्यता को अपनी पारंपरिक और प्राचीन सभ्यता के साथ मिलाकर चल रहे हों. ताकि तकनीकी सभ्यता के चक्कर में खुद की पहचान न खो जाए. जब रेडियोएक्टिव एटम धीरे-धीरे खत्म हो सकता है तो अन्य जीवन देने वाले एटम क्यों नहीं खत्म हो सकते.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और साइंटिस्ट एवी लोएब ने वैज्ञानिकों से अपील की है कि वो जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए काम करें. वैक्सीन बनाएं. सतत ऊर्जा के विकल्प खोजें. सबको खाना मिले इसका तरीका निकाले. अंतरिक्ष में बड़े बेस स्टेशन बनाने की तैयारी कर लें. साथ ही एलियंस से संपर्क करने की कोशिश करें. क्योंकि जिस दिन हम तकनीकी रूप से पूरी तरह मैच्योर हो जाएंगे, उस दिन से इंसानों की पूरी पीढ़ी और धरती नष्ट होने के लिए तैयार हो जाएगी. उस समय यही सारे खोज और तकनीकी विकास ही कुछ इंसानों को बचा पाएंगी.
वही दूसरी ओर अब साइंटिस्ट्स ने बताया अगली महामारी क्या होगी # ये भी पता लगाया है कि ये महामारी किस देश, किस जीव से फैलने की आशंका # चीन में. वहां से जो वायरस निकले उनकी वजह से मिडल ईस्ट सिंड्रोम (MERS) फैला. वहीं से SARS फैला, अब वहीं से कोरोना वायरस निकला, जिसने पिछले करीब दो साल से पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है. # वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में क्या खोजा है
कोरोना महामारी से दुनिया इतनी डरी हुई है कि अब साइंटिस्ट्स ने अगली महामारी क्या होगी उसका पता लगा लिया है. साथ ही ये भी पता लगाया है कि ये महामारी किस देश, किस जीव से फैलने की आशंका है. साइंटिस्ट्स ने ये भी बताया कि कैसे अगली महामारी को टाला जा सकता है. इस बार महामारी ब्राजील के अमेजन जंगलों, वहां मौजूद चमगादड़ों, बंदरों और चूहों की प्रजातियों में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस से फैल सकती है. वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में क्या खोजा है
ब्राजील के मानौस (Manaus) स्थित फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ अमेजोनास के बायोलॉजिस्ट मार्सेलो गोर्डो और उनकी टीम को हाल ही में कूलर में तीन पाइड टैमेरिन बंदरो की सड़ी हुई लाश मिली. किसी ने इस कूलर की बिजली सप्लाई बंद कर दी थी. जिसके बाद बंदरों के शव अंदर ही सड़ गए. मार्सेलो और उनकी टीम ने बंदरों से सैंपल लिए और उसे फियोक्रूज अमेजोनिया बायोबैंक लेकर गए. यहां पर उनकी मदद करने के लिए जीव विज्ञानी अलेसांड्रा नावा सामने आईं. उन्होंने बंदरों के सैंपल से पैरासिटिक वॉर्म्स, वायरस और अन्य संक्रामक एजेंट्स की खोज की
अलेसांड्रा ने बताया कि जिस तरह से इंसान जंगलों पर कब्जा कर रहे हैं, ऐसे में वहां रहने वाले जीवों में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया और पैथोजेन्स इंसानों पर हमला करके संक्रमण फैला रहे हैं. ठीक ऐसा ही हुआ चीन में. वहां से जो वायरस निकले उनकी वजह से मिडल ईस्ट सिंड्रोम (MERS) फैला. वहीं से SARS फैला, अब वहीं से कोरोना वायरस निकला, जिसने पिछले करीब दो साल से पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है.
ब्राजील के मानौस के चारों तरफ अमेजन के जंगल हैं. कई सौ किलोमीटर तक फैले हुए. मानौस में 22 लाख लोग रहते हैं. दुनियाभर में मौजूद 1400 चमगादड़ों की प्रजातियों में से 12 फीसदी सिर्फ अमेजन जंगल में रहते हैं. इसके अलावा बंदरों और चूहों की कई ऐसी प्रजातियां भी रहती हैं, जिन पर वायरस, पैथोजेन्स और बैक्टीरिया या पैरासाइट रहते हैं. ये कभी भी इंसानों में आकर बड़ी महामारी का रूप ले सकते हैं. इन सबके पीछे है शहरीकरण, सड़कें बनाना, डैम बनाना, खदान बनाना और जंगलों को काटना
फियोक्रूज अमेजोनिया बायोबैंक (Fiocruz Amazônia Biobank) के साइंटिस्ट जैसे अलेसांड्रा और उनकी टीम के लोग हमेशा इस बात का पता करते रहते हैं कि किस जंगली जीव से कौन सा पैथोजेन इंसानों में प्रवेश कर सामान्य स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों को बिगाड़ सकता है. जानवरों से इंसानों में आने वाली बीमारियों को जूनोसेस (Zoonoses) कहते हैं.
आपको बता दें कि मानौस में कोरोना वायरस के दो बड़ी और खतरनाक लहर आ चुकी है. जिसकी वजह से इस शहर में अब तक 9000 लोगों की मौत हो चुकी है. अलेसांड्रा नावा और उनकी टीम ने लॉकडाउन और संक्रमण के खतरे के चलते पिछले एक साल से फील्ड सर्वे नहीं किया है, ताकि यह पता चल सके जंगल में किसी जीव में कौन सी नई बीमारी पनप रही है.
ब्राजील के कोरोनावायरस वैरिएंट P.1 की उत्पत्ति मानौस शहर से ही हुई थी. ये कोरोना वायरस वैरिएंट इतना खतरनाक है कि ये इम्यूनिटी को धोखा दे सकता है. फियोक्रूज अमेजोनिया बायोबैंक ब्राजीली सेना के पूर्व होटल में चल रहा है. इस लैब के फ्रिजों में 100 से ज्यादा जंगली जीवों के शरीर के तरल पदार्थ, मल, खून ऊतक आदि रखे हैं. यहां पर करीब 40 से ज्यादा प्रजातियों के जीवों के अंग-अवशेष भी हैं.जिनमें ज्यादातर बंदर, चमगादड़, चूहे और स्तनधारी जीव हैं. अलेसांड्रा नावा का कहना है कि अगली महामारी इन्हीं जीवों के शरीर में रहने वाले बैक्टीरिया, वायरस आदि से फैलने की आशंका है.
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