31जुलाई तक इनकम टैक्स रिटर्न नही भरा तो पैनल्टी
31 जुलाई तक आपको अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर लेना होगा. आयकर विभाग ने सभी कैटगरी के टैक्सपेयर्स के लिए ई-फाइलिंग सुविधा एक्टिव कर दी. सभी टैक्सपेयर्स https://incometaxindiaefiling. gov.in. पर जाकर 31 जुलाई तक आयकर रिटर्न भर सकते हैं. गर इस साल अगर आपने 31 जुलाई तक आयकर रिटर्न फाइल नहीं किया तो पेनल्टी भरने के लिए तैयार हो जाइये.
31 जुलाई आने में बस 3 दिन बाकी हैं और आपके पास इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए सिर्फ 4 दिन बचे हैं. अगर अभी तक रिटर्न फाइल नहीं किया है तो भी घबराएं नहीं, आप यहां जान सकते हैं कि कैसे आसानी से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं. पिछले साल तक देर से रिटर्न दाखिल करने पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाता था पर अगर इस साल अगर आपने 31 जुलाई तक आयकर रिटर्न फाइल नहीं किया तो आप पेनल्टी भरने के लिए तैयार हो जाइये.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जानकारी दी है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने टैक्स भरने वालों के लिए ‘आयकर सेतु’ ई-प्लेटफॉर्म लॉन्च किया. ये आयकर विभाग की टैक्सपेयर्स के साथ सीधे संपर्क करने और जरुरी टैक्स सर्विसेज के बारे में जानकारी मुहैया कराने के लिए बड़ी पहल है. इस पर उन्हें टैक्स संबंधी विभिन्न जानकारियां मिलेंगी.”इसके डेस्कटॉप वर्जन के साथ ही एंड्रायड एप भी जारी किया गया है. ताकि मोबाइल पर इसे देखने का एक्सपीरिएंस भी बेहतर हो सके. इस पर टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स से जुड़े सभी तरह के बदलाव और महत्वपूर्ण तारीखों, फार्म और अधिसूचना की जानकारी मिलेगी. टैक्स देने वाले इसकी एसएमएस अलर्ट सेवा लेना चाहते हैं, उन्हें ‘आयकर सेतु’ मॉडयूल पर अपना फोन नंबर देना होगा. टैक्सपेयर्स को भेजे गए नोटिसों के बारे में संपर्क करने के लिए विभाग जल्द ही एक एसएमएस सर्विस भी शुरू करेगा. एक बार यह सर्विस शुरू होने के बाद टैक्सपेयर्स को भेजे गए नोटिस की जानकारी एसएमएस से भेजी जाएगी. इसमें मांगे गए संबंधित डॉक्यूमेंट का भी ब्यौरा होगा. टैक्सपेयर्स इसके बाद ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाकर करदाता नोटिस का जवाब देने में सक्षम होंगे.
इस साल से 31 जुलाई से पहले रिटर्न भरना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आईटी रिटर्न का सिस्टम सख्त करते हुए समय से रिटर्न फाइल न करने वालों को पेनल्टी देने का नियम लागू कर दिया है. आयकर रिटर्न की पहले के सिस्टम में अगर किसी ने अपने सभी टैक्स चुकाएं हैं तो वो पिछले 2 साल का रिटर्न बिना किसी बाधा के भर सकता था. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की स्थापना के 150 वें साल में आने पर 24 जुलाई 2010 से इनकम टैक्स डे मनाने की शुरूआत हुई थी
टैक्सपेयर्स को ये ही नहीं पता होता कि उन्हें कौनसा आईटीआर फॉर्म भरना है. जान लें कि यदि आपकी आय सिर्फ सैलरी से है तो फिर आईटीआर 1 यानी सहज फॉर्म ही भरें. प्रोपराइटरी बिजनस चलाने वालों के लिए आईटीआर फॉर्म 3 या 4 है. हाल ही में आईटी डिपार्टमेंट ने फॉर्म्स के नंबरों में कुछ बदलाव किया है तो इसका ख्याल रखते हुए अपनी आय के हिसाब से आप फॉर्म को जानें और रिटर्न फाइल करें. अगर आने जरूरी फॉर्म के अलावा किसी और फॉर्म को भरकर रिटर्न फाइल करते हैं तो आईटी डिपार्टमेंट इनकम टैक्स ऐक्ट एक्ट 139(9) के तहत आपको नोटिस भी भेज सकता है. जिसमें आपको तय समय में दोबारा आईटीआर भरने के लिए कहा जा सकता है. यदि आप तय समय में रिवाइज्ड आईटीआर नहीं भर पाते हैं तो आपका आईटीआर रिटर्न फाइल नहीं माना जाएगा.
आईटीआर फाइलिंग एकदम सही तरीके और सही समय से करने से सही समय पर रिफंड, यदि बनता हो तो, में कोई दिक्कत नहीं आती और आईटीआर प्रॉसेस भी वक्त पर हो जाता है. बैंक डीटेल्स जैसे कि नाम, IFSC कोड, अकाउंट नंबर (जिसमें रिफंड लेना चाहते हैं) सही तरीके से चेक करके भरें ताकि रिफंड असफल न हो जाए.
कई बार लोग टैक्स छूट प्राप्त आय का जिक्र नहीं करते. जैसे कि पीपीएफ पर ब्याज से होने वाली आय़. यह ठीक है कि पीपीएफ में जमा करवाए गए धन पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स नहीं कटता है लेकिन इसका आईटीआर फाइलिंग में जिक्र जरूरी है. लाभांग और अन्य लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन का जिक्र जरूर करें. आईटीआर प्रोसेसिंग के वक्त किसी भी तरह की गफलत से बचने के लिए यह जरूरी है.
आपको ध्यान में रखने वाली बात ये है कि यदि आप टैक्स रिटर्न फाइलिंग तय तारीख पर नहीं कर पाए तो अब से आपको पेनल्टी भरनी पड़ सकती है. सबसे जरूरी बात ये है कि अगर आपने समय से इनकम टैक्स भर दिया लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा तो भी आपको पेनल्टी पड़ सकती है. आयकर देने के साथ ही आयकर रिटर्न भी भरना जरूरी है.
अपने ईमेल आईडी, पोस्टल अड्रेस में किसी प्रकार की कोई गलती न करें. स्पेलिंग चेक कर लें. हो सकता है कि इनकम टैक्स विभाग आपको नोटिस भेजे या किसी और प्रकार का संवाद स्थापित करना चाहे लेकिन ये जानकारियां गलत होने पर आप तक आयकर विभाग का मेसेज पहुंचेगा ही नहीं. साथ ही यदि कोई रिफंड बनता है तो चेक भी सही पते पर नहीं पहुंचेगा. इन सारी छोटी छोटी लगने वाली लेकिन महत्वपूर्ण जानकारियों और सूचनाओं को क्रॉस चेक कर लें.
आपकी इनकम पर निर्भर करेगा कि आईटीआर फाइल करने के लिए किन-किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ेगी. सैलरीड हैं तो एंप्लॉयर द्वारा दिया गया फॉर्म 16, सेविंग अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिले ब्याज के स्टेटमेंट्स, टीडीएस सर्टिफिकेट, सभी कटौतियों के प्रूफ, होम लोन पर दिए गए ब्याज का स्टेटमेंट आदि. आपने पिछले फाइनिशल इयर में नौकरी बदली है तो पिछली नौकरी और मौजूदा नौकरी दोनों के फॉर्म 16 की जरूरत होगी. अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि आपको अपने सभी अकाउंट्स की डिटेल देनी है. 2017-18 के समय तो आपको ये भी डिटेल देनी है जिसमें नोटबंदी के दौर में आपने अपने अकाउंट में कैश डिपॉजिट किया हो. अगर आपके पास एक से ज्यादा बैंक अकाउंट हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. एक से अधिक बैंक खाताधारकों के लिए जरूरी है कि वो अपने बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारी के बारे में 31 जुलाई से तक इनकम टैक्स रिटर्न में पूरी जानकारी मुहैया करवाए.
अक्सर टैक्सपेयर्स की परेशानी होती है कि वह टीडीएस को कैसे कैलकुलेट करें. ज्यादातर सैलरीड एंप्लॉयीज को एंप्लॉयर्स से सैलरी टैक्स कटौती के बाद ही मिलती है लेकिन आपक भी ये जांच करनी होगी कि आपके टीडीएस की हर किस्त एंप्लॉयर की ओर से सरकारी खाते में जमा हुई है या नहीं. इसके लिए अपने टीडीएस सर्टिफिकेट में दिए गए अमाउंट को देखकर फॉर्म 26AS चेक करना होगा. फॉर्म 26AS वो एनुएल टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट होता है जिसके जरिए आपके नाम पर सरकारी खाते में जमा हुए सारे टैक्स का सिलसिवलेवार जानकारी दर्ज होती है.
आईटीआर रिटर्न भरना उसके आखिरी स्टेप वेरिफिकेशन के बिना पूरा नहीं माना जाएगा. अगर आईटी डिपार्टमेंट की वेबसाइट से रिटर्न भरा है तो आपको अपलोडेड रिटर्न का वेरिफिकेशन खुद करना होगा, तभी आईटीआर पूरा और वैलिड माना जाएगा. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रिटर्न को वेरिफाई करने के 6 तरीके टैक्सपेयर्स को दे रखे हैं. अगली स्टोरी में हम बताएंगे कि कैसे आप आईटीआर का वैरिफिकेशन कर सकते हैं जिसमें से एक आधार OTP और नेटबैंकिंग भी हैं.
पीपीएफ अकाउंट पर मिला ब्याज और टैक्स फ्री बॉन्ड्स से हुई कमाई की जानकारी भी आईटीआर में देना जरूरी है. पिछले बजट में ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऐलान किया था अगर आपकी कमाई और टैक्स से छूट वाली इनकम 2.5 लाख रुपये से ज्यादा होती है, तब भी आपको आईटीआर भरना होगा. तो अगर ब्याज और बॉन्ड से मिली रकम मिलाकर 2.5 लाख रुपये से ज्यदा हो गई तो आपको रिटर्न फाइल करना जरूरी है.
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