स्व. बहुगुणा का 100वां जन्म दिवस साम्प्रदायिकता विरोधी दिवस

इलाहाबाद से चुनावी हार मिलने पर जब हेमवती नन्दन बहुगुणा को उत्तराखण्ड की जनता ने अपार स्नेह व सम्मान देकर इंदिरा गांधी के तमाम प्रलोभनों व तानाशाही का मुहतोड़ जवाब देते हुए गढ़वाल संसदीय उपचुनाव में विजय बनाया था। ऐसे विकट परिस्थितियों में उनके राजनैतिक जीवन की रक्षा करते हुए उनका पूरे देश की राजनीति में राष्ट्र का कद्दावर नेता के रूप में स्थापित किया उत्तराखण्ड की जनता ने

जनाक्रोश रैली के लिए कांग्रेस ने किया दिल्ली चलो का आह्वान

एचएन बहुगुणा के जन्मदिन पर दिल्ली में बड़ा कार्यक्रम होगा

साम्प्रदायिकता विरोधी दिवस के रूप में मनाने का ऐलान

उत्तराखंड प्रदेश के मुख्य प्रचार समन्वययक धीरेन्द्र प्रताप, महामंत्री विजय सारस्वत, नवीन जोशी तथा डा. संजय पालीवाल ने प्रदेशवासियों का आह्वान किया है वे 29 अप्रैल को दिल्ली में आयोजित जनाक्रोश रैली के लिए दिल्ली आयें। उन्होंने एक संयुक्त बयान में राज्यभर के कांग्रेसजनों से रामलीला मैदान में होने वाली जनाक्रोश रैली में शामिल होने के लिए ‘‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया है। इन नेताओं ने जनाक्रोश रैली को केन्द्र की भाजपा सरकार के लिए खतरे की घंटी बताते हुए कहा कि जिस तरह से मोदी सरकार ने अपने पिछले चार वर्ष के कार्यकाल में देश को बदहाली के गर्त में पहुंचा दिया है अब समय आ गया है कि देश की जनता को संगठित करना होगा तथा भाजपा की फासीवादी सरकार को 2019 के चुनाव में जड़ से उखाड़ फेंकना होगा।

धीरेन्द्र प्रताप ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व जंगे आजादी के नायक स्व. हेमवती नन्दन बहुगुणा का 100वां जन्म दिवस 25 अप्रैल को देशभर में साम्प्रदायिकता विरोधी दिवस के रूप में मनाया जायेगा। इस मौके पर मुख्य समारोह दिल्ली के कांस्टिटय़ूशन क्लब में होगा। इस कार्यक्रम को एके एंटोनी, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्टि पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, फारुख अब्दुल्ला, चौ. अजीत सिंह, दुश्यन्त चौटाला व शरद यादव संबोधित करेंगे। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा राज्य आन्दोलनकारियों के चिह्नीकरण, पेशन और आरक्षण के सवाल पर खमोशी बरतने का आरोप लगाते हुए इसे आंदोलनकारियों का बताया है। धीरेन्द्र प्रताप ने कहा है कि गैरसैण को राजधानी बनाये जाने के सवाल को लेकर 6 मई को प्रधानमंत्री कार्यालय पर आन्दोलनकारियों द्वारा हुंकार रैली का आयोजन किया जायेगा।

विश्‍वासपात्रों की कमी, स्‍वार्थपरक राजनीति तथा राजनीतिक स्‍थिति ने बहुगुणा को भीतर बाहर से तोड दिया था, उनका दम घुट रहा था, वे दुखी रहने लगे, वे अपने परिवारजनों व ईष्‍ट मित्रों को कहा करते थे; क्‍या राजनीति का इतना विक़त रूवरूप देखने के लिए मैंने संघर्ष किया, मैने सिद्वांतों के आधार पर इंदिरा गॉधी से संघर्ष किया, यही कारण है कि उन्‍होंने अकेले ही संघर्ष का मन बना लिया था- एकता चलो, एकचला चरो रे, को जीवन में तथा परिजनों को इसे अपनाने का संदेश दिया, दरअसल उनकी स्‍थिति राजनीति में बडी दुविधा पूर्ण हो चुकी थी, इंदिरा गॉधी से गंभीर मतभेद के कारण कांग्रेस छोडकर लोकदल में आये, वहा देवीलाल तथा शरद यादव ने भी उन पर गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिये, जिससे वह अंदर से टूट से गये थे,

 बिड़ला और सुंदर लाल बहुगुणा जी की पुरानी दोस्ती रही है। यदि हम 1974-75 के दौर में जांये ंतो सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा हेमवतीनंदन बहुगुणा को चिपको आंदोलन का विरोधी और इंदिरा गांधी को चिपको आंदोलन का समर्थक बताये जाने के पीछे भी बिड़ला और सुदरलाल बहुगुणा की दोस्ती का ही कमाल रहा है। यूपी का मुख्यमंत्री रहते हुए हेमवतीनंदन ने तब इंदिरा गांधी का प्रत्याशी होने के बावजूद न केवल बिड़ला को राज्यसभा के चुनाव में हरवा दिया बल्कि बिड़ला और उनके साथ आए इंदिरा गांधी के पीए यशपाल कपूर का सामान सरकारी गेस्ट हाउस से निकला कर सड़क पर फिंकवा दिया। इंदिरा गांधी के हुक्म को न मानने वाले हेमवतीनंदन बहुगुणा ने जब चिपको आंदोलन के कारण 1000 मीटर से ऊपर स्थित पेड़ों को न काटने का आदेश जारी किया तो सुंदर लाल बहुगुणा जी ने इसका श्रेय तत्कालीन मुख्यमंत्री बहुगुणा को देने के बजाय इसका श्रेय इंदिरा गांधी को दिया जबकि सुंदरलाल जी जानते थे कि यदि हेमवतीनंदन नहीं चाहते तो इंदिरा गांधी भी उनसे अपना हुक्म नहीं मनवा सकती थी। पर हेमवती नंदन बहुगुणा के प्रति दूसरे बहुगुणा का यह रवैया क्या बिड़ला द्वारा प्रेरित था ? इसका निर्णय इतिहास करेगा। क्योंकि सुदरलाल जी ने भी अभी तक ऐसा कोई ऐतिहासिक तथ्य सामने नहीं रखा जिससे यह साबित किया जा सके कि हेमवतीनंदन चिपको आंदोलन के खिलाफ थे।
इस किस्से का उल्लेख इसलिए करना पड़ रहा है कि देहरादून से प्रकाशित हिंदुस्तान ने हाल में हिमालय बचाओ के लिए जमीन आसमान एक किए रखा। यह अनायास नहीं था। जब श्री सुंदरलाल बहुगुणा के हिमालय बचाओ आंदोलन को तीस साल पूरे हुए  तो इस मौके पर बिड़ला और बहुगुणा की पुरानी दोस्ती के नाते बिड़ला के अखबार हिंदुस्तान ने श्री सुंदरलाल बहुगुणा के अभियान हिमालय बचाओ को गोद ले लिया। इसीलिए अखबार ने चिपको आंदोलन की दूसरी धारा के प्रतिनिधि और सुंदर लाल बहुगुणा के समांतर चलने वाले गांधीवादी चंडी प्रसाद भट्ट और उनके साथ जुड़े रहे पर्यावरणवादियों को अपने हिमालय बचाओं में भागीदार नहीं बनाया।  
 

 

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