भारत कुशलता से ग्लोबल साउथ को प्रभावित करने वाले ईंधन, भोजन, उर्वरक एवं वित्तीय संकट को टालने में कामयाब रहा

– लक्ष्मी पुरी

यह सारी उपलब्धियां ‘कमजोर पांच अर्थव्यवस्था’ के विरासत में मिलने और विभिन्न वैश्विक आर्थिक झंझावतों व अनिश्चितताओं, घरेलू उठापटक से जूझने के बावजूद हासिल की गईं हैं। एकजुटता के साथ अन्य विकासशील देशों का समर्थन करते हुए, भारत द्वारा आपदाकारी कोविड-19 महामारी से निपटना अनुकरणीय रहा है। ऐसा करने में अन्य महाशक्तियां विफल रहीं। रूस-यूक्रेन तथा अन्य संघर्षों के बावजूद, भारत कुशलता से ग्लोबल साउथ को प्रभावित करने वाले ईंधन, भोजन, उर्वरक एवं वित्तीय संकट को टालने में कामयाब रहा।

चुनौतियां बनी हुई हैं और भारत को अपेक्षित संरचनात्मक बदलाव हासिल करने के लिए आगे और काम करना होगा, बुनियादी ढांचे में भारी निवेश जारी रखना होगा, अपनी विशाल श्रमशक्ति को उचित रूप से कौशल से लैस करना होगा तथा विशेष रूप से श्रम-केंद्रित उद्योगों में उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियां प्रदान करनी होंगी; समावेशी शहरीकरण करना होगा; डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना क्रांति को गति देनी होगी, कृषि उत्पादकता को बढ़ाना होगा, हरित बदलाव को संभव बनाना होगा; और सालाना 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करना होगा।

भारत को लाभान्वित करने वाली प्रगति

एक अग्रणी शक्ति के तौर पर भारत का उदय चीन से अलग होगा। यह नरम और हितकर होगा। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत ने एक विभाजित दुनिया को एकजुट करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। इसका सबसे महत्‍वपूर्ण उदाहरण 2023 में नई दिल्‍ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन है, जहां भारत ने आम सहमति बनाने, साथ मिलकर काम करने और पारस्परिक लाभ के अपने स्‍वभाव की चमक बिखेरी। यह उन महान शक्तियों के विपरीत है जो दूसरों की भारी कीमत पर अपने राष्ट्रीय हितों को बलपूर्वक आगे बढ़ाते हैं और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को जीरो-सम गेम्‍स में बदल देते हैं।

महाशक्ति तमाम महान शक्तियों में सर्वोपरि होती है और वह वैश्विक व्यवस्था का एक मजबूत एवं अभिन्न हिस्‍सा होती है। मगर ऐसे समय में जब बहुध्रुवीय दुनिया आकार ले रही है जहां अधिक से अधिक देश अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को महत्व दे रहे हैं, तो यह अंतर कम महत्वपूर्ण हो सकता है। भारत अपना एक सहयोगी एवं सतत विकास मॉडल स्थापित करना चाहता है क्योंकि एक नई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए विचारों एवं व्‍यवस्‍थाओं की लड़ाई एक महत्‍वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुकी है। ग्लोबल साउथ पहले ही इस दृष्टिकोण से लाभ उठा चुका है और वह उम्मीद करता है कि भारत वैश्विक शासन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नेतृत्व की भूमिका जारी रखेगा।

सतत विकास के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए एक महान शक्ति के रूप में भरत के उदय में पश्चिमी लोकतंत्रों का सबसे अधिक व्‍यवस्‍थागत हित है। अगर भारत सफल होता है तो दुनिया जीत जाएगी। भारत सतत विकास लक्ष्यों और पेरिस जलवायु समझौते के लिए देश के लक्ष्य निर्धारित करने में अधिकतर देशों से काफी आगे है।

इसने अधिकतम उत्सर्जन और नेट जीरो की स्थिति के बीच सबसे कम समयावधि का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए उसने कई पहल किए हैं, जैसे दमदार सौर ऊर्जा परिवेश की स्थापना, इथेनॉल सम्मिश्रण को प्रभावी तरीके से लागू करना, अन्य जैव ईंधन एवं ग्रीन हाइड्रोजन को अपनाया जाना और प्रधानमंत्री का ‘लाइफ मूवमेंट’। ये सभी भारत के व्यापक हरित दृष्टिकोण और उसके अनुरूप की गई कार्रवाई के प्रमाण हैं।

भारत के विकास का यूटोपिया पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा परिभाषित धारणाओं या आय सीमाओं का पालन नहीं कर सकता है। मगर चीन का उदाहरण उन देशों की तरह है जिनके पास बुनियादी सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक स्वतंत्रता का अभाव है। इससे पता चलता है कि विकास अथवा महानता के मूल तत्‍व को पकड़ने में इन मानदंडों को नजरअंदाज कर दिया गया। आर्थिक महाशक्ति बनने का भारत का तरीका घरेलू स्‍तर पर समग्र मानव विकास सुनिश्चित करना है ताकि सभी भारतीयों के पास भरपूर विकल्प उपलब्‍ध हों और वे वसुधैव कुटुम्बकम के आधार पर नए सिरे से मानव केंद्रित वैश्वीकरण को आगे बढ़ाने में समर्थ हों।

विश्वसनीय संस्थाओं और विशेषज्ञों का मानना है कि भारत 2047 तक 26 से 55 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी तक पहुंच जाएगा और तब तक पीसीआई का 6 से 10 गुना हो जाएगा। आज की दूसरी सबसे बड़ी, तकनीकी रूप से विकसित अर्थव्यवस्था एवं बाजार के रूप में भारत आज की अन्य महाशक्तियों से काफी आगे होगा। ऐसे में कल्पना कीजिए कि वैश्विक कल्याण के लिए एक ताकत बनने के लिए भारत को कितनी व्‍यापक आर्थिक ताकत की जरूरत होगी! इस दर्जा के बारे में कौन बहस करना चाहता है?

लेखक के बारे में:

लक्ष्मी पुरी संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहायक महासचिव एवं यूएन विमेन की उप कार्यकारी निदेशक और भारत की पूर्व राजदूत हैं।

www.himalayauk.org (Leading Newsportal & youtube Channel & Daily Newspaper) Chandra Shekhar Joshi Chief Editor, Mob. 9412932030 Mail; himalayauk@gmail.com

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