भारतीय बौद्ध विद्वान को मानद फैलोशिप
& UK Top News # भारतीय बौद्ध विद्वान को ऑक्सफोर्ड के वॉल्फसन कॉलेज ने दी मानद फैलोशिप
परमपूज्य ग्यालवांग द्रुकपा ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी से मानद फैलोशिप पाने वाले भारत के पहले आध्यात्मिक दिग्गज
देहरादून : 24 जून, 2017- दुनिया के जाने-माने मानवतावादी, पर्यावरणविद, महिला अधिकारों के संरक्षक एवं बौर्द्ध धर्म के दु्रकपा वंश के आध्यात्मिक प्रमुख परमपूज्य ग्यालवांग द्रुकपा को हिमालय में सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति उनके अथक प्रयासों के लिए ऑक्सफोर्ड के वॉल्फसन कॉलेज के द्वारा प्रख्यात मानद फैलोशिप दी गई।
परमपूज्य ने 2012 में वॉल्फसन के तिब्बती एवं हिमालयी अध्ययन केन्द्र का दौरा किया था। यह केन्द्र यूके में स्थित हिमालयी पर्यावरणी शिक्षा का अनूठा केन्द्र है जो बड़ी संख्या में लोगों को अंतःविषयी अनुसंधान के अवसर प्रदान करता है। यह हिमालयी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने में अग्रणी भूमिका निभाता है तथा एशिया के तिब्बती, हिमालयी बौद्ध समुदायों तथा ऑक्सफोर्ड के बीच सम्बन्ध स्थापित करता है। साथ ही युवा विद्वानों को सर्वश्रेष्ठ सम्भव प्रशिक्षण प्रदान करता है।
ग्यालवांग द्रुकपा ने कहा है कि ‘‘मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे वॉल्फसन ऑनोरेरी फैलो की सूची में शामिल किया गया है। पिछले पांच सालों के दौरान कॉलेज के साथ काम करने का अनुभव बेहतरीन था, इसने हिमालय की विविध संस्कृति एवं इसके इतिहास को प्रोत्साहित करने का मार्ग प्रशस्त किया है।’’
2015 में वॉल्फसन कॉलेज ने परमपूज्य के सम्मान में ‘द ग्यालवांग दु्रकपा स्कॉलरशिप’ की शुरूआत की और यह पुरस्कार भावी पीढ़ियों के लिए हिमालयी सांस्कृतिक इतिहास के संरक्षण एवं प्रशिक्षण में उनके योगदान की पुष्टि करता है।
हिमालयायूके के अनुसार- ग्यालवांग द्रुकपा दरअसल एक उपाधि है, जो तिब्बती बौद्धों के पंथ “द्रुकपा” के प्रमुख को दी जाती है। द्रुकपा पंथ की स्थापना 1206 में ड्रॉगोन सांगपा ग्यारे ने की थी। ऐसा कहा जाता है कि उन्हें जमीन से ऐसा कहा जाता है कि उन्हें जमीन से आसमान की ओर जाते हुए 7 ड्रेगन दिखाई दिए थे जो कि एक कतार में उड़ रहे थे। इसीलिए तिब्बती बौद्धों के इस पंथ को “द्रुकपा” कहा गया। तिब्बती में ‘द्रुक’ का मतलब है ड्रैगन और ‘पा’ का मतलब है कतार। तो अर्थ हुआ ड्रैगनों की कतार यानी द्रुकपा। इनके प्रमुख को ग्यालवांग द्रुकपा की उपाधि दी जाती है।
संत भी कर्मयोगी भी : 12 वें ग्यालवांग द्रुकपा कई मायनों में ख़ास हैं। वो संत भी हैं और आधुनिक कर्मयोगी भी। उन्होंने अपने अनुयायियों के आध्यात्मिक उन्नयन के लिए तो काम किया ही है साथ ही उन्होंने लद्दाख के सर्द बंजर रेगिस्तान को हरियाली की चादर भी ओढ़ाई है। उन्होंने भिक्षुणियों को कुंग फू सिखाने का क्रांतिकारी कदम भी उठाया है और द्रुक व्हाइट लोटस स्कूल (वही थ्री इडियट्स वाला) को आदर्श स्कूल भी बनाया है। उन्होंने दुनिया के बेहतरीन नेत्र चिकित्सक को बुलाकर लद्दाख की जनता के लिए मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए शिविर भी लगवाया।
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देहरादून 24 जून 2017 जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी एस.ए मुरूगेशन ने अवगत कराया है कि भारत निर्वाचन आयोग एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखण्ड द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में एम-2 ईवीएम(पोस्ट-2006) एवं वीवीपैट की सीमित उपलब्धता के दृष्टिगत आयोग के निर्देशानुसार वर्तमान में जनपदों में उपलब्ध समस्त त्रुटिपूर्ण एम-ईवीएम(पोस्ट-2006) एवं वीवीपैट को मरम्मत हेतु 27 जून तक सम्बन्धित ईसीआईएल फैक्ट्री, हैदराबाद को भेजा जाना है। उन्होने अवगत कराया कि जनपद में एफएलसी, कन्डीडेट सेटिंग तथा माॅकपोल के दौरान खराब/त्रुटिपूर्ण पायी गयी ईवीएम(जो निर्वाचन याचिका से आच्छादित नही है) को वर्तमान में जिला निर्वाचन कार्यालय के गोदाम व पुराने तहसील कार्यालय में बनाये गये गोदाम में रखा गया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखण्ड के निर्देशानुसार गढवाल मण्डल के समस्त जनपदों की त्रुटिपूर्ण ईवीएम/वीवीपैट को भी जनपद देहरादून में एकत्र कर जनपद की ईवीएमके साथ ईसीआईएल फैक्ट्री, हैदराबाद भेजा जाना है। जिला निर्वाचन कार्यालय देहरादून से समस्त जनपदों की संगहित त्रुटिपूर्ण ईवीएम/वीवीपैट को पूर्ण सुरक्षा के साथ 27 जून 2017 को ट्रक द्वारा ईसीआईएल फैक्ट्री, हैदराबाद भेजा जायेगा। उक्त मशीनों को ले जाने हेतु जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा श्री प्रेम सिंह रावत, सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित किया गया है तथा उनकी सहायता के लिए श्री सजंय कुमार वर्मा, प्रधान सहायक एवं श्री दीप चन्द्र जोशी,प्रवर सहायक को भेजा जा रहा है।
जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी प्रेम सिंह रावत को निर्देश दिये हैं कि वे जिला निर्वाचन कार्यालय देहरादून में संग्रहित त्रुटिपूर्ण ईवीएम/वीवीपैट को पूर्ण सुरक्षा के साथ ईसीआईएल फैक्ट्री, हैदराबाद ले जाने हेतु सभी आवश्यक व्यवस्थाएं, ट्रांसपोटेªशन कार्य एवं अन्य तैयारियां पूर्ण कर लें।
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देहरादून 24 जून 2017 नोन बायो डिग्रेडेबल डिस्पाजिबल गिलास, पत्तल व दोने आदि के स्थान पर बायो डिग्रेडेबल गिलास, पत्तल व दोने आदि का प्रयोग किये जाने के सम्बन्ध में दोना पत्तल एसोसिएशन बबूल पत्ता स्टोर हनुमान चैक, पेपर एण्ड प्लास्टिक एसोसिएशन तिलक रोड एवं जनपद के समस्त धार्मिक प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधियों के साथ आज अपर आयुक्त (प्रशासन) गढवाल मण्डल हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में आयुक्त कैम्प कार्यालय देहरादून में बैठक सम्पन्न हुई ।
अपर आयुक्त ने कहा कि शादी-विवाह, जन्म दिन एवं अन्य धार्मिक समारोह में पूर्व में दोना पत्तल इत्यादि प्लास्टिक डिस्पोजल पर प्रतिबन्ध लगाया गया था, जिस पर ईको-फै्रण्डली का विकल्प उपलब्ध न होने के कारण पूरी तरह से सफलता नही पायी जा सकी तथा वर्तमान में यश पेपर मिल्स जैसी कम्पनियों द्वारा ऐसे ईको फै्रण्डली दोना पत्तल, डिस्पोजल/उत्पाद बनाये गये हैं जो आसानी से बायो-डिग्रेडेबल/आगे्रनिक खाद के रूप में निष्प्रोज्य हो जाते हैं, ऐसे उत्पादों को अपनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि इसकी शुरूआत में थोड़ी सी लागत अधिक है किन्तु लोगों द्वारा अधिक चलन में आने से अन्य कम्पनियां भी इस प्रतिस्पर्धा में शामिल होने पर इसका मूल्य धीरे-2 कम होता जायेगा। उन्होने कहा कि यदि देखा जाये तो यह प्लास्टिक डिस्पोजल से औसतन सस्ता ही पड़ेगा क्योंकि प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं का उपयोग करने से एक ओर जहां पर्यावरण प्रदूषित होता है, नालियां चाॅक हो जाती है, खेती योग्य भूमि बंजर हो जाती है तथा कई बार चालान के रूप में जुर्माना भी देना पड़ता है। उन्होने कहा कि यह बायो-डिग्रेडेबलन दोना पत्तल गन्ने की खोई से बनाया जाता है जो बाद में खाद का काम करता है तथा इसके उपयोग के लिए लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
अपर आयुक्त गढवाल/नोडल अधिकारी द्रोणागिरि टैªक आॅफ द ईयर-2017 हरक सिंह रावत ने जनपद चमोली में स्थित द्रोणागिरि टैªक की विशेषताओं के बारे में कहा कि यह टैªक प्राकृतिक सौन्दर्य एवं साहसिक पर्यटन के लिए स्वर्ग साबित हो सकता है तथा वर्तमान समय में यहां पर लगातार पर्यटक टैªकिंग करने आ रहे हैं। उन्होने कहा कि यहां बरसात के सीजन में भी टैªकिंग का मजा लिया जा सकता है, क्योंकि यहां पर थोड़े समय के लिए लगभग हर रोज बरसात होती है तथा पर्यटकों को बरसाती व गरम कपड़ों का साथ लेकर टैªकिंग का मजा लेना चाहिए, इसके लिए जी.एम.वी.एन एवं पर्यटन विभाग द्वारा खाने-पीने, ठहरने, गाईड सम्बन्धित सभी सुविधाएं आनलाईन एवं आॅफ लाईन उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होेने कहा कि द्रोणागिरि टैªक पर एक साथ स्वीटजरलैण्ड तथा पर्यटन हेतु मशहूर अन्य यूरोपियों देशों की साईटों का आनन्द लिया जा सकता है।
इस अवसर पर दोना पत्तल, प्लास्टिक एसोसिएशन के साथ-2 धार्मिक प्रतिष्ठानों क सदस्य उपस्थित थे।
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चमोली 24 जून,2017 (सू0वि0)
उत्तराखण्ड के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछडा वर्ग के पुरूष एवं महिला अभ्यर्थियों के लिए 01 जुलाई 2017 से 6 महीने का निःशुल्क टंगण प्रशिक्षण हेतु आवेदन आमंत्रित किये जाते है। यह जानकारी देते हुए जिला सेवायोजन अधिकारी मुकेश प्रसाद रयाल ने बताया कि प्रशिक्षण लेने के इच्छुक अभ्यर्थी की आयु 18 से 32 वर्ष एवं शैक्षिक योग्यता इण्टरमीडिएट या समकक्ष परीक्षा उत्र्तीण होना चाहिए। अंग्रेजी विषय में उत्र्तीण अभ्यर्थी को वरीयता दी जायेगी। उन्होंने बताया कि आवेदन पत्र के साथ समस्त शैक्षिक प्रमाण पत्र, जाति एवं स्थाई निवास प्रमाण पत्र की छाया प्रति संलग्न करना आवश्यक है। अधिक जानकारी के लिए जिला सेवायोजन कार्यालय, गोपेश्वर के दूरभाष नम्बर 01372-252146 पर संपर्क किया जा सकता है।
चमोली 24 जून,2017 (सू0वि0)
राजकीय पाॅलीटेक्निक, घिंघराण में कटिंग एज स्तर पर कार्मिकों का 12 दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान शुक्रवार को मा0 जिला जज प्रदीप पंत ने विधिक सेवाओं के संबध में जानकारी दी। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि सरकारी सेवा में कार्मिक सरकार की एजेन्सी की रूप में कार्य करता है। सरकारी कार्मिकों पर सरकार की योजनाओं को निष्पक्ष एवं पारदर्शी ढंग से पात्र व्यक्तियों तक पहुॅचाने का बहुत बडा उत्तरदायित्व होता है। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्मिक को अपनी सेवा के दौरान संविधान के अनुसार आम आदमी के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करनी होगी। किसी भी स्थिति में आम आदमी के मौलिक अधिकारों का हनन नही होना चाहिए।
जिला जज ने कहा कि भारत के इतिहास में भारत के संविधान का निर्माण एक महत्वपूर्ण घटना है। संविधान निर्माण से पहले भारत के इतिहास में कभी भी ऐसा विकास देखने को नही मिला जो संविधान निर्माण के बाद हुआ है। उन्होंने कहा कि संविधान का निर्माण हम भारत के लोगों ने किया है इसलिए संविधान की रक्षा करना एवं संविधान में उल्लेखित धाराओं एवं नियमों का पालन करना भी हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सरकारी एजेन्सी के रूप में कार्य कर रहे सरकारी कार्मिकों को पूरी जिम्मेदारियों के साथ सरकार द्वारा सौंपे गये दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए।
विदित हो कि भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की प्रशिक्षण नीति के तहत ग्रुप-बी व ग्रुप-सी के कार्मिकों को तराश कर कार्य के सटीक संपादन हेतु कटिंग एज स्तर पर (सेवा प्रवेश प्रशिक्षण) राजकीय पाॅलिटेक्निक घिंघराण में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इस अवसर पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवी प्रकाश शुक्ला, परावधिक कार्यकर्ता रूद्र सिंह भण्डारी, दीपक नेगी, महेन्द्र शर्मा, नोडल अधिकारी/जीएमडीआईसी डा0एमएस सजवाण, समन्वय नेहरू युवा केन्द्र योगेन्द्र धसमाना, अपर कृषि अधिकारी जीतेन्द्र भाष्कर एवं प्रशिक्षणार्थी मौजूद थे।
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