राष्ट्र की एकता और अखण्डता के लिए अहिंसा जरूरी: अहीर
सुखी परिवार अभियान के प्रणेता जैन संत गणि राजेन्द्र विजयजी की सन्निधि में आयोजित विचारसंगीति
नई दिल्ली, 7 दिसम्बर 2016
केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री श्री हंसराज गंगाराम अहीर ने राष्ट्र की एकता और अखण्डता के लिए अहिंसा, नैतिकता तथा सामाजिक संवेदनशीलता को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्र चाहे कितनी भी प्रगति क्यों न कर ले वह अहिंसा और नैतिकता के बिना सही मायने में उन्नति नहीं कर सकता।
श्री अहीर ने अपने निवास पर सुखी परिवार अभियान के प्रणेता जैन संत गणि राजेन्द्र विजयजी की सन्निधि में आयोजित विचारसंगीति को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे।
इस अवसर पर सुखी परिवार फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक श्री ललित गर्ग ने श्री अहीर को ‘महावीर की पाट परम्परा’ पुस्तक भेंट करते हुए बताया कि आगामी वर्ष गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी के दीक्षा का स्वर्ण जयंती वर्ष है, इस दीक्षा स्वर्ण जयंती महोत्सव के कार्यक्रम दिल्ली में भव्य रूप में आयोजित होंगे। श्री अहीर ने आचार्य नित्यानंद सूरीश्वरजी के आगामी दिल्ली चातुर्मास एवं दीक्षा महोत्सव का स्वागत करते हुए कहा कि भगवान महावीर ने हमें अहिंसा, अनेकान्त, सहअस्तित्व एवं शांति का संदेश दिया और वर्तमान में उनकी परम्परा के संतजन उन्हीं के सिद्धांतों एवं जीवनशैली को जन-जन में सम्प्रेषित कर रहे हैं। राष्ट्र महावीर के बताए मार्ग पर चलकर ही वास्तविक उन्नति कर सकता है। उन्होंने गुजरात के आदिवासी क्षेत्र में गणि राजेन्द्र विजयजी के नेतृत्व में चल रहे शिक्षा, सेवा एवं जनकल्याण के कार्यक्रमों की सराहना की।
गणि राजेन्द्र विजयजी ने इस अवसर पर कहा कि अहिंसा का सामाजिक जीवन में प्रयोग ही नैतिकता है, जिसमें दूसरों के प्रति संवेदनशीलता का भाव नहीं होता, करुणा की वृत्ति नहीं होती और दूसरों के कष्ट को अनुभव करने का मानस नहीं होता वह समाज और राष्ट्र नैतिक और अहिंसक नहीं हो सकता। उन्होंने आदिवासी उत्थान और उन्नयन की आवश्यकता व्यक्त करते हुए कहा कि हिंसा की समस्या का समाधान संतुलित समाज व्यवस्था से ही हो सकता है।
इस अवसर पर श्री राहुल वत्स एवं श्री राजकुमार चैधरी ने अपने विचार व्यक्त किए।
प्रेषकः
(बरुण कुमार सिंह)
10, पं. पंत मार्ग
नई दिल्ली-110001
मो. 9968126797
फोटो परिचयः
केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री श्री हंसराज गंगाराम अहीर से चर्चा करते हुए गणि राजेन्द्र विजय एवं श्री ललित गर्ग।