‘ सिट्टिंग इस द न्यू स्मोकिंग’ – डॉ संजय गुप्ता
जेपी हॉस्पिटल के ओर्थोपेडिक विभाग के चिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता ;
हिमालयायूके के लिए विशेष- हमारे दिल्ली प्रतिनिधि-
Shashidhar Shukla” <shukla.shashidhar@gmail.com>
‘ सिट्टिंग इस द न्यू स्मोकिंग’ – डॉ संजय गुप्ता
एसोसिएट्स डायरेक्टर ( ओर्थोपेडिक्स विभाग )
जे पी हॉस्पिटल – नोएडा
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“वर्तमान में स्वास्थ्य को लेकर एक नई परिभाषा “SITTING IS THE NEW SMOKING” बन गई है। पहले हम सिगरेट से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए लोगों को “CIGARETTE IS INJURIOUS TO HEALTH” कहा करते थे, लेकिन आज“ SITTING IS THE NEW SMOKING” कहते हैं।आरामपसंद जिंदगी जीने का नशा लोगों के जीवन को दीमक की तरह खत्म कर रहा है। ऑफिस में कुर्सियों पर बैठना और घर में बेड पर आराम फरमाते हुए टी.वी. देखना हमारीआदत बन चुकी है। रोजाना की इस दिनचर्या के कारण धीरे-धीरे हमारे शरीर की कार्यप्रणाली क्षीण होती जाती है और बीमारी हमें अपना शिकार बनाना शुरू कर देती है। शहरों के छोटे-छोटे घरों ने लोगों की बीमारी को और भी बढ़ाने काम किया है। ऐसी जीवन शैली के कारण वयस्क अवस्था के बाद शरीर में तकलीफें होनी शुरू हो जाती है। कंधों में जड़कन, घुटनों में तकलीफ, कूल्हों-पैरों-कमर आदि में दर्द जैसी बीमारी होने लगती है।”
जेपी हॉस्पिटल के ओर्थोपेडिक विभाग के चिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता ने कहा, याम का मतलब सिर्फ जिम जाना नहीं है बल्कि अनावश्यक कैलोरी बर्न करने के लिए रोजाना चलना-फिरना भी व्यायाम होता है। खाद्य पदार्थों में सब्जियां, सलाद एवं फलों आदि की मात्रा बढ़ाकर हम शरीर के वजन को नियंत्रित रख सकते हैं। भारी शरीर का सबसे पहला प्रभाव पैरों पर पड़ता है। लोगों के जोड़ों में दर्द होने लगता है। पहले जोड़ों की खराबी के कारण लोग चलना-फिरना कम या बंद कर देते थे। गतिशील नहीं रहने के कारण उनका शरीर बीमारी ग्रस्त होने लगता था- हिमालयायूके-
उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए सही खान-पान एवं व्यायाम करना बहुत जरूरी है। व्यायाम का मतलब सिर्फ जिम जाना नहीं है बल्कि अनावश्यक कैलोरी बर्न करने के लिए रोजाना चलना-फिरना भी व्यायाम होता है। जिससे शरीर को स्वस्थ रखकर लोग डायबिटीज, हाईपरटेंशन आदि रोगों से बच सकते हैं एवं इन बीमारियों पर नियंत्रण पा सकते हैं। भारत में शाकाहारी को प्राथमिकता देने की हमारी धारणा के कारण दैनिक जीवन में हम केवल अनाज खाने पर जोर देते हैं। अनाज हमारे शरीर के वजन को बढ़ाने का काम करता है। शरीर भारी होते ही जोड़ों का दर्द, कूल्हे एवं कंधे में जकड़न, कमर-पैर दर्द जैसी बीमारियां घेरने लगती हैं। खाद्य पदार्थों में सब्जियां, सलाद एवं फलों आदि की मात्रा बढ़ाकर हम शरीर के वजन को नियंत्रित रख सकते हैं।
जेपी हॉस्पिटल के ओर्थोपेडिक विभाग के चिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता ने यह भी कहा, “भारी शरीर का सबसे पहला प्रभाव पैरों पर पड़ता है। लोगों के जोड़ों में दर्द होने लगता है। पहले जोड़ों की खराबी के कारण लोग चलना-फिरना कम या बंद कर देते थे। गतिशील नहीं रहने के कारण उनका शरीर बीमारी ग्रस्त होने लगता था और उनकी जिंदगी कम होने लगती थी। अब चिकित्सकीय जगत ने काफी तरक्की कर ली है। जेपी हॉस्पिटल में विश्व प्रसिद्ध तकनीकोंके द्वारा हर हफ्ते दर्जनों बुजुर्ग, जोड़ों का प्रत्यारोपण करवाकर नई जिंदगी जी रहे हैं। जोड़ों के प्रत्यारोपण का सबसेअधिक लाभ यह होता है कि बुजुर्ग एक बार फिर सामान्य इन्सान की तरह चलने-फिरने लगते हैं। इस व्यायाम से उनका शरीर बीमार नहीं होता और वे खुद को डायबिटीज एवंहाईपरटेंशन जैसी बीमारियों से मुक्त रखकर लंबी उम्र तक स्वस्थ रहते हैं।”
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