एक ही नोट की दो तरह की फोटोकॉपी संसद में दिखाई
#सदी का सबसे बड़ा घोटाला#रिजर्व बैंक दो तरह के नोट छाप रहा है #पता चल गया है कि सरकार ने नोटबंदी क्यों की# आज हमें पता चला है कि ऐसा क्यों हो रहा है? जो नोट बीजेपी कार्यकर्ता के पास इलेक्शन के दौरान आए, वो यही नोट हैं# दो किस्म के हजार के नोट और दो किस्म के पांच सौ के नोट छापे गए#नकवी ने कहा कि पहले तो यह पता करना चाहिए कि ये नोट कहां से लाए? # www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)
मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने जमकर बवाल काटा। नए बैंक नोट की छपाई के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए आरोप लगाए कि वे एक ही डिनोमिनेशन के दो अलग-अलग प्रकार के नोट छाप रहे हैं। इसे पार्टी के नेताओं ने सदी का सबसे बड़ा घोटाला तक करार दिया।
मामला सदन में उस समय उठा जब कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने अपने साथ लाई एक ही नोट की दो तरह की फोटोकॉपी दिखाई। उन्होंने कहा कि उन्हें पता चल गया है कि सरकार ने नोटबंदी क्यों की। सिब्बल ने कहा’ ‘रिजर्व बैंक दो तरह के नोट छाप रहा है, अलग-अलग साइज के, अलग-अलग डिजाइन के, अलग-अलग फीचर्स के।उन्होंने कहा, ‘आज हमें पता चला है कि ऐसा क्यों हो रहा है? जो नोट बीजेपी कार्यकर्ता के पास इलेक्शन के दौरान आए, वो यही नोट हैं।’
सिब्बल की ओर से यह आरोप लगाते ही सदन में मौजूद कांग्रेस पार्टी के तमाम संसद शेम-शेम करते हुए चिल्लाने लगे। विपक्ष की ओर से नेता सदन गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह इस सदी का सबसे बड़ा घोटाला है। दो किस्म के हजार के नोट और दो किस्म के पांच सौ के नोट छापे गए हैं। एक पार्टी चलाए और एक सरकार चलाए। आजाद ने कहा, ‘इतनी भ्रष्ट सरकार को पांच मिनट भी सत्ता में रहने का हक नहीं है।’
17 JULY 2017 को जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी०एम०वी०एन० ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा नोटबंदी लागू किये जाने से लेकर लगभग ६-७ माह तक भी नई करेंसी छपाई के खर्च का ब्यौरा उपलब्ध न होना बडा दुर्भाग्यपूर्ण है। नेगी ने कहा कि नई करेंसी (५०० व २००० रू० के नोट) की छपाई में आने वाले खर्च का ब्यौरा भारतीय रिजर्व बैंक के पास न होना, बैंक नोट मुद्रणालय, देवाष, मध्य प्रदेश के अनुसार नोटों की छपाई के खर्च का आंकलन अभी तक नहीं किया जाना तथा वहीं चालार्थ पत्र मुद्रणालय के अनुसार नई करेंसी के खर्च का ब्यौरा दिये जाने से देश की एकता, अखण्डता, सुरक्षा इत्यादि का खतरा बताकर देशकी जनता को गुमराह किया जाना जैसा है।
बडी हैरानी की बात है कि कितनी संख्या में ५०० व २००० रू० के नोट छापे गये तथा उनकी छपाई में कितना खर्च आया, नोटबंदी लागू किये जाने सम्बन्धी PMO के पत्र का रिजर्व बैंक के पास न होना सभी बहुत ही गम्भीर स्थितियाँ हैं। आलम है कि आज रिजर्व बैंक सरकारी बैंक न होकर प्राईवेट बैंक बन चुका है।
आज केन्द्र की भाजपा सरकार देश की जनता को गुमराह कर रही है तथा अपने गुनाह/कुकृत्य छिपाने के लिए इन संस्थाओं के हाथ बाँध दिये हैं, जो कि बडा दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस पर जेडी(यू) सांसद शरद यादव ने कांग्रेसी नेताओं का समर्थन करते कहा कि यह कोई छोटी बात नहीं है। सरकार को जवाब देना होगा। इस पर उपसभापति ने कहा कि वह इस मामले के एक्सपर्ट नहीं हैं। इसलिए सांसदों को अलग से नोटिस देना होगा, तभी इस मुद्दे पर कोई चर्चा हो सकती है। विपक्षी सांसदों के शोरगुल के बीच बीजेपी सांसद और आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आपने (कांग्रेस ने) हमेशा भ्रष्टों को बचाया। ऐसे बेबुनियाद आरोप नहीं लगाया करें।
फिर सत्ता पक्ष के नेता सदन मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पहले तो यह पता करना चाहिए कि ये नोट कहां से लाए?
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष पर शून्य काल का वक्त बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आप जब चाहें कागज उछाल कर पॉइंट ऑफ ऑर्डर का हवाला देने लगते हैं। उपसभापति के लगातार अलग नोटिस देने की अपील के बाद भी हंगामा नहीं थमा तो सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
ज्ञात हो कि
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार – सरकार ने 500 और 1000 रूपये के नोटों को बन्द करके 2000 के नये नोटों को पेश करने का निर्णय लिया है| बताया जा रहा है कि ऐसा करने से नकली नोटों (FICN) की सहायता से होने वाले आतंकवाद की फंडिंग को रोकने और विध्वंसक गतिविधियां जैसे जासूसी, हथियारों की तस्करी, ड्रग्स और प्रतिबंधित वस्तुओं की कालाबाजारी को रोकने में मदद मिलेगी| साथ ही ऐसे दावे भी हैं कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था के सामानांतर कालेधन की काली छाया को नष्ट करने में कामयाबी मिलेगी| उद्देश्य तो सार्थक हैं, लेकिन क्या हमारी नई मुद्रा की छपाई में वही कम्पनियाँ हैं जो कालीसूची में डाली गयीं थीं और जिन कंपनियों की मिलीभगत से पाकिस्तान में नकली मुद्रा छपने के कारखाने चलते थे?