सुप्रीम कोर्ट के इन निर्देशो से तो बाजी हाथ से खिसकती प्रतीत हो रही है
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते 19 मई को शाम चार बजे कर्नाटक में शक्ति परीक्षण का आदेश दिया # विधानसभा में एंग्लो इंडियन सदस्य की नियुक्ति पर भी रोक # कांग्रेस के आठ बार से कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे प्रोटेम स्पीकर # बीजेपी की तरफ से कहा गया कि वह 19 मई को शक्ति परीक्षण के लिए तैयार नहीं हैं, कुछ और वक्त दिया जाना चाहिए # कोर्ट ने उनकी दलील नहीं सुनी. #कांग्रेस-जदएस गठबंधन की तरफ से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह 19 मई को शक्ति परीक्षण के लिए तैयार हैं.# सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सत्ता संग्राम विधानसभा की तरफ शिफ्ट # बीजेपी के हाथ से बाजी निकलती प्रतीत हो रही है # हिमालयायूके न्यूज पोर्टल www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal )
सारी निगाहें अब प्रोटेम स्पीकर पर टिक गई-
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा है कि कर्नाटक विधानसभा में 19 मई को शाम चार बजे शक्ति परीक्षण होगा.
बीजेपी की तरफ से पेश वकीलों ने कहा कि सीक्रेट बैलट पेपर(गुप्त मतदान) से यह परीक्षण होना चाहिए लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील को खारिज करते हुए कहा कि 18 मई को शाम चार बजे तक प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जानी चाहिए. इसी प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में 19 मई को विधानसभा का शक्ति परीक्षण कराया जाएगा. इसलिए कोर्ट ने किसी पर्यवेक्षक की नियुक्ति नहीं की. ऐसे में सारी निगाहें अब प्रोटेम स्पीकर पर टिक गई हैं.
कांग्रेस के आठ बार से कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे- प्रोटेम स्पीक
कांग्रेस के आठ बार से कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे का नाम इस रेस में सबसे आगे चल रहा है. आमतौर पर विधानसभा या लोकसभा सचिवालय सदन में सबसे ज्यादा समय बिताने वाले वरिष्ठ सदस्य का नाम इसके लिए प्रस्तावित करते हैं. 2014 में जब 16वीं लोकसभा का गठन हुआ था तो नौवीं बार सांसद बने वरिष्ठ नेता कमलनाथ को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था. इस लिहाज से आठ बार से कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे का नाम भेजा गया है. अब राजभवन को 18 मई की शाम चार बजे तक नाम पर मुहर लगानी होगी.
प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर(Pro Tempore) का संक्षिप्त रूप है. इसका शाब्दिक आशय होता है-‘कुछ समय के लिए.’ प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक विधानसभा अपना स्थायी विधानभा अध्यक्ष नहीं चुन लेती. यह नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ-ग्रहण कराता है और यह पूरा कार्यक्रम इसी की देखरेख में होता है. सदन में जब तक विधायक शपथ नहीं लेते, तब तक उनको सदन का हिस्सा नहीं माना जाता. इसलिए सबसे पहले विधायक को शपथ दिलाई जाती है. जब विधायकों की शपथ हो जाती है तो उसके बाद ये लोग विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं. परंपरा के मुताबिक सदन में सबसे वरिष्ठ सदस्य को गवर्नर, प्रोटेम स्पीकर के लिए चुनते हैं.
जस्टिस एके सीकरी ने रोहतगी से कहा कि ‘बीजेपी ने तो सिर्फ बहुमत की बात की है, जबकि कांगेस जेडीएस ने तो पूर्ण बहुमत की चिट्ठी दी थी.’ उन्होंने पूछा कि राज्यपाल ने किस आधार पर बीजेपी को न्योता दिया? शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘जनादेश सबसे महत्वपूर्ण है. सरकार बनाना नंबर का खेल है. राज्यपाल तय करेंगे कि नंबर किसके पास है.’
कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार के खिलाफ दायर कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने येदुरप्पा की सरकार से कहा है कि वह कल शाम चार बजे फ्लोर टेस्ट का सामना करें. साथ ही अदालत ने विधानसभा में एंग्लो इंडियन सदस्य की नियुक्ति पर भी रोक लगा दी है. कांग्रेस जेडीएस ने अपनी याचिका में कहा था कि विधानसभा में सरकार के बहुमत साबित करने से पहले इस तरह का मनोनयन नहीं हो सकता है. जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल नियुक्ति पर रोक लगा दी है.
कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा में राज्यपाल को एक एंग्लो इंडियन सदस्य नियुक्त करने का अधिकार है. दरअसल अगर एक एंग्लो इंडियन सदस्य को नामांकित किया जाता है तो विधानसभा में सदस्यों की संख्या 223 हो जाएगी. नामांकित सदस्य के पास भी बाकी विधायकों की तरह सभी अधिकार होते हैं. वह विश्वास प्रस्ताव पर वोट भी कर सकता है. ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 112 ही रहेगा. लेकिन अगर कांग्रेस या जेडीएस के सात विधायक बहुमत प्रस्ताव या बीजेपी के पक्ष में मतदान कर दे तो बीजेपी के पक्ष में पड़े मतों की संख्या हो 104+ 1 एंग्लो इंडियन+ 7 विपक्ष के बागी विधायक यानी 112 हो जाएगी और विपक्ष के विधायकों की संख्या 111 रह जाएगी.
राज्य में किसी भी दल के पास बहुमत नहीं है. बीजेपी 104 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. 78 सीट कांग्रेस और जेडीएस ने 37 सीटें जीती है. वहीं बीएसपी समेत दो अन्य को एक-एक सीटें मिली है. कांग्रेस और जेडीएस ने 12 मई को चुनाव परिणाम के ठीक बाद गठबंधन की घोषणा की थी. उनका दावा है कि उनके पास 117 विधायक हैं और राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्योता नहीं देकर संविधान की धज्जियां उड़ाई है. राज्य में सरकार बनाने के लिए फिलहाल 112 सीटों की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की दलील रख रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने फैसले के बाद कहा, ”यह ऐतिहासिक है. कल तक येदुरप्पा कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे. एंग्लो इडियन की सदस्यता पर भी रोक लगाई गई है. कल होने वाली बहुमत परीक्षण में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.”
राज्यपालों की तरह ही मुख्यमंत्रियों की भी नियुक्ति कर देनी चाहिए- उद्धव ठाकरे
कर्नाटक में जारी राजनीतिक संकट के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया है. ठाकरे ने कहा कि केन्द्र को राज्यपालों की तरह ही मुख्यमंत्रियों की भी नियुक्ति कर देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ‘लोकतंत्र का अनादर किया जा रहा है.’ ठाकरे ने उल्हासनगर में एक रैली में कहा , ‘‘अगर लोकतंत्र का अनादर ही किया जाना है तो एक लोकतांत्रिक देश कहने का क्या फायदा है? चुनाव कराना बंद कर देना चाहिए ताकि प्रधानमंत्री मोदी बिना किसी बाधा के विदेशी दौरे पर जा सकें.’’ केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी शिवसेना के प्रमुख ने कहा, ‘‘चुनाव कराना बंद कर दीजिये, ताकि समय और धन की बचत हो सके. मुख्यमंत्रियों को राज्यपालों की तरह नियुक्त कर दें.’’ गौरतलब है कि कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) ने 117 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी राज्यपाल को सौंपी थी. लेकिन चुनाव परिणाम में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा को राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्योता दिया और येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की गुरुवार को शपथ भी दिला दी. बीजेपी के पास 104 सीट है और सरकार बनाने के लिए फिलहाल 112 सीटों की जरूरत है. राज्यपाल के फैसले के बाद से पूरे देश में सियासी तूफान उठा हुआ है. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है. जिसपर आज सुनवाई होगी. विपक्ष इसे लोकतंत्र की हत्या बता रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल का आदेश पलटते हुए कहा है
कर्नाटक के राजनीतिक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. बीजेपी और कांग्रेस की तमाम दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल का आदेश पलटते हुए कहा है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुरप्पा को कल शाम चार बजे तक बहुमत परिक्षम साबित करना होगा. राज्यपाल ने येदुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस और जेडीएस की उस शिकायत पर सुनवाई की है, जिसमें ये कहा गया है कि बहुमत का आंकड़ा उनके पास होने के बावजूद राज्यपाल ने उन्हें न्योता नहीं दिया.
बीजेपी सरकार को कल शाम चार बजे कर बहुमत साबित करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस और बीजेपी की सभी दलीलें सुनने के बाद आदेश दिया कि कर्नाटक में बीजेपी सरकार को कल शाम चार बजे कर बहुमत साबित करना होगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बहुमत परिक्षण के दौरान डीजीपी विधायकों को सुरक्षा भी दें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुमत साबित करने से पहले सीएम येदुरप्पा को भी नीतिगत फैसला नहीं लेंगे. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने किसी एंग्लो इंडियन को सदस्यता देने पर भी रोक लगा दी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दो विकल्प भी सामने रखे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि या तो राज्यपाल के फैसले पर विस्तृत सुनवाई करें या क्यों ना कल ही बहुमत परिक्षण करा दिया जाए.
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार (17 मई) तड़के बीएस येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर रोक नहीं लगाई थी. शीर्ष अदालत ने आधी रात को घंटों चली सुनवाई में कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) की येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की संयुक्त याचिका के मद्देनजर शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि राज्यपाल ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है. इस मामले की कार्यवाही की अध्यक्षता एके सीकरी, एसए बाबडे और अशोक भूषण ने की थी.
शीर्ष अदालत ने आधी रात को घंटों चली सुनवाई में कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) की येदियुरप्पा की शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की संयुक्त याचिका के मद्देनजर शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि राज्यपाल ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है. इस मामले की कार्यवाही की अध्यक्षता एके सीकरी, एसए बॉब्डे और अशोक भूषण ने की थी. येदियुरप्पा ने तय योजना के अनुरूप गुरुवार (17 मई) सुबह नौ बजे शपथ ली थी. येदियुरप्पा ने पत्रों में सदन में बहुमत होने का दावा किया है. इसी के खिलाफ कांग्रेस और जेडी-एस ने राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने को चुनौती दी है.
कांग्रेस और जेडीएस ने मोबाइल स्विच ऑफ करने या जमा करने के लिए नहीं कहा- वह कॉल रिकॉर्ड कर लें.
कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने अपने विधायकों को 17 मई की रात बेंगलुरू से हैदराबाद शिफ्ट कर दिया. ऐसा करने के पीछे कांग्रेस ने यह आरोप लगाया है कि बेंगलुरू के जिस रिसॉर्ट में उनके विधायक रुके थे, उनको वहां धमकाया जा रहा था और बीजेपी के पक्ष में पाला बदलने के लिए कहा जा रहा था. हालांकि इस तरह के आरोपों के बावजूद मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन विधायकों से कांग्रेस और जेडीएस ने मोबाइल स्विच ऑफ करने या जमा करने के लिए नहीं कहा है. हालांकि इसके उलट उनसे कहा गया है कि वह कॉल रिकॉर्ड करने वाले ऐप डाउनलोड कर लें. इसके पीछे मकसद ये है कि किसके पास किस तरह के फोन आएंगे या जाएंगे, ये पता करना आसान होगा. इसलिए इन विधायकों को अपने पास मोबाइल रखने की अनुमति दी गई है. हालांकि इससे पहले ऐसा होता रहा है कि इस तरह की परिस्थिति में विधायकों से मोबाइल भी जमा करा लिए जाते रहे हैं ताकि खरीद-फरोख्त से जुड़ी कोई डील न हो पाए. कई बार तो ऐसा देखा गया कि विधायकों की इस तरह निगरानी की जाती है कि उनका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रह जाता.
कांग्रेस-जेडीएस कल ही बहुमत साबित करने के लिए तैयार
कांग्रेस की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस-जेडीएस कल ही बहुमत साबित करने के लिए तैयार है. कोर्ट को तय करना चाहिए की किसी बहुमत साबित करने का मौका मिले. सिंघवी ने यह भी कहा कि अगर मुकुल रोहतगी विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं तो वह समर्थन की चिट्टी कोर्ट में दिखाएं. सिंघवी ने कहा है कि बहुमत परिक्षण के दौरान वीडियोग्राफी भी होनी चाहिए.
बीजेपी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, ”चुनाव से पहले कांग्रेस और जेडीएस में कोई गठबंधन नहीं था. इसलिए राज्यपाल वजुभाई वाला ने सबसे बड़े दल को बुलाया था.” उन्होंने दावा किया कि येदुरप्पा सदन में ना सिर्फ अपना बहुमत साबित कर देंगे बल्कि उन्हें बीजेपी और जेडीएस के कुछ वकीलों का भी समर्थन मिल जाएगा.
येदुरप्पा सरकार कल बहुमत परीक्षण के लिए तैयार नहीं
मुकुल रोहतगी ने दलील रखी थी कि येदुरप्पा सरकार कल बहुमत परीक्षण के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि एक दिन बहुत कम है. सरकार को ज्यादा दिन मिलने चाहिए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस दलील को नकार दिया.
कांग्रेस की इस दलील पर जज सीकरी ने कहा है कि ये मामला राज्यपाल के विवेक का है. राज्यपाल खुद देखें कि कौन बड़ी पार्टी है और किस पार्टी को बहुमत साबित करने का मौका मिलना चाहिए.
कर्नाटक में 224 में से 222 सीटों पर मंगलवार को नतीजे आए थे. नतीज़ों के बाद बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटें हासिल हुई थीं. इसके अलावा अन्य को दो सीटें हासिल हुई थीं. 224 विधानसभा वाले इस राज्य में इन नतीजों के बाद कोई भी पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी. इस बीच कांग्रेस ने काउंटिंग पूरी होने से पहले ही जेडीएस को बिना शर्त समर्थन दे दिया, जिसे जेडीएस ने स्वीकार भी कर लिया. चुनाव के बाद बने इस गठबंधन के पास बहुमत का आंकड़ा आ गया. लेकिन राज्य के राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया, जिसके विरोध में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाया खटखटाया था.
कर्नाटक में ‘सबसे बड़े दल’ को सरकार बनाने का मौका मिलने के बाद गोवा, बिहार और मणिपुर में भी राजनीति गर्म हो गई है. कांग्रेस और लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की मांग है कि इसी फॉर्मूले के आधार पर राज्यपाल उन्हें सरकार बनाने का मौका दें.
मणिपुर विधानसभा में विपक्ष के नेता ओ इबोबी सिंह ने कहा कि राज्य में 2017 में हुये विधानसभा चुनाव के दौरान 60 सीटों में उनकी पार्टी कांग्रेस ने 28 पर जीत दर्ज की थी और वह सबसे बड़ी पार्टी है और ऐसे में वह राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने मणिपुर विधानसभा की 60 में से 21 सीट जीतने वाली बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था.
वहीं बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने गुरुवार को कहा कि वह अपने-अपने राज्य में राज्यपालों से कहेंगे कि जिस तरह कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बी.एस. येदियुरप्पा को सरकार बनाने का मौका दिया गया, उसी तरह हमें भी अपने राज्यों में सरकार बनाने का मौका दिया जाए. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “हम बिहार में सबसे बड़ी पार्टी हैं, इसलिए हम अपने विधायकों के साथ शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात करेंगे.”
उन्होंने कहा कि अगर कर्नाटक में सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्योता दिया गया, तो बिहार में उसी तर्ज पर सरकार बनाने का न्योता आरजेडी को मिलना चाहिए. तेजस्वी ने कर्नाटक में मुख्यमंत्री बी़ एस़ येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिए जाने पर भी आपत्ति जताई और कहा कि अन्य दलों के विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए बीजेपी को पर्याप्त समय दिया जाना कहीं से उचित नहीं है.उन्होंने कहा, “हम बिहार के राज्यपाल से मौजूदा सरकार को सत्ता से हटाने और आरजेडी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का आग्रह करेंगे. आरजेडी 80 सीटों के साथ बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है.”
गोवा में कर्नाटक फॉर्मूले की मांग
गोवा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडाणकर ने यहां पत्रकारों से कहा, “अगर कर्नाटक के राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं, तो गोवा की राज्यपाल राज्य की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को क्यों नहीं आमंत्रित करती हैं. दो राज्यों के लिए दो मापदंड क्यों? दोहरे मानक क्यों?” गोवा कांग्रेस ने राज्यपाल मृदुला सिन्हा से कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला के नक्शेकदम पर चलकर राज्य में सरकार बनाने के लिए कांग्रस को आमंत्रित करने की मांग की. कांग्रेस 2017 विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उन्होंने कहा, “मैं राज्यपाल से अनुरोध करता हूं कि वह कर्नाटक के राज्यपाल का अनुसरण करें और गलती सुधारते हुए गोवा में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को आमंत्रित करें.”
कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल (एस) ने मिलकर 117 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी राज्यपाल को सौंपी थी. लेकिन 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी बीजेपी को राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्योता दिया और गुरुवार सुबह नौ बजे येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ भी दिला दी. सरकार बनाने के लिए बीजेपी को नौ विधायक अपने पक्ष में जुटाना है. जनता दल (एस) प्रमुख एच.डी. कुमारस्वामी का कहना है कि उसके कई विधायकों को बीजेपी ने 100 करोड़ रुपये और कैबिनेट मंत्री पद का ऑफर दिया है, लेकिन उसके विधायक बिकने वाले नहीं हैं. बीजेपी क्या आसमान से नौ विधायक ले आएगी?
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