2 CM वाला फॉर्मूला -हिमालयायुके द्वारा 2 दिन पूर्व प्रकाशित सटीक आंकलन & सिद्धारमैया का रिटायरमेंट का ऐलान & वसुंधरा राजे को इग्नोर करना पार्टी को भारी
HIGH LIGHT# 16 MAY 2023 #दो मुख्यमंत्री वाला फॉर्मूला हो सकता है हिट #सिद्धारमैया कर चुके हैं रिटायरमेंट का ऐलान
दो मुख्यमंत्री वाला फॉर्मूला हो सकता है हिट – कांग्रेस की इसी मुसीबत से निपटने के लिए एक फॉर्मूला सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि पहले दो साल पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया जाए और इसके बाद आखिरी के तीन साल डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री पद पर रहें. सिद्धारमैया कैंप की तरफ से भी इसी फॉर्मूले को लेकर चर्चा हो रही है. फिलहाल जो स्थिति बन रही है, उसे देखते हुए कांग्रेस के लिए भी ये फॉर्मूला हिट साबित हो सकता है. इससे पार्टी में बगावत की संभावनाएं भी कम हो जाएंगी और दोनों बड़े नेताओं को संतुष्ट भी कर लिया जाएगा. अब समझते हैं कि कैसे ये फॉर्मूला कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
कांग्रेस के सीनियर नेता और पांच साल तक मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा कर चुके सिद्धारमैया चुनाव से पहले ही साफ कर चुके थे कि ये उनका आखिरी चुनाव है, उन्होंने जनता से वोट भी इसी पर मांगे थे. उन्होंने कहा था कि इसके बाद वो राजनीति से रिटायर हो जाएंगे. ऐसे में डीके शिवकुमार का धड़ा ये तर्क दे रहा है कि अगर सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बनते हैं तो आने वाले चुनावों में पार्टी को नुकसान हो सकता है. क्योंकि पांच साल तक काम करने वाला मुख्यमंत्री अगले चुनाव में रिटायर हो जाएगा. ऐसे में जनता के बीच जाकर किस चेहरे पर चुनाव लड़ा जाएगा.
# खरगे के आवास पर कर्नाटक के सीएम को लेकर मंथन # डीके शिवकुमार ने कहा, पार्टी चाहे तो मुझको जिम्मेदारी दे सकती है ये हमारा संयुक्त सदन है, यहां पर हमारी संख्या 135 है. मैं यहां किसी को बांटना नहीं चाहता. वे मुझे पसंद करें या न करें, मैं जिम्मेदार हूं. मैं किसी को बैकस्टैब नहीं करूंगा और न ही मैं किसी को ब्लैकमेल करूंगा # दिल्ली के लिए निकलने से पहले डीके शिवकुमार ने कहा, कर्नाटक की जनता ने हमें बहुमत दिया है. कर्नाटक की जनता से किए वादे को पूरा करना पहली प्राथमिकता है. सोनिया गांधी हमारी रोल माडल हैं. कांग्रेस सभी के लिए एक परिवार है. 2024 का चुनाव अगला चैलेंज है. # कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार थोड़ी देर में दिल्ली के लिए रवाना होंगे. उन्होंने कहा, अब तबीयत ठीक है, बीपी ठीक है. आज हाईकमान से मिलने का प्लान है. पिछले दिनों नींद नहीं पूरी हो पा रही थी. मैं पार्टी का हिस्सा हूं.
अगर कांग्रेस 2-3 वाले फॉर्मूले पर काम करती है तो इस खतरे से बचा जा सकता है. यानी पहले दो साल सिद्धारमैया बतौर मुख्यमंत्री काम करेंगे और उसके बाद अगले चुनावों तक डीके शिवकुमार सीएम पद पर रहेंगे. जनता आने वाले चुनावों में डीके के चेहरे और कामकाज पर वोट करेगी. वहीं डीके शिवकुमार जिनका अभी सिर्फ पूरे राज्य में जनाधार नहीं है, उन्हें तीन साल में इसे बनाने का भी वक्त मिल जाएगा.
कर्नाटक की सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कशमकश में फंसी हुई है. सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार सीएम की रेस में है, लेकिन हालात 2013 की तरह ही बन गए हैं. दस साल पहले ऐसे ही मौके पर सिद्धारमैया से मल्लिकार्जुन खड़गे पीछे रह गए थे.
कर्नाटक की सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कशमकश में फंसी हुई है. सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार सीएम की रेस में है, लेकिन हालात 2013 की तरह ही बन गए हैं. दस साल पहले ऐसे ही मौके पर सिद्धारमैया से मल्लिकार्जुन खड़गे पीछे रह गए थे. कर्नाटक में आज सब कुछ उसी तरह से हो रहा है, जिस तरह 10 साल पहले हुआ था. बात 2013 के चुनाव की है. कांग्रेस 122 सीटें जीतकर कर्नाटक में बहुमत हासिल किया किन सभी के मन में सवाल था कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? सीएम की रेस में एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे थे तो दूसरी तरफ थे जेडीएस से कांग्रेस में आए सिद्धारमैया. जिन्हें इस पार्टी में आए तब सात साल हुए थे. मल्लिकार्जुन खड़गे उस समय केंद्र में मंत्री थे और सिद्धारमैया ने खुद को कर्नाटक की सियासत तक सीमित कर रखा था. ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ने उस समय खड़गे और सिद्धारमैया में किसी एक के नाम पर सीएम की मुहर लगाए जाने के बजाय विधायक दल की बैठक के जरिए नया नेता चुनने जाने का रास्ता निकाला. इसके लिए कांग्रेस विधायकों से सीक्रेट वोटिंग कराई गई
#कर्नाटक में लोकल लेवल पर बड़े नेताओं का न होना पार्टी के लिए नुकसानदायक रहा. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि भी विधानसभा के चुनाव हार गए.
#लोकसभा चुनाव से पहले जिन 4 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उमें से 3 राज्यों में बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से हैं. कांग्रेस अगर 3 राज्यों में बढ़िया परफॉर्मेंस करने में कामयाब होती है, तो बीजेपी के खिलाफ बन रहे महागठबंधन के केंद्र में आ जाएगी. ममता बनर्जी, नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी जैसे नेता 2024 में साथ आ सकते हैं.
#बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत महागठबंधन बन सकता है. इसका असर बीजेपी को यूपी, बंगाल, बिहार समेत कई राज्यों की 180 सीटों पर सीधा हो सकता है.
#राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सामने सत्ता बचाने की चुनौती है, जबकि तेलंगाना और मध्य प्रदेश में पार्टी वापसी की कोशिशों में जुटी है. बीजेपी के पास 4 में से सिर्फ एक राज्य (मध्य प्रदेश) में ही सरकार है.
#गुटबाजी के बीच अशोक गहलोत की कल्याणकारी नेता छवि # बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है.
#कांग्रेस की तरह ही अंदरुनी कलह बीजेपी में भी जारी है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जिम्मेदारी मिलने का इंतजार कर रही हैं. बीजेपी ने राज्य में गुटबाजी खत्म करने के लिए सीपी जोशी को सांसद बनाया है. राज्य बीजेपी में मुख्यमंत्री दावेदारी को लेकर पेंच है.
#वसुंधरा राजे पश्चिमी राजस्थान में तेजी से सक्रिय हो गई हैं. जगह-जगह रैली और सभाएं कर रही हैं. ऐसे में उन्हें इग्नोर करना पार्टी को भारी पड़ सकता है.
#कर्नाटक जीत के बाद कांग्रेस भी तेलंगाना पर ही फोकस करेगी. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को यहां अभूतपूर्व समर्थन मिला था. कांग्रेस में इससे काफी उत्साह भी है. यही वजह है कि कांग्रेस ने बीआरएस से गठबंधन के प्रयास को ठुकरा दिया.
#लोकसभा से पहले जिन 4 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उनमें से सबसे मजबूत स्थिति में कांग्रेस छत्तीसगढ़ में ही है. 2018 के बाद से ही छत्तीसगढ़ बीजेपी में भारी गुटबाजी है. लोकल स्तर पर रमन सिंह के बाद पार्टी कोई बड़ा चेहरा नहीं खड़ा कर पाई है.
#कांग्रेस के लिए कर्नाटक में रणनीति बनाने वाले सुनील कानुगोलू जल्द ही मध्य प्रदेश और तेलंगाना में मोर्चा संभाल सकते हैं. दोनों राज्यों में कानुगोलू को रणनीति बनाने का जिम्मा मिला हुआ है.
# नगर निकाय चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद बीजेपी में जश्न का माहौल है. अखिलेश यादव का दावा है कि हार के बावजूद नगर निकाय चुनाव में सपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है. उनका कहना है कि कर्नाटक नतीजों से पता चलता है कि जनता लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को सबक सिखाएगी. चुनाव में धांधली के आरोपों पर बीजेपी सपा को चुनौती दे रही है.
#बीजेपी ने निकाय चुनाव को लेकर सभी 98 जिलाअध्यक्षों से चुनाव की रिपोर्ट मांगी है. इस रिपोर्ट में जिला अध्यक्षों से पूछा गया है कि निकाय चुनाव में बीजेपी प्रत्याशियों की जीत के प्रमुख आधार क्या था और अगर किसी प्रत्याशी की हार हुई है तो उसकी वजह क्या थी. निकाय चुनाव के नतीजों को लेकर जिला अध्यक्ष जो रिपोर्ट बनाकर भेजेंगे उसका आंकलन करने के बाद आगे शीर्ष नेतृत्व कार्रवाई करेगा.
#निकाय चुनावों में भाजपा ने 17 नगर निगम में महापौर 89 नगर पालिका परिषद और 191 नगर पंचायत में अध्यक्ष पद का चुनाव जीता है. साथ ही 813 पार्षद, नगर पालिकाओं में 1360 और नगर पंचायत में 1403 सभासद बीजेपी के टिकट पर जीत कर आये हैं. जिन भी सीटों पर सांसद, विधायक या पार्टी पदाधाधिकारियों के भीतरघात से पार्टी को नुक़सान हुआ है कई सीटों पर बीजेपी को नुकसान भी हुआ है.
By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030