केजरीवाल को यूपी निर्वाचन आयोग का साथ
ईवीएम मामला; अरविंद केजरीवाल को यूपी निर्वाचन आयोग का साथ मिला है. दरअसल, उत्तर प्रदेश के निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय चुनाव आयोग को खत लिखकर कहा है कि राज्य में मई में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए उनको 2006 के बाद की वोटिंग मशीनें मुहैया करवाई जाएं और ऐसा संभव न हो तो बैलेट पेपर से चुनाव करवाए जाएं. इसे लेकर अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है कि मुझे खुशी है कि यूपी निर्वाचन आयोग ने इस मामले पर कदम उठाया. मुझे उम्मीद है कि दिल्ली निर्वाचन आयोग भी ऐसा ही करेगा.
गौरतलब है कि एमसीडी चुनावों से पहले राजौरी गार्डन उपचुनाव का नतीजा आम आदमी पार्टी के लिए किसी झटके से कम नहीं है. ऐसे में इस खबर ने अरविंद केजरीवाल को थोड़ी राहत जरूर दी. कम से कम उनका ट्वीट तो यही कहता है.
उत्तर प्रदेश के निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय चुनाव आयोग को खत लिखकर कहा है कि राज्य में मई में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए उनको 2006 के बाद की वोटिंग मशीनें मुहैया करवाई जाएं और ऐसा संभव न हो तो बैलेट पेपर से चुनाव करवाए जाएं. राज्य निर्वाचन आयुक्त एस के अग्रवाल ने बताया, “मेरी मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से बात हुई है और मैंने उनसे आग्रह किया है कि चुनाव आयोग नई ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) मुहैया कराएं जो ठीकठाक स्थिति में हों अन्यथा शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव पेपर बैलट के जरिए कराने की अनुमति मिलनी चाहिए.”
उन्होंने बताया कि राज्य भर में शहरी स्थानीय निकायों की चुनावी प्रक्रिया जुलाई के दूसरे सप्ताह तक संपन्न की जानी है. अग्रवाल ने कहा कि उन्हें भारत के निर्वाचन आयोग के जवाब की प्रतीक्षा है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य निर्वाचन आयोग वार्डों के सीमांकन का कार्य युद्धस्तर पर कर रहा है.
उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव 2012 में हुए थे. बारह नगर निगमों के मेयर और पाषर्दों का चुनाव कराने में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था. प्रदेश की 194 नगर पालिका परिषदों और 423 नगर पंचायतों के प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए पेपर बैलेट का इस्तेमाल किया गया था.
अग्रवाल ने कहा कि नवंबर 2016 में हमने भारत के निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश से ईवीएम आवंटित करने का आग्रह किया था. हमें मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बाद में सूचित किया था कि भारतीय निर्वाचन आयोग के आदेश पर ईवीएम महाराष्ट्र भेज दी गई हैं. उसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने कहीं और से ईवीएम प्रदान करने का आग्रह किया. “फिर हमें पता लगा कि शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम के मॉडल 2006 से पूर्व के हैं और चुनाव आयोग ने उन ईवीएम को अनुपयोगी करार दिया है.” अग्रवाल ने कहा, “मैंने जैदी से कहा कि यदि चुनाव आयोग ईवीएम को अनुपयोगी मान रहा है तो उन्हें हमें (उत्तर प्रदेश) क्यों मुहैया करा रहा है. यह संवेदनशील मुद्दा है. यदि हमें नई ईवीएम नहीं मिल सकतीं तो हम शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव पेपर बैलेट से कर सकते हैं.”
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