मायावती जी को हम बिहार से राज्यसभा भेजेंगे; लालू का ऐलान
दलितों के मुद्दे पर संसद में आवाज दबाने का आरोप लगाकर राज्यसभा से इस्तीफा देने वाली बीएसपी सुप्रीमो मायावती को आरजेडी प्रमुख लालू यादव का साथ मिला है. लालू यादव ने कहा है कि दलितों का मुद्दा सांसद पद से ऊपर है, मायावती जी को हम बिहार से राज्यसभा भेजेंगे.
हिमालयायूके की बात को बल मिला जब लालू यादव ने ऐलान किया कि मायावती को बिहार से राज्यसभा में भेजेगे- ज्ञात हो कि हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ने इस बारे में तथ्य प्रकाशित किये थे कि लालू को रोकने के लिए बिहार में भाजपा ने रणनीति की थी- मायावती ने राज्यसभा मे लौटना मुनासिब न समझ कर इस्तीफा देना सही समझा था परन्तु 18 जुलाई की शाम होते होते लालू का ऐलान आ गया
लालू यादव ने कहा, ”मायावती गरीबों और दलितों की नेता हैं। वे सहारनपुर की घटना को सदन में उठाना चाहती थीं, लेकिन सरकार के लोगों ने मिलकर उन्हें रोका और बोलने नहीं दिया। इससे दुखी होकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया। सही बोला कि जहां दलितों और पिछड़ों की बात न सुनी जाए, वहां रहने का कोई फायदा नहीं।”
– “हम मायावती का सपोर्ट करते हैं। मैं उनकी बहादुरी का तारीफ करता हूं। अगर वे चाहती है कि वे फिर से राज्यसभा जाएं, तो हम उन्हें बिहार से भेज सकते हैं। मायावती के खिलाफ बीजेपी मंत्रियों का बिहेवियर बताता है कि बीजेपी एंटी-दलित पार्टी है।”
मायावती के समर्थन में उतरे लालू यादव ने कहा, ”आज संसद में काला इतिहास लिखा गया है. मायावती गरीबों और दलितों की नेता हैं. मायावती जी सहारनपुर की घटना को उच्च सदन में उठाना चाहती थीं लेकिन जिस तरह से सरकार के सभी लोग मिलकर उन्हें रोकने का और ना बोलने देने का जो उपाय किया, इसलिए उन्होंने खिन्न होकर इस्तीफा दिया. यह सही बात है जिस जगह पर दलितों और पिछड़ों की बात ना सुनी जाए वहां रहने का कोई फायदा नहीं.”मायावती जी ने जो कदम उठाया है हम उसके साथ हैं. अगर वो चाहेंगी तो हम उन्हें बिहार से राज्यसभा भेजेंगे. आज उनका हक छीन लिया गया है, ये लोकतंत्र के खिलाफ है. आज एक बहुत खराब परंपरा कायम की है. मैं मायावती जी को उनको साहस के लिए बधाई देता हूं.”
मायावती की अपनी ताक़त भी कमज़ोर हुई है. उनके पास लोकसभा में कोई सांसद नहीं है. राज्यसभा में सिर्फ़ 6 हैं और यूपी विधानसभा के इस चुनाव में उनकी पार्टी के सिर्फ़ 19 विधायक हैं. कमज़ोर पड़ी ताक़त उन्हें गैर बीजेपी गठबंदगन का हिस्सा बना सकती है. बसपा सुप्रीमो मायावती के मंगलवार को राज्यसभा से इस्तीफे की घोषणा के बाद माना जा रहा है कि अब उनकी राज्यसभा में वापसी की राह आसान नहीं होगी. दरअसल मायावती की राज्यसभा सदस्यता 2018 में समाप्त होने वाली थी. उसके बाद वापस लौटने के लिए उनके पास अपेक्षित आंकड़ा नहीं है. इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को महज 19 सीटें मिली हैं. इनकी बदौलत मायावती की वापसी संभव नहीं है. उसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव हैं. तब तक वह संसद के किसी भी सदन का हिस्सा नहीं होंगी. हालांकि कुछ समय पहले बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने घोषणा करते हुए कहा था कि वह राज्यसभा की उम्मीदवारी में मायावती का समर्थन करेगी. उनके समर्थन की बदौलत संभवतया मायावती 2018 में राज्यसभा में लौट सकती हैं.
बीएसपी प्रमुख मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है. सभापति को भेजी तीन पेज की चिट्ठी में मायावती ने आज के राज्यसभा के पूरे वाक्ये का जिक्र करते हुए कहा कि मैं सहारनपुर हिंसा पर अपनी बात रखना चाहती थी कि लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया गया. आपको बता दें कि अगले साल मायावती का कार्यकाल खत्म हो रहा था.
मायावती ने कहा, ”मैं दलित समाज से संबंध रखती हूं, सत्ता पक्ष मुझे अपनी बात नहीं रखने दे रहा है. मैं जब बोल रही थी तब सरकार के मंत्री खड़े हो गए और मुझे बोलने नहीं दिया गया. मैंने इस देश के करोड़ों दलितों, पिछड़ों, मजदूरों और किसानों के हित में राज्यसभा के सभापति को इस्तीफा सौंपा है. जब सत्ता पक्ष मुझे अपनी बात रखने का भी समय नहीं दे रहा तो मेरा इस्तीफा देना ही ठीक है.”
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