लॉक डाउन का एक माह- कोरोना राहत पैकेज आम जनता तक नहीं पहुँच सका ;इंडियन एक्सप्रेस एक्सक्लूसिव
कोरोना राहत पैकेज का एलान लगभग एक महीने पहले किया, पर अब तक वह आम जनता तक नहीं पहुँच सका है। इस पैकेज के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आने वाले हर परिवार को एक किलोग्राम दाल दी जानी थी, लेकिन अब तक सिर्फ़ 10% लोगों को ही दाल मिली है। इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के अनुसार, प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना के तहत हर महीने 1.95 लाख मीट्रिक टन दाल बाँटी जानी थी। लेकिन अब तक कुल मिला कर 19,496 टन दाल ही बाँटी जा सकी है। जो कुल बाँटी जाने वाली दाल का तक़रीबन 10% है। केंद्र सरकार ने विशेष कोरोना पैकेज का एलान 26 मार्च को ही कर दिया था, दाल मिलों ने उसी समय काम शुरू नहीं किया, काफी बाद में इस पर काम शुरू हुआ।
खाद्य मंत्रालय के एक आला अफ़सर ने इंडियन एक्सप्रेस से ये भी कहा कि बफ़र स्टॉक की दाल तैयार नहीं रखी जाती है और ज़रूरत पड़ने पर ही तैयार की जाती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ, इसलिए देर हुई।
24 अप्रैल 20 मुम्बई से एजेसी की खबर के अनुसार देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से 20 श्रमिकों का जत्था साइकिल से ही 1700 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के लिए रवाना हुआ. इन मजदूरों ने राशन की समस्या के कारण इस तरह का निर्णय लेने का दावा किया. श्रमिकों ने सरकार पर मदद न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पास अब पैसे बचे नहीं थे, वहां काम चल नहीं रहा था. ऐसे में बचे पैसों से साइकिल खरीदकर घर लौटने के सिवाय उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा था.
मजदूरों ने अपनी मजबूरी बयान करते हुए कहा कि यदि वे घर नहीं गए तो यहां भूख से मर जाएंगे. ठाणे में राजमिस्त्री का कार्य करने वाले पिंटू ने कहा कि हम सबने मिलकर साइकिल खरीदने का फैसला किया, जिससे अपने घर पहुंच सकें. वहीं, अखिल प्रजापति ने कहा कि राशन बचा नहीं है, आमदनी हो नहीं रही. ऐसे में साइकिल से घर जाने के सिवाय कोई और रास्ता बचा नहीं था. उन्होंने मकान मालिक पर भी किराए के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया.
ठाणे से इस समूह में शामिल होने वाले गणेश प्रसाद ने बताया कि वे छत बनाने और तिरपाल शीट बिछाने का काम करते हैं. हमारे पास अब घर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था. इसलिए हमने 1700 किलोमीटर की दूरी राजमार्ग से साइकिल के जरिए तय करने का निर्णय लिया. सभी दुकानें बंद चल रही हैं, ऐसे में नई साइकिल कैसे खरीदी? इस सवाल पर प्रवासी श्रमिकों ने अधिक जानकारी देने से इनकार कर दिया. प्रवासी श्रमिकों ने कहा कि किसी को हमारी हालत पर दया आ गई. उसने हमें साइकिल खरीदने में मदद की, जिससे हम अपने प्रियजनों तक पहुंच सकें.
गौरतलब है कि देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू है. प्रवासी मजदूर अपने छोटे-छोट बच्चों के साथ मुंबई-आगरा, मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग पर चिलचिलाती धूप और गर्मी के बावजूद साइकिल से, पैदल चलकर हजारों किलोमीटर दूर स्थित अपने घर तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
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